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# पौलुस को किसने बुलाया और किस काम के लिए बुलाया?
मसीह यीशु ने पौलुस को प्रेरित होने के लिए बुलाया था।
मसीह यीशु ने पौलुस को प्रेरित होने के लिए बुलाया था।

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# पौलुस कुरिन्थ नगर की कलीसिया के लिए पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह से क्या कामना करता है?
पौलुस कामना करता है कि हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से इस कलीसिया को अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।
पौलुस कामना करता है कि हमारे पिता परमेश्वर और प्रभु यीशु मसीह की ओर से इस कलीसिया को अनुग्रह और शान्ति मिलती रहे।

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# परमेश्वर ने कुरिन्थ की कलीसिया को कैसा धनी बनाया है?
परमेश्वर ने उन्हें सारे वचन और सारे ज्ञान में धनी बनाया है।
परमेश्वर ने उन्हें सारे वचन और सारे ज्ञान में धनी बनाया है।

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# कुरिन्थ की कलीसिया में किस बात की घटी नहीं थी?
उन्हें किसी भी आत्मिक वरदान में घटी नहीं थी।
उन्हें किसी भी आत्मिक वरदान में घटी नहीं थी।

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# परमेश्वर कुरिन्थ की कलीसिया को अन्त तक दृढ़ क्यों करेगा?
वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।
वह तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।

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# पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्या अनुग्रह करता है?
पौलुस उनसे आग्रह करता है कि वे सब एक मन और एकमत होकर रहें और उनमें फूट न हो और एक चित्त तथा एक ही उद्देश्य के निमित्त संगठित होकर रहें।
पौलुस उनसे आग्रह करता है कि वे सब एक मन और एकमत होकर रहें और उनमें फूट न हो और एक चित्त तथा एक ही उद्देश्य के निमित्त संगठित होकर रहें।

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# खलोए के परिजनों ने कुरिन्थ की कलीसिया के बारे में पौलुस को क्या समाचार सुनाया था?
खलोए के घराने के लोगों ने पौलुस को समाचार दिया था कि उनमें झगड़े हो रहे थे।
खलोए के घराने के लोगों ने पौलुस को समाचार दिया था कि उनमें झगड़े हो रहे थे।

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# फूट से पौलुस का क्या अर्थ था?
पौलुस के कहने का अर्थ था कि उनमें से कुछ लोग कहते थे कि वे पौलुस के दल के हैं; कुछ कहते थे कि वे अपुल्लोस के दल के हैं, तो कुछ कैफा के दल के तो कुछ मसीह के हैं।
पौलुस के कहने का अर्थ था कि उनमें से कुछ लोग कहते थे कि वे पौलुस के दल के हैं; कुछ कहते थे कि वे अपुल्लोस के दल के हैं, तो कुछ कैफा के दल के तो कुछ मसीह के हैं।

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# पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद क्यों करता है कि उसने क्रिस्पुस और गयुस को छोड़ और किसी को बपतिस्मा नहीं दिया?
पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि ऐसा समय नहीं आया कि कोई कहे कि उसने पौलुस के नाम में बपतिस्मा लिया है।
पौलुस परमेश्वर का धन्यवाद करता है कि ऐसा समय नहीं आया कि कोई कहे कि उसने पौलुस के नाम में बपतिस्मा लिया है।

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# मसीह ने पौलुस को वहां क्या करने भेजा था?
मसीह ने पौलुस को सुसमाचार सुनाने भेजा था।
मसीह ने पौलुस को सुसमाचार सुनाने भेजा था।

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# नाश होने वालों के लिए क्रूस का सन्देश कैसा है?
क्रूस का सन्देश नाश होने वालों के लिए मूर्खता है।
# उद्धार पाने वालों के लिए क्रूस का सन्देश क्या है?
यह उद्धार पाने वालों के लिए परमेश्वर का सामर्थ्य है।
यह उद्धार पाने वालों के लिए परमेश्वर का सामर्थ्य है।

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# परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को क्या बना दिया है?
परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को मूर्खता बना दिया है।
परमेश्वर ने सांसारिक ज्ञान को मूर्खता बना दिया है।

