giriraj1722_myi_2co_text_udb/01/05.txt

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5 क्यूंकि जंय्याँ मसीह का दुःख म्हा न अधिक होवीं छीं , वंय्याँ ही म्हा की शान्ति भी मसीह क दुवारा अधिक सहभागी हो व छ |
6 यदि म्हे क्लेश पावाँ छाँ , तो या थाँकी शान्ति और उद्दार क ताँई छ ; और यदि शान्ति पावाँ छाँ , तो या थाँकी शान्ति क ताँई छ, जि का परभाव सुँ थे धीरज क साथ ऊ क्लेशां न सह ले वो छो , ज्या न म्हे भी सह वाँ छाँ |
7 और माखी आशा थाँका बारा म दृढ छ ; क्यूंकि म्हे जाणा छाँ कि थे जंय्याँ माखा दु:खाँ म , वंय्याँ ही शान्ति म भी सहभागी छो |