* __[22:4](rc://hi/tn/help/obs/22/04)__ वह एक कुँवारी थी जिसकी मंगनी __यूसुफ__ नामक पुरुष के साथ हुई थी।
* __[23:1](rc://hi/tn/help/obs/23/01)__ मरियम की मंगनी __यूसुफ__ नामक एक धर्मी पुरुष से हुई। जब यूसुफ को यह पता चला कि मरियम गर्भवती है, और जो उसके गर्भ में है वह उसका बालक नहीं है, अत: यूसुफ ने जो धर्मी था और उसको बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया।
* __[23:2](rc://hi/tn/help/obs/23/02)__ स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे __यूसुफ__ ! तू अपनी पत्नी मरियम को यहाँ ले आने से मत डर, क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना (जिसका अर्थ है, 'यहोवा बचाता है' )क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा।”
* __[23:3](rc://hi/tn/help/obs/23/03)__ __यूसुफ__ ने मरियम से विवाह किया और अपनी पत्नी को अपने यहाँ ले आया, और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया।
* __[23:4](rc://hi/tn/help/obs/23/04)__ अत: __यूसुफ__ और मरियम भी एक लम्बी यात्रा तय करके नासरत को गए, क्योंकि यूसुफ दाऊद के घराने और वंश का था, गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया।
* __[26:4](rc://hi/tn/help/obs/26/04)__ यीशु ने उनसे कहा, “ आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है” | सभी लोग चकित थे। और कहने लगे कि “ क्या यह __यूसुफ__ का पुत्र नहीं है?”