mirror of https://git.door43.org/STR/hi_tq
Nov 2021 updates
This commit is contained in:
parent
384c22cfce
commit
ed5da2fcb0
|
@ -1,7 +1,7 @@
|
|||
# इस पत्री का लेखक यूहन्ना स्वयं को क्या कहता है?
|
||||
# इस पत्र का लेखक यूहन्ना इस पत्र में अपना परिचय कैसे देता है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना स्वयं को एक प्राचीन कहकर परिचय देता है।
|
||||
यूहन्ना स्वयं को प्राचीन कहता है।
|
||||
|
||||
# यह पत्र किसे लिखा गया था?
|
||||
# यह पत्र किसको लिखा गया था?
|
||||
|
||||
यह पत्र चुनी हुई महिला और उसके बच्चों के नाम है।
|
||||
यह पत्र चुनी हुई महिला और उसके बच्चों को लिखा गया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# अनुग्रह, दया और शान्ति यूहन्ना किसकी ओर से कहता है?
|
||||
# यूहन्ना के कहने के अनुसार, अनुग्रह, दया और शान्ति किससे मिलती है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना कहता है, परमेश्वर पिता और पिता के पुत्र यीशु मसीह की ओर से अनुग्रह और दया और शान्ति बनी रहें।
|
||||
यूहन्ना कहता है कि अनुग्रह, दया और शान्ति परमेश्वर पिता की ओर से और उसके पुत्र यीशु मसीह से मिलती हैं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यूहन्ना के आनन्द का क्या कारण है?
|
||||
# यूहन्ना के आनंद का कारण क्या है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना के आनन्द का कारण है कि उसने उस महिला के कुछ बच्चों को सत्य पर चलते हुए पाया है।
|
||||
यूहन्ना आनंद करता है क्योंकि उसने उस महिला के कुछ बच्चों को सत्य पर चलते हुए पाया।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यूहन्ना किस आज्ञा के लिए कहता है कि उन्हे आरंभ ही से दी गई है?
|
||||
# यूहन्ना किस आज्ञा के लिए कहता है कि वह आरम्भ से ही उनके पास है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना कहता है कि परस्पर प्रेम रखने की आज्ञा उन्हे आरंभ ही से दी गई है।
|
||||
उनके पास आरम्भ से ही एक आज्ञा है कि वे एक दूसरे से प्रेम रखें।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यूहन्ना के अनुसार प्रेम क्या है?
|
||||
# यूहन्ना के कथनानुसार प्रेम क्या है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना कहता है कि प्रेम यह है कि हम उसकी आज्ञाओं के अनुसार चलें।
|
||||
प्रेम यह है कि परमेश्वर कि आज्ञाओं के अनुकूल जीवन जीएं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जो मसीह के देह धारण को नहीं मानते उन्हे यूहन्ना क्या कहता है?
|
||||
# यूहन्ना उन लोगों को क्या कहता है जो अंगीकार नहीं करते कि मसीह यीशु ने देह्धारण किया था?
|
||||
|
||||
जो नहीं मानते कि यीशु देह धारी हुआ वे भरमानेवाले और ख्रीस्त विरोधी हैं।
|
||||
यूहन्ना उनको झूठे और मसीह विरोधी कहता है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यूहन्ना विश्वासियों को किस बात में सतर्क रहने के लिए कहता है?
|
||||
# यूहन्ना विश्वासिओं को क्यां करने की चेतावनी देता है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना विश्वासियों को सतर्क करता है कि वे उनके परिश्रम को गवां न दें।
|
||||
यूहन्ना विश्वासिओं से कहता है कि वे सावधान रहें कि उनका परिश्रम व्यर्थ न हो जाए।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जो मसीह के विषय सही शिक्षा न दे उसके साथ यूहन्ना कैसा व्यवहार करने के लिए कहता है?
|
||||
# जो मसीह की सच्ची शिक्षा न दें उनके विषय यूहन्ना विश्वासियों को कैसा व्यवहार करने को कहता है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना उनसे कहता है कि जो मसीह की सच्ची शिक्षा न दे ऐसे किसी भी उपदेशक को ग्रहण न करें।
|
||||
जो मसीह के विषय सच्ची शिक्षा न दें, उनका अतिथि सत्कार करने की आवश्यकता उन्हें नहीं है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जो मसीह की सही शिक्षा नहीं देता उसका स्वागत करनेवाला यूहन्ना के अनुसार क्या कर रहा है?
|
||||
# जो मसीह के विषय सच्ची शिक्षा न दें उनका स्वागत करके विश्वासी किस बात का दोषी ठहरेगा?
|
||||
|
||||
जो ऐसे शिक्षक को नमस्कार करता है वह उसके बुरे कामों में स्वामी होता है।
|
||||
झूठे शिक्षक को स्वीकार करके और उसका स्वागत करके विश्वासी उसके दुष्ट कर्मों का साझी होता है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यूहन्ना की भावी आशा क्या हैं?
|
||||
# यूहन्ना भविष्य में क्या करने की आशा रखता है?
|
||||
|
||||
यूहन्ना उस चुनी हुई महिला से आमने सामने बातें करने के लिए आने की आशा रखता है।
|
||||
यूहन्ना आशा रखता है कि वह भविष्य में स्वयं आकर चुनी हुई महिला से साक्षात बातें करेगा ।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस मसीह यीशु का प्रेरित कैसे हुआ था?
|
||||
# पौलुस मसीह का प्रेरित कैसे बना?
|
||||
|
||||
पौलुस परमेश्वर की इच्छा से मसीह यीशु का प्रेरित था।
|
||||
पौलुस परमेश्वर की इच्छा से मसीह का प्रेरित बना था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस और तीमुथियुस में क्या संबन्ध था?
|
||||
# तीमुथियुस के साथ अपने संबंधों के बारेमें पौलुस्क्या कहता है?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस पौलुस का आत्मिक पुत्र था।
|
||||
पौलुस तीमुथियुस को अपना “प्रिय पुत्र” कहता है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस को प्रार्थनाओं में स्मरण करते हुए पौलुस क्या लालसा करता था?
|
||||
# तिमुथ्युस को अपनी प्रार्थनाओं में स्मरण करते समय पौलुस क्या मनोकामना करता है?
|
||||
|
||||
पौलुस तीमुथियुस से भेंट करने की लालसा करता था।
|
||||
पौलुस तीमुथियुस को देखने की कामना करता है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस से पहले उसके परिवार में किसका विश्वास सच्चा था?
|
||||
# तीमुथियुस के विश्वास में आने से पूर्व उसके परिवार में किस्में सच्चा विश्वास था?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस की नानी और माता दोनों का विश्वास सच्चा था।
|
||||
तीमुथियुस की दादी और माता दोनों सच्चे विश्वास में थे ।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# परमेश्वर ने तीमुथियुस को कैसी आत्मा दी थी?
