6th set
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# पतरस किसका प्रेरित था?
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पतरस मसीह यीशु का प्रेरित था।
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# पतरस ने किसे पत्र लिखा था?
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पतरस ने उन विस्थापित विश्वासियों को पत्र लिखा था जो पुन्तुस, गलातिया,कप्पदुकिया, आसिया, और बिथुनिया में रहते थे।
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# ये परदेशी कैसे चुने हुए कहलाए?
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वे परमेश्वर पिता के भविष्य ज्ञान के अनुसार आत्मा के पवित्र करने के द्वारा चुन लिए गए थे।
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# पतरस किस का प्रेरित था?
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पतरस यीशु मसीह का प्रेरित था।
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# पतरस ने किसे लिखा?
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पतरस ने सम्पूर्ण पुन्तुस, गलातिया, कप्पदूकिया, एशिया और बिथूनिया में तितर-बितर होकर रहनेवाले चुने हुए परदेशियों, को लिखा।
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# पतरस इन चुने हुओं के लिए क्या कामना करता है?
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पतरस की मनोकामना थी कि उन्हे अनुग्रह और शान्ति बहुतायत से मिले।
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# पतरस किसका धन्यवाद करना चाहता था?
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पतरस हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद करना चाहता है।
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# परमेश्वर ने हमें नया जन्म कैसे दिया हैं?
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परमेश्वर ने हमें बड़ी दया से नया जन्म दिया है।
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# पतरस किसे गौरवान्वित करना चाहता था?
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पतरस अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता और परमेश्वर को गौरवान्वित करना चाहता था।
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# परमेश्वर ने उन्हें नया जन्म कैसे दिया?
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परमेश्वर ने उन्हें अपनी महान दया में, यीशु मसीह को मरे हुओं में से जिला उठाने के द्वारा नया जन्म दिया।
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# वह मीरास अविनाशी, निर्मल और अजर कैसे हैं?
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क्योंकि उनके लिए स्वर्ग में मीरास सुरक्षित है।
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# मीरास क्यों नहीं नष्ट होगी, मलिन होगी, या मिट जाएगी?
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मीरास नष्ट नहीं होगी, मलिन नहीं होगी, या मिट नहीं जाएगी क्योंकि मीरास उनके लिए स्वर्ग में आरक्षित थी।
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# वह परमेश्वर के सामर्थ्य से किस माध्यम से सुरक्षित होती है?
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उसकी रक्षा परमेश्वर के सामर्थ्य विश्वास के द्वारा उस उद्धार के लिए जो आनेवाले समय में प्रकट होनेवाली है, की जाती है।
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# वे किस माध्यम से परमेश्वर की सामर्थ्य में सुरक्षित थे?
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उन्हें उद्धार के लिए विश्वास के द्वारा सुरक्षित किया गया था जो अंतिम समय में प्रकट होने के लिए तैयार किया गया था।
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# नाना प्रकार की परीक्षाओं के कारण उन्हे दुःख उठाना क्यों आवश्यक था?
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यह इसलिए कि उनका परखा हुआ विश्वास यीशु मसीह के प्रकट होने पर प्रशंसा और महिमा और आदर का कारण ठहरे।
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# नाशमान सोने से अधिक मूल्यवान क्या है?
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विश्वास सोने से भी कहीं अधिक बहुमूल्य है।
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#उन्हें कई अलग-अलग परीक्षाओं में दुःख उठाना ज़रूरी क्यों था?
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यह आवश्यक था ताकि उनके विश्वास की परीक्षा हो, और ताकि उनके विश्वास का प्रतिफल यीशु मसीह के प्रकट होने पर प्रशंसा, महिमा और सम्मान के रूप में प्राप्त हो।
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# सोना जो नाश हो जाता है उससे ज्यादा कीमती क्या है?
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विश्वास सोने से भी ज्यादा कीमती है।
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# इन चुने हुए परदेशियों ने मसीह यीशु को नहीं देखा था, तोभी उन्होने क्या किया?
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वे उससे बिन देखे प्रेम करते थे और उस पर विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन थे जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
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# यद्यपि विश्वासियों ने यीशु को नहीं देखा था, उन्होंने क्या किया?
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वे उस से प्रेम रखते थे, और उस पर विश्वास करते थे, और उस अवर्णनीय आनन्द से जो महिमा से भरपूर था, बहुत आनन्दित होते थे।
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# विश्वासियों ने परिणाम स्वरूप क्या पाया है?
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उन्होने अपनी आत्माओं का उद्धार प्राप्त किया।
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# जिन लोगों ने उस पर विश्वास किया, उन्होंने अपने विश्वास के परिणामस्वरूप क्या प्राप्त किया?
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उन्हें अपनी आत्मा का उद्धार प्राप्त हुआ।
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# भविष्यद्वक्ताओं ने किस बात की खोज और जांच पड़ताल की थीं?
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उनके उद्धार और अनुग्रह के बारे में भविष्यद्वक्ताओं ने बहुत खोज और जांच पड़ताल की।
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# भविष्यवक्ताओं ने किस बारे में ध्यान से खोज-बीन और जाँच-पड़ताल की?
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भविष्यवक्ताओं ने उस उद्धार के बारे में खोज की जो विश्वासियों को मिलने वाला था, उस अनुग्रह के बारे में जो उनका होने पर था।
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# मसीह का आत्मा भविष्यद्वक्ताओं को किस बात का पूर्व ज्ञान प्रदान करता था?
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वह उन्हे मसीह के दु:खों और आनेवाली महिमा के बारे में बता रहा था।
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# मसीह का आत्मा भविष्यवक्ताओं को पहले से क्या बता रहा था?
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वह उन्हें मसीह के कष्टों और उसके बाद आने वाली महिमाओं के बारे में बता रहा था।
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# भविष्यद्वक्ता अपनी जांच पड़ताल और खोज के द्वारा किसकी सेवा करते थे?
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वे इन चुने हुओं की सेवा के लिए ये बातें कहा करते थे।
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# भविष्यद्वक्ताओं की खोज और जांच पड़ताल का परिणाम देखने की लालसा किसमें थी?