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# जो प्रचार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करते हैं उससे परमेश्वर क्यों प्रसन्न है?
परमेश्वर इससे प्रसन्न हुआ क्योंकि संसार ने अपने ज्ञान के कारण परमेश्वर को नहीं जाना।
परमेश्वर इससे प्रसन्न हुआ क्योंकि संसार ने अपने ज्ञान के कारण परमेश्वर को नहीं जाना।

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# शरीर के अनुसार ज्ञानवानों, सामर्थियों और कुलीन जनों में से कितनों को परमेश्वर ने बुलाया है?
परमेश्वर ने ऐसे अनेकों को नहीं बुलाया है।
परमेश्वर ने ऐसे अनेकों को नहीं बुलाया है।

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# परमेश्वर ने मूर्खों और निर्बलों को क्यों चुना?
परमेश्वर ने ऐसा इसलिये किया कि ज्ञानवान और बलवानों को लज्जित करे।
परमेश्वर ने ऐसा इसलिये किया कि ज्ञानवान और बलवानों को लज्जित करे।

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# परमेश्वर ने ऐसा क्या किया कि उसके समक्ष किसी के पास गर्व करने का कारण न हो?
परमेश्वर ने नीचों और तुच्छों को वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया।
परमेश्वर ने नीचों और तुच्छों को वरन् जो हैं भी नहीं उनको भी चुन लिया।

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# विश्वासी मसीह में क्यों थे?
वे मसीह में थे क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा किया।
# मसीह यीशु हमारे लिए क्या बन गया?
मसीह परमेश्वर की ओर से हमारे लिए ज्ञान ठहरा अर्थात धार्मिकता, और पवित्रता और छुटकारा।
मसीह परमेश्वर की ओर से हमारे लिए ज्ञान ठहरा अर्थात धार्मिकता, और पवित्रता और छुटकारा।

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# यदि हम घमण्ड करें तो किसमें घमण्ड करें?
जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।
जो घमण्ड करे वह प्रभु में घमण्ड करे।

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# परमेश्वर के सत्य के भेद को सुनाने के लिए पौलुस किस क्षमता में कुरिन्थ आया था?
पौलुस परमेश्वर का भेद सुनाने के लिए शब्दों और ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया था।
पौलुस परमेश्वर का भेद सुनाने के लिए शब्दों और ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया था।

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# भण्डारियों के लिए एक अनिवार्यता क्या है?
भण्डारियों को विश्वास योग्य होना चाहिये।
भण्डारियों को विश्वास योग्य होना चाहिये।

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# पौलुस के वचन और उसका प्रचार ज्ञान के द्वारा प्रेरित करने की अपेक्षा आत्मा और सामर्थ्य पर निर्भर क्यों था?
यह इसलिए कि उनका विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं परन्तु परमेश्वर के सामर्थ्य पर निर्भर हो।
यह इसलिए कि उनका विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं परन्तु परमेश्वर के सामर्थ्य पर निर्भर हो।

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# पौलुस और उसके साथियों ने कौन सा ज्ञान बताया था?
उन्होंने गुप्त सत्यों में निहित परमेश्वर के ज्ञान को भेद की नीति पर बताया। गुप्त ज्ञान जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।
उन्होंने गुप्त सत्यों में निहित परमेश्वर के ज्ञान को भेद की नीति पर बताया। गुप्त ज्ञान जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिए ठहराया।

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# यदि पौलुस के युग के हाकिम परमेश्वर के उस ज्ञान को जानते तो वे क्या नहीं करते?
यदि हाकिम उस ज्ञान को जान पाते तो वे तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।
यदि हाकिम उस ज्ञान को जान पाते तो वे तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते।

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# पौलुस और उसके साथियों ने परमेश्वर के उस ज्ञान को कैसे पाया था?
परमेश्वर ने आत्मा के द्वारा उन पर यह प्रकट किया था।
परमेश्वर ने आत्मा के द्वारा उन पर यह प्रकट किया था।