|
||||
# पर्मेश्वरने तीमुथियुस को कैसी आत्मा प्रदान की थी?
|
||||
|
||||
परमेश्वर ने तीमुथियुस को भय की नहीं पर सामर्थ्य और प्रेम और संयम की आत्मा दी थी।
|
||||
परमेश्वर ने तीमुथियुस को सामर्थ्य,प्रेम और अनुशाशंकी आत्मा प्रदान कीथी।
|
||||
|
|
|
@ -1,7 +1,7 @@
|
|||
# पौलुस तीमुथियुस से क्या न करने को कहता है?
|
||||
# पौलुस तीमुथियुस को किस बात के लिए मना करता है?
|
||||
|
||||
पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि वह प्रभु की गवाही से लज्जित न हो।
|
||||
पौलुस तीमुथियुस से कहता है कि वह प्रभु की गवाही से न लाजाए।
|
||||
|
||||
# पौलुस तीमुथियुस से क्या करने के लिए कहता है?
|
||||
# पौलुस तीमुथियुस को क्या करने को कहता है?
|
||||
|
||||
इसकी अपेक्षा पौलुस तीमुथियुस से कहता था कि वह सुसमाचार के लिए दुःख उठाए।
|
||||
पौलुस तीमुथियुस से कहता है कि वह उसके साथ सुसमाचार के लिए कष्ट उठाए।
|
||||
|
|
12
2ti/01/09.md
12
2ti/01/09.md
|
@ -1,3 +1,11 @@
|
|||
# परमेश्वर की योजना और उद्देश्य हमें कब से दिया गया है?
|
||||
# परमेश्वर की योजना और अनुग्रह हमें कब दिया गया था?
|
||||
|
||||
हमारा उद्धार और हमारे लिए परमेश्वर का उद्देश्य सनातन से था।
|
||||
परमेश्वर की योजना और अनुग्रह हमें अनादी समय से दिया गया था।
|
||||
|
||||
# परमेश्वर ने अपनी उद्धार के योजना को कैसे प्रकट किया?
|
||||
|
||||
परमेश्वर की उद्धार की योजना हमारे उद्धारक मसीह यीशु के प्रकट होने अनावृत हुई।
|
||||
|
||||
# यीशु ने प्रकट होकर मृत्यु, जीवन और अनंत जीवन के लिए क्या किया?
|
||||
|
||||
यीशु ने मृत्यु का अंत कर दिया और सुसमाचार के द्वारा जीवन तथा अनंत जीवन को प्रकाशित किया।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस सुसमाचार से लजाता नहीं था क्योंकि उसे एक बात का विश्वास था, वह क्या थी?
|
||||
# पौलुस को किस बात का आत्मविश्वास है कि परमेश्वर उसके लिए करने में सक्षम है जिसके कारण पौलुस सुसमाचार से लजाता नहीं था?
|
||||
|
||||
पौलुस को पूरा विश्वास था कि परमेश्वर उसकी धरोहर को उस दिन तक संभाले रखने में सक्षम है।
|
||||
पौलुस को विश्वास दिलाया गया था कि परमेश्वर उस थाती को जो उसने परमेश्वर को सौंप दी थी, उस दिन तक सुरक्षित रखने में सक्षम है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# परमेश्वर ने जो अच्छी धरोहर दी है उसका तीमुथियुस को क्या करना था?
|
||||
# तीमुथियुस को परमेश्वर द्वारा दी गई थाती का क्या करना है?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस को पवित्र आत्मा के द्वारा उस अच्छी धरोहर की रखवाली करनी थी जो परमेश्वर ने उसे सौंपी थी।
|
||||
तीमुथियुस के लिए आवश्यक था कि वह परमेश्वर द्वारा सौंपी गई थाती को पवित्र आत्मा की सहायता से सुरक्षित रखे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस के सब आसियावालों ने क्या किया था?
|
||||
# एशिया के सब साथी जो पौलुस के साथ थे, उन्होंने उसके साथ कैसा व्यवहार क्या किया था?
|
||||
|
||||
आसियावाले सब पौलुस से फिर गए थे।
|
||||
एशिया के सब साथी पौलुस का साथ व्ह्होद चुके थे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस प्रभु से उनेसिफुरुस के घराने पर दया करने की प्रार्थना क्यों करता है?
|
||||
# पौलुस उनेसिफुरूस के कुटुंब के लिए परमेश्वर से दया की याचना क्यों करता है?
|
||||
|
||||
पौलुस प्रार्थना करता है कि प्रभु उनेसिफुरुस के घराने पर दया करे क्योंकि उसने कई बार पौलुस की सहायता की थीं।
|
||||
पौलुस परमेश्वर से उनेसिफुरुस के कुटुंब के लिए दया की याचना करता है क्योंकि उसने पौलुस के जी को ठंडा किया था और वह पौलुस की जंजीरों से लजाया नहीं था।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# जब पौलुस रोम में था तन उनेसिफुरुस ने उसके लिए क्या किया था?
|
||||
|
||||
उनेसिफुरुस ने यत्न से पौलुस को खोजा और उसे पा लिया था।
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस उनेसिफुरुस के लिए परमेश्वर से क्या माँगता है?
|
||||
|
||||
पौलुस परमेश्वर से माँगता है कि वह उनेसिफुरुस को कृपा प्रदान करे।
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस और तीमुथियुस में क्या संबन्ध था?
|
||||
# तीमुथियुस को बल प्रदान करने में कौन सक्षम है?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस पौलुस का आत्मिक पुत्र था।
|
||||
मसीह यीशु का अनुग्रह तीमुथियुस को बल प्रदान करने में सक्षम है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस ने तीमुथियुस को जो सिखाया था वह तीमुथियुस किसे सौंप दे तो अच्छा है?
|
||||
# पौलुस द्वारा सिखाए गए सन्देश को तीमुथियुस किसके सुपुर्द करे?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस उन बातों को जो उसने पौलुस से सुनी हैं उन्हे विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।
|
||||
तीमुथियुस उस सन्देश को विश्वासयोग्य मनुष्यों को सौंप दे कि वे अन्यों को भी शिक्षा दे पाएं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस को उदाहरण देते हुए एक अच्छे योद्धा का कौन सा गुण बताता है?