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स्वर्गदूत भी परिणाम देखने की लालसा रखते थे।
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# भविष्यवक्ता अपनी खोज-बीन और जाँच-पड़ताल के द्वारा किसको सिखा रहे थे?
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वे विश्वासियों को सिखा रहे थे।
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# कौन चाहता था कि भविष्यवक्ताओं की खोजों और पूछताछों के परिणाम प्रकट हों?
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यहाँ तक कि स्वर्गदूत भी चाहते थे कि परिणाम प्रकट हों।
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# पतरस उनसे क्या कहता है कि वे आज्ञाकारी बालकों के समान करें?
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वह उनसे कहता है कि वे अपनी बुद्धि की कमर बांध कर और सचेत रहकर उस अनुग्रह की पूरी आशा रखें जो यीशु मसीह के प्रकट होने के समय उन्हे मिलनेवाला है, वे पुरानी अभिलाषाओं के सदृश्य न बनें।
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# आज्ञाकारी बच्चों के रूप में पतरस ने विश्वासियों को क्या करने की आज्ञा दी?
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उसने उन्हें आज्ञा दी कि वे अपने मन को परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए तैयार करें, अपनी सोच में संयमी हों, और उस अनुग्रह पर पूरा भरोसा रखें जो उन्हें दिया जाएगा, और स्वयं को उनकी पिछली अभिलाषाओं के अनुरूप न होने दें।
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# आज्ञाकारी बच्चों के रूप में पतरस ने विश्वासियों को क्या करने की आज्ञा दी?
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उसने उन्हें आज्ञा दी कि वे अपने मन को परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए तैयार करें, अपनी सोच में संयमी हों, और उस अनुग्रह पर पूरा भरोसा रखें जो उन्हें दिया जाएगा, और स्वयं को उनकी पिछली अभिलाषाओं के अनुरूप न होने दें।
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# पतरस इन चुने हुओं को पवित्र रहने के लिए क्यों कहता है?
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क्योंकि जिसने उन्हे बुलाया वह पवित्र है।
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# पतरस ने क्यों कहा कि विश्वासियों को पवित्र होना चाहिए?
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क्योंकि जिसने उन्हें बुलाया वह पवित्र है।
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# पतरस ने क्यों कहा कि विश्वासियों को पवित्र होना चाहिए?
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क्योंकि जिसने उन्हें बुलाया वह पवित्र है।
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# इन परदेशी चुने हुओं को अपना समय भय से क्यों बिताना था?
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वे हर एक के काम के अनुसार निष्पक्ष न्याय करनेवाले को "हे पिता" कहकर प्रार्थना करते थे।
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# विश्वासियों को अपने परदेशी होने का समय भय में क्यों व्यतीत करन चाहिए ?
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क्योंकि वे “ हे पिता” कहकर प्रार्थना करते हैं वह जो हर एक व्यक्ति के कामों के अनुसार बिना पक्षपात के न्याय करता है।
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# ये परदेशी चुने हुए विश्वासी किससे उद्धार पाए हुए थे?
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उनका उद्धार सोने चांदी से नहीं, मसीह के बहुमूल्य लहू से हुआ था एक निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने का लहू।
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# चुने हुए परदेशी लोगों ने, किससे व्यर्थ व्यवहार सीखा?
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उन्होंने अपने पूर्वजों से व्यर्थ व्यवहार सीखा था।
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# विश्वासियों को किसके द्वारा छुड़ाया गया था?
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उन्हें चाँदी या सोने के द्वारा नहीं छुड़ाया गया, बल्कि एक निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने. अर्थात मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा हुआ।
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# विश्वासियों को किसके द्वारा छुड़ाया गया था?
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उन्हें चाँदी या सोने के द्वारा नहीं छुड़ाया गया, बल्कि एक निर्दोष और निष्कलंक मेम्ने. अर्थात मसीह के बहुमूल्य लहू के द्वारा हुआ।
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# इन परदेशी चुने हुए विश्वासियों के निकम्मे चालचलन का कारण क्या था?
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उनका निकम्मा चालचलन बाप दादों से चला आ रहा था।
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# मसीह का चुनाव कब हुआ था और कब वह प्रकट हुआ?
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उसका ज्ञान (मसीह) तो जगत की उत्पत्ति के पहले ही से जाना गया था, पर अब इस अन्तिम युग में उनके लिए प्रगट हुआ था।
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# ये चुने हुए परदेशी परमेश्वर में विश्वास और आशा कैसे करने लगे थे?
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परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया और महिमा दी, उसके द्वारा वे परमेश्वर में विश्वास करते थे।
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# मसीह को कब से जाना गया था, और वह कब प्रकट हुआ था?
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वह दुनिया की नींव पड़ने से पहले से जाना जाता था; वह परदेशियों पर, अर्थात् चुने हुओं पर, जो अनादिकाल से ही था, प्रगट हुआ।
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# इन चुने हुए परदेशियों ने अपने मनों को पवित्र कैसे किया था?
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उन्होने भाई चारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया था।
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# विश्वासियों ने अपने मनों को कैसे शुद्ध किया?
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उन्होंने भाईचारे के प्रेम के द्वारा सत्य की आज्ञाकारिता से अपने मनों को शुद्ध किया।
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# इन चुने हुए परदेशियों ने नया जन्म कैसे पाया था?
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उन्होने अविनाशी बीज से परमेश्वर जीवते और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया था।
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# विश्वासियों का नया जन्म कैसे हुआ?
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वे अविनाशी बीज से, अर्थात परमेश्वर के जीवित और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा पैदा हुए, न कि नाशवान बीज के द्वारा।
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# प्राणी और उसकी महिमा किसके समान है?
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हर एक प्राणी घास के समान है और उसकी महिमा घास के फूल के समान ही है।
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# सभी प्राणी कैसे हैं, और उनकी शोभा कैसी है?
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सब प्राणी घास की तरह हैं; उनकी शोभा घास के फूल के समान है।
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# प्रभु का वचन का क्या होता है?
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प्रभु का वचन युगानयुग स्थिर बना रहता है।
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# परमेश्वर का वचन कब तक बना रहता है?
