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# hi_tA
# अनफोल्डिंगवर्ड ट्रान्सलेशन अकादमी
Level2
## विवरण
अनफोल्डिंगवर्ड ट्रान्सलेशन अकादमी या टीए एक मॉड्यूलर अर्थात् विभिन्न अंशों को निर्मित करने वाली हस्तपुस्तिका है, जो बाइबल के अनुवाद और जाँच के सिद्धान्तों की एक संक्षिप्त व्याख्या प्रदान करती है, जिसकी विश्वव्यापी कलीसिया ने स्पष्ट रूप से भरोसेमंद अनुवादों के द्वारा पुष्टि की है।
यह अनुवादकों को यह जानने में सक्षम बनाती है कि वे अपनी भाषा में बाइबल के भरोसेमंद अनुवाद कैसे बनाएँ।
## डाउनलोड करना
यदि आप उपयोग करने के लिए अंग्रेज़ी ट्रान्सलेशन अकादमी को डाउनलोड करना चाहते हैं, तो यहाँ पर जाएँ: [https://unfoldingword.bible/academy/](https://unfoldingword.bible/academy/). tA is also included in [tS](http://ufw.io/ts) and [tC](http://ufw.io/tc).
## टीए में सुधार
सुधार के लिए प्रतिक्रिया या सुझाव देने के लिए कृपया [issue queue](https://git.door43.org/unfoldingWord/en_ta/issues) का उपयोग करें। यदि आप अपने सुझाव में परिवर्तन करना चाहते हैं तो ऐसा करने के लिए आप ऑनलाइन संपादक का उपयोग कर सकते हैं।
दस्तावेज में कदम दर कदम निर्देशों के लिए [protected branch workflow](https://forum.ccbt.bible/t/protected-branch-workflow/76) को देखें।
## संरचना
टीए को एक साधारण मार्क डाउन प्रारूप में लिखा गया है और यह [Resource Container Manual](https://resource-container.readthedocs.io/en/latest/container_types.html#manual-man) के अनुसार आयोजित किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए उस लिंक को देखें परन्तु यहाँ पर संक्षिप्त सारांश दिया गया है।
इस संग्रह में प्रत्येक नियमावली की अपनी निर्देशिका है (उदाहरण के लिए, नियमावली की जाँच करने के लिए [checking](https://git.door43.org/unfoldingWord/en_ta/src/branch/master/checking) निर्देशिका है। इन मॉड्यूल निर्देशिकाओं के भीतर प्रत्येक मॉड्यूल की अपनी स्वयं की निर्देशिका पाई जाती है।
इनमें से प्रत्येक की तीन फाइलें हैं:
* `01.md` - यह मॉड्यूल का मुख्य निकाय है
* `sub-title.md` - यह फ़ाइल उस प्रश्न का सन्दर्भ देती है, जिसका उत्तर देना मॉड्यूल की मंशा है।
* `title.md` - इसमें मॉड्यूल का शीर्षक होता है।प्रत्येक मैनुअल की डायरेक्टरी में YAML स्वरूपित फाइलें भी हैं।
`Toc.yaml` फ़ाइल विषय-वस्तु की तालिका के कूट संकेतों के लिए है और `config.yaml` फ़ाइल मॉड्यूल के मध्य कूट संकेतों की निर्भरता के लिए है।
## जीएल अनुवादक
### टीए अनुवाद का दर्शन
टीए का अनुवाद कैसे करें, इसके दर्शन को जानने के लिए कृपया [Translate translationAcademy](http://gl-manual.readthedocs.io/en/latest/gl_translation.html#translating-translationacademy) article in the [Gateway Language Manual](http://gl-manual.readthedocs.io/) को देखें।
यदि आप ऑनलाइन अनुवाद कर रहे हैं, तो कृपया इस इसका अनुसरण करें [Door43-Catalog/en_ta](https://git.door43.org/Door43-Catalog/en_ta) repository, following this workflow: [Translate Content Online](https://forum.ccbt.bible/t/translate-content-online/75).
### टीए का अनुवाद करने के लिए तकनीकी जानकारी
* *यह न करें* किसी भी फाइल या निर्देशिका का नाम न बदलें। केवल वही अनुवाद करें जो फाइलों के अन्दर है।
* `Config.yaml` और `toc.yaml` फ़ाइलों को तब तक परिवर्तित करने की आवश्यकता नहीं है जब तक आप एक नया मॉड्यूल इसमें नहीं जोड़ लेते हैं। जब आप अनुवाद करना समाप्त कर लेते हैं, तब आप `inc.yaml` फ़ाइल में `शीर्षक` वाले क्षेत्र को अपडेट करना चाहेंगे, परन्तु आपको उन फ़ाइलों में कोई अन्य परिवर्तन नहीं करना चाहिए।
* टीए में सम्मिलित होने वाले चित्र 600px से अधिक चौड़े नहीं होने चाहिए। मूल चित्रों का उपयोग करने के लिए चित्र के लिंक को ऐसे ही छोड़ दें।
* हाइपरलिंक (अन्य लेखों या इन्टरनेट पर अन्य पृष्ठों के लिए लिंक) इस पद्धति का पालन करते हैं: `[text to display](http://www.example.com)`.
आप वर्ग कोष्ठक के भीतर "प्रदर्शित करने के लिए मूलपाठ" का अनुवाद कर सकते हैं, परन्तु कोष्ठकों के भीतर आने वाली वेबसाइटों के पतों का नहीं। आप अतिरिक्त मॉड्यूल जोड़ने के लिए स्वतन्त्र हैं।
जब tA प्रकाशित होता है तो नए मॉड्यूल को सम्मिलित करने के लिए, निम्नलिखित सभी शर्तों को पूरा करना होगा:
* आपको एक नियमावली निर्देशिका (जैसे अनुवाद निर्देशिका) में से एक निर्देशिका बनानी चाहिए जिसमें उस मॉड्यूल का संक्षिप्त नाम हो जिसे आप लिखना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, अनुवाद नियमावली में "जाँच" के लिए एक नया मॉड्यूल बनाने के लिए, आप फ़ाइल को "translate/testing/01.md" में रखना चाहेंगे।
* फ़ाइल को उचित नियमावली में डालने के लिए, सामग्री की तालिका, `toc.yaml` में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
* `Inc.yaml` फ़ाइल में खण्ड का मूल्य और निर्देशिका (विस्तार के बिना) उसी नाम से होनी चाहिए जिस नाम से निर्देशिका (इस उदाहरण में जाँच) मिलती है।