|
||||
# पौलुस तीमुथियुस के लिए एक उदाहरण देता है कि एक अच्छा योद्धा किस बात में नहीं उलझता है?
|
||||
|
||||
एक अच्छा योद्धा इस जीवन की चिन्ताओं में नहीं फंसता है।
|
||||
एक अच्छा योद्धा जीवन के कार्यकलापों में नहीं उलझता है।
|
||||
|
|
|
@ -1,7 +1,7 @@
|
|||
# परमेश्वर के वचन का प्रचार करने के लिए पौलुस इस पत्र में अपनी किस दशा का वर्णन करता है?
|
||||
# पौलुस तीमुथियुस को पात्र में अपनी किस दशा का वर्णन करता है जो परमेश्वर के वचन के प्रचार में उसकी हुई है?
|
||||
|
||||
पौलुस एक अपराधी की समान जंजीरों में बन्धा कष्ट उठा रहा था।
|
||||
पौलुस एक अपराधी के सदृश्य जंजीरों में जकड़ा हुआ कष्ट उठा रहा था।
|
||||
|
||||
# पौलुस किसके लिए कहता है कि वह कैद नहीं हैं?
|
||||
# पौलुस किसको जंजीरों से मुक्त बताता है?
|
||||
|
||||
परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं है।
|
||||
परमेश्वर का वचन जंजीरों में बंधा नहीं है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस सब कुछ सहन क्यों करता था?
|
||||
# पौलुस इन सब बातों को क्यों सहता
|
||||
|
||||
पौलुस परमेश्वर के चुने हुओं के लिए सब कुछ सहता था कि वे भी उद्धार पाएं।
|
||||
इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूँ, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साथ पाएँ।
|
||||
|
|
|
@ -1,7 +1,7 @@
|
|||
# जो कष्ट सहन करते हैं उनके लिए मसीह की प्रतिज्ञा क्या है?
|
||||
# कष्ट वहां करने वालों के लिए मसीह की प्रतिज्ञा क्या है?
|
||||
|
||||
यदि हम धीरज से सहते रहेंगे तो उसके साथ राज्य भी करेंगे।
|
||||
जो कष्ट वहां करते हैं वे मसीह के साथ राज करेंगे।
|
||||
|
||||
# मसीह का इन्कार करनेवालों को मसीह की चेतावनी क्या हे?
|
||||
# मसीह का इनकार करने वालों के लिए मसीह की चेतावनी क्या है?
|
||||
|
||||
जो मसीह का इन्कार करते हैं उनका मसीह भी इन्कार करता है।
|
||||
जो मसीह का इनकार करते हैं उनका मसीह भी इनकार करेगा।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस विश्वासियों को क्या समझाए?
|
||||
# तीमुथियुस किस बात में झगड़ा न करने की चेतावनी दे?
|
||||
|
||||
आवश्यक है कि तीमुथियुस विश्वासियों को समझाए कि वे शब्दों पर तर्क वितर्क न करें।
|
||||
आवश्यक है कि तीमुथियुस विश्वासियों को चेतावनी दे कि वे शब्दों पर वाद-विवाद न करे क्योंकि वे निरर्थक हैं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# दो विश्वासी सत्य से भटक कर झूठी शिक्षा देते थे वे क्या थीं?
|
||||
# सत्य से भटक जाने वाले दो मनुष्य क्या शिक्षा दे रहे थे?
|
||||
|
||||
वे सिखाते थे कि मृतकों का पुनरुत्थान हो चुका है।
|
||||
वे कहते थे कि पुनरुत्थान तो हो चुका है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# विश्वासी हर एक अच्छे काम के लिए स्वयं को कैसे तैयार करें?
|
||||
# विश्वासी प्रत्येक भले काम के लिए कैसे स्वयं को तैयार करें?
|
||||
|
||||
विश्वासी अपमान के उपयोग से बचकर अपने आप को शुद्ध करें।
|
||||
विश्वासियों को अपमान के उपयोग से स्वयं को शुद्ध करना है कि प्रत्येक भले काम के लिए तैयार हो जाएं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस को किससे भागना था?
|
||||
# तीमुथियुस को किससे बचना है?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस को जवानी की अभिलाषाओं से भागना था।
|
||||
तीमुथियुस को जवानी की अभिलाषाओं से बचकर भागना है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# प्रभु के दास का चरित्र कैसा होना चाहिए?
|
||||
# पौलुस के कथनानुसार प्रभु के सेवक को कैसा होना चाहिए?
|
||||
|
||||
प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना है, वह सब के साथ कोमल हो शिक्षा में निपुण हो और सहनशील हो और विरोधियों को नम्रता से समझाए।
|
||||
प्रभु के सेवक के लिए आवश्यक है कि वह धीरजवन्त हो, सब पर दयालु हो और्शिक्षा देने में निपुण हो।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# प्रभु अपने विरोधियों के साथ कैसा व्यवहार करे?
|
||||
|
||||
प्रभु का सेवक अपने विरोधियों को विनम्र होकर शिक्षा दे।
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# शैतान ने अविश्वासियों के साथ क्या किया हुआ है?
|
||||
# अविश्वासियों के साथ शैतान ने क्या किया है?
|
||||
|
||||
शैतान ने अविश्वासियों को अपनी इच्छा पूरी करने के लिए फंदे में बांध रखा है।
|
||||
शैतान ने अविश्वासियों को अपने इच्छा के अधीन जाल में फंसा कर बंदी बना लिया है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस अन्तिम दिनों के बारे में क्या कहता है?
|
||||
# अंतिम दिनों के विषय पौलुस क्या कहता है?
|
||||
|
||||
पौलुस कहता है कि अन्तिम दिनों में कठिन समय आएंगे।
|
||||
पौलुस कहता है कि अंतिम दिनों में कठिन समय आएगा।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# अन्तिम दिनों में मनुष्य परमेश्वर की अपेक्षा किन बातों से लगाव रखेगा?
|
||||
# अंतिम दिनों में मनुष्य परमेश्वर की अपेक्षा किस से प्रेम रखेंगे?
|
||||
|
||||
अन्तिम दिनों में मनुष्य स्वार्थी लोभी और सुखविलास के चाहनेवाले होंगे परमेश्वर के प्रेमी नहीं होंगे।
|
||||
अंतिम दिनों में मनुष्य परमेश्वर की अपेक्षा स्वयं से और पैसों से प्रेम रखेंगे।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# ऐसा और भी क्या है जिससे मनुष्य अंतिम दिनों में प्रेम रखेंगे?
|
||||
|
||||
अंतिम दिनों में मनुष्य परमेश्वर की अपेक्षा भोग विलास से प्रेम रखेंगे।
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस ऐसी धार्मिकता रखनेवालों के साथ कैसे संबन्ध रखने को कहता है?
|
||||
# पौलुस के परामर्श में, भक्ति का भेष धारण करने वालों के साथ के साथ तीमुथियुस को व्यवहार करना है?
|
||||
|
||||
पौलुस तीमुथियुस से कहता है कि वह ऐसे लोगों से दूर रहें जो ऐसा स्वभाव रखते हैं।
|
||||
भक्ति का भेष धारण करने वालों से तीमुथियुस दूर रहे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# ऐसे अभक्त प्रचारक क्या करते थे?
