पवित्र करना का अर्थ है, परमेश्वर की सेवा हेतु किसी वस्तु या मनुष्य को समर्पित करना। जिस मनुष्य या वस्तु को अभिषेक कर दिया गया उसे पवित्र और परमेश्वर के लिए पृथक माना जाता था।
* इस शब्द का अर्थ “पवित्र करने” जैसा ही है परन्तु इसका अतिरिक्त अर्थ है, किसी को विधिवत परमेश्वर की सेवा हेतु पृथक करना।
* परमेश्वर के लिए पृथक की गई वस्तुओं में बलि के पशु, होमबलि की वेदी तथा निवास का मण्डप थे।
* परमेश्वर के लिए मनुष्यों का भी अभिषेक किया गया था, याजक, इस्राएली प्रजा तथा पहिलौठा।
* कभी-कभी “अभिषेक” शब्द का अर्थ “शुद्धिकरण” भी होता था। विशेष करके जब मनुष्य या वस्तुओं को परमेश्वर की सेवा के लिए तैयार किया जाता था जिससे कि वे शुद्ध होकर परमेश्वर को ग्रहण योग्य हों।