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# परमेश्वर की गूढ़ बातें कौन जांचता है?
आत्मा परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।
आत्मा परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस और उसके साथियों ने परमेश्वर से आत्मा क्यों पाया था?
उन्होंने आत्मा पाया जो परमेश्वर की ओर से है जिससे कि वे उन बातों को समझें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।
उन्होंने आत्मा पाया जो परमेश्वर की ओर से है जिससे कि वे उन बातों को समझें जो परमेश्वर ने हमें दी हैं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण क्यों नहीं कर पाता है या समझ क्यों नहीं पाता है?
शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता है क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जांच आत्मिक रीति से होती है।
शारीरिक मनुष्य परमेश्वर की आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता है क्योंकि वे उसकी दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उनकी जांच आत्मिक रीति से होती है।

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# पौलुस के अनुसार यीशु में विश्वास करने वालों में किसका मन है?
पौलुस कहता है कि उनमें मसीह का मन है।
पौलुस कहता है कि उनमें मसीह का मन है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस क्यों कहता है कि वह कुरिन्थ के विश्वासियों के साथ आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था?
पौलुस उनसे आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था क्योंकि वे शारीरिक थे, उनमें डाह और झगड़े थे।
पौलुस उनसे आत्मिक मनुष्यों की नाईं बातें नहीं कर सकता था क्योंकि वे शारीरिक थे, उनमें डाह और झगड़े थे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस कौन था और अपुल्लोस कौन था?
जिनके माध्यम से कुरिन्थ की कलीसिया ने मसीह में विश्वास किया वे परमेश्वर के सहकर्मी और सेवक थे।
जिनके माध्यम से कुरिन्थ की कलीसिया ने मसीह में विश्वास किया वे परमेश्वर के सहकर्मी और सेवक थे।

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# बढ़ाने वाला कौन है?
परमेश्वर बढ़ाता है।
परमेश्वर बढ़ाता है।

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# नींव क्या है?
मसीह यीशु नींव है।
मसीह यीशु नींव है।

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# नींव जो मसीह यीशु है उस पर निर्माण करने वाले के कामों का क्या होगा?
उसके काम दिन के प्रकाश में और आग से प्रकट होंगे।
उसके काम दिन के प्रकाश में और आग से प्रकट होंगे।

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#
# मनुष्य के काम को आग क्या करेगी?
आग हर एक के कामों की गुणकारिता प्रकट करेगी।
आग हर एक के कामों की गुणकारिता प्रकट करेगी।

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# किसी का काम आग में से बच कर निकले तो क्या होगा?
वह प्रतिफल पायेगा।
वह प्रतिफल पायेगा।

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# जिस मनुष्य के काम आग में भस्म हो जायेंगे उसका क्या होगा?
वह मनुष्य हानि तो उठाएगा पर वह आप बच जायेगा परन्तु जलते-जलते।
वह मनुष्य हानि तो उठाएगा पर वह आप बच जायेगा परन्तु जलते-जलते।

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@ -1,2 +1,3 @@
# हम, मसीह के विश्वासी क्या है और हम में कौन अन्तर्वास करता है?
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं और परमेश्वर का आत्मा हममें वास करता है।
हम परमेश्वर के मन्दिर हैं और परमेश्वर का आत्मा हममें वास करता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वाले का क्या होगा?
परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वालों को परमेश्वर नष्ट करेगा।
परमेश्वर के मंदिर को नष्ट करने वालों को परमेश्वर नष्ट करेगा।

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@ -1,2 +1,3 @@
# जो इस युग में स्वयं को ज्ञानवान समझता है उससे पौलुस क्या कहता है?
पौलुस कहता है, मनुष्य ".....मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाये।"
पौलुस कहता है, मनुष्य ".....मूर्ख बने कि ज्ञानी हो जाये।"

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@ -1,2 +1,3 @@
# प्रभु ज्ञानियों के विचारों को क्या समझता है?
प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है कि वे व्यर्थ हैं।
प्रभु ज्ञानियों के विचारों को जानता है कि वे व्यर्थ हैं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया से क्यों कहता है कि वे घमण्ड करना त्याग दें?
उसने उनसे कहा कि घमण्ड करना छोड़ दें, "क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है" क्योंकि "तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है"।
उसने उनसे कहा कि घमण्ड करना छोड़ दें, "क्योंकि सब कुछ तुम्हारा है" क्योंकि "तुम मसीह के हो और मसीह परमेश्वर का है"।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को उन्हें क्या समझने को कहा?
वे उन्हें सेवक और परमेश्वर के भेद के भण्डारी समझें।
वे उन्हें सेवक और परमेश्वर के भेद के भण्डारी समझें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस किसे अपना न्यायकर्ता मानता है?
पौलुस कहता है कि प्रभु उसका न्याय करता है।
पौलुस कहता है कि प्रभु उसका न्याय करता है।