|
||||
# ये अभक्त मनुष्य क्या करतेहैं?
|
||||
|
||||
ऐसे कुछ प्रचारक घरों में दबे पांव घुस जाते थे और अभिलाषाओं की वशीभूत स्त्रियों को वश में कर लेते हैं।
|
||||
इन अभक्त मनुष्यों में से कुछ घर-घर घुस कर मूर्ख स्त्रियों को जो विभिन्न लालसाओं से ग्रस्त होती हैं, अपना अनुयायी बना लेते हैं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# ये लोग पुराने नियम में चर्चित यन्नेस और यम्ब्रेस सदृश्य कैसे थे?
|
||||
# ये अभक्त मनुष्य पुराने नियम के यन्नेस और यम्ब्रेस के तुली कैसे हैं?
|
||||
|
||||
ये अभक्त लोग झूठे शिक्षक थे जो सत्य का विरोध करते थे जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने किया था।
|
||||
ये अभक्त मनुष्य सत्य का विरोध करते हैं जैसे यन्नेस और यम्ब्रेस ने मूसा का किया था
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# झूठे शिक्षकों की अपेक्षा तीमुथियुस ने किसका साथ दिया था?
|
||||
# झूठे शिक्षकों की अपेक्षा तीमुथियुस ने किसका अनुसरण किया था?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस ने पौलुस का साथ दिया था।
|
||||
तीमुथियुस ने पौलुस का अनुसरण किया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# प्रभु ने पौलुस को किससे छुड़ाया था?
|
||||
# प्रभु ने पौलुस को किससे बचाया था?
|
||||
|
||||
प्रभु ने पौलुस को सब दु:खों से छुड़ा लिया था।
|
||||
प्रभु ने पौलुस को उसके सब सतावों और कष्टों से बचाया था ।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस के अनुसार उन सब का क्या होगा जो ईश्वर भक्ति का जीवन बिताना चाहते हैं?
|
||||
# जो अपना जीवन ईश्वर भक्ति में जीना चाहते हैं उन सब के लिए पौलुस क्या कहता है कि होगा?
|
||||
|
||||
पौलुस कहता है कि जो मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते है वे सब सताए जाएंगे।
|
||||
पौलुस कहता है कि जो ईश्वर बहकती का जीवन जीना चाहते हैं, उनको अत्याचार सहना होगा।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# अन्तिम दिनों में अधिकाधिक बुरा क्या होगा?
|
||||
# अंतिम दिनों में कौन अधिकाधिक बुरे होते जाएंगे?
|
||||
|
||||
अन्तिम दिनों में दुष्ट और बहकानेवाले अधिकाधिक बुरे होते जाएंगे।
|
||||
दुष्ट और बहकाने वाले अंतिम दिनों में अधिकाधिक बुरे होते जाएंगे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस जीवन के किस समय से धर्मशास्त्र का ज्ञान रखता था?
|
||||
# तीमुथियुस अपने जीवन के किस समय से पवित्र लेखों का ज्ञान रखता था?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस बचपन से ही धर्मशास्त्र को जानता था।
|
||||
तीमुथियुस अपने बाल्यकाल से ही पवित्र लेखों को जानता था।
|
||||
|
|
|
@ -1,7 +1,7 @@
|
|||
# मनुष्य को संपूर्ण धर्मशास्त्र किस रूप में दिया गया है?
|
||||
# सम्पूर्ण धर्मशास्त्र कैसे प्रकट हुआ?
|
||||
|
||||
संपूर्ण धर्मशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।
|
||||
सम्पूर्ण धर्मशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से प्रकट हुआ है।
|
||||
|
||||
# धर्मशास्त्र किस काम के लिए लाभदायक है?
|
||||
# सम्पूर्ण धर्मशास्त्र किसके लिए लाभदायक है?
|
||||
|
||||
धर्मशास्त्र उपदेश और समझाने, और सुधारने और धर्म की शिक्षा के लिए लाभदायक है।
|
||||
सम्पूर्ण धर्मशास्त्र शिक्षा और समझाने और सुधारने और धार्मिकता के प्रशिक्षण हेतु लाभदायक है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# मनुष्य को धर्मशास्त्र का ज्ञान प्रदान करने के पीछे उद्देश्य क्या है?
|
||||
# किसी मनुष्य को धर्मशास्त्र की शिक्षा देने का उद्देश्य क्या है?
|
||||
|
||||
धर्मशास्त्र परमेश्वर के जन को सिद्ध बनाने और हर एक भले काम के लिए तत्पर करने हेतु दिया गया है।
|
||||
मनुष्य को धर्मशास्त्र की शिक्षा दी जाती है कि वह प्रत्येक भले काम में निपुण एवं संपन्न हो जाए।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# मसीह यीशु किसका न्याय करेगा?
|
||||
|
||||
मसीह यीशु जीवितों और मृतकों का न्याय करेगा।
|
||||
मसीह सब जीवितों का और मृतकों का न्याय करेगा।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस ने तीमुथियुस को क्या आज्ञा दी थीं?
|
||||
# पौलुस ने तीमुथियुस को क्या करने की गंभीर आज्ञा दी थी?
|
||||
|
||||
पौलुस ने तीमुथियुस को राज्य की सुधि दिलाकर आदेश दिया कि वह वचन का प्रचार करे।
|
||||
पौलुस ने तीमुथियुस को वचन का प्रचार करने की आज्ञा दी।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस किस समय की चेतावनी देता है?
|
||||
# पौलुस ने चेतावनी दी कि ऐसा समय आएगा जब मनुष्य कैसी शिक्षा सुनना पसंद करेंगे?
|
||||
|
||||
मनुष्य खरी शिक्षा नहीं सुनेंगे परन्तु अपनी अभिलाषाओं के अनुसार उपदेशक बटोर लेंगे।
|
||||
मनुष्य खरी शिक्षा को सहन नहीं कर पाएंगे, अपेक्षा इसके वे अपनी अभिलाषाओं के अनुरूप शिक्षाओं को सुनेंगे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तीमुथियुस को कैसा काम और कैसी सेवा दी गई थी?
|
||||
# तीमुथियुस को कैसा काम और कैसी सेवा प्रदान की गई थी?
|
||||
|
||||
तीमुथियुस को एक प्रचारक का कार्य एवं सेवा दी गई थी।
|
||||
तीमुथियुस को एक सुसमाचार प्रचारक की सेवा प्रदान की गई थी।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस के जीवन का कौन सा समय आ गया था?
|
||||
# पौलुस ने उसके जीवन के किस समय के आ जाने के लिए कहा था?
|
||||
|
||||
पौलुस ने कहा कि उसके कूच करने का समय आ गया था।
|
||||
पौलुस ने कहा था कि उसके कूच करने का समय आ गया है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# मसीह के प्रकट होने के प्रिय जाननेवालों को क्या मिलेगा?