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परमेश्वर का वचन सदा तक बना रहता है।
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# इन चुने हुए परदेशियों से क्या दूर करने को कहा गया था?
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उनसे कहा गया कि वे सब प्रकार का बैर भाव और छल और कपट और डाह और निन्दा दूर करें।
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# विश्वासियों को क्या दूर करने के लिए कहा गया था?
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उन्हें कहा गया था कि वे सब बैरभाव, छल, कपट, ईर्ष्या और निंदा को दूर कर दें।
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# इन चुने हुए परदेशियों निर्मल आत्मिक दूध की लालसा क्यों करनी थी?
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उन्हे निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करना थी ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए आगे बढ़ते जाएं।
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# विश्वासियों को शुद्ध आत्मिक दूध की लालसा क्यों करनी थी?
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उन्हें शुद्ध आत्मिक दूध के लिए लालसा करनी थी ताकि वे उद्धार में बढ़ सकें।
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# जीवित पत्थर कौन है जिसे मनुष्यों ने निकम्मा जाना परन्तु परमेश्वर ने चुन लिया?
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मसीह यीशु जीवित पत्थर है।
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# वह जीवित पत्थर कौन था जिसे लोगों ने ठुकरा दिया और परमेश्वर ने चुना?
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यीशु मसीह जीवित पत्थर था।
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# वह जीवित पत्थर कौन था जिसे लोगों ने ठुकरा दिया और परमेश्वर ने चुना?
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यीशु मसीह जीवित पत्थर था।
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# विश्वासी भी जीवित पत्थरों के समान क्यों थे?
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वे जीवित पत्थरों के समान थे, क्योंकि वे आत्मिक भवन बनने के लिए बनाए जा रहे थे।
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# ये चुने हुए परदेशी जीवित पत्थर क्यों थे?
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वे भी जीवित पत्थरों के समान आत्मिक घर बन रहे थे जिससे याजकों का पवित्र समाज बन कर कभी लज्जित न हो वरन् आदर पाएं।
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# वचन की अवज्ञा करते हुए, राजमिस्त्रियों ने ठोकर क्यों खाई?
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राजमिस्त्रियों ने इसलिए ठोकर खाई क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिए नियुक्त किया गया था।
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# वचन को न मानने के कारण राजमिस्त्रियों ने ठोकर क्यों खाई?
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राजमिस्त्रियों ने ठोकर खाई क्योंकि उन्हे उसी के लिए नियुक्त किया गया था।
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# वचन की अवज्ञा करते हुए, राजमिस्त्रियों ने ठोकर क्यों खाई?
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राजमिस्त्रियों ने इसलिए ठोकर खाई क्योंकि उन्हें ऐसा करने के लिए नियुक्त किया गया था।
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# वे एक चुना हुआ वंश, राज पदधारी याजकों का समाज, पवित्र लोग और परमेश्वर की निज प्रजा क्यों हुए?
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वे तो इसलिए चुने गए थे कि वे परमेश्वर के अद्भुत कामों का वर्णन करें।
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# विश्वासी क्यों एक चुना हुआ वंश, एक राज-पदधारी याजकों का समाज, पवित्र लोग, और परमेश्वर के लिए एक निज प्रजा थे?
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उन्हें इसलिए चुना गया ताकि वे परमेश्वर के अद्भुत कार्यों की घोषणा कर सकें।
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#विश्वासी क्यों एक चुना हुआ वंश, एक राजकीय याजकों का समाज, पवित्र लोग, और परमेश्वर के लिए एक निज प्रजा थे?
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उन्हें इसलिए चुना गया ताकि वे परमेश्वर के अद्भुत कार्यों की घोषणा कर सकें।
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# पतरस उन प्रियजनों को अभिलाषाओं से बचने को क्यों कहता हैं?
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वे अभिलाषाओं से बचें और चालचलन भला रखें कि जो उन्हे बदनाम करते थे उनके भले कामों को देखकर परमेश्वर की महिमा करें।
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# पतरस ने प्रिय लोगों को पापी अभिलाषाओं से दूर रहने के लिए क्यों कहा?
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उसने उन्हें दूर रहने के लिए कहा ताकि जो लोग उनके बारे में बुरा कहते हैं, वे उनके अच्छे व्यवहार को देखें और परमेश्वर की स्तुति करें।
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# पतरस ने प्रिय लोगों को पापी अभिलाषाओं से दूर रहने के लिए क्यों कहा?
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उसने उन्हें दूर रहने के लिए कहा ताकि जो लोग उनके बारे में बुरा कहते हैं, वे उनके अच्छे व्यवहार को देखें और परमेश्वर की स्तुति करें।
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# उन चुने हुए परदेशियों को मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के अधीन क्यों रहना था?
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वे मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के अधीन रहें क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है कि वे भले कामों द्वारा निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्द कर पाएं।
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# विश्वासियों को प्रत्येक मानवीय अधिकार का पालन क्यों करना था?
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उन्हें हर मानवीय अधिकार का पालन करना था क्योंकि परमेश्वर उनकी आज्ञाकारिता का उपयोग मूर्ख लोगों की अज्ञानी बातों को चुप कराने के लिए करना चाहता था।
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@ -0,0 +1,4 @@
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# विश्वासियों को प्रत्येक मानवीय अधिकार का पालन क्यों करना था?
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उन्हें हर मानवीय अधिकार का पालन करना था क्योंकि परमेश्वर उनकी आज्ञाकारिता का उपयोग मूर्ख लोगों की अज्ञानी बातों को चुप कराने के लिए करना चाहता था।
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# विश्वासियों को प्रत्येक मानवीय अधिकार का पालन क्यों करना था?
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उन्हें हर मानवीय अधिकार का पालन करना था क्योंकि परमेश्वर उनकी आज्ञाकारिता का उपयोग मूर्ख लोगों की अज्ञानी बातों को चुप कराने के लिए करना चाहता था।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# अपनी स्वतंत्रता को बुराई के लिए आड़ बनाने की अपेक्षा उन चुने हुए परदेशियों को क्या करना था?