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# प्रभु आयेगा तब क्या करेगा?
वह अंधकार की बातों को प्रकाश में लाकर मन के उद्देश्यों को उजागर करेगा।
वह अंधकार की बातों को प्रकाश में लाकर मन के उद्देश्यों को उजागर करेगा।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने स्वयं के लिए और अपुल्लोस के लिए इन सिद्धान्तों को लागू क्यों किया था?
पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों के लिए यह उदाहरण दिया कि वे उनसे सीखें कि लिखे हुए से आगे नहीं बढ़ना चाहिये, कि एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करें।
पौलुस ने कुरिन्थ के विश्वासियों के लिए यह उदाहरण दिया कि वे उनसे सीखें कि लिखे हुए से आगे नहीं बढ़ना चाहिये, कि एक के पक्ष में और दूसरे के विरोध में गर्व न करें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने ऐसी कामना क्यों की कि कुरिन्थ के विश्वासी राज्य करें?
पौलुस कहता है, "भला होता कि राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते।"
पौलुस कहता है, "भला होता कि राज्य करते कि हम भी तुम्हारे साथ राज्य करते।"

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस कौन सी तीन बातों में अपनी और अपने साथियों की तुलना कुरिन्थ की कलीसिया से करता है?
पौलुस कहता है, "हम मसीह के लिए मूर्ख हैं परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो, हम निर्बल हैं परन्तु तुम बलवान हो, तुम आदर पाते हो परन्तु हम निरादर होते हैं।"
पौलुस कहता है, "हम मसीह के लिए मूर्ख हैं परन्तु तुम मसीह में बुद्धिमान हो, हम निर्बल हैं परन्तु तुम बलवान हो, तुम आदर पाते हो परन्तु हम निरादर होते हैं।"

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने प्रेरितों की शारीरिक दशा का कैसे वर्णन किया?
पौलुस ने कहा कि वे भूखे, प्यासे और नंगे रहे, घूसे खाते रहे और मारे-मारे फिरते रहे।
पौलुस ने कहा कि वे भूखे, प्यासे और नंगे रहे, घूसे खाते रहे और मारे-मारे फिरते रहे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस और उसके साथियों की प्रतिक्रिया दुर्व्यवहार में कैसी थी?
जब उनकी निन्दा की गई तो उन्होंने आशिष दी, उन्हें सताया गया तो उन्होंने सहन किया, उन्हें बदनाम किया गया तो उन्होंने विनती की।
जब उनकी निन्दा की गई तो उन्होंने आशिष दी, उन्हें सताया गया तो उन्होंने सहन किया, उन्हें बदनाम किया गया तो उन्होंने विनती की।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को ये बातें क्यों लिखीं?
उसने उन्हें प्रिय बालकों की नाईं सुधारने के लिए यह पत्र लिखा।
उसने उन्हें प्रिय बालकों की नाईं सुधारने के लिए यह पत्र लिखा।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को कैसी चाल चलने के लिए कहता है?
पौलुस उनसे कहता है कि उसकी सी चाल चलें।
पौलुस उनसे कहता है कि उसकी सी चाल चलें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ किस बात पर उन्हें स्मरण करवाने के लिए भेजा?
पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ भेजा कि उन्हें मसीह में पौलुस का जो चरित्र है उसका स्मरण कराए।
पौलुस ने तीमुथियुस को कुरिन्थ भेजा कि उन्हें मसीह में पौलुस का जो चरित्र है उसका स्मरण कराए।

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@ -1,2 +1,3 @@
# कुरिन्थ की कलीसिया के कुछ विश्वासियों का व्यवहार कैसा था?
उनमें से कुछ तो ऐसे घमण्डी हो गए थे कि मानो पौलुस वहाँ कभी नहीं जाएगा।
उनमें से कुछ तो ऐसे घमण्डी हो गए थे कि मानो पौलुस वहाँ कभी नहीं जाएगा।