|
||||
# पौलुस के कथनानुसार मसीह के प्रकट होने के अनुरागी कैसा फल पाएंगे?
|
||||
|
||||
पौलुस कहता है कि जो मसीह के प्रकट होने को प्रिय जानते हैं उन्हे धर्म का मुकुट मिलेगा।
|
||||
पौलुस कहता है कि वे सब जो मसीह के प्रकट होने के अनुरागी हैं, धर्म का मुकुट पाएंगे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस के साथी देमास ने उसका साथ क्यों छोड़ दिया था?
|
||||
|
||||
देमास ने संसार को प्रिय जानकर पौलुस का साथ छोड़ दिया था।
|
||||
देमास ने इस वर्तमान युग से लगाव के कारण पौलुस का साथ छोड़ दिया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस का कौन सा एकमात्र साथी अब तक उसके साथ था?
|
||||
# पौलुस का कौन सा साथी था जो अब तक भी उसके साथ था?
|
||||
|
||||
एकमात्र लूका ही था जो अब तक पौलुस के साथ था।
|
||||
केवल लूका ही था जो अब भी पौलुस के साथ था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस के अनुसार उसके विरोधी को कैसा फल मिलेगा?
|
||||
# पौलुस क्या कहता है कि प्रभु सिकंदर को किस माप से प्रतिफल देगा?
|
||||
|
||||
पौलुस कहता है कि उसका विरोधी अपने कर्मो का फल पाएगा।
|
||||
पौलुस कहता है कि प्रभु सिकंदर को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल देगा।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# पौलुस के पहले प्रतिवाद के समय कौन उसके साथ था?
|
||||
# पौलुस की पहली पेशी में उसके साथ कौन थे?
|
||||
|
||||
पहले प्रतिवाद के समय केवल प्रभु ने पौलुस का साथ दिया था।
|
||||
पौलुस की पहली पेशी में उसके साथ कोई भी नहीं था।
|
||||
|
|
|
@ -9,3 +9,4 @@ STRs:
|
|||
* https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/518
|
||||
* https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/528
|
||||
* https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/547
|
||||
* https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/664
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यहोवा ने यहूदा के यरूशलेम में उसके लिए भवन बनाने हेतु किसे नियुक्त किया था?
|
||||
# यहोवा ने किसको नियुक्त किया कि उसके लिए यरूशलेम में भवन बनाए?
|
||||
|
||||
यहोवा ने यहूदा के यरूशलेम में अपने लिए भवन बनाने हेतु कुस्रू को नियुक्त किया था।
|
||||
यहोवा ने कुस्रू को नियुक्त किया कि उसके लिए यरूशलेम भवन बनवाए।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# उस देश के बचे हुए लोग जहाँ भी हों वहाँ कौन उन्हें सोना-चांदी देगा?
|
||||
# जो यहूदी मंदिर के पुनः निर्माण हेतु यरूशलेम लौट रहे थे उनके लिए सोना,चांदी,सामान और मवेशिओं की व्यवस्था कौन करेगा?
|
||||
|
||||
जो कोई भी उस देश का बचा हुआ है, वह जहां रहता है, उस स्थान के मनुष्य सोना और चांदी देकर उसकी सहायता करेंगे।
|
||||
यरूशलेम में लौट कर आने वाले यहूदिओं के लिए सोना, चांदी, सामान और मवेशिओं की व्यवस्था वहाँ रहने वाले यहूदी करेंगे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# नबूकदनेस्सर ने यहोवा के भवन से लाया हुआ सामान कहां रखा था?
|
||||
# यहोवा के भवन से लाए गए सामान को नाबुकद्नेस्सेर ने कहाँ रखा था?
|
||||
|
||||
उसने यहोवा के भवन का सामान अपने देवता के भवन में रखा था।
|
||||
नाबुकद्नेस्सेर ने यहोवा के भवन से लाए गए सामान को अपने देवताओं के मंदिर में रख दिया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जब निर्वासित यहूदी बेबीलोन से यरूशलेम के लिए रवाना हुए तब शेशबस्सर सोने चांदी का कितना पात्र निकाल कर लाया था?
|
||||
# जब निर्वासित यहूदी बेबीलोन से यरूशलेम लौटे तब शेशबस्सर सोना, चांदी के कितने पात्र साथ लाया था?
|
||||
|
||||
शेशबस्सर 5,400 सोने चांदी के पात्र निकाल कर लाया था। जब निर्वासित यहूदी बेबीलोन से यरूशलेम के लिए रवाना हुए।
|
||||
जब निर्वासित यहूदी बेबीलोन से यरूशलेम लौटे तब शेशबस्सर सोना, चांदी के 5400 पात्र साथ लाया था
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# बाबेल में लोगों को बंदी बनाकर कौन ले गया?
|
||||
# बेबीलोन में रहने वाले निर्वासित यहूदियों को कौन लाया था?
|
||||
|
||||
राजा नबूकदनेस्सर लोगों को बन्दी बनाकर बाबेल में ले गया था।
|
||||
बेबीलोन में रहने वाले यहूदियों को राजा नबुकद्नेस्सर बंदी बनाकर लाया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# याजकों के वंशजों में से कुछ को रजिस्टर में अपनी वंशावलियां क्यों नहीं मिली थीं?
|
||||
# याजकों के कुछ वंशजों को याजकीय सेवा से क्यों वंचित किया गया था?
|
||||
|
||||
उन्हें अपनी वंशावलियां रजिस्टर में इसलिए नहीं मिली क्यूंकि उन्होंने अपने याजक पद को भ्रष्ट कर लिया था।
|
||||
उनको याजकीय सेवा से वन्चित्किया गया था क्योंकि उनके पास अपनी वंशावलियाँ नहीं थीं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# याजकों के वंशज कब पवित्र वस्तुओं में से खा सकते थे?
|
||||
# याजकों के वंशज परमपवित्र भजन किस स्तिथि में खा सकते थे?
|
||||
|
||||
ऊरीम और तुम्मीम धारक याजक के अनुमति देने के बाद ही याजकों के वंशज पवित्र वस्तुओं में से खा सकते थे।
|
||||
याजकों के वंशज परमपवित्र भोजन तब तक नहीं खा सकते थे जब तक कि ऊरीम और तुम्मीम धारण करने वाला याजक न हो।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# इस्राएल के सब लोग कहां थे?
|
||||
# उनके नगरों में कौन रहने लगे थे?
|
||||
|
||||
सब इस्राएली अपने-अपने नगर में थे।
|
||||
याजक, लेवीय और कुछ साधारण लोगौर गायक और द्वारपाल और नतीन अपने नगर में थे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# योसादाक के पुत्र येशू ने अपने भाई याजकों समेत और शालतीएल के पुत्र जरुब्बाबेल ने अपने भाइयों समेत कमर कसकर इस्राएल के परमेश्वर की वेदी को क्यों बनाया?