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उन्हे अपनी स्वतंत्रता को परमेश्वर के दास होने के लिए रखें।
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# अपनी स्वतंत्रता को दुष्टता के लिए एक आड़ के रूप में इस्तेमाल करने के बजाय, चुने हुए परदेशी लोगों को क्या करना था?
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उन्हें अपनी स्वतंत्रता का उपयोग परमेश्वर के सेवक बनने के लिए करना था।
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# सेवकों के लिए क्यों आवश्यक था कि वे अपने स्वामियों के अधीन रहे, कुटिल स्वामियों के भी?
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वे जो सेवक थे हर प्रकार के भय के साथ अपने स्वामियों के अधीन रहें, न केवल भले और नम्र के परन्तु कुटिल के भी क्योंकि यदि कोई परमेश्वर का विचार करके अन्याय से दुःख उठाता हुआ क्लेश सहता है तो यह परमेश्वर को भाता है।
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# सेवकों को अपने स्वामियों, यहाँ तक कि दुष्ट स्वामियों के अधीन क्यों होना चाहिए था?
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सेवकों को दुष्ट स्वामियों के अधीन भी रहना था क्योंकि अच्छा करना और फिर उसके लिए दंडित होकर दुःख उठाना परमेश्वर के सन्मुख प्रशंसनीय है।
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@ -0,0 +1,4 @@
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# सेवकों को अपने स्वामियों, यहाँ तक कि दुष्टों स्वामियों के अधीन क्यों होना चाहिए था?
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सेवकों को दुष्ट स्वामियों के अधीन भी रहना था क्योंकि अच्छा करना और फिर उसके लिए दंडित होकर दुःख उठाना परमेश्वर के सन्मुख प्रशंसनीय है।
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@ -1 +1,4 @@
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# सेवकों को अपने स्वामियों, यहाँ तक कि दुष्टों स्वामियों के अधीन क्यों होना चाहिए था?
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सेवकों को दुष्ट स्वामियों के अधीन भी रहना था क्योंकि अच्छा करना और फिर उसके लिए दंडित होकर दुःख उठाना परमेश्वर के सन्मुख प्रशंसनीय है।
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# सेवकों के लिए भलाई के लिए दुःख उठाने की बुलाहट क्यों दी गई थी?
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मसीह दुःख उठाकर एक आदर्श दे गया कि विश्वासी उसके पद चिन्हों पर चलें, वह अपने आप को सच्चे न्यायी के हाथ में सौंपता था।
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# सेवकों को भलाई करने के लिए दुःख उठाने के लिए क्यों बुलाया गया?
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क्योंकि मसीह ने उनके लिए दुख उठाया, और उनके लिए एक उदाहरण छोड़ गया, और अपने आप को न्याय करने वाले को सौंप दिया।
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# सेवकों को भलाई करने के लिए दुःख उठाने के लिए क्यों बुलाया गया?
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क्योंकि मसीह ने उनके लिए दुख उठाया, और उनके लिए एक उदाहरण छोड़ गया, और अपने आप को न्याय करने वाले को सौंप दिया।
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#सेवकों को भलाई करने के लिए दुःख उठाने के लिए क्यों बुलाया गया?
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क्योंकि मसीह ने उनके लिए दुख उठाया, और उनके लिए एक उदाहरण छोड़ गया, और अपने आप को न्याय करने वाले को सौंप दिया।
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# मसीह ने पतरस, परदेशी, चुने हुओं, और सेवकों के पापों को अपनी देह पर उठाकर क्रूस क्यों सहा?
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वह हमारे पापों को अपनी देह में लेकर क्रूस पर चढ़ गया जिससे कि हम पापों के लिए मर कर धार्मिकता का जीवन बिताएं, उसी के मार खाने से हम चंगे हुए।
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# मसीह ने पतरस, विश्वासियों, और सेवकों के पापों को अपने शरीर में क्रूस पर क्यों उठाया?
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उस ने उनके पापों को उठा लिया, कि वे फिर पाप में भागी न हों, वरन धार्मिकता के लिये जीवित रहें, और क्योंकि वे उसके मार खाने से चंगे हुए हैं।
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# खोई हुए भेड़ों के समान भटकने के बाद वे किस के पास लौट आए थे?
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वे अपने प्राणों के रखवाले और चरवाहे के पास लौट आए थे।
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# जब वे सब खोई हुई भेड़ों की नाईं भटक गए, तो किसके पास लौट आए?
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वे सब अपनी आत्मा के रखवाले और चरवाहे के पास लौट आए।
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# पत्नियां अपने अपने पति के अधीन क्यों रहें?
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पत्नियां अपने अपने पति के अधीन रहें क्योंकि वचन में विश्वास नहीं करनेवाले पति उनके चालचलन को देखकर खिंच जाएं।
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# पत्नियों को अपने पति के अधीन क्यों रहना चाहिए?
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पत्नियों को अधीन रहना चाहिए ताकि जो पति अवज्ञाकारी हैं वे बिना एक शब्द के जीते जा सकें।
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# पत्नियां अपने पति को कैसे जीतें?
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पत्नियां बाहरी श्रृंगार की अपेक्षा मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्जित रहें।
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# पत्नियों को खुद को कैसे सजाना चाहिए?
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पत्नियों को चाहिए कि वे हृदय के आंतरिक व्यक्तित्व में, सौम्य और शांत आत्मा के चिरस्थायी सौंदर्य में स्वयं को सुशोभित करें।
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# पत्नियों को खुद को कैसे सजाना चाहिए?
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पत्नियों को चाहिए कि वे हृदय के आंतरिक व्यक्तित्व में, सौम्य और शांत आत्मा के चिरस्थायी सौंदर्य में स्वयं को सुशोभित करें।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# पतरस ने उदाहरण स्वरूप किस पवित्र स्त्री का नाम लिया जो परमेश्वर में विश्वास रखकर अपने पति के अधीन रहती थी?
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पतरस ने सारा का उदाहरण दिया है।
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# पतरस ने किस पवित्र स्त्री का उल्लेख एक ऐसी पत्नी के उदाहरण के रूप में किया, जिसे परमेश्वर पर भरोसा था और अपने पति के अधीन थी?