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@ -1,2 +1,3 @@
# परमेश्वर का राज्य किसमें है?
परमेश्वर का राज्य सामर्थ्य में है।
परमेश्वर का राज्य सामर्थ्य में है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस को कुरिन्थ की कलीसिया का क्या समाचार मिला था?
पौलुस को समाचार मिला था कि वहां व्यभिचार था, एक मनुष्य ने अपने पिता की पत्नी को रखा था।
पौलुस को समाचार मिला था कि वहां व्यभिचार था, एक मनुष्य ने अपने पिता की पत्नी को रखा था।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पिता की पत्नी के साथ पाप करने वाले के लिए पौलुस ने क्या कहा?
उसने अपने पिता की पत्नी के साथ पाप किया उसे कलीसिया से निकाल दिया जाए।
उसने अपने पिता की पत्नी के साथ पाप किया उसे कलीसिया से निकाल दिया जाए।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पिता की पत्नी के साथ पाप करने वाले उस मनुष्य को कैसे और क्यों निकाला जाए?
जब कुरिन्थ की कलीसिया प्रभु यीशु के नाम में एकत्र हो तब वे उस पाप करने वाले मनुष्य को देह के विनाश हेतु शैतान को सौंप दें जिससे कि प्रभु के दिन के लिए उसकी आत्मा बच जाए।
जब कुरिन्थ की कलीसिया प्रभु यीशु के नाम में एकत्र हो तब वे उस पाप करने वाले मनुष्य को देह के विनाश हेतु शैतान को सौंप दें जिससे कि प्रभु के दिन के लिए उसकी आत्मा बच जाए।

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@ -1,4 +1,7 @@
# दुष्कर्म और दुष्टता की तुलना पौलुस किससे करता है?
पौलुस उनकी तुलना खमीर से करता है।
# पौलुस विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा किससे देता है?
पौलुस अखमीरी रोटी को विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा स्वरूप काम में लेता है।
पौलुस अखमीरी रोटी को विश्वासयोग्यता और सत्य की उपमा स्वरूप काम में लेता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस ने कुरिन्थ की कलीसिया को लिखा कि वे किसके साथ संबन्ध नहीं रखें?
पौलुस ने उन्हें लिखा कि व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें।
पौलुस ने उन्हें लिखा कि व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें।

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@ -1,4 +1,7 @@
# क्या पौलुस के कहने का अर्थ यह था कि वे संसार में व्यभिचारियों से संबन्ध न रखें?
पौलुस का अभिप्राय संसार के भौतिक लोगों से नहीं था क्योंकि ऐसे में तो उन्हें संसार से बाहर चले जाना होगा।
#
पौलुस के कहने का अर्थ क्या था कि कुरिन्थ के विश्वासी किसकी संगति न करें।
#
पौलुस के कहने का अर्थ क्या था कि कुरिन्थ के विश्वासी किसकी संगति न करें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# विश्वासियों से न्याय करने की अपेक्षा क्यों की जाती है?
उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे कलीसिया के सदस्यों का न्याय करें।
उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे कलीसिया के सदस्यों का न्याय करें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# कलीसिया से बाहर वालों का न्याय कौन करता है?
बाहर वालों का न्याय परमेश्वर करता है।
बाहर वालों का न्याय परमेश्वर करता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस के अनुसार कुरिन्थ के विश्वासियों को किसका न्याय करने योग्य होना चाहिए?
पौलुस कहता है कि उन्हें आपसी झगड़े बाहर नहीं ले जाने चाहिए स्वयं ही न्याय करें।
पौलुस कहता है कि उन्हें आपसी झगड़े बाहर नहीं ले जाने चाहिए स्वयं ही न्याय करें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पवित्र जन किसका न्याय करेंगे?
पवित्र जन जगत का और स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे।
पवित्र जन जगत का और स्वर्गदूतों का न्याय करेंगे।