* खण्ड विशेष होना चाहिए, और किसी अन्य टीए संग्रह में उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। यह एक शर्त है ताकि अन्य टीए नियमावली में लेखों के लिए अस्पष्ट लिंक बनाना सम्भव हो सके।
## लाइसेंस
लाइसेंस सम्बन्धी जानकारी के लिए [LICENSE](https://git.door43.org/unfoldingWord/en_ta/src/branch/master/LICENSE.md) फ़ाइल को देखें।

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### विवरण
### वर्णन
रूपक एक ऐसा अलंकार होता है, जिसमें एक अवधारणा का उपयोग दूसरी के अर्थ के लिए किया जाता है, और जिसमें दोनों के मध्य तुलना के लिए कम से कम एक बिन्दु होता है। दूसरे शब्दों में, रूपक में, कोई व्यक्ति एक बात बोलता है, मानो कि यह एक भिन्न बात थी, क्योंकि वह चाहता है कि लोग इसके बारे में सोचें कि वे दो चीजें एक जैसे कैसे हैं।
रूपक एक अलंकार है जिसमें एक विचार के स्थान पर दूसरे विचार का इस्तेमाल होता है और दोनों विचार एक दूसरे से संबंधित नही होते हैं। अर्थात, विषय के बारे में ऐसे बताया जाता है कि मानो वहाँ कोर्इ तश्वीर है।
उदाहरण के लिए, कोई कह सकता है,
उदाहरण के तौर पर, यदि कोर्इ कहे,
* मैं जिस लड़की से प्यार करता हूँ, वह लाल गुलाब है।
* लड़की जिससे मैं प्रेम करता हँू, लाल गुलाब है।
इस घटना में, वक्ता चाहता है कि श्रोता यह सोचें कि उसके विषय में कौन सी बात समान है, "मैं जिस लड़की से प्यार करता हूँ," और वह उसकी तुलना करने के लिए जिस चित्र का उपयोग कर रहा है, वह "एक लाल गुलाब" है। कदाचित्, वह चाहता है कि हम इस पर विचार करें कि वे दोनों ही सुन्दर हैं।
यहाँ विषय है लड़की जिससे मैं प्रेम करता हँू’’ और तश्वीर है ‘‘लाल गुलाब’’। लड़की के बारे में ऐसे बोला गया है, मानो वह एक गुलाब है। एक भाषा में कुछ भी रूपक की तरह कार्य कर सकता है
कभी-कभी वक्ता रूपकों का उपयोग करते हैं, जो उनकी भाषा में सामान्य रूप से मिलते हैं। तथापि, वक्तागण कभी-कभी बोलने वाले ऐसे रूपकों का उपयोग करते हैं, जो असामान्य होते हैं, और यहाँ तक ​​कि कुछ रूपक विशिष्ठ होते हैं
उदाहरण के तौर पर, क्रियाओं को असामान्य तरीके से उपयोग किया जा सकता है, जैसे
वक्ता अक्सर अपने सन्देश को बल देने के लिए, अपनी भाषा को अधिक ज्वलंत बनाने के लिए, अपनी भावनाओं को सर्वोत्तम तरीके से व्यक्त करने के लिए, किसी ऐसी बात को कहने के लिए, जिसे किसी अन्य तरीके से कहना कठिन होता है, या लोगों को उनके सन्देश को स्मरण रखने में सहायता करने के लिए, अक्सर रूपकों का उपयोग करते हैं।
* प्रेरित पौलुस हमें कहता है कि मसीही पुन: जीवित होंगे
### रूपकों के प्रकार
इस विषय में, अंग्रेजी का वर्तमान काल ‘‘कहता’’ भूतकाल के शब्द ‘‘कहा’’ का एक रूपक है क्योंकि पौलुस सालों पहले जीवित था। कर्इ बार, वक्ता ऐसे रूपकों का उपयोग करता है जो उस भाषा में आम होते हैं। परंतु, कभी कभार, वक ऐसे भी रूपक का उपयोग करता है जो आम नही होते हैं और कर्इ बार तो बहुत ही विशिष्ट होते हैं। वक्तागण अक्सर रूपकों का उपयोग अपने संदेश में बल देने, अपनी भावनाओं को प्रकट करने, और किसी तरीके से नही कही जा सकने वाली बातों को इस तरीके से कहने और उनके संदेशों को याद रखने लायक बनाने के लिए करते हैं।
रूपकों के दो मूल प्रकार हैं: "मृत" रूपक और "जीवित" रूपक। वे प्रत्येक तरह की अनुवाद समस्या को पस्तुत करते हैं।
### रूपक के प्रकार
### मृत रूपक
रूपक कर्इ प्रकार के होते हैं: ‘‘जीवित रूपक’’, ‘‘मृत रूपक’’ एवं ‘‘नमूना रूपक’’
एक मृत रूपक एक ऐसा रूपक होता है, जिसे भाषा में इतना अधिक उपयोग किया गया है कि इसके बोलने वाले अब इसे एक धारणा के रूप में दूसरे के स्थान पर स्वीकार नहीं करते हैं। मृत रूपक अत्यंत सामान्य रूप से पाए जाते हैं। अंग्रेजी में पाए जाने वाले उदाहरण, ‘‘मेज के पाँव’’ ‘परिवारिक वंश रेखा’’ ‘‘पत्ती’’ का अर्थ एक पुस्तक का पृष्ठ होता है, तो ‘‘क्रेन’’ का अर्थ भारी बोझ उठाने वाली मशीन होता है
**जीवित रूपक**
अंग्रेजी वक्ता इन शब्दों के अर्थों एक से अधिक होना सोचते हैं। बाइबल की इब्रानी भाषा के उदाहरण, "हाथ" का अर्थ "सामर्थ्य," "चेहरे" का अर्थ "उपस्थिति", और भावनाओं या नैतिक गुणों की बात करने अर्थ मानो कि "वस्त्रों" को धारण करना हो।
ये रूपक वो होते हैं जिन्हे लोग एक तथ्य के लिए उपयोगी दूसरे तथ्य के तौर पर लेते हैं। लोग आसानी से पहचान सकते हैं कि ये संदेश को बल और गुण देते हैं। इसी कारण, लोग इन रूपकों पर लोग ध्यान देते हैं।
**रूपक के रूप में तथ्यों के पद्धति आधारित जोड़े**
उदाहरण के तौर पर,
रूपकों का उपयोग तथ्यों के जोड़े के आधार पर कई प्रकार से किया जाता है, जहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य सदैव दूसरे तथ्य के स्थान पर कार्य करता है
>परन्तु तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य उदय होगा, जिसकी किरणों से तुम चंगे हो जाओगे; (मलाकी 4:2 ULB)
उदाहरण के तौर पर, अंग्रेजी में, ऊपर की दिशा अधिक या सर्वोत्तम को भी दिखाती है। इन महत्वपूर्ण तथ्यों के जोड़ों के कारण, हम निम्न वाक्य बना सकते हैं, *गैस की कीमत* *बढ़* रही है, एक अत्याधिक *उच्च* गुणों से भरा हुआ व्यक्ति और साथ ही इस विचार का विलोम: ‘‘गर्मी *कम* हो रही है’’ और शेयर बाजार में *गिरावट आई है*.
