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इस तहरेया पुरे जगत की रचना होई| पणमेशर नै छह दिन्या महै ज्यो जगत अर ज्यों कीमे सै रचा |पंणमेश्वर के धरती बनाने के पिच्छे धरती अंधेरे ते भरी अर सुन्नी पड़ी थी, अर उस्मै कीमे भी न्ही बनाया गया था | लेकिन पणमेश्वर का आत्मा पाणी के उपर था |
इस तहरेया पुरे जगत की रचना होई| पणमेशर नै छह दिन्या महै ज्यो जगत अर ज्यों कीमे सै रचा |पंणमेश्वर के धरती बनाने के पिच्छे धरती अंधेरे ते भरी अर सुन्नी पड़ी थी, अर उस्मै कीमे भी न्ही बनाया गया था | लेकिन पणमेश्वर का आत्मा पाणी के उपर था |

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फेर पणमेश्वर नै कह्या '"चांदना हो,तो चांदना हो ग्या|पणमश्वर नै चांदणे ताहि देख्या के आच्छा सै; अर पणमेशवर नै चंदणा ताहि "दिन" कहया| पणमेश्वर ने अंधेरा तै न्यारा करया, अर अन्धेरा तैैै पणमेश्वर नै " रात" बोल्या| पणमेश्वर नै पहलें दिन महै चंदाणे की रचना की |
फेर पणमेश्वर नै कह्या '"चांदना हो,तो चांदना हो ग्या|पणमश्वर नै चांदणे ताहि देख्या के आच्छा सै; अर पणमेशवर नै चंदणा ताहि "दिन" कहया| पणमेश्वर ने अंधेरा तै न्यारा करया, अर अन्धेरा तैैै पणमेश्वर नै " रात" बोल्या| पणमेश्वर नै पहलें दिन महै चंदाणे की रचना की |

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सृष्टि के दूसरे दिन, पणमेशवर ने कहया अर धरती के ऊपर अकाश को बणाया|
सृष्टि के दूसरे दिन, पणमेशवर ने कहया अर धरती के ऊपर अकाश को बणाया|

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तीसरे दिन, पणमेश्वर ने कहया अर पाणी को सूखी धरती t
तीसरे दिन, पणमेश्वर ने कहया अर पाणी को सूखी धरती