मूर्ति मनुष्यों द्वारा हाथ से बनायी गई एक प्रतिभा होती है जिसकी वे पूजा करते हैं। एक सच्चे परमेश्वर के स्थान में किसी और को सम्मान देना मूर्ति-पूजा कहलाती है।
* मनुष्य देवी-देवताओं की पूजा के लिए मूर्तियां बनाता है।
* देवी-देवताओं का कोई अस्तित्व नहीं है, यहोवा के अलावा और कोई देवता नहीं।
* कभी-कभी दुष्टात्माएं मूर्तियों के माध्यम से काम करके ऐसा प्रकट करती हैं कि उनमें शक्ति है जबकि है नहीं।
* मूर्तियां सोने, चांदी, तांबे या मूल्यवान लकड़ी से बनाई जाती हैं।
* “मूर्ति-पूजकों का राज्य” अर्थात् “मूर्तिपूजा करने वालों का राज्य” या "लोगों का राज्य जो सांसारिक वस्तुओं की आराधना करते है।”
* “मूरत” शब्द भी “खुदी हुई छवि”,“मूर्ति” के लिए ही काम में लिया गया है।
(यह भी देखें: [झूठे देवता](../kt/falsegod.md), [छवि](../other/image.md), [राज्य](../other/kingdom.md), [आराधना](../kt/worship.md))
* __[13:05](rc://en/tn/help/obs/13/05)__“तू अपने लिये कोई __मूर्ति__ खोदकर न बनाना, न किसी की प्रतिमा बनाना, तू उनकी उपासना न करना क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला परमेश्वर हूँ।”
* __[13:12](rc://en/tn/help/obs/13/12)__ हारून ने सोने से एक बछड़े के आकार की __मूर्ति__ बना दी। लोग उस मूर्ति की उपासना करने लगे और उसके लिये बलिदान चढ़ाने लगे!
* __[14:03](rc://en/tn/help/obs/14/03)__ “तुम उनके __देवताओं__ को पूरी तरह से नष्ट कर देना। यदि तुम मेरी आज्ञाओ का पालन न करो, और मेरे बदले उनके __देवताओं__ की उपासना करों तो तुम दण्ड के पात्र बनोगे।”
* __[18:12](rc://en/tn/help/obs/18/12)__ इस्राएली राज्य के सभी राजा और बहुत से लोग __मूर्तियों__ की उपासना करते थे। उनकी मूर्ति पुजाओ में कई बार अनैतिकता और कभी- कभी बच्चों का बलिदान भी शामिल होता था।
* __[19:16](rc://en/tn/help/obs/19/16)__ उन्होंने लोगों से कहा कि वह अन्य __देवताओं__ की उपासना करना बंद कर दे, और दूसरों के लिए न्याय और उन पर दया करना आरंभ करें।