यहाँ परमेश्वर अपने उद्धार के बारे में बताता है, मानो कि सूरज उन लोगों को पर उदय हो रहा है जिनसे वह प्रेम करता है। वह सुरज की किरणों को पंख के रूप में दिखा रहा है और, वह उन पंखों की बात कर रहा, जैसे कि वे लोगों को चंगा करने की दवा ला रहे हों ।
तथ्यों के पद्धति आधारित जोड़ों का उपयोग आलंकारिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए, विश्व की भाषाओं में निरन्तर होता है क्योंकि उनसे विचार को आसानी से जोड़ा जा सकता है
एक और उदाहरण:
सामान्य तौर पर, लोग सामर्थ्य, उपस्थिति, भावनाएँ एवं नैतिक गुणों जैसे अमूर्त गुणों के बारे में ऐसे बोलना पसन्द करते हैं, मानो कि वे कोई देखी या स्पर्श की जा सकने वाली वस्तुएँ हों, शरीर के अंग हों या कुछ ऐसा हो जिन्हे हम अपने सामने घटित होता हुआ देख सकते हों
यीशु ने कहा, ‘‘जाओ और उस लोमड़ी से कह दो... वह राजा हेरोदेश को लोमड़ी कह रहा है।
जब इन रूपकों का सामान्य तरीकों से उपयोग किया जाता है, तो बहुत कम समयों में, वक्ता और श्रोता उन्हे अलंकारिक वक्तव्य के रूप में स्वीकार करें। अंग्रेजी में उपयोगी रूपकों के उदाहरण जिन पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाताः
यीशु को सुनने वाले समझ चुके थे कि यीशु हेरोदेश को दुष्ट, चालाक व्यक्ति और केवल खुद को महान दिखाने की कोशिश करना वाला राजा बता रहा है।
* ‘‘गर्मी को *बढ़ा’ दें*. बढ़ा देना का अर्थ अधिक से है।
* ‘‘आइए हम हमारी बहस में आगे *बढे़ं*. योजनाबद्ध काम को करने को ऐसे बोला गया है कि मानो यह चलना या आगे बढ़ना है
* ‘‘तुम अपने सिद्धान्त का अच्छा *बचाव* कर लेते हो।’’ बहस का अर्थ युद्ध होता है।
* ‘‘शब्दों के *बहाव* को बोले गए शब्द का तरल पदार्थ बताया गया है
**मृत रूपक**
अंग्रेजी वक्ता उन्हे असामान्य या अभिव्यक्तियों के रूप में नहीं लेते हैं, अतः दूसरी भाषाओं में उनका इस प्रकार अनुवाद करना इस तरह से गलत होगा कि कहीं लोगों को इस ओर ध्यान केन्द्रित करने में अगुवाई न करें कि वे इसे अलंकार समझने लगें।
मृत रूपक में लेखक एक तथ्य को दूसरे तथ्य के लिए उपयोग नही करता है।
बाइबल की भाषा में इस प्रकार के रूपकों के महत्वपूर्ण नमूनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया [बाइबल के चित्र सामान्य पद्धतियाँ](../bita-part1/01.md), को एवं उनके द्वारा आपको आगे बताएँ जाने वाले पृष्ठों को देखें।
अंग्रेजी में उदाहरण हैं, ‘‘टेबल लेग’’ ‘‘फैमिली ट्री’’ ‘‘लीफ’’ का अर्थ एक पुस्तक का पृष्ठ होता है, तो ‘‘क्रेन’’ का अर्थ भारी बोझ उठाने वाली मशीन होती है
जब किसी ऐसी ऐसी बात का अनुवाद करना जो किसी अन्य भाषा में एक मृत रूपक है, तो इसे एक रूपक के रूप में न मानें। इसकी अपेक्षा, लक्षित भाषा में उस बात या अवधारणा के लिए पाई जाने वाली सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति का उपयोग करें
अंग्रेजी वक्ता इन शब्दों को एक से अधिक अर्थ वालों के रूप में लेते हैं। बाइबल की इब्री भाषा के उदाहरण, ‘‘चंगार्इ’’ का अर्थ ‘‘मरम्मत’’ और ‘‘बिमार’’ का अर्थ ‘‘पाप के कारण आत्मिक तौर पर कमजोर’’।
### जीवित रूपक
**रूपक के रूप में तथ्यों के नमूनेरत् युग्म**
ये ऐसे रूपक होते हैं, जिन्हें लोग एक तथ्य के स्थान पर दूसरे तथ्य या एक बात को दूसरी बात के स्थान पर आने के रूप में पहचानते लेते हैं
रूपकों का उपयोग तथ्यों के युग्मों के आधार पर कर्इ प्रकार से किया जाता है, जहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य सदैव दूसरे तथ्य के स्थान पर कार्य करता है
वे लोगों को सोचने के लिए मजबूर करते हैं कि एक कैसे एक बात दूसरी बात की तरह हो सकती है, क्योंकि अधिकांश तरीकों से दोनों बातें बिल्कुल भिन्न होती हैं। लोग आसानी से इन रूपकों को पहचान सकते हैं कि ये सन्देश को बल और गुण देते हैं। इस कारण से, लोग इन रूपकों के ऊपर ध्यान देते हैं
उदाहरण के तौर पर, अंग्रेजी में, अप (ऊपर) की दिशा अधिक को भी दिखाती है। इन महत्वपूर्ण तथ्यों के युग्मों के कारण, हम निम्न वाक्य बना सकते हैं, ‘‘गैस की कीमत *चढ*़ रही है’’, *उच्च* गुणों से भरा व्यक्ति और विचार का विलोम भी:
उदाहरण के लिए,
‘‘गर्मी *उतर* रही है’’ और शेयर बाजार में *गिरावट* आर्इ’’
>परन्तु तुम्हारे लिये जो मेरे नाम का भय मानते हो, धर्म का सूर्य अपने पँखों में चँगाई लिए हुए होगा; (मलाकी 4:2 यूएलटी)
तथ्यों के नमूनारत् युग्मों का उपयोग आम तौर पर, विश्व की भाषाओं में होता है क्योंकि उनसे विचारों को आसानी से जोड़ा जा सकता है
यहाँ परमेश्वर अपने उद्धार के बारे में बताता है, मानो कि सूरज की किरणें उन लोगों पर उदय हो रही हैं, जिनसे वह प्रेम करता है। वह ऐसे बात करता है कि सूर्य की किरणें मानों उसके पँख थे
सामान्य तौर पर, लोग ताकत, उपस्थिति, भावना एवं अधिक गुण जैसे भावात्मक गुणों के बारे में ऐसे बोलना पसंद करते हैं, मानो वे कोर्इ देखी या छुर्इ जा सकने वाली वस्तुएँ हों, शरीर के अंग हों या कुछ ऐसा हो जिन्हे हम अपने सामने होता हुआ देख सकते हों।
इसके अतिरिक्त, वह उन पँखों की बात कर रहा, जैसे कि वे लोगों को चँगा करने की औषधि ला रही हों।
यहाँ एक और उदाहरण दिया गया है:
जब इन रूपकों का सामान्य तौर पर उपयोग किया जाता है, तो बहुत कम बार, उन्हे अलंकार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। अंग्रेजी में उपयोगी रूपकों के उदाहरण जिन पर अक्सर ध्यान नही दिया जाता:
>यीशु ने कहा, 'जाओ और उस लोमड़ी से कह दो...,'' (लूका 13:32 यूएलटी)
* ‘‘गर्मी *बढ़ा* दे’’ बढ़ा का अर्थ है ज्यादा।
* ‘‘आइए बहस में आगे *बढे़ं* योजनाबद्ध काम को करने का अर्थ है चलना या आगे बढ़ना
* ‘‘तुम अपने सिद्धांत का अच्छा *बचाव* कर लेते हो’’ बहस का अर्थ है युद्ध
* ‘‘शब्दों का *बहाव* शब्द को तरल पदार्थ बताया गया है
यहाँ, "वह लोमड़ी" राजा हेरोदेस को सन्दर्भित करता है। यीशु को सुनने वाले लोग निश्चित रूप से समझ गए थे कि यीशु चाहता था कि वे हेरोदेस के ऊपर एक लोमड़ी की कुछ विशेषताओं को लागू करें। वे कदाचित् समझ गए थे कि यीशु ने यह बताना चाहता था कि हेरोदेस दुष्ट था, या तो धूर्त तरीके से या किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जो नाश करने वाले, हत्यारा, या जो उसने बातों को अपने लिया जो उससे सम्बन्धित नहीं थीं या इनमें सभों को अपने लिए ले लिया था।
अंग्रेजी वक्ता उन्हे असामान्य तौर पर नही लेते हैं अत: दूसरी भाषाओं में उनका इस प्रकार अनुवाद करना गलत होगा कि व इसे अलंकार समझने लगें।
