“अच्छा” शब्द सामान्यतः किसी के गुण-लक्षणों के सकारात्मक मूल्यांकन के सन्दर्भ में होता है, जो प्रायः नैतिक या भावनात्मक भाव में होता है| तथापि, बाईबल में प्रकरण के आधार पर इस शब्द के द्वारा अनेक अवांतर भेद व्यक्त किए जाते हैं|
* लक्षित भाषा में “अच्छा” के लिए जो भी सामान्य शब्द है उसका उपयोग किया जाए, यदि उसका सामान्य अर्थ उचित एवं स्वाभाविक हो विशेष करके ऐसे संदर्भों में जहां यह शब्द बुराई के विपरीत अर्थ में आया हो।
* प्रकरण के अनुसार इसके अन्य अनुवाद रूप हो सकते हैं, “दयालू” या "अति उत्तम" या “परमेश्वर को प्रसन्न करने योग्य” या “न्यायोचित” या "नैतिकता में खरा" या “लाभकारी”
* “अच्छी भूमि” का अनुवाद हो सकता है, “उपजाऊ भूमि” या “उत्पादक भूमि”; “अच्छी फसल” का अनुवाद हो सकता है, “विपुल फसल” या “बहुत अधिक फसल”।
* “भलाई करना” का अर्थ है मनुष्यों के लाभ के काम और इसका अनुवाद हो सकता है, किसी “पर दया करना” या “सहायता करना” या “लाभ पहुंचाना” या किस के लिए "समृद्धी का कारन होना"
* __[1:4](rc://hi/tn/help/obs/01/04)__ परमेश्वर ने देखा कि जो सृष्टि उसने की है वह __अच्छी__ है।।
* __[1:11](rc://hi/tn/help/obs/01/11)__ परमेश्वर ने __अच्छे__ और बुरे के ज्ञान का पेड़ लगाया।
* __[1:12](rc://hi/tn/help/obs/01/12)__ फिर परमेश्वर ने कहा “आदमी का अकेला रहना __अच्छा__ नहीं है।”
* __ \[2:4](rc://hi/tn/help/obs/02/04)__ "परमेश्वर इतना जानता है कि जैसे ही तुम इसे खाते हो, तो तुम परमेश्वर की तरह हो जाओगे और __अच्छे__ और बुरे को समझोगे जैसा वह समझता है।"
* __[8:12](rc://hi/tn/help/obs/08/12)__ "आपने दास के रूप में मुझे बेचकर तुमने बुराई करने की कोशिश की, लेकिन परमेश्वर ने __भलाई__ के लिए बुराई का इस्तेमाल किया!"
* __[14:15](rc://hi/tn/help/obs/14/15)__ यहोशू एक __अच्छा__ अगुआ था क्योंकि वह परमेश्वर पर विश्वास करता था व उसकी आज्ञाओ का पालन करता था।
* __[18:13](rc://hi/tn/help/obs/18/13)__ कुछ राजा __अच्छे__ भी थे, जिन्होंने उचित शासन किया और परमेश्वर की उपासना की।
* __[28:1](rc://hi/tn/help/obs/28/01)__ “हे __उत्तम__ गुरु, अनन्त जीवन का वारिस होने के लिए मै क्या करूँ?” यीशु ने उससे कहा, “तू मुझे __‘उत्तम’__ क्यों कहता है? जो __उत्तम__ है वह केवल एक ही है, और वह परमेश्वर है"