ludhiana_gok_eph_text_reg/06/05.txt

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\v 5 हे दास कु ,जो कुरुकू इनी दुनियान नी आपे गा स्वामी होय ,आपण मन गा सीधा टे हिगर दोन येठा कापतीन्जू दोन देगो मासी गा एगो का दिकू गा भी आज्ञा मानतीन्जे | \v 6 कोरो के खुशोवा घाल्जी गा मिन्कू के समान दुगु घाल्जी सेवा बाकी दाडा पोनो मासी गा दास गा समान मन टे परमेश्वर गा इच्छा लिजेन टे सेन्द्राय , \v 7 येठा डी सेवा के कोरो गा बाने पोनो प्रभु चीन्ते सच्चो ह्र्दय या मन टे द्य | \v 8 चोयकी आपेन मालूम होय दास या चाहे स्वंतत्र ,प्रभु टे देगो का घाटऊ वा |*