जीवित रूपक ऐसे रूपक होते हैं, जिनका सही अनुवाद करने के लिए विशेष रीति से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता होती है। ऐसा करने के लिए, हमें एक रूपक के भागों अर्थात् खण्डों को समझने और यह देखने की आवश्यकता होती है कि वे अर्थ का उत्पन्न करने के लिए कैसे एक साथ काम करते हैं।
बाइबल की भाषा में इस प्रकार के रूपकों के महत्वपूर्ण नमूनों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया [Biblical Imagery - Common Patterns](../bita-part1/01.md) देखें एवं उनके द्वारा डायरेक्ट किए जाने वाले अन्य पेजों को देखें।
#### एक रूपक के भाग
### रूपक के भाग
रूपक के बात करते वक्त, उनके भागों की बात करना भी लाभदायक होगा। रूपक के तीन भाग होते हैं
एक रूपक के तीन भाग होते हैं।
1. **विषय** - जिसके बारे में वक्ता बात कर रहा है, विषय कहलाता है
1. **तश्वीर** - उस वस्तु को वो जो कहता है, तश्वीर कहलाता है
1. **तुलना के बिन्दु** - जिस तरीके से वक्ता कहता है कि किस प्रकार विषय और तश्वीर समान हैं, वह तुलना का बिन्दु कहलाता है
1. **चित्र** - उस वस्तु जिसके विषय में वह कहता है, चित्र कहलाता है
1. **तुलना के बिन्दु** - जिस तरीका या तरीके से वक्ता दावे करता है कि किस प्रकार विषय और चित्र एक दूसरे के समान हैं, कई रूप में वह तुलना के बिन्दु कहलाते हैं।
नीचे लिखे रूपक में, वक्ता उस लड़की को लाल गुलाब कहता है जिससे वह प्रेम करता है।
नीचे लिखे रूपक में, वक्ता उस स्त्री की व्याख्या करता है, जिसे वह लाल गुलाब के रूप में प्रेम करता है।
लड़की (उसका ‘‘प्रेम’’) ‘‘विषय’’ है और ‘‘लाल गुलाब’’ ‘‘तश्वीर’’ है। सुंदरता और कोमलता तुलना के बिन्दु हैं, समानताएँ जो वक्ता विषय और तश्वीर में देखता है। ध्यान दें, तौभी, फूल की तुलना औरत की सुंदरता से नही की जा सकती है। न ही, दोनों की कोमलता एक समान है।
स्त्री (उसका ‘‘प्रेम’’) **विषय** है और **लाल गुलाब** यहाँ पर **चित्र** है। सुन्दरता और कोमलता **तुलना के बिन्दु** हैं, जिन्हें वक्ता समानताओं के रूप में विषय और चित्र दोनों में ही देखता है।
अत: तुलना के ये बिन्दु एकदम सटीक स्वभाव या गुण के आधार पर नही बनाए जाते हैं, परंतु ये वक्ता के द्वारा देखे गए स्वभाव होते हैं
* मेरा प्रेम लाल, लाल गुलाब है
* मेरा प्रेम लाल, लाल गुलाब है। अक्सर, जैसा ऊपर के रूपक में देखा, वक्ता स्पष्ट तौर पर **विषय ** और **तश्वीर** के बारे में बता देता है, परंतु वह तुलना के बिन्दु नही बताता है। वक्ता उस बात को श्रोताओं पर डाल देता है कि वे तुलना के बिन्दु के बारे में सोचें। क्योंकि जब श्रोता ऐसा करेंगे, तो वक्ता का संदेश और भी बल पाएगा
अक्सर, जैसा कि ऊपर के रूपक में देखा गया है, वक्ता स्पष्ट तौर पर **विषय** और **चित्र** के बारे में कहता है, परन्तु वह **तुलना के बिन्दुओं** को नहीं बताता है। वक्ता उस बात को श्रोताओं के लिए छोड़ देता है कि वे तुलना के इन बिन्दुओं के बारे में सोचें। क्योंकि श्रोताओं को स्वयं इन विचारों के बारे में सोचना चाहिए, इससे वक्ता के सन्देश का श्रोताओं पर अधिक सामर्थी तरीके से प्रभाव पड़ता है
बाइबल में भी, सामान्य तौर पर, **विषय ** और **तश्वीर** को स्पष्ट बताया जाता है परंतु तुलना के बिन्दु को नही बताया जाता। लेखक श्रोताओं से आशा करता है कि वे स्वत: ही उसमें निहित तुलना को समझ जाएँ
बाइबल में भी, सामान्य तौर पर **विषय** और **चित्र** को स्पष्ट रूप से बताया जाता है, परन्तु **तुलना के बिन्दुओं** को नहीं। लेखक सोचने और तुलना करने के बिन्दुओं को समझने के लिए इसे दर्शकों के ऊपर छोड़ देता है, जो इसमें निहितार्थ पाए जाते हैं।
> यीशु ने उन से कहा ‘‘जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी पियासा न होगा’’ (युहन्ना 6:35 ULB)
> यीशु ने उनसे कहा, "मैं जीवन की रोटी हूँ; वह जो मेरे पास आएगा वह भूखा नहीं रहेगा, और वह जो मुझ पर विश्वास करता है वह कभी प्यासा नहीं रहेगा।" (यूहन्ना 6:35 ULT)
इस रूपक में, यीशु स्वयं को जीवन की रोटी कहता है। ‘‘विषय’’ ‘‘मैं’’ और ‘‘तश्वीर’’ ‘‘रोटी’’ है। रोटी एक ऐसा भोजन है जिसे लोग हर समय में खाते आए हैं। रोटी और यीशु में तुलना का बिन्दु यह है कि लोगों को पोषण के लिए हर दिन रोटी की जरूरत होती है। इसी प्रकार, लोगों को आत्मिक तौर पर, हर दिन यीशु की जरूरत है। ध्यान दें कि यह रूपक वास्तव में कर्इ सारे रूपक हैं। पहला रूपक रोटी है जो यीशु को दिखाती है। दूसरा रूपक, पहले के अंदर है, अर्थात शारीरिक जीवन आत्मिक जीवन को दिखाता है जो परमेश्वर के साथ सदाकाल के जीवन को दिखाता है। तीसरा रूपक यह है कि यीशु से लाभ पाने को दिखाता है जो हमें परमेश्वर के साथ सदा जीवन जीने का बल देता है।
इस रूपक में, यीशु स्वयं को जीवन की रोटी कहता है। यहाँ **विषय** **मैं** और **चित्र** **रोटी** है। रोटी एक ऐसा भोजन है, जिसे लोग सभी समयों में खाते आए हैं। रोटी और यीशु में ** तुलना का बिन्दु** यह है कि लोगों को आत्मिक रूप से जीवित रहने के लिए यीशु की आवश्यकता प्रत्येक दिन है। जिस तरह से शारीरिक जीवन जीने के लिए लोगों को भोजन करने की आवश्यकता होती है, उसी तरह आत्मिक जीवन जीने के लिए लोगों को यीशु पर भरोसा करने की आवश्यकता है।
**रूपक के उद्देश्य**
* पहला उद्देश्य लोगों को वे बातें जो उन्हे पता नही (**विषय**), उस माध्यम के द्वारा (**तश्वीर**) सिखाना जिनके बारे में वे पहले से ही जानते हैं।
* दूसरा उद्देश्य यह दिखाना है कि उस वस्तु में एक विशेष गुण है अथवा यह बताना है कि इसमें वह गुण बहुत अधिक है
* एक और उद्देश्य लोगों में एक वस्तु के बारे में इस प्रकार का भाव लाना है जैसा वो किसी ज्ञात वस्तु के बारे में सोचते हैं
* पहला उद्देश्य लोगों को उन बातें की शिक्षा देना है, जो उन्हे नहीं पता हैं (**विषय**), यह दिखाते हुए हुए बताना कि यह कुछ ऐसी बात है, जिसे वे पहले से नहीं जानते हैं (**चित्र**)।
* दूसरा उद्देश्य यह बताना है कि उस वस्तु में एक विशेष गुण है अथवा यह दिखाना है कि इसमें वह गुण अपने चरम रूप में है।
* एक और उद्देश्य लोगों में एक **विषय** के बारे में इस प्रकार का भाव लाना है, जैसा कि वे किसी **चित्र**के बारे में महसूस करते हैं।
### कारण यह अनुवाद की समस्या है
#### कारण यह अनुवाद की समस्या है
* लोग शायद समझ ही नही पाएँ कि रूपक का उपयोग हुआ है। दूसरे शब्दों में, वे रूपक को एक आम कथन समझकर, गलतफहमी में पड़ सकते हैं।
* लोग उपयोग की गर्इ तश्वीर से परिचित न हों और उपयुक्त रूपक को समझ नही न पाएँ।
* यदि विषय को नही बताया गया होता है, तो लोग पहचान ही नही पाएँ कि यह एक विषय है।
