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चालीस दिन के बाद नूह ने अपणै बणायै होयै जहाज की खिड़की को खोलै, एक कौआ पक्षी उड़ा दैया यों देखणै के खातेर की घणयै धरती पै सूख गैया या ना | कौआ शुष्क भूमि की तलाश म्है इधर-उधर उड़ा, जदै सूखी भूमि को ना पाया |