diff --git a/hi_tn_56-2TI.tsv b/hi_tn_56-2TI.tsv index bf6b5bc..9695dfb 100644 --- a/hi_tn_56-2TI.tsv +++ b/hi_tn_56-2TI.tsv @@ -245,7 +245,6 @@ Book Chapter Verse ID SupportReference OrigQuote Occurrence GLQuote OccurrenceNo 2TI 3 8 g4kk figs-metonymy ἄνθρωποι κατεφθαρμένοι τὸν νοῦν 1 They are men corrupt in mind पौलुस **बुद्धी** शब्द द्वारा इन दुष्ट पुरुषों की मानसिकता का सन्दर्भ देता है| वैकल्पिक अनुवाद: "पुरुष जो शुद्ध विचार नहीं रखते हैं" (देखें: [[rc:/hi/ta/man/translate/figs-metonymy]]) 2TI 3 8 pfh1 ἀδόκιμοι περὶ τὴν πίστιν 1 and with regard to the faith they are proven to be false पौलुस **निकम्मे** शब्द के उपयोग द्वारा प्रकट करना चाहता है कि इन पुरुषों को परखा गया है कि वे मसीह में कितना विश्वास करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करने में कैसे हैं| वे सिद्ध नहीं उतरे क्योंकि उनका विश्वास सच्चा नहीं है। वैकल्पिक अनुवाद: “निष्कपट विश्वास से रहित हैं" या "उनका विश्वास सच्चा नहीं है" 2TI 3 8 p084 figs-explicit Ἰάννης καὶ Ἰαμβρῆς 1 Jannes and Jambres पौलुस यह मान कर चलता है कि तीमुथियुस समझ लेगा कि वह यहाँ फिरौन के राजसी जादूगरों का सन्दर्भ दे रहा है जिन्होंने मूसा के चमत्कारों की नक़ल करने का प्रयास किया था| बाईबल में उनके नाम नहीं दी गए हैं परन्तु यहूदी परम्परा के अनुसार उनके नाम, यन्नेस और यम्ब्रेस हैं| इन दोनों की इच्छा थी कि फिरौन मूसा की बात न माने या यहोवा की अवहेलना करे| यदि आपके पाठकों के लिए सहायक सिद्ध हो तो आप अधिक स्पष्टता में उनकी पहचान प्रकट करें| वैकल्पिक अनुवाद: "यन्नेस और यम्ब्रेस, फिरौन के जादूगर" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-explicit]]) -2TI 3 8 p083 ὃν τρόπον δὲ 1 And what way 2TI 3 8 p085 figs-nominaladj οὗτοι 1 these जैसा [3:5](../03/05.md) में है, **ये** संकेतवाचक विशेषण है जिसका सन्दर्भ उन लोगों से है जो पौलुस द्वारा वर्णित विधर्मी अवगुणों का प्रदर्शन करते हैं| पौलुस इस शब्द को संज्ञा रूप में काम में ले रहा है| यदि आपकी भाषा में विशेषण का प्रयोग इस रूप में नहीं है तो आप अपने अनुवाद में "मनुष्यों" शब्द को जोड़ सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: "ये लोग" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-nominaladj]]) 2TI 3 8 p086 figs-abstractnouns τῇ ἀληθείᾳ 1 the truth यदि आपकी भाषा में अधिक स्पष्ट हो सके तो आप इस भाववाचक संज्ञा, **सत्य** में निहित विचार को विशेषण शब्द द्वारा व्यक्त कर सकते हैं|वैकल्पिक अनुवाद: "जो सच है"(देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-abstractnouns]]) 2TI 3 8 p087 figs-activepassive ἄνθρωποι κατεφθαρμένοι τὸν νοῦν 1 men whose mind is corrupted यदि आपकी भाषा में कर्मवाच्य क्रिया रूप नहीं है तो आप इसी विचार को व्यक्त करने के लिए कर्तृवाच्य रूप काम में ले सकते है| वैकल्पिक अनुवाद: "मनुष्य जो खराई से न सोचते हों" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-activepassive]]) diff --git a/hi_tn_64-2JN.tsv b/hi_tn_64-2JN.tsv index ace5fb5..41c2ef1 100644 --- a/hi_tn_64-2JN.tsv +++ b/hi_tn_64-2JN.tsv @@ -2,7 +2,6 @@ Book Chapter Verse ID SupportReference OrigQuote Occurrence GLQuote OccurrenceNo 2JN front intro vpa9 0 # 2 यूहन्ना का परिचय

## भाग 1: सामान्य परिचय

### 2 यूहन्ना की पुस्तक की रूपरेखा

1. अभिवादन (1:1-3)

