यूसुफ याकूब का ग्यारहवां और माता राहेल का पहला पुत्र था। उसके दो पुत्रों,एप्रैम और मनश्शे के वंशज इस्राएल के दो गोत्र हुए|
#इब्रानी नाम यूसुफ़ उन दो इब्रानी शब्दों का सा है जिनका अर्थ, "जोड़ना, बढाना" और दूसरा, "एकत्र करना,ले जाना" होता है|
#उत्पत्ति के पुस्तक का एक बड़ा भाग युसूफ की कहानी का है कि वह कैसे अनेक कठिनाइयों में परमेश्वर का निष्ठावान रहा और उसने अपने भाइयों को भी क्षमा कर दिया जिन्होंने उसको मिस्र में दास होने के लिए बेच दिया था|
# अंत में परमेश्वर ने यूसुफ़ को अधिकार में मिस्र का दूसरा सर्वोच्च अधिकारी बना दिया था और उसको मिस्र की प्रजा तथा परिवेश के जातियों को भोजन की कमी होने पर काम में लिया| यूसुफ़ ने अपने परिवार को भी भूखे मरने से बचाया और उनको लाकर अपने पास मिस्र में बसा दिया|
* __[8:2](rc://hi/tn/help/obs/08/02)__ __यूसुफ__ के भाई उससे बैर रखते थे क्योंकि जब यूसुफ के भाइयो ने देखा कि हमारा पिता हम सबसे अधिक उसी से प्रीति रखता है, और यूसुफ ने स्वप्न में देखा था कि वह अपने भाइयो पर राज्य करे।
* __[8:4](rc://hi/tn/help/obs/08/04)__ और व्यापारी __यूसुफ__ को मिस्र ले गए।
* __[8:5](rc://hi/tn/help/obs/08/05)__ यहाँ तक की बंदीगृह में भी __यूसुफ__ परमेश्वर के प्रति निष्ठावान रहा और परमेश्वर ने उसे आशीष दी।
* __[8:7](rc://hi/tn/help/obs/08/07)__ परमेश्वर ने __यूसुफ__ को योग्यता दी थी कि वह स्वप्न का अर्थ समझ सके, इसलिये फ़िरौन ने यूसुफ को बंदीगृह से बुलवा भेजा।
* __[8:9](rc://hi/tn/help/obs/08/09)__ __यूसुफ__ ने सात वर्ष अच्छी उपज के दिनों में भोजनवस्तुएँ इकट्ठा करने के लिये लोगों से कहा।
* __[9:2](rc://hi/tn/help/obs/09/02)__मिस्र वासी अब __यूसुफ__ को भूल गये थे और उन कार्यो को जो उसने उनकी सहायता करने के लिये किये थे।