agapevision_bgc_obs_text_obs/02/01.txt

1 line
679 B
Plaintext

आदम अर उसकी लुगाई पणमेश्वर जरिये उन खातेर बणाये गए सुथरे बगीचे म्ह बहोत घणये खुश थे उन दोनुवा न लते नहीं पहरे थे लेकिन दुनिया म्ह कोए पाप नहीं था ज्याते उनताहि शर्म नहीं महसूस होया करेथी | वे ज्यादातर बगीचे म्ह चाल्या करदे अर पणमेश्वर उनके गेल्या बात करा करै था |