“धर्मी” शब्द उस मनुष्य को व्यक्त करता है जो इस प्रकार के काम करता है जिनसे परमेश्वर का महिमान्वन होता है और प्रकट होता है कि परमेश्वर कैसा है। "भक्ति" परमेश्वर की इच्छा पूरी करके परमेश्वर का सम्मान करने का गुण है।
* भक्ति का गुण रखनेवाला मनुष्य पवित्र-आत्मा के फल प्रकट करता है जैसे, प्रेम, आनन्द, शान्ति, धीरज, दया, आत्मसंयम आदि।
* भक्ति की गुणवत्ता से पता चलता है कि एक व्यक्ति को पवित्र आत्मा है और उसे पालन करना है।
* विशेषण "ईश्वरीय" का अनुवाद "ईश्वर के आज्ञाकारी" या "धर्मी" या "ईश्वर को प्रसन्न" के रूप में किया जा सकता है।
* वाक्यांश "ईश्वरीय ढंग से" का अनुवाद "परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार" या "कर्मों और शब्दों से किया गया है जो परमेश्वर को खुश करता है" के रूप में किया जा सकता है।
* "भक्ति" का अनुवाद करने के तरीके में "परमेश्वर को प्रसन्न करने वाले तरीके से काम करना" या "परमेश्वर का पालन करना" या "एक धर्मी तरीके से जी रहे" हो सकते हैं।