agapevision_bgc_obs_text_obs/01/02.txt

1 line
647 B
Plaintext

फेर पणमेश्वर नै कह्या '"चांदना हो,तो चांदना हो ग्या|पणमश्वर नै चांदणे ताहि देख्या के आच्छा सै; अर पणमेशवर नै चंदणा ताहि "दिन" कहया| पणमेश्वर ने अंधेरा तै न्यारा करया, अर अन्धेरा तैैै पणमेश्वर नै " रात" बोल्या| पणमेश्वर नै पहलें दिन महै चंदाणे की रचना की |