“बाइबल में “विश्वासी” शब्द उस मनुष्य के लिए काम में लिया गया है जो यीशु मसीह में विश्वास करके उस पर उद्धार के लिए निर्भर करता है।
* "विश्वासी" शब्द का अर्थ है "विश्वास करनेवाला।"
* मसीही शब्द अन्ततः विश्वासियों का नाम हो गया क्योंकि इस शव्द से प्रकट होता है कि वे मसीह यीशु में विश्वास करते है और उसकी शिक्षाओं पर चलते है।
## अनुवाद के सुझाव: ##
* कुछ भाषाओं में “यीशु के विश्वासी” या “मसीह के विश्वासी” कहना अधिक उचित माना गया है।
* इस शब्द का अनुवाद ऐसे शब्द और उक्ति द्वारा किया जा सकता है जिसका अर्थ है, “यीशु पर भरोसा रखनेवाला मनुष्य” या “यीशु को जानने और उसके लिए जीने वाला मनुष्य”
* “विश्वासी” के अन्य अनुवाद, “यीशु का अनुयायी” या “यीशु को जानने और उसकी आज्ञा माननेवाला मनुष्य”।
* “विश्वासी” शब्द किसी भी मसीही विश्वासी के लिए एक सामान्य शब्द है जबकि “शिष्य” और “प्रेरित” शब्द उन मनुष्यों के लिए जो यीशु को इस सांसारिक जीवन में जानते थे। उचित होगा इन शब्दों का अनुवाद भिन्न-भिन्न शब्दों में किया जाए कि उन्हें अलग-अलग समझा जाए।
(यह भी देखें: [प्रेरित](../kt/apostle.md), [विश्वास](../kt/believe.md), [मसीही विश्वासी](../kt/christian.md), [चेले](../kt/disciple.md))
* __[43:01](rc://en/tn/help/obs/43/01)__ यीशु के स्वर्ग में वापस जाने के बाद, चेले यीशु की आज्ञा के अनुसार यरूशलेम में ही ठहरे हुए थे। __विश्वासी__ वहाँ लगातार प्रार्थना करने के लिये एक साथ एकत्र हुए।
* __[43:03](rc://en/tn/help/obs/43/03)__ जब सब __विश्वासी__ एक जगह एकत्र हुए, अचानक वो घर जहा वे थे आकाश से बड़ी हवा की आवाज़ से भर गया। और उन्हें आग की लपटे सी कुछ दिखाई दीं और __उनमें__ से हर एक के सिर पर आ ठहरीं।
* __[43:13](rc://en/tn/help/obs/43/13)__ हर दिन बहुत से लोग विश्वासी बन रहे थे।
* __[46:06](rc://en/tn/help/obs/46/06)__ उसी दिन,कई लोग यरूशलेम में यीशु मसीह पर विश्वास करने वालो पर बड़ा उपद्रव करने लगे, इसलिए __विश्वासी__ अन्य स्थानों में भाग गए। तथापि, जहा कही भी वह गए, हर जगह यीशु मसीह का प्रचार करते रहे।
* __[46:01](rc://en/tn/help/obs/46/01)__ शाऊल वह जवान था जिसने स्तिफनुस के वध में शामिल लोगों के कपड़ों कि रखवाली कि थी। वह यीशु पर विश्वास नही करता था, इसलिए वह __विश्वासियों__ को सताता था।
* __[46:09](rc://en/tn/help/obs/46/09)__ कुछ लोग जो यरूशलेम में सताव के मारे तितर-बितर हो गए थे, वे फिरते-फिरते अन्ताकिया पहुँचे और प्रभु यीशु के सुसमाचार की बातें सुनाने लगे। और __विश्वासियों__ को सब से पहले अन्ताकिया ही में "मसीही" कहलाए।
* __[47:14](rc://en/tn/help/obs/47/14)__उन्होंने अनेक खतो के द्वारा कलीसियाओं के __विश्वासियों को शिक्षा और प्रोत्साहन प्रधान किया।