|
||||
# येशु, याजक और जरुब्बाबेल तथा उसके भाई क्या करने को उठ खड़े हुए?
|
||||
|
||||
मूसा की व्यवस्था में लिखी आज्ञा के अनुसार होमबलि चढ़ाने हेतु उन्होंने वेदी का निर्माण किया था।
|
||||
वे इस्राएल के परमेश्वर कीवेदी बनाने को उठ खड़े हुए कि उस पर होमबलि चढ़ाई जा सकें।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# येशू और उसके भाई याजकों ने तथा जरुब्बाबेल और उसके भाइयों ने यहोवा को कब-कब होमबलि चढ़ाई?
|
||||
# येशु और याजक तथा जरुब्बाबेल और उसके भाइयों ने कितनी बार यहोवा को होमबलि चढ़ाई?
|
||||
|
||||
उन्होंने सवेरे तथा सांझ को यहोवा के लिए होमबलि चढ़ाई।
|
||||
उन्होंने प्रातःकाल तथा सांयकाल यहोवा को होमबलि चढ़ाई थीं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# लबानोन से याफा तक समुद्री मार्ग से देवदारू के वृक्ष भेजने की अनुमति किसने दी थी?
|
||||
# लाबानों से याफा तक समुद्री मार्ग द्वारा देवदारु की लकड़ी लाने की अनुमति किसने दी थी?
|
||||
|
||||
फारस के राजा कुस्रू ने आज्ञा दी थी कि लबानोन से याफा तक देवदारू के वृक्ष समुद्री मार्ग से भेजे जाएं।
|
||||
फारस के राजा कुस्रू ने अनुमति दी थी कि देवदारु की लकड़ी समुद्री मार्ग द्वारा लाबानों से याफा तक लाई जाएं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# निर्माण का कार्य कब आरंभ हुआ था?
|
||||
# निर्माण कार्य कब आरम्भ हुआ?
|
||||
|
||||
इस्राएलियों का यरूशलेम में परमेश्वर के भवन आने के दूसरे वर्ष के दूसरे महीने में भवन के निर्माण का कार्य आरंभ हुआ था।
|
||||
जब यहूदी यरूशलेम स्थित परमेश्वर के मंदिर में पहुंचने के दूसरे वर्ष के दूसरे महीने में निर्माण कार्य आरम्भ हुआ था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# मंदिर की नींव डाले जाने के कारण लोगों की प्रतिक्रिया क्या थी?
|
||||
# जब मन्दिर की नींव दाल दे गई तब सब लोगों की प्रतिक्रिया क्या थी?
|
||||
|
||||
मंदिर की नींव डाले जाने के कारण आनन्द से सब लोगों ने ऊँचे शब्द से यहोवा की स्तुति और जयजयकार किया, क्योंकि यहोवा के भवन की नींव पड़ चुकी थी।
|
||||
सब लोगों ने यहोवा की स्तुति में ऊँची आवाज़ में नारा लगाया क्योंकि मंदिर की नींव डाली जा चुकी थी।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जिन्होंने यहोवा का पहला भवन देखा था उन्होंने इस भवन की नींव देखकर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?
|
||||
# जिन लोगों ने पूर्कालिक मंदिर को देखा था, उन्होंने इस दूसरे मंदिर की नींव को देख कर कैसी प्रतिक्रिया दिखाई?
|
||||
|
||||
जिन्होंने यहोवा का पहला भवन देखा था वो से ऊँची आवाज से रोने लगे जब भवन की नीव पड़ रही थी। परन्तु बहुतों ने आनन्द के मारे ऊँचे शब्द से जयजयकार करने लगे।
|
||||
वे ऊँची आवाज़ में रोने लगे।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यहूदा और बिन्यामीन के शत्रुओं ने बन्धुआई से लौटे हुए लोगों के बारे में क्या सुना कि वह क्या कर रहे हैं?
|
||||
# यहूदा और बिन्यामीन के बैरियों ने निर्वासन से लौटे हुए लोगों के काम के बारे में क्या सूना?
|
||||
|
||||
यहूदा और बिन्यामीन के शत्रुओं ने सुना कि बन्धुआई से लौट आने वाले लोग इस्राएल के परमेश्वर यहोवा के लिए मंदिर बना रहे हैं।
|
||||
यहूदा और बिन्यामीन के बैरियोँ ने सुना कि निर्वासन से लौटे हुए लोग इस्राएल के परमेश्वर, यहोवा के लिए मंदिर का निर्माण कर रहे हैं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# उनके शत्रुओं ने यहोवा के निमित उनके बलिदानों के विषय में क्या कहा?
|
||||
# यहूदा और बिन्यामीन के बैरियों ने कितने समय से यहोवा के लिए बलि चढ़ाने का उल्लेख किया?
|
||||
|
||||
उनके शत्रुओं ने कहा कि जिस दिन से वह आए हैं तब से यहोवा के लिए बलिदान चढ़ा रहे हैं।
|
||||
यहूदा और बियामीन के बैरियों ने कहा कि वे भी अश्शूरी राजा, एसर्ह्द्दोन के समय स यहोवा के लिए बलि चढ़ाते रहे हैं
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# शत्रुओं ने यहूदियों के काम में कितने समय तक मंदिर निर्माण के कार्य में बाधा उत्पन्न की?
|
||||
# उस स्थान के निवासी यहूदा के लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे थे?
|
||||
|
||||
उनके शत्रुओं ने कुस्रू के संपूर्ण राज्यकाल से फारस के राजा दारा के राज्यकाल के समय तक उनके निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न करते रहे।
|
||||
उस स्थान के निवासी यहूदा के लोगों को निराश करना और मंदिर बनाने में रुकावट करने के लिए उनको डराना आरंभ कर दिया तथा उनकी योजना को निष्फल करने के लिए वकील रख लिए।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,7 @@
|
|||
# शत्रुओं ने यहूदियों के काम में कितने समय तक मंदिर निर्माण के कार्य में बाधा उत्पन्न की?
|
||||
# उस स्थान के लोग यहूदा के लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे थे?
|
||||
|
||||
उनके शत्रुओं ने कुस्रू के संपूर्ण राज्यकाल से फारस के राजा दारा के राज्यकाल के समय तक उनके निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न करते रहे।
|
||||
उस स्थान के लोग यहूदा के लोगों को हताश कर रहे थे और निर्माण कार्य को रोकने के लिए उनको दारा रहे थे और उनकी योजना को निष्फल करने के लिए पैसे देकर वकील रख रहे थे।
|
||||
|
||||
# यहूदा के लोगों के हताश करने और निर्माण कार्य करने से डराने तथा वकीलों को मोल लेकर उनकी योजना विफल कराने में वहाँ के लोगों ने कितना समय लगाया?
|
||||
|
||||
उस स्थान के लोगों ने ऐसा करने में कुस्रू के राज्य काल से लेकर राजा दारा के राज्य काल तक का सम्पूर्ण समय लगाया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# क्षयर्ष के राज्यकाल के आरंभ में उनके शत्रुओं ने उसे क्या लिखा?
