“ईर्ष्यालु” और ईर्ष्या” का संदर्भ, संबन्ध की शुद्धता को सुरक्षित रखने की प्रबल इच्छा से है। इन शब्दों का सन्दर्भ उस उत्कट अभिलाषा से भी हो सकता है जिसमें कोई किसी वस्तु या मनुष्य पर अपना अधिकार समझता है।
* इन शब्दों द्वारा मनुष्य के क्रोध को भी व्यक्त किया जाता है जो विश्वासघाती जीवन साथी के प्रति उभरता है।
* इस शब्द को जब बाईबल में काम में लिया जाता है तब इनके द्वारा परमेश्वर की प्रजा को शुद्ध और पाप से निष्कलंक रहने की परमेश्वर की प्रबल इच्छा को भी दर्शाया गया है।
* परमेश्वर अपने नाम के लिए भी ईर्ष्यालु है, उसकी इच्छा है कि उसके नाम का सम्मान हो और एवं श्रद्धा अर्पित की जाए।
* इर्ष्या का एक और अर्थ भी है, कोई सफल और अधिक प्रसिद्द हो तो क्रोधित होना| किसी की सफलता और ख्याति पर क्रोध को भी ईर्ष्या कहते हैं। * यह “डाह” शब्द का सहार्थी है।
* परमेश्वर के लिए जब इस शब्द का अनुवाद करें नकारात्मक भाव प्रकट न हो, ऐसा प्रकट न हो कि परमेश्वर किसी से जलन रखता है।
* मनुष्यों के प्रति, जब कोई सफल होता है तब मनुष्यों की आवेशी भावनाओं के संदर्भ में "ईर्ष्यालु" या "ईर्ष्या" शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है। परन्तु इन शब्दों का उपयोग परमेश्वर के लिए न करें।