2. प्रोत्साहन और सबसे बड़ी आज्ञा (1: 4-6)

3. झूठे शिक्षकों के बारे में चेतावनी (1: 7-11)

4. साथी विश्वासियों से नमस्कार (1: 12-13)


### 2 यूहन्ना की पुस्तक किसने लिखी?

यह पत्र लेखक का नाम नहीं देता है। लेखक ही स्वयं की पहचान एक "प्राचीन" के रूप में कराता है। तथापि, 2 यूहन्ना की विषयवस्तु योहान्ना रचित सुसमाचार के सदृश्य है| इससे विदित होता है कि प्रेरित यूहन्ना ने इस पत्र को लिखा था और संभव है कि उसने अपने जीवन के अन्त में यह पत्र लिखा था |





### 2 यूहन्ना की पुस्तक किसको लिखी गई थी?

यूहन्ना ने इस पत्र को "चुनी हुई महिला" और "उसके बच्चों" के नाम से सम्बोधित करते हुए लिखा है (1: 1). यह एक विशेष मित्र और उसके बच्चों को सन्दर्भित कर सकता है, परन्तु यह व्याख्या संभव नहीं है। अधिक संभावना तो इस बात की है कि यह किसी कलीसिया विशेष और उसके सदस्यों के सन्दर्भ में एक लाक्षणिक प्रयोग है। पद 13 में यूहन्ना द्वारा अपनी कलीसिया को "तेरी बहन के बच्चे" कहना इस व्याख्या का पक्षपोषण करता है| यह आसानी से समझ में आने वाला रूपक है क्योंकि "कलीसिया" के लिए प्रयुक्त यूनानी शब्द स्त्रीलिंग संज्ञा है
।। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-metaphor]])


2 यूहन्ना की पुस्तक का विषय क्या है?
ऐसा प्रतीत होता है कि यूहन्ना ने इस पत्र को विश्वासियों के एक समूह विशेष को लिखा था| उनको यह पत्र लिखने में यूंहन्ना का उद्देश्य था कि उसके श्रोताओं को झूठे शिक्षकों से सावधान करें| यूहन्ना नहीं चाहता था कि विश्वासी इन झूठे शिक्षकों को किसी प्रकार की सहायता प्रदान करें या उनको आर्थिक सहयोग दें| संभव है कि वह चाहता था कि यह सन्देश सब विश्वासियों में प्रसारित किया जाए|


### इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद किस प्रकार किया जाना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके पारम्परिक शीर्षक, "2 यूहन्ना" या "द्वितीय यूहन्ना" के नाम से अनुवाद करने का चुनाव कर सकते हैं या वे एक अन्य शीर्षक को चुन सकते हैं, जैसे "यूहन्ना की दूसरी पत्री" या "यूहन्ना द्वारा लिखा हुआ दूसरा पत्र" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/translate-names]])


## भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाएँ


### आतिथि सत्कार क्या होता है?

प्राचीन मध्य एशिया में आतिथि सत्कार एक महत्वपूर्ण धारणा थी। परदेशियों या बाहरी लोगों के प्रति मित्रता से भरे हुए व्यवहार का होना और यदि उन्हें किसी प्रकार की आवश्यकता होती तो उन्हें सहायता प्रदान करना महत्वपूर्ण था। यूहन्ना चाहता था कि विश्वासी जन अतिथियों का सत्कार करें। तथापि, वह नहीं चाहता था कि विश्वासी झूठे शिक्षकों का अतिथि सत्कार करें।


### यूहन्ना ने किन लोगों के विरूद्ध बात की थी?

जिन लोगों के विरूद्ध यूहन्ना ने बात की थी वे सम्भवतः ज्ञानवादियों के नाम से पहचाने जाने वाले थे। इन लोगों का मानना था कि भौतिक संसार बुरा था। अब क्योंकि शरीर बुरा है इसलिए वे विश्वास नहीं कर सकते थे कि परमेश्वर देह्धारण कर सकता है। यही कारण था कि वे यीशु को स्वर्गिक मानते थे परन्तु उसका मनुष्य होने का वे इनकार करते थे। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/evil]])