|
||||
# क्षयर्ष के राज्य काल के आरंभिक दिनों में यहूदा और बिन्यामीन के बैरियों ने क्या लिक कर भेजा था?
|
||||
|
||||
क्षयर्ष के शत्रुओं ने यहूदा और यरूशलेम के निवासियों का दोषपत्र लिखकर उसे भेजा।
|
||||
क्षयर्ष के राज्य काल के आरम्भ में यहूदा और यरूशलेम के निवासियों के विरुद्ध दोषारोपण का पत्र लिखा था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# शत्रुओं ने यहूदियों के नगर के बारे में राजा को क्या बताया?
|
||||
# बैरियों ने यरुशलेम के बारे में राजा को क्या लिखा था?
|
||||
|
||||
उनके शत्रुओं ने राजा को लिखा कि यहूदी अपने लिए बलवा करने वाले नगर को बना रहे हैं।
|
||||
बैरियों ने राजा को लिखा था कि यरूशलेम एक विद्रोही नगर है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# शत्रुओं द्वारा भेजा गया पत्र जब अनुवाद करके राजा को सुनाया गया तब उसने क्या किया?
|
||||
# जब बैरियों द्वारा राजा को भेजा गया पत्र पढ़ा गया तब राजा ने क्या किया?
|
||||
|
||||
शत्रुओं द्वारा भेजा गया पत्र जब अनुवाद करके राजा को सुनाया गया तब राजा ने जांच पड़ताल की आज्ञा दी।
|
||||
जब बैरियों द्वारा भेजा गया पत्र राजा के सम्मुख पढ़ा गया तब राजा ने आज्ञा दी कि इतिहास की पुस्तकों को खोज कर देखा जाए कि बैरियों ने यरुशलेम के विद्रोही इतिहास के बारे में जो लिखा था वह सच है या नहीं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यरूशलेम में यहोवा के भवन का निर्माण कार्य कितने समय तक रूका रहा?
|
||||
# यरूशलेम में परमेश्वर के भवन का निर्माण कार्य कितने समय तक रुका रहा?
|
||||
|
||||
फारस के राजा दारा के राज्यकाल के दूसरे वर्ष तक यहोवा के भवन का निर्माण कार्य रूका रहा।
|
||||
यरूशलेम में परमेश्वर के भवान के निर्माण का कार्य फारस के राजा, दारा के राज्य काल के दूसरे वर्ष तक रुक गया था।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# भविष्यद्वक्ता, हाग्गे और जकर्याह ने क्या किया?
|
||||
|
||||
उन्होंने यहूदा और यरूशलेम में रहने वाले यहूदियों के मध्य इस्राएल के परमेश्वर के नाम में भाविश्द्वाणी की।
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# यहूदी वृद्ध येशु और जरुब्बाबेल ने उठ कर क्या किया?
|
||||
|
||||
यहूदी वृद्ध, जरुब्बाबेल और येशु ने उठ कर यरूशलेम में परमेश्वर के भवन का निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया।
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यहूदियों के पुरनिये किस बात की प्रतीक्षा कर रहे थे?
|
||||
# क्या यहूदी वृद्धों ने तत्तनै और शातार्बोजनै के पत्र पर राजा दारा की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा के समय मंदिर निर्माण कार्य को रोक दिया था?
|
||||
|
||||
यहूदियों के पुरनिये दारा की आज्ञा की प्रतीक्षा में थे।
|
||||
यहूदियों के वृद्धों ने राजा दारा द्वारा उस पत्र पर प्रतिक्रिया दिखाने की प्रतीक्षा तो की परन्तु यरूशलेम में परमेश्वर के मंदिर के निर्माण कार्य को नहीं रोका
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# तत्तनै और शतर्बोजनै और उनके सहकर्मियों ने यहोवा के भवन के निर्माण-कार्य का वर्णन कैसे किया?
|
||||
# तत्तनै और शतर्बोजनै और उनके सहकर्मियों ने परमेश्वर के मंदिर के निर्माण कार्य का किस प्रकार वर्णन किया?
|
||||
|
||||
उन्होंने लिखा कि महान परमेश्वर के भवन का काम यहूदियों के हाथों में फुर्ती के साथ हो रहा है और सफल भी होता जा रहा है।
|
||||
उन्होंने लिखा कि कार्य यत्न से किया जा रहा है और सफल हो रहा है।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# स्वर्ग के परमेश्वर ने यहूदियों को बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर के हाथ में क्यों कर दिया था?
|
||||
# स्वर्ग के परमेश्वर ने यहूदियों के पूर्वजों को बेबीलोन के राजा, नाबूकद्नेस्सर के अधीन क्यों कर दिया था?
|
||||
|
||||
उनके पूर्वजों ने स्वर्ग के परमेश्वर यहोवा को क्रोध दिलाया था इसलिए उसने उन्हें नबूकदनेस्सर के अधीन कर दिया था।
|
||||
स्वर्ग के परमेश्वर ने यहूदियों को बेलों के राजा, नबुकद्नेस्सर के अधीन कर दिया था क्योंकि उनके पूर्वजों ने पाप करके उसको क्रोधित किया था।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# राजा कुस्रू ने शेशबस्सर को क्या-क्या वापस दिया था?
|
||||
# राजा कुस्रू ने शेशबस्सर को कौन सी वस्तुएँ दी थीं?
|
||||
|
||||
राजा कुस्रू ने यहोवा के भवन के सोने-चांदी के पात्र शेशबस्सर को दे दिए।
|
||||
राजा कुस्रू ने शेशबस्सर को परमेश्वर के मंदिर के सोने और चांदी के पात्र दिए थे।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# राजा कुस्रू ने परमेश्वर के भवन के सोने और चांदी के पात्रों के साथ क्या करने की आज्ञा दी थी?
|
||||
|
||||
राजा कुस्रू ने शेशबस्सर को आज्ञा दी थी कि वह सोने और चांदी के उन पात्रों को ले जाकर यरूशलेम में परमेश्वर के मंदिर में रख दे।
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यहूदियों ने राजा से क्या निवेदन किया?
|
||||
# तत्तनै और शतर्बोजनै और उनके सहय्गिओं ने राजा से क्या निवेदन किया कि वह करे?
|
||||
|
||||
उन्होंने राजा से निवेदन किया कि बेबीलोन के राज-भण्डार में खोज की जाए कि राजा कुस्रू ने सच में यरूशलेम में यहोवा का भवन बनाने की आज्ञा दी थी या नहीं।
|
||||
उन्होंने निवेदन किया कि राजा बेबीलोन के राजभण्डार में खोज करा कर देखे कि कुस्रू ने वास्तव में आज्ञा दी थी कि यरूशलेम में परमेश्वर के मंदिर का निर्माण किया जाए।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जब राजा दारा ने बाबुल में अभिलेखागार के भवन में जांच का आदेश दिया तो क्या मिला?
