“उजड़” और “उजाड़” अर्थात किसी बसे हुए स्थान को ऐसा नष्ट करना कि वह निर्जन स्थान हो जाए।
* मनुष्य के संदर्भ में “उजड़” शब्द का अर्थ है, विनाश, अकेलापन और दुःख।
* उजड़ने की दशा को उजाड़ कहते हैं।
* खेती उजड़ने का अर्थ है खेती किसी कारण नष्ट हो गई जैसे टिड्डियों या आक्रमणकारी सेना द्वारा।
* “उजड़ा स्थान” अर्थात कम फसल एवं साग-पात के कारण बहुत ही कम लोग वहां रहते हैं।
* “निर्जन प्रदेश” या “जंगल” वे स्थान थे जहां समाज से बहिष्कृत जन (कोढ़ी) और वन पशु रहते थे।
* नगर का “उजाड़” होने का अर्थ है, उसके भवन और वस्तुएं नष्ट की गई या “चोरी की गई” और उसकी जनता मार डाली गई या बन्दी बना ली गई। वह नगर, “खाली” एवं “खण्डहर” हो गया। इसका अर्थ “उजाड़ करना” या “उजाड़” जैसा ही है परन्तु खाली होना मुख्य भाव है।
* प्रकरण के अनुसार इस शब्द का अनुवाद “विनाश” या “ध्वंस” या “निर्जन करना” या “अकेला और बहिष्कृत” या “सुनसान” हो सकता है।