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पंणमेश्वर ने साँप ते कहया ," थम शापित सो |" तै पेट के ताण चाल्या करेगा , अर जीवण भर माटी चटदा रहवेगा | अर तू लुगाई एक दूजै ते नफरत करोगे , अर थारी ओलाद अर उसकी ओलाद भी एक दूजे ते नफरत करोगे ,लुगाई का वंश जो थारै सिर को कुचल देवैगा ,अर तै उसकी एडी नै काटेगा |"