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पतरस ने एक उदाहरण के रूप में सारा का उल्लेख किया।
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# पतरस ने किस पवित्र स्त्री का उल्लेख एक ऐसी पत्नी के उदाहरण के रूप में किया, जिसे परमेश्वर पर भरोसा था और अपने पति के अधीन थी?
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||||
पतरस ने एक उदाहरण के रूप में सारा का उल्लेख किया।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# पति बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ निर्वाह क्यों करें?
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पतियों को भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करना चाहिए जिससे उनकी प्रार्थनाएं न रुक जाएं।
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||||
# पतियों को अपनी पत्नियों के साथ बुद्धिमानी के अनुसार क्यों रहना चाहिए?
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||||
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पतियों को अपनी पत्नियों के साथ बुद्धिमानी के अनुसार रहना चाहिए ताकि उनकी प्रार्थना में बाधा न आए।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# पतरस सब चुने हुए परदेशियों को एक मन होने और आशिष देने के लिए क्यों कहता है?
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वे आशिष के वारिस होने के लिए बुलाए गए थे।
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# पतरस ने सभी चुने हुए परदेशियों को, समान सोच रखने और आशीष देते रहने का निर्देश क्यों दिया?
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क्योंकि वे सब ऐसा करने के लिए बुलाए गए थे, कि वे आशीष के वारिस हो सकें।
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#
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# पतरस ने सभी चुने हुए परदेशियों को, समान सोच रखने और आशीष देते रहने का निर्देश क्यों दिया?
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क्योंकि वे सब ऐसा करने के लिए बुलाए गए थे, कि वे आशीष के वारिस हो सकें।
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# जो जीवन की इच्छा रखता है वह उसे अपनी जीभ को बुराई से और होठों को छल की बातें करने से क्यों रोके रहे और क्यों भलाई करें?
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||||
क्योंकि प्रभु की आंखें धर्मियों पर लगी रहती हैं।
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||||
# जो जीवन की इच्छा रखता है, वह अपनी जीभ को बुराई से क्यों रोके और बुराई से फिरकर भलाई क्यों करे?
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||||
क्योंकि परमेश्वर की आंखें धर्मियों को देखती हैं।
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@ -0,0 +1,4 @@
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# जो जीवन की इच्छा रखता है, वह अपनी जीभ को बुराई से क्यों रोके और बुराई से फिरकर भलाई क्यों करे?
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||||
क्योंकि परमेश्वर की आंखें धर्मियों को देखती हैं।
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@ -1,4 +1,4 @@
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#
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# जो जीवन की इच्छा रखता है, वह अपनी जीभ को बुराई से क्यों रोके और बुराई से फिरकर भलाई क्यों करे?
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||||
क्योंकि परमेश्वर की आंखें धर्मियों को देखती हैं।
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||||
# दुष्ट लोग जिन बातों से डरते और परेशान होते थे उनसे भयभीत होने की आपेक्षा इस चुने हुए परदेशियों को क्या करना आवश्यक था?
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उन्हें मसीह को प्रभु जानकर अपने मन में पवित्र समझना है।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# धन्य कौन हैं?
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||||
धर्म के कारण दुःख उठानेवाले धन्य है।
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# वे कौन थे जो धन्य थे?
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जो लोग धार्मिकता के कारण पीड़ित हुए, वे धन्य थे।
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@ -1,4 +1,8 @@
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#
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# विश्वासियों को परमेश्वर में अपना विश्वास बनाए रखने के लिए क्या करने के लिए कहा गया था?
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उनसे कहा गया था कि वे प्रभु मसीह को अपने हृदयों में पवित्र समझें।
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||||
# विश्वासी हमेशा हर उस व्यक्ति को कैसे उत्तर देते थे जो परमेश्वर में उनके आत्मविश्वास के बारे में पूछते थे?
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वे हमेशा नम्रता और सम्मान के साथ जवाब देने के लिए तैयार रहते थे।
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||||
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||||
# आशा के विषय पूछे जाने पर चुने हुए परदेशी सदैव किस प्रकार उत्तर देने के लिए तैयार रहें?
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वे सर्वदा नम्रता और भय के साथ उत्तर देने के लिए सर्वदा तैयार रहें।
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@ -1 +1,4 @@
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#
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||||
# विश्वासी हमेशा हर उस व्यक्ति को कैसे उत्तर देते थे जो परमेश्वर में उनके आत्मविश्वास के बारे में पूछते थे?
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||||
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||||
वे हमेशा नम्रता और सम्मान के साथ जवाब देने के लिए तैयार रहते थे।
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||||
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||||
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# मसीह ने पापों के लिए एक बार दुःख क्यों उठाया?
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||||
मसीह ने एक बार दुःख उठाया कि पतरस और चुने हुए परदेशियों को परमेश्वर के पास पहुंचाए।
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||||
# मसीह ने एक ही बार पापों के लिए क्यों दुख उठाया?
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||||
मसीह ने एक ही बार दुख उठाया ताकि वह पतरस और विश्वासियों को परमेश्वर के पास ले आए।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# जिन आत्माओं के लिए मसीह ने कैद में प्रचार किया था वे बन्दी क्यों थीं?
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||||
कैदी आत्माओं ने उस समय आज्ञा न मानी थी जब परमेश्वर नूह के समय धीरज धरकर ठहरा रहा था।
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||||
# जिन आत्माओं को मसीह ने आत्मा में प्रचार किया वे अब कैद में क्यों थीं?
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||||
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जो आत्माएं अब कैद में थीं नूह के समय में अवज्ञाकारी थीं जब परमेश्वर धीरज के साथ इंतज़ार कर रहा था।
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@ -1,4 +1,4 @@
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#
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# जिन आत्माओं को मसीह ने आत्मा में प्रचार किया वे अब कैद में क्यों थीं?