* लोग तुलना के बिन्दु को समझ नही पाएँ जो लेखक के मन में है और उन्हे बताना चाहता है
* लोग कदाचित् समझ ही नहीं पाएँ कि रूपक का उपयोग हुआ है। दूसरे शब्दों में, वे रूपक को एक शाब्दिक कथन समझकर भम्र में पड़ जाएँ और इस तरह उसे गलत समझ लें।
* हो सकता है कि लोग उपयोग किए गए चित्र से परिचित न हों और रूपक को समझने के लिए योग्य न हों।
* यदि विषय को नहीं बताया गया होता है, तो लोग पहचान ही नहीं पाएंगे कि यह एक विषय है।
* लोग तुलना के बिन्दुओं को समझ न पाएँ जिसे लेखक सोच रहा है और वह चाहता है कि लोग इसे समझे। यदि वे तुलना के बिन्दुओं को नहीं समझ पाते हैं, तो वे रूपक को भी नहीं समझ पाएँगे।
* लोग सोच सकते हैं कि वे रूपक को समझते हैं, परन्तु वे इसे नहीं समझते हैं। ऐसा तब हो सकता है, जब वे बाइबल की संस्कृति की अपेक्षा अपनी संस्कृति में तुलना के बिन्दुओं को लागू करते हैं।
यदि वे तुलना के बिन्दु को नही समझ पाते हैं तो रूपक को भी नही समझ पाएँगे।
#### अनुवाद के सिद्धान्त
### अनुवाद के सिद्धांत
* रूपक के अर्थ को लक्षित श्रोताओं के उतना ही स्पष्ट रखें जितना यह प्रथम श्रोताओं के लिए था
* रूपक के अर्थ को लक्षित श्रोताओं के उससे अधिक स्पष्ट न बनाएँ जितना यह प्रथम श्रोताओं के लिए था
* रूपक के अर्थ को लक्षित श्रोताओं के लिए उतना ही स्पष्ट रखें जितना यह प्रथम श्रोताओं के लिए था।
* रूपक के अर्थ को लक्षित श्रोताओं के लिए उससे अधिक स्पष्ट न बनाएँ जितना यह प्रथम श्रोताओं के लिए था।
### बाइबल से उदाहरण
> तुम बाशान की गायो, यह वचन सुनो (आमोस 4:1 ULB)
> इस वचन को सुनें, <u> तुम बाशान की गायें </u> (आमोस 4:1 यूएलटी)
इस रूपक में, आमोस सामरिया की उच्च वर्ग की महिलाओं से इस प्रकार बात करता है (विषय ‘‘तुम’’ है) जैसे कि वे गायें (तश्वीर) हों। आमोस इन महिलाओं और गायों के बीच के तुलना के बिन्दु को नही बताता है परंतु पृष्ठभूमि से उसका यह अर्थ स्पष्ट है कि महिलाएँ और गायें दोनों मोटी और केवल खाने में इच्छुक हैं। तौभी, ध्यान दें कि आमोस यह नही कह रहा है कि वे औरतें गायेंह ैं क्योंकि वह उन्हे मनुष्य ही बता रहा है।
इस रूपक में, आमोस सामरिया की उच्च-वर्ग की स्त्रियों से इस प्रकार बात करता है (विषय ‘‘तुम’’ है) जैसे कि वे गायें (चित्र) हों। आमोस इन स्त्रियों और गायों के मध्य तुलना के बिन्दुओं को नहीं बताता है। वह चाहता है कि पाठक उनके बारे में सोचें, और पूरी तरह से अपेक्षा करता है कि अपनी संस्कृति से आने वाले पाठक आसानी से ऐसा करेंगे। परन्तु सन्दर्भ से, उसका यह अर्थ स्पष्ट हो जाता है कि स्त्रियाँ और गायें दोनों मोटी हैं और केवल स्वयं के लिए भोजन पाने में ही इच्छुक हैं। यदि हम एक भिन्न संस्कृति से तुलना के बिन्दुओं को लागू करते हैं, जैसे कि गायें पवित्र है और उनकी पूजा की जानी चाहिए, तो हमें इस सन्दर्भ से गलत अर्थ प्राप्त होगा। तौभी, ध्यान दें कि आमोस यह नहीं कह रहा है कि वे स्त्रियाँ गायें हैं। क्योंकि वह उन्हे मनुष्य ही बता रहा है।
>तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; हम तो <u>मिट्टी</u> है। तू हमारा <u>कुम्हार</u> है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं। (यशायाह 64:8 ULB)
> और तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; <u> हम मिट्टी हैं </ u>. <u> तू हमारा कुम्हार है</ u>; और हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं। (यशायाह 64: 8 यूएलटी)
उपरोक्त उदाहरण दो संबंधित रूपक हैं। विषय ‘‘हम’’ और ‘‘तुम’’ एवं तवीें ‘‘मिट्टी’’ और ‘‘कुम्हार’’ हैं। कुम्हार और परमेश्वर के बीच में उद्देश्यरत् तुलना यह तथ्य है कि दोनो वही बनाते हैं जो उनकी मर्जी होती है: कुम्हार मिट्टी से और परमेश्वर अपने लोग, इस्राएलियों से अपनी मर्जी के अनुसार बनाता है। कुम्हार की मिट्टी और ‘‘हमारे’’ बीच की तुलना यह है कि मिट्टी और इस्राएलियों को उससे बिलकुल अलग बनाया गया जो वे पहले थे।
उपरोक्त उदाहरण दो सम्बन्धित रूपक हैं। विषय ‘‘हम’’ और ‘‘तुम’’ एवं चित्र ‘‘मिट्टी’’ और ‘‘कुम्हार’’ हैं। एक कुम्हार और परमेश्वर के बीच तुलना का इच्छित बिन्दु यह तथ्य है कि दोनों वही बनाते हैं जो वे अपनी सामग्री से चाहते हैं: कुम्हार वह बनाता है, जो वह मिट्टी से चाहता है, और परमेश्वर वह बनाता है, जो वह अपने लोगों से चाहता है।
>यीशु ने उनसे कहा, ‘‘देखो; <u>फरीसियों और सदूकियों के खमीर</u> से चौकस रहना। वे आपस में विचार करने लगे, कि हम तो रोटी नहीं लाए’’ (मत्ती 16:6-7 ULB)
कुम्हार की मिट्टी और "हमारे" मध्य की तुलना का बिन्दु नहीं है कि न तो मिट्टी और न ही परमेश्वर के लोगों को यह शिकायत करने का अधिकार है कि वे क्या बन रहे हैं।
यीशु यहाँ एक रूपक का इस्तेमाल करते हैं परंतु चेलों ने उसे नही पहचाना। जब उसने ‘‘खमीर’’ कहा, तो उन्होने सोचा कि वह रोटी की बात कर रहा है परंतु ‘‘खमीर’’ उसके रूपक की तश्वीर थी, और विषय था, फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाएँ। चूँकि चेलों (प्रथम श्रोताओं) ने यीशु के अर्थ को नही पहचाना, तो यीशु के अर्थ को पहले से ही खुलकर अथवा स्पष्ट बताना सही नही होगा
> यीशु ने उनसे कहा, "ध्यान दें और फरीसियों और सदूकियों के खमीर </u> से सावधान रहें</u>." शिष्य आपस में विचार करने लगे और कहा,, "यह इसलिए है क्योंकि हमने अपने साथ रोटी नहीं ली।" (मत्ती 16: 6-7 यूएलटी)
### अनुवाद रणनीतियाँ
यीशु यहाँ एक रूपक का उपयोग करता है, परन्तु शिष्यों ने उसे नहीं पहचाना। जब उसने ‘‘खमीर’’ कहा, तो उन्होंने सोचा कि वह रोटी की बात कर रहा है, परन्तु ‘‘खमीर’’ उसके रूपक का चित्र था, और विषय, फरीसियों और सदूकियों की शिक्षाएँ थीं। चूँकि शिष्यों (प्रथम श्रोतागण) ने यीशु के अर्थ को नहीं पहचाना, इसलिए यीशु के अर्थ को पहले से ही खुलकर अथवा स्पष्ट बताना सही नहीं होगा।
यदि आपकी भाषा में लोग रूपकों को ठीक उसी प्रकार समझ सकते हैं जैसे प्रथम श्रोता समण्ते थे, तो इसका उपयोग करें। अनुवाद को जाँचना न भूलें कि लोग इसे समझ पा रहे हैं या नही।
### अनुवाद की रणनीतियाँ
यदि लोग नही समझ पा रहे हैं, तो आप निम्न रणनीतियाँ अपना सकते हैं:
यदि आपकी भाषा में लोग रूपकों को ठीक उसी प्रकार समझ सकते हैं, जैसे कि प्रथम श्रोतागण समझते थे, तो इसका उपयोग करें। अनुवाद की जाँच इस बात को सुनिश्चित करने के लिए करें कि लोग इसे सही रीति से समझ रहे हैं या नहीं।
1. यदि बाइबल की भाषा में लिखा गया रूपक तथ्यों के नमूनेरूपी युग्म को सामान्य तौर पर प्रकट कर रहा है, तो अपनी भाषा में भी सबसे सरल शब्दों का उपयोग कर इस मुख्य विचार को प्रकट करें । (तथ्यों के नमूनेरूपी युग्मों [Biblical Imagery - Common Patterns](../bita-part1/01.md) की सूची के लिए देखें)
