*आधुनिक युग में, फाँसी देकर मारने में रस्सी का फँदा बनाकर मनुष्य के गले में डाला जाता है और उसे किसी ऊँची वास्तु से लटका दिया जाता है, जब तक वह मर न जाए। ये ऊँची वस्तुएँ नाना प्रकार की होती हैं जैसे वृक्ष या फांसी का फंदा अर्थात मनुष्य को मारने के लिए लटकाने हेतु विशेष रूप से तैयार किया गया मंच।
* बाइबल के युग में, प्राचीन संस्कृतियों में ठीक ऐसी ही विधि द्वारा लटका कर मारा नहीं जाता था। उदाहरणार्थ, यीशु की मृत्यु लकड़ी के क्रूस (कभी-कभी उसको वृक्ष कहा गया है) पर लटकाए जाने से हुई थी, परन्तु उसके गले पर कुछ नहीं था। सैनिकों ने उसके हाथ और पाँवों को क्रूस की लकड़ी पर कीलों से ठोंक कर उसे क्रूस पर लटकाया था।
*कुछ प्राचीन संस्कृतियों में मनुष्य को लकड़ी के खम्भे पर इस प्रकार लटका देते थे कि वह भूमि से ऊपर अधर में लटका रहे और बचकर भाग न पाए और वह मनुष्य मरने तक लटका ही रहता था।