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||||
जो आत्माएं अब कैद में थीं नूह के समय में अवज्ञाकारी थीं जब परमेश्वर धीरज के साथ इंतज़ार कर रहा था।
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||||
# जल प्रलय से कुछ लोगों का बचाया जाना किसका प्रतीक है?
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||||
उसी पानी का दृष्टान्त भी, अर्थात बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के कारण, अब चुने हुए परदेशियों को शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने के द्वारा बचाता है।
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@ -1 +1,4 @@
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#
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||||
# किस प्रकार का बपतिस्मा विश्वासी को बचाता है?
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बपतिस्मा जो विश्वासी को बचाता है वह पानी से धोना नहीं है, बल्कि यीशु मसीह के पुनरुत्थान के माध्यम से परमेश्वर के लिए एक अच्छे विवेक का आग्रह है।
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# यीशु स्वर्ग में परमेश्वर की दाहिनी और बैठा है तो स्वर्गदूत, अधिकारी और सामर्थी अब क्या करेगे?
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||||
सब उसके अधीन किए गए हैं।
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||||
# जैसे यीशु स्वर्ग में परमेश्वर के दाहिने हाथ पर है, स्वर्गदूतों, अधिकारियों और शक्तियों को क्या करना चाहिए?
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||||
उन सभी को उसके अधीन होना चाहिए।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# पतरस ने चुने हुए परदेशियों को कैसा मन रखने के लिए कहा था?
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||||
पतरस उन्हे आज्ञा देता है कि उनमें भी वही मन हो जो मसीह का था जब उसने शरीर में रहते हुए दुःख उठाया था।
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||||
# पतरस ने विश्वासियों को अपने आप को हथियारबंद करने की क्या आज्ञा दी?
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||||
उसने उन्हें आज्ञा दी कि वे अपने आप को उसी इरादे से हथियारबंद करें जो मसीह ने शरीर में पीड़ित होने पर किया था।
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# अन्य जातियां इन चुने हुए परदेशियों की निन्दा क्यों करती थीं?
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||||
अन्य जातिया इन चुने हुए परदेशियों के विरुद्ध बोलते थे क्योंकि ये विश्वासी उनके समान व्यभिचार, लालसाओं, पियक्कड़पन, भोगविलास तथा घृणित मूर्तिपूजा में सहभागी नहीं होते थे।
|
||||
# अन्यजातियों ने विश्वासियों के बारे में बुरा क्यों कहा?
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||||
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||||
वे चुने हुए परदेशियों के विषय में बुरा कहते थे, क्योंकि वे कामुकता, कामवासना, मतवालेपन, पियक्कड़पन, लीलाक्रीड़ा, और अन्यजातियों की तरह दुष्ट मूर्तिपूजा में भाग नहीं लेते थे।
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||||
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@ -1 +1,4 @@
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#
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||||
# अन्यजातियों ने विश्वासियों के बारे में बुरा क्यों कहा?
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||||
वे चुने हुए परदेशियों के विषय में बुरा कहते थे, क्योंकि वे कामुकता, कामवासना, मतवालेपन, पियक्कड़पन, लीलाक्रीड़ा, और अन्यजातियों की तरह दुष्ट मूर्तिपूजा में भाग नहीं लेते थे।
|
||||
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||||
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# परमेश्वर किसका न्याय करेगा?
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||||
परमेश्वर जीवितों और मृतकों का न्याय करेगा।
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||||
# परमेश्वर किसका न्याय करने के लिए तैयार है?
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||||
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||||
परमेश्वर जीवित और मृत दोनों का न्याय करने के लिए तैयार है।
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# इन चुने हुए परदेशियों को सचेत रहकर एक दूसरे से अधिक प्रेम क्यों रखना था?
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उन्हे ऐसा ही करना था क्योंकि सब बातों का अन्त होने वाला है और उन की प्रार्थनाओं के कारण भी उन्हे ऐसा करना है।
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||||
उन्हें उन कामों को करना था क्योंकि सब बातों का अंत आ रहा था, और उनकी प्रार्थनाओं के कारण।
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# चुने हुए परदेशी अपने-अपने वरदान को एक दूसरे की सेवा में क्यों लगाएं?
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||||
वे अपने-अपने वरदान को एक दूसरे की सेवा में लगाएं कि यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की महिमा प्रकट हो।
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||||
# विश्वासियों में से प्रत्येक को एक दूसरे की सेवा करने के लिए प्राप्त उपहारों का उपयोग क्यों करना चाहिए?
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||||
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||||
उन्हें अपने उपहारों का उपयोग करना था ताकि यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की महिमा हो सके।
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@ -1 +1,4 @@
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#
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# विश्वासियों में से प्रत्येक को एक दूसरे की सेवा करने के लिए प्राप्त उपहारों का उपयोग क्यों करना चाहिए?
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||||
उन्हें अपने उपहारों का उपयोग करना था ताकि यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर की महिमा हो सके।
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||||
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||||
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# चुने हुए परदेशियों को मसीह के दु:खों में सहभागी होने और मसीह के नाम के लिए निन्दित होने पर आनन्द मनाने को क्यों कहा गया था?
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||||
उनकी निंदा की जाए तो वे धन्य हैं।
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||||
# विश्वासियों को आनन्दित होने के लिए क्यों कहा गया यदि उन्होंने मसीह के दुःखों का अनुभव किया या मसीह के नाम के लिए उनका अपमान किया जाये?
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||||
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||||
क्योंकि उनका अपमान किया जायेगा तो वे धन्य होंगे।
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@ -0,0 +1,4 @@
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|||
# विश्वासियों को आनन्दित होने के लिए क्यों कहा गया यदि उन्होंने मसीह के दुःखों का अनुभव किया या मसीह के नाम के लिए उनका अपमान किया जाये?