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@ -1,3 +1 @@
#
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@ -1,2 +1,3 @@
# कुरिन्थ के विश्वासी आपसी झगड़ों को कैसे निपटाते है?
विश्वासी विश्वासी के विरूद्ध न्यायलय में जाता है, वहां एक अविश्वासी न्यायधीश है।
विश्वासी विश्वासी के विरूद्ध न्यायलय में जाता है, वहां एक अविश्वासी न्यायधीश है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# कुरिन्थ के विश्वासियों में झगड़े किस बात का संकेत देते हैं?
यह उनकी पराजय का संकेत है।
यह उनकी पराजय का संकेत है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# परमेश्वर के राज्य के वारिस कौन नहीं होंगे?
अधर्मी; वेश्यागामी, मूर्तिपूजक, परस्त्रीगामी, लुच्चे, पुरूषगामी, चोर, लोभी, पियक्कड़, गाली देने वाले, अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे।
अधर्मी; वेश्यागामी, मूर्तिपूजक, परस्त्रीगामी, लुच्चे, पुरूषगामी, चोर, लोभी, पियक्कड़, गाली देने वाले, अन्धेर करने वाले परमेश्वर के राज्य के वारिस नहीं होंगे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# कुरिन्थ के विश्वासियों में जो पहले अधर्मी थे उनके साथ क्या हुआ?
वे यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।
वे यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस कौन सी बातों के अधीन नहीं होगा?
पौलुस कहता है कि वह भोजन और यौनाचार के अधीन नहीं होगा।
पौलुस कहता है कि वह भोजन और यौनाचार के अधीन नहीं होगा।

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@ -1,4 +1,7 @@
# विश्वासियों की देह किसके अंग हैं?
विश्वासियों की देह मसीह के अंग हैं।
# विश्वासी क्या वैश्याओं से संबन्ध बनाएं?
नहीं कदापि नहीं।
नहीं कदापि नहीं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# वैश्या से संबन्ध बनाने पर क्या होता है?
वह आपके साथ एक तन हो जाता है।
वह आपके साथ एक तन हो जाता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# प्रभु के साथ संबन्ध बनाने पर क्या होता है?
वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।
वह उसके साथ एक आत्मा हो जाता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# व्यभिचार करने वाला किसके विरूद्ध पाप करता है?
व्यभिचार अपनी ही देह के विरूद्ध पाप है।
व्यभिचार अपनी ही देह के विरूद्ध पाप है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# विश्वासियों को अपनी देह से परमेश्वर की महिमा क्यों प्रकट करनी है?
अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो क्योंकि वह पवित्र आत्मा का मन्दिर है और हम दाम देकर मोल लिए गए हैं।
अपनी देह के द्वारा परमेश्वर की महिमा करो क्योंकि वह पवित्र आत्मा का मन्दिर है और हम दाम देकर मोल लिए गए हैं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी और प्रत्येक स्त्री का अपना पति होना क्यों आवश्यक है?
व्यभिचार के डर से प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी हो और प्रत्येक स्त्री का अपना पुरूष हो।
व्यभिचार के डर से प्रत्येक पुरूष की अपनी पत्नी हो और प्रत्येक स्त्री का अपना पुरूष हो।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पति या पत्नी को क्या अपनी देह पर अधिकार है?
नहीं, पति को अपनी पत्नी की देह पर अधिकार है और पत्नी को अपने पति की देह पर अधिकार है।
नहीं, पति को अपनी पत्नी की देह पर अधिकार है और पत्नी को अपने पति की देह पर अधिकार है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पति-पत्नी के लिए एक दूसरे को शारीरिक संबन्ध से वंचित करना कब उचित है?
उचित तो यह है कि पति-पत्नी आपसी सहमति से निश्चित समय निकाल कर केवल प्रार्थना के लिए एक दूसरे से अलग हों।
उचित तो यह है कि पति-पत्नी आपसी सहमति से निश्चित समय निकाल कर केवल प्रार्थना के लिए एक दूसरे से अलग हों।