|
||||
# यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के निर्माण की कुस्रू की आज्ञा के पुनरावलोकन के निवेदन पर राजा दारा की क्या प्रतिक्रिया थी?
|
||||
|
||||
राजा दारा के आदेश पर हुई जांच के दौरान मादे नामक प्रान्त के एकबतना नगर के राजगढ़ में एक पुस्तक मिली।
|
||||
राजा दारा ने उस निवेदन की प्रतिक्रिया में आज्ञा दी कि राजभण्डार में इतिहास की पुस्तकों की खोज की जाए और ज्ञात किया जाए कि क्या वास्तव में राजा कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के निर्माण की आज्ञा दी थी
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# जब राजा दारा ने बाबुल में अभिलेखागार के भवन में जांच का आदेश दिया तो क्या मिला?
|
||||
# राजा दारा द्वारा बेबीलोन के लेखागार में खोज की आज्ञा देने पर क्या मिला?
|
||||
|
||||
राजा दारा के आदेश पर हुई जांच के दौरान मादे नामक प्रान्त के एकबतना नगर के राजगढ़ में एक पुस्तक मिली।
|
||||
मादे प्रांत के अहमता नगर के राजगढ़ में एक कुंडली ग्रन्थ मिला।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# राजा कुस्रू ने अपने राज्यकाल के प्रथम वर्ष में क्या किया था?
|
||||
|
||||
राजा कुस्रू ने यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के सम्बन्ध में आज्ञा दी थी।
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# राजा कुस्रू के आदेश में बलिदान के घर के लिए किसको भुगतान करना था?
|
||||
# राजा कुस्रू की आज्ञा के अनुसार यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के निर्माण का व्यय-वहन कैसे किया जाएगा?
|
||||
|
||||
बलिदान के घर की कीमत राजा के घर से दी जानी थी।
|
||||
यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के निर्माण का व्यय राजभवन उठाएगा।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# राजा कुस्रू के आदेश के अनुसार परमेश्वर के भवन में क्या लाया जाना था?
|
||||
# राजा कुस्रू की आज्ञा के अनुसार परमेश्वर के भवन में क्या-क्या पुनः लाया जाए?
|
||||
|
||||
राजा कुस्रू के आदेश के अनुसार, परमेश्वर के भवन से सोने और चांदी के सामान जो नबूकदनेस्सर बाबुल के मंदिर में ले गया था उन्हें यरूशलेम में परमेश्वर के भवन में वापस लाया जाना था।
|
||||
राजा कुस्रू की आज्ञा के अनुसार, यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के सोने और चांदी के पात्र, जिनको नाबुकद्नेस्सर बेबीलोन ली गया था, वे सब यरूशलेम में परमेश्वर के भवन में पुनः लाए जाएं।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# कुस्रू ने परमेश्वर के भवन निर्माण का दायित्व किसे सौंपा था?
|
||||
# कुस्रू की आज्ञा पढ़ने के बाद राजा दारा ने तत्तने और शतर्बोजनै और उनके सहयोगियों को यरूशलेम में परमेश्वर के भवन के निर्माण कार्य के बारे में क्या लिखा?
|
||||
|
||||
कुस्रू ने आज्ञा दी थी कि यहूदियों का अधिपति और यहूदियों के पुरनिये परमेश्वर के भवन का निर्माण करेंगे।
|
||||
दारा ने तत्तनै और शतर्बोजनै और उनके सहयोगियों को लिखा कि परमेश्वर के भवन के निर्माण कार्य को न छेड़ें और उससे बहुत दूर रहें कि उसका निर्माण सफलतापूर्वक हो सके।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# कुस्रू यहूदियों को यहोवा के भवन निर्माण हेतु आवश्यकता की सब वस्तुएं क्यों देना चाहता था?
|
||||
# कुस्रू ने क्यों कहा कि वह चाहता है कि परमेश्वर के भवन निर्माण में यहूदियों को जो भी आवश्यकता हो उसकी वह पूर्ति वह करे?
|
||||
|
||||
कुस्रू यहूदियों को यहोवा के भवन निर्माण हेतु आवश्यकता की सब वस्तुएं इसलिए देना चाहता था क्यूंकि वह चाहता था कि वे यहोवा के भवन में भेंट चढ़ाएं तथा उसके और उसके पुत्रों के लिए स्वर्ग के परमेश्वर से प्रार्थना करें।
|
||||
कुस्रू ने कहा कि वह चाहता है कि परमेश्वर के भवन के निर्माण में यहूदियों को जो भी आवश्यकता हो उसकी वह पूर्ति करे जिससे कि यहूदी स्वर्ग के परमेश्वर के लिए मनमोहक बलि चढ़ाएँ और राजा और उसके पुत्रों के लिए प्रार्थना करें।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# यदि कोई यहूदियों की सहायता करने की राजाज्ञा का उल्लंघन करता है तो उसके साथ क्या किया जायेगा?
|
||||
# दारा के आदेशानुसार राजाज्ञा में परिवर्तन करने वाले के साथ क्या किया जाएगा?
|
||||
|
||||
यदि कोई यहूदियों की सहायता करने की राजाज्ञा का उल्लंघन करता है तो उसके घर में से कड़ी निकाली जाए और उस पर वह चढ़ाकर जकड़ा जाए और उसके अपराध के कारण उसका घर घूरा बनाया जाए।
|
||||
दारा ने राजाज्ञा निकाली की यदि कोई उसकी इस आज्ञा को अनदेखा करेगा तो उसके घर से एक कड़ी निकाली जाए और उसको खडी करके उसी पर उस मनुष्य को चढ़ा कर जकड़ दिया जाए और उसका घर घूरा बना दिया जाए।
|
||||
|
|
|
@ -1,3 +1,3 @@
|
|||
# हागै और जकर्याह ने यहूदियों के पुरनियों को निर्माण संबंधित क्या निर्देश दिए?
|
||||
# हाग्गे और जकर्याह ने मंदिर के निर्माण में यहूदी प्राचीनों को कैसा सहयोग दिया था?
|
||||
|
||||
हागै और जकर्याह ने यहूदियों के पुरनियों को निर्देश दिए की वो निर्माण के समय नबूवत करते रहे ?
|
||||
हाग्गै और जकर्याह ने भाविश्य्द्वाणी की जिसके कारण यहूदियों के प्राचीनों को मंदिर के पुनः निर्माण में सहायता मिली थी।
|
||||
|
|
|
@ -0,0 +1,3 @@
|
|||
# मंदिर के पुनः निर्माण का कार्य कब संपन्न हुआ था?
|
||||
|
||||
मंदिर के पुनः निर्माण का कार्य अदार महीने के तीसरे दिन संपन्न हुआ था- राजा दारा के राज्य काल के छठवें वर्ष में।
|
Some files were not shown because too many files have changed in this diff Show More
Loading…
Reference in New Issue