बाइबल में “सिर” शब्द को विभिन्न प्रतीकात्मक रूपों में काम में लिया गया है।
* इस शब्द का उपयोग मनुष्यों पर अधिकार रखने वाले के लिए किया गया है। “तूने मुझे जाति-जाति का सिर बनाया है।” इसका अनुवाद हो सकता हैः "तू ने मुझे राजा बनाया है" या “तूने मुझे.... पर अधिकार दिया है।"
* यीशु को “कलीसिया का सिर कहा गया है। जिस प्रकार मनुष्य का सिर उसकी देह के अंगों को निर्देशन देता है उसी प्रकार यीशु अपनी “देह” कलीसिया के सदस्यों का निर्देश देता है।
* नया नियम सिखाता है कि पति अपनी पत्नी का सिर है। उसे अपनी पत्नी और परिवार की अगुआई और मार्गदर्शन का उत्तरदायित्व सौंपा है।
* “उसके सिर पर उस्तरा न चलाया जाए” अर्थात “वह न तो कभी अपने बाल कटवाए और न ही कभी दाढ़ी बनवाए।”
* “सिर” का अर्थ कभी-कभी किसी बात के आरंभिक चरण या स्रोत से होता है जैसे, “मार्ग का सिर (आरंभ)”
* “गेहूं का सिर” अर्थात गेहूं या जौ के पौधे का वह ऊपरी भाग जहां बीज होता है।
* “सिर” का एक और प्रतीकात्मक उपयोग है जो मनुष्य के संपूर्ण व्यक्तित्व का बोध कराता है जैसे “सफेद सिर” अर्थात वृद्ध जन या “यूसुफ का सिर” अर्थात यूसुफ। (देखें: [उपलक्षण](rc://en/ta/man/translate/figs-synecdoche))
* प्रकरण के अनुसार “सिर” का अनुवाद हो सकता है, “अधिकार” या “अगुआई एवं निर्देशन देने वाला” या “उत्तरदायी व्यक्ति”
* “का सिर” का अर्थ है संपूर्ण मनुष्यत्व अतः इसका अनुवाद केवल व्यक्ति के नाम से किया जा सकता है। “उदाहरणार्थ, “यूसुफ का सिर” उक्ति का अनुवाद किया जा सकता है, “यूसुफ”
* “उसके ही सिर पर हो” इस उक्ति का अनुवाद किया जा सकता है, “उस पर हो” या “वह दण्ड पाए” या “वही उत्तरदायी माना जाए” या “वह दोषी माना जाए”।
* प्रकरण के अनुसार इस शब्द के अनुवाद हो सकते हैं, “आरंभ” या “स्रोत” या “शासक” या “अगुआ” या “ऊपर”।