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\v 9 पर मुर्खता रै वाद-विवाद थऊं अतै वंशावलि अतै बैर-बिरोध अतै तिआं लड़ाई-झगड़ै थऊं जेड़ै कि व्यवस्था रै बारै मन्ज हिन्न, बच्ची रै, क्जो कि एह निषफळ अतै व्यर्थ हिन्न । \v 10 कसी पखंड़ी जो अक्क दुई बरी समंझाई करी तैस थऊं अलग रहै। \v 11 एह जाणी करी कि एह मणु भटकी गछूरा अतै अपणै आपा जो दोषी ठराई करी पाप करदा रैहन्दा। |