1. यदि रूपक ‘‘जीवित रूपक’’ है तो इसका सीधा अनुवाद कर सकते हैं यदि आपको लगता है कि लक्षित भाषा में भी इसका उपयोग होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो जाँचकर अवश्य देख लें कि भाषा समुदाय इसे समझ तो पा रहा है।
1. यदि लक्षित भाषा नही समझ पा रही है कि यह एक रूपक है, तो रूपक को उपमा मे बदल दें। कुछ भाषाएँ ‘‘जैसे’’ या ‘‘तरह’’ इत्यादि शब्दों का इसतेमाल कर इन्हे लिखती हैं। देखें [Simile](../figs-simile/01.md)
1. यदि लक्षित भाषा तश्वीर को नही समझ पा रही है तो तश्वीर को विचारों में बदलने में मदद के लिए [Translate Unknowns](../translate-unknown/01.md) देखें।
1. यदि लक्षित भाषा उस अर्थ के लिए उस तश्वीर का उपयोग नही करती है तो अपनी संस्कृति में से तश्वीर का उपयोग करें। यह निश्चित करें कि ये तश्वीर बाइबल के समय में संभवतया प्रचलित रही हो।
1. यदि लक्षित भाषा उसके विषय को नही समझ पाती है, तो विषय के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें। (लेकिन यदि मूल श्रोताओं को भी विषय का पता नही था तो ऐसा न करें)
1. यदि लक्षित भाषा विषय और तश्वीर के बीच के तुलना के बिन्दुओं को नही समझ पाती है, तो उनके बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें।
1. यदि उपरोक्त वर्णित कोर्इ भी रणनीति काम नही आती है, तो कथन को बिना रूपक के स्पष्ट तौर पर लिखें।
यदि लोग नहीं समझ पा रहे हैं, तो आप निम्नलिखित रणनीतियाँ अपना सकते हैं:
### अनुवाद रणनीतियों के प्रयोग के उदाहरण
1. यदि रूपक स्रोत भाषा में एक सामान्य अभिव्यक्ति है या एक बाइबल की भाषा ("मृत" रूपक) में तथ्यों के पद्धति आधारित जोड़े को व्यक्त करता है, तो अपनी भाषा में भी सबसे सरल शब्दों का उपयोग कर इस मुख्य विचार को प्रकट करें।
1. यदि ऐसा प्रतीत होता है कि रूपक ‘‘जीवित रूपक’’ के रूप में है, तो आप इसका शाब्दिक अनुवाद कर सकते हैं<u> यदि आपको लगता है कि लक्षित भाषा भी इस रूपक का उपयोग उसी तरह से करती है, जैसे कि बाइबल में किया गया है</u>. यदि आप ऐसा करते हैं, तो इसे जाँच कर सुनिश्चित कर लें कि भाषाई समुदाय इसे सही तरीके से समझ पा रहा है।
1. यदि लक्षित श्रोतागण इसे नहीं समझ पा रही है कि यह एक रूपक है, तो रूपक को उपमा मे परिवर्तित कर दें। कुछ भाषाएँ ‘‘जैसे‘‘ या ‘‘तरह’’ इत्यादि शब्दों का उपयोग करके इन्हें लिखती हैं। देखें [उपमा](../figs-simile/01.md).
1. यदि लक्षित श्रोतागण **चित्र** को नहीं जानते हैं, तो उस चित्र की व्याख्या कैसे की जाए के लिए [अज्ञात का अनुवाद करें](../translate-unknown/01.md) में दिए हुए विचारों को देखें।
1. यदि लक्षित श्रोतागण उस अर्थ के लिए उस **चित्र** का उपयोग नहीं करते हैं, तो इसके स्थान पर अपनी संस्कृति में से चित्र का उपयोग करें। सुनिश्चित करें कि ये चित्र बाइबल के समयों में संभवतया प्रचलित रहा हो।
1. यदि लक्षित श्रोतागण नहीं जानते हैं कि **विषय** क्या है, तो विषय को स्पष्ट तौर पर बताएँ।
(तथापि, यदि मूल श्रोताओं को भी विषय का पता नहीं था, तो ऐसा न करें)
1. यदि लक्षित श्रोतागण विषय और चित्र के मध्य पाई जाने वाली **तुलना के बिन्दुओं** को नहीं समझ पाते है, तो उन्हें स्पष्ट तौर पर लिखें।
1. यदि उपरोक्त वर्णित रणनीतियों में से कोई भी काम नहीं आती है, तो कथन को बिना रूपक के स्पष्ट तौर पर लिखें।
1. यदि बाइबल की भाषा में लिखा गया रूपक तथ्यों के नमूनेरूपी युग्म को सामान्य तौर पर प्रकट कर रहा है, तो अपनी भाषा में भी सबसे सरल शब्दों का उपयोग कर इस मुख्य विचार को प्रकट करें।
### अनुवाद की रणनीतियों के प्रयोग के उदाहरण
* **और यार्इर नाम आराधनालय के सरदारों में से एक आया, और उसे देखकर, उसके पांवों पर गिरा** (मरकुस 5:22 ULB)
1. यदि बाइबल की भाषा (एक "मृत" रूपक) में लिखा गया रूपक स्रोत भाषा में पाई जाने वाली एक सामान्य अभिव्यक्ति या तथ्यों के पद्धित आधारित जोड़ों को प्रकट कर रहा है, तो अपनी भाषा में भी सबसे सरल शब्दों का उपयोग कर इस मुख्य विचार को प्रकट करें।
* न्
* **तब आराधनालय के अगुवों में से एक, जिसका नाम याईर था, आया और जब उसने उसे देखा, <u>उसके पैरों पर गिर गया</ u>.** (मरकुस 5:22 यूएलटी)
1. यदि रूपक ‘‘जीवित रूपक’’ है तो इसका सीधा अनुवाद कर सकते हैं यदि आपको लगता है कि लक्षित भाषा में भी इसका उपयोग होता है। यदि आप ऐसा करते हैं तो जाँचकर अवश्य देख लें कि भाषा समुदाय इसे समझ तो पा रहा है
* तब आराधनालय के अगुवों में से एक, जिसका नाम याईर था, आया और जब उसने उसे देखा, <u>तो तुरन्त उसके पैरों पर गिर गया</ u>.**
* **तुम्हारे <u>कठोर मन</u> के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी** (मरकुस 10:5 ULB)
1. यदि रूपक "जीवित" रूपक प्रतीत होता है, तो आप इसका शाब्दिक अनुवाद कर सकते हैं <u> यदि आपको लगता है कि लक्षित भाषा भी इस रूपक का उपयोग उसी तरह से करती है जैसे कि बाइबल का अर्थ में दिया गया है</u>. यदि आप ऐसा करते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए जाँच करें कि भाषा समुदाय इसे सही तरीके से समझता है।
* तुम्हारे <u>कठोर मन</u> के कारण उसने तुम्हारे लिये यह आज्ञा लिखी। इसमें कोर्इ बदलाव नही है - परंतु आपको यह जाँचना है कि भाषा समुदाय इस रूपक को समझ रहे हैं या नही।
* **यह तुम्हारे <u> कठोर मनों </ u> के कारण था कि उसने तुम्हारे लिए यह कानून लिखा,** (मरकुस 10:5 यूएलटी)
1. यदि लक्षित भाषा नही समझ पा रही है कि यह एक रूपक है, तो रूपक को उपमा मे बदल दें। कुछ भाषाएँ ‘‘जैसे’’ या ‘‘तरह’’ इत्यादि शब्दों का इसतेमाल कर इन्हे लिखती हैं।
* यह तुम्हारे <u> कठोर मनों </ u> के कारण था कि उसने तुम्हारे लिए यह कानून लिखा, इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है - परन्तु यह सुनिश्चित करने के लिए जाँच की जानी चाहिए कि लक्षित श्रोतागण इस रूपक को सही तरीके से समझते हैं।
* **तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो <u>मिट्टी</u> है । तू हमारा <u>कुम्हार</u> है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं (यशायाह 64:8 ULB)**
1. यदि लक्षित श्रोता नहीं समझ पा रहा है कि यह एक रूपक है, तो रूपक को उपमा मे परिवर्तित कर दें। कुछ भाषाएँ ‘‘जैसे‘‘ या ‘‘तरह’’ इत्यादि शब्दों का उपयोग कर इन्हें लिखती हैं।
* तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम मिट्टी <u>की तरह</u> हैं। तू कुम्हार <u>की तरह</u> है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं।
