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\v 5 क्जो कि तुसै जाणदै हिन्न कि कसी व्यभिचारी, अशुद्व मणु, लोभी मणु, जैडा कि मूर्ती पूजणै रै बराबर हा मसीह अतै प्रमात्में रै राज्य री मीरासी ना हिन्न। \v 6 कोई तुसु जो व्यर्थ गप्पा मन्ज धोखा ना देय्आ, क्जो कि इन्है जिन्है कमां री बजहा थऊं प्रमात्में रा गुस्सा हुक्म ना मनणैं बाळै पुर भड़कदा। \v 7 ऐत तांईं तुसै तंयारे सहभागी मत भोआ।
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