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# विधवाओं और अविवाहितों के लिए पौलुस क्या उचित बताता है?
पौलुस कहता है कि अविवाहित रहना उचित है।
पौलुस कहता है कि अविवाहित रहना उचित है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# अविवाहितों और विधवाओं को किस परिस्थिति में विवाह कर लेना चाहिए?
यदि वे संयम न रख पायें और कामातुर हो तो विवाह करना ही उचित है।
यदि वे संयम न रख पायें और कामातुर हो तो विवाह करना ही उचित है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# प्रभु विवाहितों को क्या आज्ञा देता है?
पत्नी पति से अलग न हो, यदि पत्नी अलग हो तो या तो वह पुनः विवाह न करे और यदि करना चाहे तो अपने ही पति से मेल कर ले। पति भी अपनी पत्नी को तलाक न दे।
पत्नी पति से अलग न हो, यदि पत्नी अलग हो तो या तो वह पुनः विवाह न करे और यदि करना चाहे तो अपने ही पति से मेल कर ले। पति भी अपनी पत्नी को तलाक न दे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# विश्वासी पति/पत्नी अपने जीवन साथी को क्या तलाक दे?
यदि अविश्वासी पति या पत्नी अपने जीवन साथी के साथ रहने से सन्तुष्ट है तो विश्वासी पक्ष अविश्वासी को तलाक न दे।
यदि अविश्वासी पति या पत्नी अपने जीवन साथी के साथ रहने से सन्तुष्ट है तो विश्वासी पक्ष अविश्वासी को तलाक न दे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# यदि अविश्वासी जीवन साथी अलग होना चाहे तो क्या करें?
विश्वासी अविश्वासी जीवन साथी को जाने दे।
विश्वासी अविश्वासी जीवन साथी को जाने दे।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस हर एक कलीसिया के लिए कौन सा नियम निर्धारित किया था?
नियम यह हैः प्रत्येक जीवन परमेश्वर प्रदत्त जीवन जीए, जैसी परमेश्वर की बुलाहट है।
नियम यह हैः प्रत्येक जीवन परमेश्वर प्रदत्त जीवन जीए, जैसी परमेश्वर की बुलाहट है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस खतना वालों और खतनारहितों को क्या परामर्श देता है?
जो खतना किया हुआ बुलाया गया है वह खतनारहित न बने और जो खतनारहित बुलाया गया है वह खतना न कराए।
जो खतना किया हुआ बुलाया गया है वह खतनारहित न बने और जो खतनारहित बुलाया गया है वह खतना न कराए।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस दासों के लिए क्या कहता है?
यदि परमेश्वर ने किसी दास को बुलाया है तो वह चिन्ता न करे, परन्तु यदि वह स्वतंत्र हो सके तो ऐसा ही करे क्योंकि दास परमेश्वर के लिए स्वतंत्र है, उन्हें मनुष्य का दास नहीं होना है।
यदि परमेश्वर ने किसी दास को बुलाया है तो वह चिन्ता न करे, परन्तु यदि वह स्वतंत्र हो सके तो ऐसा ही करे क्योंकि दास परमेश्वर के लिए स्वतंत्र है, उन्हें मनुष्य का दास नहीं होना है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# पौलुस क्यों सोचता था कि जिस पुरूष ने विवाह नहीं किया है वह उसके जैसा अविवाहित रहे?
पौलुस के अपने विचार में आनेवाले क्लेश के कारण मनुष्य के लिए अविवाहित रहना ही उचित है।
पौलुस के अपने विचार में आनेवाले क्लेश के कारण मनुष्य के लिए अविवाहित रहना ही उचित है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# विवाह की शपथ में बंधे हुए विश्वासी पुरूषों को क्या करना चाहिए?
विवाहित पुरूषों को पत्नी से अलग होने का यत्न नहीं करना है।
विवाहित पुरूषों को पत्नी से अलग होने का यत्न नहीं करना है।

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@ -1,2 +1,3 @@
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पौलुस अविवाहितों और पत्नीरहितों से क्यों कहता है, "पत्नी की खोज न कर"?उसने ऐसा इसलिए कहा कि वह उन्हें उन अनेक समस्याओं से बचाना चाहता था जो विवाहितों पर आती हैं।
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पौलुस अविवाहितों और पत्नीरहितों से क्यों कहता है, "पत्नी की खोज न कर"?उसने ऐसा इसलिए कहा कि वह उन्हें उन अनेक समस्याओं से बचाना चाहता था जो विवाहितों पर आती हैं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# संसार में निर्वाह करनेवालों को ऐसा व्यवहार क्यों करना है कि मानों उन्हें संसार से कोई सरोकार नहीं?
उन्हें ऐसा व्यवहार करना है क्योंकि इस संसार का तौर तरीका समाप्त हो जाता है।
उन्हें ऐसा व्यवहार करना है क्योंकि इस संसार का तौर तरीका समाप्त हो जाता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# विवाहितों के लिए प्रभु की अखंड भक्ति में रहना कठिन क्यों है?
यह कठिन है क्योंकि विश्वासी पति या पत्नी सांसारिक चिन्ता में लगे रहते हैं कि अपनी पत्नी या अपने पति को प्रसन्न कैसे करें।
यह कठिन है क्योंकि विश्वासी पति या पत्नी सांसारिक चिन्ता में लगे रहते हैं कि अपनी पत्नी या अपने पति को प्रसन्न कैसे करें।

