* __[37:01](rc://en/tn/help/obs/37/01)__ एक दिन, यीशु को संदेश मिला कि __लाजर__ बहुत बीमार है। __लाजर__ और उसकी दो बहिन, मार्था और मरियम, यीशु के बहुत प्रिय थे।
* __[37:02](rc://en/tn/help/obs/37/02)__ यीशु ने कहा, “हमारा मित्र __लाजर__ सो गया है, परन्तु मैं उसे जगाने जाता हूँ।”
* __[37:03](rc://en/tn/help/obs/37/03)__ यीशु के चेलो ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, यदि वह सो गया है, तो स्वस्थ हो जाएगा।” तब यीशु ने उनसे साफ साफ कह दिया, “ लाजर मर गया है”
* __[37:04](rc://en/tn/help/obs/37/04)__जब यीशु __लाज़र__ के गृहनगर पहुँचा, तो लाजर को कब्र में रखे चार दिन हो चुके थे।
* __[37:06](rc://en/tn/help/obs/37/06)__ यीशु ने उनसे पूछा “तुमने __लाज़र__ को कहाँ रखा है?”
* __[37:09](rc://en/tn/help/obs/37/09)__ यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, “हे लाजर निकल आ।”
* __[37:10](rc://en/tn/help/obs/37/10)__ __लाजर__ बाहर निकल आया। वह अभी भी कपड़ो में लिपटा हुआ था।
* __[37:11](rc://en/tn/help/obs/37/11)__परन्तु यहूदियों के धार्मिक गुरु यीशु से ईर्षा रखते थे, इसलिये उन्होंने आपस में मिलकर योजना बनाना चाहा कि कैसे वह यीशु और __लाजर__ को मरवा सके।