* **और तौभी, यहोवा, तू हमारा पिता है; हम <u>मिट्टी</ u> हैं। तू हमारा <u> कुम्हार </ u> है; और हम सब तेरे हाथ के काम हैं।** (यशायाह 64: 8 यूएलटी)
1. यदि लक्षित भाषा तश्वीर को नही समझ पा रही है तो तश्वीर को विचारों में बदलने में मदद के लिए [Translate Unknowns](../translate-unknown/01.md) देखें।
* और तौभी, यहोवा, तू हमारा पिता है; हम तो <u>मिट्टी</u> के जैसे है। तू <u>कुम्हार</ u> की तरह है; और हम सब तेरे हाथ के काम हैं।
* **शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? <u>पैने पर लात मारना</u> तेरे लिये कठिन है** (प्रेरितों के काम 26:14 ULB)
1. यदि लक्षित श्रोता **चित्र** को नहीं समझ पा रहा है, तो चित्र को विचारों में परिवर्तित करने में सहायता के लिए [अज्ञात का अनुवाद करें](../translate-unknown/01.md) को देखें।
* शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? <u>नुकीली वस्तु पर लात मारना</u> तेरे लिये कठिन है।
* **शाऊल, शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? तेरे लिए <u> पैने पर लात मारना </ u> कठिन है</u>.** (प्रेरितों के काम 26:14 यूएलटी)
1. यदि लक्षित भाषा उस अर्थ के लिए उस तश्वीर का उपयोग नही करती है तो अपनी संस्कृति में से तश्वीर का उपयोग करें। यह निश्चित करें कि ये तश्वीर बाइबल के समय में संभवतया प्रचलित रही हो।
* शाऊल, शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? तेरे लिए <u> एक नुकीली छड़ी </ u> के विरूद्ध लात कठिन है</u>.
* **तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो <u>मिट्टी</u> है । तू हमारा <u>कुम्हार</u> है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं (यशायाह 64:8 ULB)**
1. यदि लक्षित भाषा उस अर्थ के लिए उस **चित्र** का उपयोग नहीं करती है, तो अपनी संस्कृति में से चित्र का उपयोग करें। यह निश्चित करें कि ये चित्र बाइबल के समयों में संभवतया प्रचलित रहा हो।
* तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो <u>लकड़ी</u> है। तू हमारा <u>कारीगर</u> है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं।
* तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो <u>तार</u> है। तू हमारा <u>बुनने वाला</u> है; हम सबके सब तेरे हाथ के काम हैं।
* **और तौभी, यहोवा, तू हमारा पिता है; हम <u>मिट्टी</ u> हैं। तू हमारा <u>कुम्हार</ u> हैं; और हम सब तेरे हाथ के काम हैं।** (यशायाह 64:8 यूएलटी)
1. यदि लक्षित भाषा उसके विषय को नही समझ पाती है, तो विषय के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें। (लेकिन यदि मूल श्रोताओं को भी विषय का पता नही था तो ऐसा न करें)
* और तौभी, यहोवा, तू हमारा पिता है, हम <u>लकड़ी</ u> हैं। तू हमारा <u>कुम्हार</ u> है; और हम सब तेरे हाथ के काम हैं।”
* और तौभी, यहोवा, तू हमारा पिता है, हम <u>तार</ u> हैं। तू <u>बुननेवाला</ u> हैं; और हम सब तेरे हाथ के काम हैं। ”
* **यहोवा परमेश्वर जीवित है;<u>मेरी चट्टान</u> धन्य है और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो (भजन संहिता 18:46 ULB)**
1. यदि लक्षित श्रोता उसके **विषय** को नहीं समझ पाता है, तो विषय के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें। (तथापि, ऐसा तब न करें जब मूल श्रोता को भी यह नहीं पता है कि विषय क्या था)
* यहोवा परमेश्वर जीवित है;<u>वह मेरी चट्टान</u> है। उसकी स्तुति हो । और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो।
* **यहोवा जीवित है; <u> मेरी चट्टान</ u> की प्रशंसा की जाए। मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर की बड़ाई हो।** (भजन संहिता 18:46 यूएलटी)
* यहोवा जीवित है; <u> वह मेरी चट्टान है </u>. उसकी प्रशंसा की जाए। मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर की बड़ाई हो।
1. यदि लक्षित भाषा विषय और तश्वीर के बीच के तुलना के बिन्दुओं को नही समझ पाती है, तो उनके बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें।
1. यदि लक्षित श्रोता विषय और चित्र के बीच के **तुलना के बिन्दुओं** को नहीं समझ पाता है, तो उनके बारे में स्पष्ट तौर पर लिखें।
* **यहोवा परमेश्वर जीवित है;<u>मेरी चट्टान</u> धन्य है । और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो** (भजन संहिता 18:46 ULB)
* **यहोवा जीवित है; <u> मेरी चट्टान</ u> की प्रशंसा की जाए। मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर की बड़ाई हो।** (भजन संहिता 18:46 यूएलटी)
* यहोवा परमेश्वर जीवित है; उसकी स्तुति हो क्योंकि वह मेरी चट्टान है <u>जिसके नीचे वह मुझे अपने दुश्मनों से छुपाए रखता है</u> और मेरे मुक्तिदाता परमेश्वर की बड़ार्इ हो
* यहोवा जीवित है; उसकी प्रशंसा हो क्योंकि वह चट्टान है <u> जिसके नीचे मैं अपने शत्रुओं से छुप सकता हूँ </u>. मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर की बड़ाई हो।
* **हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? <u>पैने पर लात मारना</u> तेरे लिये कठिन है** (प्रेरितों के काम 26:14 ULB)
* **शाऊल, शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? तेरे लिए <u>पैने पर लात मारना </ u> कठिन है** (प्रेरितों के काम 26:14 यूएलटी)
* हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? तू मुझसे <u>लड़कर खुद को ही चोट पहुँचा रहा है जैसे एक बैल स्वामी के पैने पर लात मारकर चोटिल होता है</u>
* शाऊल, शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है? तू <u>मुझसे लड़ता है और स्वयं को ही चोट पहुँचा रहा है जैसे एक बैल स्वामी के पैने पर लात मारकर स्वंय को ठेस पहुँचता है </u>.
1. यदि उपरोक्त वर्णित कोर्इ भी रणनीति काम नही आती है, तो कथन को बिना रूपक के स्पष्ट तौर पर लिखें
1. यदि उपरोक्त वर्णित कोई भी रणनीति काम नहीं आती है, तो कथन को बिना रूपक के स्पष्ट तौर पर लिखें
* **मैं तुमको <u>मनुष्यों के मछुवे</u> बनाऊंगा** (मरकुस 1:17 ULB)
* **मैं तुम्हें <u> लोगों का मछुआरा बनाऊँगा </ u>.** (मरकुस 1:17 यूएलटी)
* मैं तुमको <u>मनुष्यों को इकट्ठे करने वाले</u> बनाऊँगा
* अब तुम मनुष्यों के मछलियाँ इकट्ठी करते हो । मैं तुमसे <u>मनुष्य इकट्ठे</u> करवाऊँगा
रूपकों के बारे में अधिक जानने के लिए [Biblical Imagery - Common Patterns](../bita-part1/01.md) देखें।
* मैं तुम्हें <u> लोगों को इकट्ठा करने वाला बनाऊँगा </ u>.
