* किसी में “विश्वास होना” अर्थात स्वीकार करना कि वह जो कहता और करता है वह सच है और विश्वासयोग्य है।
* “यीशु में विश्वास” का अर्थ है, यीशु के बारे में परमेश्वर की सब शिक्षाओं को मानना। इसका अर्थ विशेष करके यह है मनुष्य यीशु में और उसकी पाप मोक्षक बलि में तथा पाप के दण्ड से उनकी मुक्ति में विश्वास करते हैं।
* कभी-कभी “विश्वास” शब्द यीशु के बारे में सब शिक्षाओं के बारे में सामान्य संदर्भ में होता है। जैसा इस अभिव्यक्ति में है, “विश्वास के सत्य”
* "विश्वास को थामे रहना" तथा "विश्वास को त्याग देना" इनके सन्दर्भ में "विश्वास" शब्द का सन्दर्भ यीशु के बारे में सब शिक्षाओं पर विश्वास करने की दशा या अवस्था से होता है|
* कुछ संदर्भों में “विश्वास” का अनुवाद “आस्था-श्रद्धा” या “अंगीकार” या “निश्चिय” या “भरोसा” किया जा सकता है।
* कुछ भाषाओं में इन शब्दों का अनुवाद “विश्वास करना” क्रिया के रूपों द्वारा किया जा सकता है। [भाववाचक संज्ञा](rc://hi/ta/man/translate/figs-abstractnouns))
* यह अभिव्यक्ति, "विश्वास को थामे रहो", इसका अनुवाद हो सकता है, "यीशु में विश्वास करते रहो" या "यीशु में विश्वास बनाए रखो"
* यह वाक्य,"उनको विश्वास के गहन सत्यों को थाम कर रखना है" इसका अनुवाद हो सकता है, "उनको यीशु के बारे में उन सब सत्यों पर विश्वास करना आवश्यक है जिनकी शिक्षा उनको दी जा चुकी है"
* यह अभिव्यक्ति, "विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र", इसका अनुवाद हो सकता है, " वह मेरे पुत्र के जैसा है क्योंकि मैं ने उसको यीशु में विश्वास करना सिखाया है" या "मेरा सच्चा आत्मिक पुत्र जो यीशु में विश्वास करता है"
* __[5:6](rc://hi/tn/help/obs/05/06)__ जब इसहाक जवान था, तो परमेश्वर अब्राहम के __विश्वास__ की परीक्षा लेते हुए कहा, की अपने एकमात्र पुत्र को लेकर मेरे निमित्त बलि कर दे।
* __[31:7](rc://hi/tn/help/obs/31/07)__ फिर उसने (यीशु ने) पतरस से कहा, "हे अल्प- __विश्वासी__ तू ने संदेह क्यों किया?"
* __[32:16](rc://hi/tn/help/obs/32/16)__ यीशु ने उससे कहा, "तेरे __विश्वास__ ने तुझे चंगा किया है। शान्ति से जा।"
* __[38:9](rc://hi/tn/help/obs/38/09)__ यीशु ने पतरस से कहा, “शैतान तुम सबकी परीक्षा लेना चाहता है, परन्तु मैंने तेरे लिये प्रार्थना की है, पतरस, तेरा __विश्वास__ कमज़ोर नहीं होगा।