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पणमेश्वर ने माणस ते कहया ," तनेयै अपणी लुगाई की बातं सूणी
अर म्हारी आज्ञा ने मानी | जदै धरती शापित सै, अरै थम उसकी उपज खाणै की खातेर कडी महनेत करणी होवेगी | फेर थम मर जावेगो , अर थारे तनै फेर माटी म्ह रुणै जावैगा| माणस ने अपणी
लुगाई का नाम हव्वा रख्या , जीसका कारण होवेय सै जगत जननी क्युकी व्यों सारे माणस - जाति माँ कहलावेगी| अर पणमेश्वर ने जानवर की खाल ते अर हव्वाज़ को ढापा|