diff --git a/hi_tn_41-MAT.tsv b/hi_tn_41-MAT.tsv index 01d01d3..de384ef 100644 --- a/hi_tn_41-MAT.tsv +++ b/hi_tn_41-MAT.tsv @@ -2671,7 +2671,7 @@ MAT 26 73 w8ww γὰρ ἡ λαλιά σου δῆλόν σε ποιεῖ 1 for MAT 26 74 edd8 καταθεματίζειν 1 to curse स्वयं को शाप देने लगा MAT 26 74 w87b ἀλέκτωρ ἐφώνησεν 1 rooster crowed एक मुर्गा एक ऐसा पक्षी होता है, जो सूर्य उदय होने के समय जोर से चिल्लाता है। एक मुर्गे की आवाज को ""बाँग"" कहा जाता है। देखें कि आपने इसका अनुवाद [मत्ती 26:34](../26/34.md) में कैसे किया है। MAT 26 75 nx3j figs-quotations καὶ ἐμνήσθη ὁ Πέτρος τοῦ ῥήματος Ἰησοῦ εἰρηκότος, ὅτι πρὶν ἀλέκτορα φωνῆσαι, τρὶς ἀπαρνήσῃ με 1 Peter remembered the words that Jesus had said, ""Before the rooster crows you will deny me three times. इस प्रत्यक्ष उद्धरण को अप्रत्यक्ष उद्धरण के रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""पतरस ने स्मरण किया कि यीशु ने उसे बताया था कि मुर्गे के बाँग देने से पहले, वह यीशु का तीन बार इंकार कर देगा"" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-quotations]]) -MAT 27 intro deu4 0 # मत्ती 27 सामान्य टिप्पणियाँ

## इस अध्याय में पाई जाने वाली विशेष अवधारणाएँ

### ""उसे पिलातुस राज्यपाल के हाथ में सौंप दिया""

इससे पहले कि वे यीशु को मार सकें, यहूदी अगुवों को रोमी राज्यपाल पिन्तुस पिलातुस से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता थी। ऐसा इसलिए था, क्योंकि रोमी व्यवस्था ने उन्हें यीशु को मारने की अनुमति नहीं दी थी। पिलातुस यीशु को मुक्त करना चाहता था, परन्तु वे चाहते थे कि वह बरअब्बा नामक एक बहुत दुष्ट कैदी को मुक्त करे।

### कब्र

जिस कब्र में ([मत्ती 27:60](../../mat/27/60.md)) यीशु को गाड़ा गया था वह ऐसी थी जिसमें धनी यहूदी परिवारों के लोग अपने मृतकों को गाड़ते था। इसे एक चट्टान में एक वास्तविक कमरे के रूप में काटा गया था। इसमें एक तरफ एक सपाट स्थान था, जहाँ वे तेल और मसाले डालकर और कपड़े में लपेटकर शरीर को रख सकते थे। तब वे कब्र के सामने एक बड़ी चट्टान को लुढ़का देते थे ताकि कोई भी भीतर न जा सके या प्रवेश न कर सके।

## इस अध्याय के महत्वपूर्ण अलंकार

### उपहास

सैनिकों ने यीशु का ठठ्ठा उड़ाने के लिए कहा, ""हे यहूदियों के राजा, नमस्कार!"" ([मत्ती 27:29](../../mat/27/29.md)) उन्होंने यह नहीं सोचा था कि वह यहूदियों का राजा था। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-irony]]) +MAT 27 intro deu4 0 # मत्ती 27 सामान्य टिप्पणियाँ

## इस अध्याय में पाई जाने वाली विशेष अवधारणाएँ

### ""उसे पिलातुस राज्यपाल के हाथ में सौंप दिया""

इससे पहले कि वे यीशु को मार सकें, यहूदी अगुवों को रोमी राज्यपाल पिन्तुस पिलातुस से अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता थी। ऐसा इसलिए था, क्योंकि रोमी व्यवस्था ने उन्हें यीशु को मारने की अनुमति नहीं दी थी। पिलातुस यीशु को मुक्त करना चाहता था, परन्तु वे चाहते थे कि वह बरअब्बा नामक एक बहुत दुष्ट कैदी को मुक्त करे।

### कब्र

जिस कब्र में ([मत्ती 27:60](../../mat/27/60.md)) यीशु को गाड़ा गया था वह ऐसी थी जिसमें धनी यहूदी परिवारों के लोग अपने मृतकों को गाड़ते था। इसे एक चट्टान में एक वास्तविक कमरे के रूप में काटा गया था। इसमें एक तरफ एक सपाट स्थान था, जहाँ वे तेल और मसाले डालकर और कपड़े में लपेटकर शरीर को रख सकते थे। तब वे कब्र के सामने एक बड़ी चट्टान को लुढ़का देते थे ताकि कोई भी भीतर न जा सके या प्रवेश न कर सके।

