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\v 8 पर मेहमान का आदर करण आळा, भलाई का चाह्ण आळा, अपणे आपै म्ह रहण आळा, न्याकारी, पवित्र अर अपणे मन नै काबू राखण आळा हो; \v 9 अर वो बिश्वास लायक वचन पै जो धर्म के उपदेश कै मुताबिक सै, डट्या रहवै के खरी शिक्षा तै उपदेश दे सकै अर विरोधिया का मुँह भी बन्द कर सकैI