* अब तुम मछलियाँ इकट्ठा करते हो। मैं तुम्हें <u> लोगों को इक्ट्ठा</u>करने वाला बनाऊँगा। रूपकों के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए [बाइबल के चित्र सामान्य पद्धतियाँ](../bita-part1/01.md) को देखें।

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### शब्दों का अनुवाद
अनुवादक का यह कर्तव्य है कि वह अपनी योग्यता के अनुसार, यह सुनिश्चित करे कि बाइबल का प्रत्येक सन्दर्भ जिसका वह अनुवाद करता है, का वही अर्थ हो जिसे उस सन्दर्भ का लेखक सम्प्रेषित करने की मंशा रखता है।
ऐसा करने के लिए, उसे बाइबल के विद्वानों के द्वारा अनुवाद की सहायता के लिए तैयार की सहायता का अध्ययन करने की आवश्यकता होगी, जिसमें शब्दों का अनुवाद संसाधन भी सम्मिलित हैं।
शब्दों का अनुवाद संसाधन का उपयोग करने के लिए, इन चरणों का पालन करें:
1. स्रोत पाठ में महत्वपूर्ण शब्दों और किसी भी शब्द को पहचानें जो अस्पष्ट या समझने में कठिन हैं।
1. "शब्दों का अनुवाद" नामक खण्ड को देखें।
1. उन शब्दों को ढूंढें जिन्हें आपने महत्वपूर्ण या कठिन के रूप में पहचाना है, और सबसे पहले के ऊपर क्लिक करें।
1. उस शब्द के लिए शब्दों के अनुवाद संसाधन प्रविष्ट को पढ़ें।
1. परिभाषा पढ़ने के बाद, शब्दों के अनुवाद संसाधन में पढ़ी गई परिभाषा के बारे में सोचते हुए, उस बाइबल सन्दर्भ को एक बार फिर से पढ़ें।
1. अपनी भाषा में उस शब्द का अनुवाद करने के संभावित तरीकों के बारे में सोचें, जो बाइबल के सन्दर्भ और परिभाषा के अनुरूप हों। यह आपकी भाषा में उन शब्दों और वाक्यांशों की तुलना करने में सहायक हो सकता है, जिनके समान अर्थ हैं, और प्रत्येक को जाँच करें।
1. आपको जो सबसे अच्छा लगता है, उसे चुनें और उसे लिख लें।
1. आपके द्वारा पहचाने गए अन्य शब्दों का अनुवाद के लिए उपरोक्त चरणों को दोहराएँ।
1. जब आपने एक अच्छे अनुवाद के लिए शब्दों के अनुवाद संसाधन में से प्रत्येक के बारे में सोच लिया है, तो पूरे सन्दर्भ का अनुवाद करें।
1. दूसरों के सामने इसे पढ़कर आपके द्वारा अनुवादित सन्दर्भ की जाँच करें। उन स्थानों को एक भिन्न शब्द या वाक्यांश में परिवर्तन करें जहाँ दूसरे लोगों को अर्थ समझ में नहीं आता है।
एक बार जब आपको शब्दों के अनुवाद संसाधन के लिए एक अच्छा अनुवाद मिल जाता है, तो आपको इसका उपयोग पूरे अनुवाद में निरन्तर करना चाहिए। यदि आपको कोई ऐसी स्थान मिलता है, जहाँ वह अनुवाद अपने सही रूप में नहीं होता है, तो इसी प्रक्रिया के माध्यम से फिर से सोचें। यह हो सकता है कि समान अर्थ वाला एक शब्द नए सन्दर्भ में सर्वोत्तम रूप से सही रूप में आ जाए। शब्दों के अनुवाद संसाधन में से अनुवाद करने के लिए आप जिस प्रत्येक शब्द या शब्दों का उपयोग कर रहे हैं, उस पर दृष्टि बनाए रखें और यह जानकारी सभी अनुवाद समूह को उपलब्ध कराएँ। इससे प्रत्येक अनुवाद समूह को सभी लोगों को यह जानने में सहायता मिलेगी कि उन्हें किन शब्दों का उपयोग करना चाहिए।
#### अज्ञात विचार
कभी-कभी शब्दों का अनुवाद संसाधन किसी ऐसी वस्तु या परम्परा को सन्दर्भित करता है, जो लक्ष्य भाषा में अज्ञात होती है। इसका संभावित समाधान एक वर्णनात्मक वाक्यांश का उपयोग करना, कुछ इसी तरह का विकल्प देना, किसी अन्य भाषा से विदेशी शब्द का उपयोग करना, अधिक सामान्य शब्द का उपयोग करना या अधिक विशिष्ट शब्दों का उपयोग करना है।
अधिक जानकारी के लिए [अनुवाद अज्ञात](../translate-unknown/01.md) पर दिए हुए अध्याय को देखें। एक प्रकार का 'अज्ञात विचार' वे शब्द होते हैं, जो यहूदी और मसीही धार्मिक रीति-रिवाजों और मान्यताओं का उल्लेख करते हैं।
कुछ सामान्य अज्ञात विचार निम्नलिखित हैं:
**स्थानों के नाम** जैसे:
* मन्दिर (एक भवन जहाँ इस्राएलियों ने परमेश्वर को बलिदान चढ़ाया)
* आराधनालय (एक भवन जहाँ यहूदी लोग परमेश्वर की आराधना करने के लिए इकट्ठा होते हैं)
* बलिदान की वेदी (एक उठा हुआ ढाँचा, जिसके ऊपर बलिदान को परमेश्वर के लिए उपहार, या भेंट के रूप में जलाया जाता था।)
**ऐसे लोगों की उपाधियाँ जो एक पद पर बैठे हुए हैं** जैसे:
* याजक (कोई व्यक्ति जो अपने लोगों की ओर से परमेश्वर को बलिदान देने के लिए चुना जाता है)
* फरीसी (यीशु के समय में इस्राएल के धार्मिक अगुवों का महत्वपूर्ण समूह)
* भविष्यद्वक्ता (वह व्यक्ति जो उन सन्देशों को देता है, जो सीधे परमेश्वर की ओर से आते हैं)
* मनुष्य का पुत्र
* परमेश्वर का पुत्र
* राजा (एक आत्मनिर्भर शहर, राज्य या देश का शासक)।
**बाइबल की मुख्य अवधारणाएँ** जैसे:
* क्षमा करना (उस व्यक्ति से ईर्ष्या न करना और उसे ठेस पहुँचाने के लिए उससे क्रोधित न होना, जिसने आपको ठेस पहुँचाई है)
* मुक्ति (बचाया जाना या बुराई, शत्रुओं, या खतरे से से बचा लिया जाना)
* छुटकारा (पहले से स्वामित्व वाली कोई वस्तु को खरीदना या उसे जो किसी की कैद में है, की एक गतिविधि)
* दया (आवश्यकता में पड़े हुओं लोगों की सहायता करना)
* अनुग्रह (सहायता या वह सम्बन्ध जो उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने इसे अर्जित नहीं किया है)
(ध्यान दें कि ये सभी संज्ञाएँ हैं, परन्तु वे घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, इसलिए उन्हें (क्रिया) वाक्यांश के द्वारा ही अनुवादित करने की आवश्यकता हो सकती है। आपको अनुवाद समूह के अन्य सदस्यों या अपनी कलीसिया या गाँव के लोगों के साथ शब्दों के अनुवाद संसाधन की इन परिभाषाओं की चर्चा करने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि उन्हें अनुवाद करने का सबसे अच्छा तरीका पता चले।

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शब्दों का अनुवाद संसाधन मुझे सर्वोत्तम अनुवाद बनाने में कैसे सहायता कर सकता है?

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