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||||
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||||
क्योंकि उनका अपमान किया जायेगा तो वे धन्य होंगे।
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||||
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@ -1,2 +1,4 @@
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|||
# चुने हुए परदेशियों को हत्यारा, चोर, कुकर्मी, पराए काम में हाथ डालने के कारण दुःख क्यों न उठाना पड़े?
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||||
वह समय आ पहुंचा है कि पहले परमेश्वर के लोगों का न्याय किया जाए।
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||||
# मसीहों को किन कामों के कारण से दोषी नहीं होना चाहिए और दण्ड भोगना चाहिए?
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||||
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||||
मसीहों को हत्यारों, चोरों, दुष्टों या उकतानेवालों के रूप में दोषी नहीं होना चाहिए।
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||||
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@ -1,4 +1,4 @@
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#
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||||
# अधर्मी व्यक्ति और पापी को परमेश्वर के सुसमाचार का पालन क्यों करना चाहिए?
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||||
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||||
अधर्मी व्यक्ति और पापी परमेश्वर के सुसमाचार का पालन इसलिए करना चाहिए क्योंकि उनका न्याय धर्मी लोगों के न्याय से भी अधिक कठोर होगा।
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||||
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||||
# अधर्मी और पापी को परमेश्वर का सुसमाचार क्यों ग्रहण करना चाहिए है?
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||||
क्योंकि धर्मी व्यक्ति ही कठिनाई से उद्धार पाएगा।
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@ -1 +1,4 @@
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|||
#
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||||
# अधर्मी व्यक्ति और पापी को परमेश्वर के सुसमाचार का पालन क्यों करना चाहिए?
|
||||
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||||
अधर्मी व्यक्ति और पापी परमेश्वर के सुसमाचार का पालन इसलिए करना चाहिए क्योंकि उनका न्याय धर्मी लोगों के न्याय से भी अधिक कठोर होगा।
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||||
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||||
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|
|
@ -1,2 +1,4 @@
|
|||
# जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार दुःख उठाते हैं उन्हे क्या करना चाहिए?
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||||
वे भलाई करते हुए अपने अपने प्राण को विश्वासयोग्य सृजनहार के साथ में सौंप दें।
|
||||
# वे लोग कैसे थे जिन्होंने परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कार्य करने के लिए कष्ट सहे थे?
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||||
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||||
ये वे लोग थे जिन्होंने उस समय भलाई करते हुए अपनी आत्माओं को विश्वासयोग्य सृष्टिकर्ता को सौंपा था।
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||||
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||||
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@ -1,4 +1,8 @@
|
|||
# पतरस कौन था?
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||||
पतरस प्राचीनों में से एक और मसीह के दु:खों का गवाह और प्रकट होने वाली महिमा का सहभागी था।
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||||
# पतरस ने अपने साथी प्राचीनों से क्या आग्रह किया था?
|
||||
पतरस ने उनसे परमेश्वर के झुंड की रखवाली करने और उनकी सुधि लेने का आग्रह किया।
|
||||
#पतरस कौन था?
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||||
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||||
पतरस एक संगी प्राचीन, मसीह के कष्टों का गवाह, और उस महिमा में सहभागी था जो प्रगट होगी।
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||||
|
||||
# पतरस ने अपने संगी प्राचीनों को क्या करने के लिए प्रोत्साहित किया?
|
||||
|
||||
उसने उन्हें परमेश्वर के झुंड की देखभाल करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
|
||||
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||||
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@ -1 +1,4 @@
|
|||
#
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||||
# पतरस ने अपने संगी प्राचीनों को क्या करने के लिए प्रोत्साहित किया?
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||||
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||||
उसने उन्हें परमेश्वर के झुंड की देखभाल करने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
|
||||
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||||
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@ -1,4 +1,8 @@
|
|||
# युवा किस के अधीन रहें?
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||||
उन्हे प्राचीनों के अधीन रहना था।
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||||
# चुने हुए परदेशियों को दीनता से कमर बांधकर एक दूसरे की नम्रता पूर्वक सेवा क्यों करना है?
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||||
परमेश्वर अभिमानियों का विरोध करता है, परन्तु दीनों को अनुग्रह करता है कि समय आने पर उन्हे बढ़ाए।
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||||
# जवानों को किसके अधीन रहना था?
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||||
उन्हें प्राचीन लोगों के अधीन रहना था।
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||||
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||||
# उन सभी को नम्रता रखने और एक-दूसरे की सेवा करने की ज़रूरत क्यों थी?
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||||
क्योंकि परमेश्वर नम्र लोगों पर अनुग्रह करता है, और ताकि परमेश्वर उन्हें नियत समय में ऊंचा करे।
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||||
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||||
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@ -0,0 +1,4 @@
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|||
# उन सभी को नम्रता रखने और एक-दूसरे की सेवा करने की ज़रूरत क्यों थी?
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||||
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||||
क्योंकि परमेश्वर नम्र लोगों पर अनुग्रह करता है, और ताकि परमेश्वर उन्हें नियत समय में ऊंचा करे।
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@ -1,4 +1,4 @@
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||||
# उन सभी को नम्रता रखने और एक-दूसरे की सेवा करने की ज़रूरत क्यों थी?
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||||
क्योंकि परमेश्वर नम्र लोगों पर अनुग्रह करता है, और ताकि परमेश्वर उन्हें नियत समय में ऊंचा करे।
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||||
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||||
#शैतान किसके समान है?शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए। # चुने हुए परदेशियों को क्या करने का निर्देश दिया गया था?
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||||
उन्हें निर्देश था कि चिन्ताएं प्रभु पर डाल दे, सचेत रहें, जगते रहें, शैतान के सामने दृढ़ता से खड़े रहे और विश्वास में स्थिर रहना है।
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@ -0,0 +1,8 @@
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#शैतान कैसा है?
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वह गरजते हुए सिंह के समान है जो इधर-उधर इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए।
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#लोगों को क्या करने का निर्देश दिया गया था?
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उन्हें सचेत रहने, चौकस रहने, शैतान के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े रहने और अपने विश्वास में दृढ़ रहने का निर्देश दिया गया था।
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@ -1,4 +1,4 @@
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#
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#लोगों को क्या करने का निर्देश दिया गया था?
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उन्हें सचेत रहने, चौकस रहने, शैतान के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े रहने और अपने विश्वास में दृढ़ रहने का निर्देश दिया गया था।
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# चुने हुए परदेशियों ने कुछ समय दुःख उठाया जैसा कि उनके भाई उठा रहे थे तो उनका क्या होगा?
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परमेश्वर उन्हे सिद्ध, स्थिर और बलवन्त करेगा।
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@ -1 +1,4 @@
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#लोगों को थोड़ी देर के लिए कष्ट सहने के बाद उनका क्या होगा?
