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\v 14 अऊँ ठेरी बजहा थऊं तैस पिता प्रमात्में रै साम्हणैं घुटनै टेकदा, \v 15 जैत सितै स्वर्गा अतै धरती पुर हर अक्क घरानै रा नां रखआ गाहन्दा। \v 16 कि सो अपणी महीमा रै धनां रै मताबक तुसु जो दान देय्आ, कि तुसै तसेरी आत्मां सितै अपणै अन्द्रिऐं मणु मन्ज सामर्थ पाई करी बलवन्त भुन्दै गच्छा। |