टाट बकरी के या ऊंट के बालों से बना एक चुभनेवाला कठोर वस्त्र होता था।
* जो व्यक्ति इससे बने हुए कपड़े पहने ते थे वह असहज होगा। उसे विलाप, दुःख और दीनता-पूर्वक पश्चाताप प्रकट करने के लिए टाट पहना जाता था।
* "टाट और राख" एक सामान्य उक्ति थी जो विलाप और पश्चाताप के लिए एक सामान्य अभिव्यक्ति थी।
## अनुवाद के लिए सुझाव:
* इस शब्द का अनुवाद इसे प्रकार से भी किया जा सकता है जैसे "पशुओं के बालों से बना मोटा वस्त्र" या "बकरी के बालों से बना वस्त्र" या "मोटा चुभने वाला वस्त्र।"
* इस प्रकार से भी इस शब्द का अनुवाद हो सकता है "रूखा, लापरवाह शोक कपड़ों।"
* "टाट ओढ़कर राख में बैठना" का अनुवाद ऐसे भी हो सकता है जैसे "खुरचने वाला वस्त्र पहनकर राख में बैठने के द्वारा दुःख एवं दीनता प्रकट करना।"