“तरस” शब्द का संदर्भ मनुष्यों के प्रति चिन्ता की भावना से है। विशेष करके पीड़ित लोगों के प्रति। “तरस खाने वाला” मनुष्यों की चिन्ता करके उनकी सहायता करता है।
* “तरस” शब्द का अभिप्राय है मनुष्यों की सुधि लेना तथा उनकी सहायता का कदम उठाना।
* बाइबल में परमेश्वर को तरस खानेवाला कहा गया है, अर्थात वह प्रेमी एवं दयालु है।
* कुलुस्से की कलीसिया को लिखे पत्र में पौलुस उनसे कहता है, “बड़ी करूणा... धारण करो” वह उन्हें आदेश देता है कि वे मनुष्यों की सुधि लें और जो आवश्यकताग्रस्त है, उनकी सहायता करें।