\v 14 जुणिऐ कि आसारी तेईए आपणा बलिदन केरु, कि आसाबे सेभी प्रकारै रै अधर्मा ना छुड़ाल, होर शुद्ध केरिया आपणी तेईऐ एक जाति बणाले जौ खरे-खरे कौमा न सरगर्म होली ॥