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@ -1,2 +1,3 @@
# अपनी मंगेतर से विवाह करने वाले से अधिक अच्छा कौन करता है?
जो अविवाहित रहने का चुनाव करे वह और भी अच्छा काम करता है।
जो अविवाहित रहने का चुनाव करे वह और भी अच्छा काम करता है।

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@ -1,4 +1,7 @@
# कोई स्त्री कब तक अपने पति से बंधी रहती है?
# कोई स्त्री कब तक अपने पति से बंधी रहती है?
वह जब तक जीवित है अपने पति से बंधी है।
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यदि एक विश्वासी स्त्री का पति मर जाए तो वह किससे पुनः विवाह कर सकती है?वह जिससे चाहे विवाह कर सकती है परन्तु केवल उससे जो प्रभु में विश्वास रखता है।
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यदि एक विश्वासी स्त्री का पति मर जाए तो वह किससे पुनः विवाह कर सकती है?वह जिससे चाहे विवाह कर सकती है परन्तु केवल उससे जो प्रभु में विश्वास रखता है।

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@ -1,4 +1,7 @@
# अध्याय में पौलुस का चर्चा का विषय क्या है?
पौलुस मूर्तियों को चढ़ाए हुए भोजन के बारे में कहता है।
# ज्ञान और प्रेम के परिणाम क्या होते हैं?
ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।
ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।

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@ -1,4 +1,3 @@
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# क्या मूर्ति परमेश्वर हो सकती है?
नहीं, मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं, एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।
नहीं, मूर्ति जगत में कोई वस्तु नहीं, एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।

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@ -1,4 +1,7 @@
# एकमात्र परमेश्वर कौन है?
केवल एक ही परमेश्वर पिता है, उसी से सब कुछ है और हम उसी के लिए हैं।
# एकमात्र प्रभु कौन है?
एक ही प्रभु है अर्थात यीशु मसीह, जिसके द्वारा सब कुछ अस्तित्व में है और हम भी उसी के द्वारा हैं।
एक ही प्रभु है अर्थात यीशु मसीह, जिसके द्वारा सब कुछ अस्तित्व में है और हम भी उसी के द्वारा हैं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# जब कोई मूर्ति मान कर उसको चढ़ाई हुई वस्तुओं को कुछ समझ कर खाता है तो क्या होता है?
उनका विवेक निर्बल होने के कारण अशुद्ध हो जाता है।
उनका विवेक निर्बल होने के कारण अशुद्ध हो जाता है।

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@ -1,2 +1,3 @@
# क्या भोजन हमें परमेश्वर के समक्ष उचित तथा अनुचित ठहराता है?
भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता है, यदि हम नहीं खाएं तो कोई हानि नहीं और यदि खाएं तो कोई लाभ नहीं।
भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता है, यदि हम नहीं खाएं तो कोई हानि नहीं और यदि खाएं तो कोई लाभ नहीं।

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@ -1,2 +1,3 @@
# हमें किस बात से सावधान रहना है कि हमारी स्वतंत्रता से ऐसा न हो?
हमें सावधान अवश्य रहना है कि हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल जन के लिए ठोकर का कारण न हो।
हमें सावधान अवश्य रहना है कि हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल जन के लिए ठोकर का कारण न हो।

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@ -1,2 +1,3 @@
# मूर्तियों को चढ़ाए हुए भोजन के प्रति दुर्बल विवेक के भाई या बहन हमें देखकर मूर्तियों को चढ़ाया हुआ भोजन खाएं तो क्या होगा?
हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल भाई या बहन के लिए विनाशक होती है।
हमारी स्वतंत्रता विश्वास में दुर्बल भाई या बहन के लिए विनाशक होती है।

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