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परमेश्वर उन्हें सिद्ध करेगा, स्थापित करेगा, और मजबूत करेगा।
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@ -1,4 +1,8 @@
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# पतरस ने सिलवानुस के लिए क्या कहा था?
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पतरस सिलवानुस को विश्वासयोग्य भाई कहता था।
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# पतरस अपने पत्र के बारे में क्या कहता हैं?
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पतरस कहता है कि उसने जो लिखा है वही परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह है।
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# पतरस ने सिलवानुस को किसके समान माना?
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पतरस सिलवानुस को एक विश्वासयोग्य भाई मानता था।
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# पतरस ने जो लिखा उसके बारे में क्या कहा?
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उसने कहा कि उसने जो लिखा है परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह यही है।
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@ -1,2 +1,4 @@
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# इन चुने हुए परदेशियों को किसने नमस्कार भेजा और उन्हे एक दूसरे का अभिवादन कैसे करना हैं?
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बेबीलोन के चुने हुए और पतरस के पुत्र मरकुस ने उन्हे नमस्कार भेजा उन्हे प्रेम के चुम्बन से एक दूसरे को नमस्कार कहना था।
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# किसने विश्वासियों को नमस्कार किया और उन्होंने कैसे एक दूसरे को नमस्कार किया?
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वह (बहन) जो बाबुल में थी, और विश्वास में पतरस के पुत्र मरकुस ने उन्हें नमस्कार किया; उन्होंने एक दूसरे को प्रेम के चुम्बन से नमस्कार किया।
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@ -1 +1,4 @@
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# किसने विश्वासियों को नमस्कार किया और कैसे एक दूसरे को नमस्कार किया?
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वह (बहन) जो बाबुल में थी, और विश्वास में पतरस के पुत्र मरकुस ने उन्हें नमस्कार किया; उन्होंने एक दूसरे को प्रेम के चुम्बन से नमस्कार किया।
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@ -1,7 +1,12 @@
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आरम्भ में क्या था?
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आरम्भ में वचन था।
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वचन क्या था?
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वचन ही परमेश्वर था।
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वचन किसके साथ था?
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# आदि में क्या था?
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आदि में वचन था।
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# वचन किसके साथ था?
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वचन परमेश्वर के साथ था।
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# वचन क्या था?
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वचन परमेश्वर था।
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@ -1 +1,4 @@
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वचन किसके साथ था?
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वचन परमेश्वर के साथ था।
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@ -1,3 +1,4 @@
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क्या सारी वस्तुओं को वचन के बिना रचा गया था?
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सारी वस्तुएँ उसके माध्यम से रची गई थीं, और एक भी ऐसी वस्तु ऐसी नहीं थी जो उसके बिना रची गई थी।
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# क्या वचन के बिना भी कुछ उत्पन्न हुआ है?
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सब कुछ उसके द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है उसमें से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न नहीं हुई है।
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@ -1,3 +1,4 @@
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वचन में क्या था?
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उसमें जीवन था।
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# वचन में क्या था?
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उसमें जीवन था।
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@ -1,3 +1,4 @@
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परमेश्वर की ओर से भेजे गए व्यक्ति का नाम क्या था?
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उसका नाम यूहन्ना था।
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# परमेश्वर ने जिस मनुष्य को भेजा उसका नाम क्या था?
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उसका नाम यूहन्ना था।
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@ -1,3 +1,4 @@
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यूहन्ना क्या करने के लिए आया था?
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वह एक साक्षी के रूप में ज्योति के विषय में गवाही देने के लिए आया था, ताकि उसके माध्यम से सब लोग विश्वास करें।
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# यूहन्ना किस उद्देश्य से आया था?
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वह गवाही देने आया कि ज्योति की गवाही दे ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं।
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@ -0,0 +1,4 @@
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क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?
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संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।
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@ -0,0 +1,4 @@
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क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?
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संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।
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@ -1,3 +1,4 @@
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क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?
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संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।
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# क्या जगत ने उस ज्योति को पहचाना और ग्रहण किया था जिसकी गवाही देने यूहन्ना आया था?
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यूहन्ना जिस ज्योति की गवाही देने आया था उसे जगत ने नहीं पहचाना और इस ज्योति को अपनों ही ने उसे नहीं पहचाना।
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@ -1 +1,4 @@
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क्या संसार ने उस ज्योति को जाना या उसे ग्रहण किया जिसके विषय में यूहन्ना गवाही देने के लिए आया था?
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संसार ने उस ज्योति को नहीं जाना जिसके विषय में गवाही देने के लिए यूहन्ना आया था, और उस ज्योति के अपने लोगों ने ही उसे ग्रहण नहीं किया।
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@ -0,0 +1,4 @@
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उस ज्योति ने उनके लिए क्या किया जिन्होंने उसके नाम पर विश्वास किया?
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उस ज्योति ने उनको परमेश्वर की संतान होने का अधिकार प्रदान किया जिन्होंने उसके नाम पर विश्वास किया।
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@ -1,5 +1,4 @@
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वे लोग परमेश्वर की संतान कैसे बन गए जिन्होंने उसके नाम पर विश्वास किया?
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वे परमेश्वर के द्वारा जन्म पाकर परमेश्वर की संतान बनने पाए।
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# ज्योति ने अपने में विश्वास करने वालों के लिए क्या किया?
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जितनों ने उसे ग्रहण किया उन्हें उसने परमेश्वर की सन्तान होने का अधिकार दिया।
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# उसके नाम में विश्वास करने वाले परमेश्वर की सन्तान कैसे हो सकते हैं?
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वे परमेश्वर से उत्पन्न होकर परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं।
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@ -1,3 +1,4 @@
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क्या वचन के जैसा कोई ऐसा व्यक्ति है या था, जो पिता की ओर से आया हो?
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नहीं! केवल वचन ही ऐसा एकमात्र अद्वितीय व्यक्ति है जो परमेश्वर की ओर से आया था।
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# क्या पिता परमेश्वर की ओर से आने वाले वचन के तुल्य कभी कोई हुआ है या कभी हुआ था?
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नहीं, वचन ही एक अद्वैत व्यक्तित्व था जो पिता की ओर से आने वाले वचन के सदृश्य था।
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