"दस आज्ञाएँ" आज्ञा थे कि परमेश्वर ने मूसा को सीनै पर्वत पर दिया था, जब इस्राएलियों ने कनान देश के रास्ते में रेगिस्तान में रह रहे थे। परमेश्वर ने दस आज्ञाएं पत्थरों की दो पट्टियों पर लिखी थी।
* परमेश्वर ने इस्राएलियों आज्ञा मानने के लिए बहुत सी आज्ञा दी थी,पर दस आज्ञाएं विशेष थी कि इस्राएली परमेश्वर से प्रेम करना और उसकी उपासना करना तथा अपास में प्रेम रखें।
* ये आज्ञाएं उनके साथ परमेश्वर की वाचा का एक भाग भी थी। परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करके इस्राएली यह सिद्ध करते थे कि वे परमेश्वर से प्रेम करते थे और उसकी प्रजा हैं।
* उन पत्थरों पर लिखी गई आज्ञाओं के साथ पत्थर की पटिया को वाचा का सन्दूक में रखा गया था, जो कि तम्बू के सबसे पवित्र स्थान और बाद में मंदिर में स्थित था।
* __[13:07](rc://en/tn/help/obs/13/07)__ परमेश्वर ने यह __दस आज्ञाएँ__ मूसा को दो पत्थर की तख्तियों पर लिख के दे दी |
* __[13:13](rc://en/tn/help/obs/13/13)__ जब मूसा पहाड़ से नीचे उतर आया, और उसने उस देवता को देखा, तो उसका क्रोध भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला, क्योंकि वह परमेश्वर की __दस आज्ञाओ__ के विरुद्ध था |
* __[13:15](rc://en/tn/help/obs/13/15)__ तब मूसा ने पहली तख्तियों के समान दो और तख्तियाँ गढ़ी; क्योंकि पहली उसने तोड़ डाली थी |