## भाग 3: अनुवाद की म्हात्वपूर्ण समस्याएँ


### 2 यूहान्ना की पुस्तक में प्रमुख मूल पाठ विषयक समस्याएँ क्या हैं?


[1:12](../01/12.md) बाईबल के अधिकाँश आधुनिक संस्करणों में है, "हमारा आनंद|" एक और पारंपरिक पाठ है जिसमें लिखा है, "तुम्हारा आनंद|" यदि आपके क्षेत्र में कोई बाईबल संस्करण है तो आप उस संस्करण को अपने अनुवाद में काम में ले सकते हैं| यदि नाहीं है तो आप संभवतः अधिकाँश बाईबलविदों दवारा स्वीकार्य प्रामाणिक पाठ का अनुसरण करना चाहेंगे और कहेंगे, "हमारा आनंद"| इस स्थिति में, "हमारा" शब्द यूहन्ना और पत्र के प्राप्तिकर्ताओं को समाहित करेगा|
(देखें: [[rc://hi /ta/man/translate/translate-textvariants]]) 2JN 1 1 ma4c figs-you 0 General Information: परम्परा इस पत्र के लेखक की पहचान प्रेरित यूहन्ना के रूप में करती है। यद्यपि सम्भवतः यह एक व्यक्तिगत् महिला को सम्बोधित किया गयाहै, क्योंकि वह लिखता है कि उन्हें ""एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए"", यह शायद एक कलीसिया के लिए है। इस पत्र में पाए जाने वाले ""तुम"" और ""तेरे"" के सभी सन्दर्भ बहुवचन हैं जब तक कि उन पर अन्यथा ध्यान न दिया जाए। इस पत्र में, यूहन्ना ने स्वयं और उसके पाठकों को ""हम"" और ""हमारे"" शब्द का उपयोग करके सम्मिलित किया है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-you]] और [[rc://hi/ta/man/translate/figs-inclusive]] ) 2JN 1 1 z4tk figs-explicit ὁ πρεσβύτερος 1 From the elder to the chosen lady and her children **प्राचीन** का सन्दर्भ संभवतः यीशु के शिष्य और प्रेरित, यूहन्ना से है| वह अपने आप को "प्राचीन कहता है या तो इसलिए कि वह वृद्ध है,या इसलिए कि वह कलीसिया में एक वृद्ध अगुआ है,या दोनों ही कारणों से!यदि आपकी भाषा में किसी अगुआ के लिए,एक सम्मानित अगुवे के लिए कोई शब्द है तो उसका प्रयोग आप कर सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: मैं यूहन्ना, इस पत्र को लिख रहा हूँ" या वैकल्पिक अनुवाद: "मैं यूहन्ना एक वृद्ध इस पत्र को लिख रहा हूँ"
देखें:: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-explicit]]) -2JN 1 1 z9f1 1 the elder 2JN 1 1 y7hw figs-123person ἐκλεκτῇ κυρίᾳ καὶ τοῖς τέκνοις αὐτῆς 1 to the chosen lady and her children उस संस्कृति में पत्र के लेखक पत्र पाने वाले का नाम बाद में लिखते थे,और उनको त्रित्य पुरुष में व्यक्त करते थे| यदि आपकी भाषा में यह उलझन पैदा करे तो आप द्वित्य पुरुष को काम में ले सकते हैं| यदि आपकी भाषा में पत्र के प्राप्तिकर्ता को दर्शाने के लिए कोई विशेष व्यवस्था है और आपके पाठकों के लिए सहायक सिद्ध हो तो आप उसको यहाँ काम में ले सकते हैं| वैकल्पिक अनुवाद: "तुझे, हे चुनी हुए महिला, और तेरे बच्चों को"
(देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-123person]]) 2JN 1 3 vpl9 guidelines-sonofgodprinciples Πατρός…Υἱοῦ 1 Father ... Son **पिता** और **पुत्र** ये महत्वपूर्ण पदवियाँ हैं जो परमेश्वर और यीशु के बीच सम्बन्धों का वर्णन करते हैं। इन्केअनुवाद को सर्वसिद्ध एवं अनवरत करना सुनिश्चित करें (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/guidelines-sonofgodprinciples]] ) 2JN 1 3 w6tr figs-abstractnouns ἐν ἀληθείᾳ καὶ ἀγάπῃ 1 in truth and love यदि आपकी भाषा में अधिक स्पष्ट हो सके तो आप इन भाववाचक संज्ञाओं, **सत्य** और **प्रेम** में निहित विचार को विशेषणों और क्रियाओं के द्वारा व्यक्त कर सकते हैं| इन भाववाचक संज्ञाओं के अर्थों की दो संभावनाएं हैं: (1) वे पिता पर्म्वेश्वर और मसीह यीशु के गुणों का वर्णन करती हैं| वैकल्पिक अनुवाद: "जो सत्य और प्रेमी है" (2) वे वर्णन करती है कि विश्वासियों को कैसा जीवन जीना है और इस प्रकार वे शर्तें हैं जिनके अंतर्गत विश्वासियों को परमेश्वर से **अनुग्रह, दया और शान्ति** मिलेगी| वैकल्पिक अनुवाद: "जब हम सत्य को थामे रहते हैं और आपस में प्रेम रखते हैं"
देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-abstractnouns]])