## इस अध्याय के महत्वपूर्ण अलंकार

### उपहास

सैनिकों ने यीशु का ठठ्ठा उड़ाने के लिए कहा, ""हे यहूदियों के राजा, नमस्कार!"" ([मत्ती 27:29](../../mat/27/29.md)) उन्होंने यह नहीं सोचा था कि वह यहूदियों का राजा था। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-irony]]) MAT 27 1 hvr4 0 Connecting Statement: यह पिलातुस के सामने यीशु के मुकदमे का विवरण आरम्भ करता है। MAT 27 1 qe1s δὲ 1 Now कहानी की मुख्य-धारा में विराम को चिन्हित करने के लिए यहाँ इस शब्द का उपयोग किया गया है। यहाँ मत्ती कहानी के एक नए भाग को बताना आरम्भ कर देता है। MAT 27 1 cm46 figs-explicit συμβούλιον ἔλαβον…κατὰ τοῦ Ἰησοῦ, ὥστε θανατῶσαι αὐτόν 1 plotted against Jesus to put him to death यहूदी अगुवे योजना बना रहे थे कि कैसे वे रोमी अगुवों को यीशु को मारने के लिए राजी कर सकते थे। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-explicit]]) diff --git a/hi_tn_44-JHN.tsv b/hi_tn_44-JHN.tsv index 6dc6761..95c4501 100644 --- a/hi_tn_44-JHN.tsv +++ b/hi_tn_44-JHN.tsv @@ -175,7 +175,7 @@ JHN 3 35 hmk4 guidelines-sonofgodprinciples Πατὴρ…Υἱόν 1 Father ... JHN 3 35 ha4e figs-idiom δέδωκεν ἐν τῇ χειρὶ αὐτοῦ 1 given ... into his hand इसका अर्थ उसकी शक्ति या नियंत्रण में रखना है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-idiom]]) JHN 3 36 u1ks ὁ πιστεύων 1 He who believes एक व्यक्ति जो विश्वास करता है या ""कोई भी जो विश्वास करता है JHN 3 36 zy7u ἡ ὀργὴ τοῦ Θεοῦ μένει ἐπ’ αὐτόν 1 the wrath of God stays on him भाववाचक संज्ञा ""क्रोध"" का अनुवाद ""दण्ड"" क्रिया के साथ किया जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""परमेश्वर उसे दंडित करना जारी रखेंगे"" (देखें: rc://hi/ta/man/translate/figs-abstractnouns) -JHN 4 intro j1hv 0 # यूहन्ना 04 सामान्य टिप्पणियाँ

## संरचना एवं स्वरूपण

यूहन्ना 4:4-38 यीशु की ""जीवन का जल"" शिक्षा पर केंद्रित एक कहानी की रचना करता है, जो उन सभी को अनंत जीवन देता है जो उस पर विश्वास करते हैं। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/believe]])

## इस अध्याय में विशेष अवधारणाएँ

### "" उसके लिए सामरिया से होकर जाना आवश्यक था""

यहूदी सामरिया के क्षेत्र से यात्रा करने से परहेज करते थे क्योंकि सामरिया धर्मभ्रष्ट लोगों के वंशज थे। इसलिए यीशु को ऐसा करना था जो अधिकांश यहूदी नहीं करना चाहते थे। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/godly]] और [[rc://hi/tw/dict/bible/names/kingdomofisrael]])

### ""वह समय आता है""

यीशु ने इन शब्दों का उपयोग उन समयों के बारे में भविष्यवाणियों को शुरू करने के लिए किया जो कि साठ मिनट से कम या अधिक हो सकते हैं। ""वह समय"" जिसमें सच्चे उपासक आत्मा और सच्चाई से आराधना करेंगे, वह साठ मिनट से अधिक लंबा है।

### आराधना का उचित स्थान

यीशु के समय से बहुत पहले, सामरी लोगों ने अपनी भूमि पर एक झूठा मंदिर बना कर मूसा की व्यवस्था को तोड़ दिया था ([यूहन्ना 4:20](../../jhn/04/20.md))। यीशु ने उस स्त्री को समझाया कि लोगों कहाँ आराधना कर रहे हैं यह अब महत्वपूर्ण नहीं था ([यूहन्ना 4:21-24](./21.md))।

### कटनी

कटनी तब होती है जब लोग उस भोजन को लेने के लिए बाहर जाते हैं जो उन्होंने उगाया होता है ताकि वे उसे काट कर अपने घरों को ला सकें और उसे खाएँ। यीशु ने अपने अनुयायियों को सिखाने के लिए एक रूपक के समान में इसका इस्तेमाल किया कि उन्हें जाकर यीशु के बारे में अन्य लोगों को बताने की आवश्यकता है ताकि वे लोग परमेश्वर के राज्य का हिस्सा बन सकें। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/faith]])

### ""सामरी स्त्री""

यूहन्ना ने शायद इस कहानी को सामरी स्त्री, जिसने विश्वास किया और यहूदी लोग, जिन्होंने विश्वास नहीं किया और बाद में यीशु को मार डाला, उनके बीच अंतर दिखाने के लिए बताया है। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/believe]])

## इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवाद की कठिनाइयाँ

### ""आत्मा और सच्चाई से""

जो लोग वास्तव में जानते हैं कि परमेश्वर कौन है और उसकी आराधना करने का आनंद लेते हैं और जो वह है उससे प्रेम करते हैं वे ही हैं जो वास्तव में उसे प्रसन्न करते हैं। वे कहाँ आराधना करते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है। +JHN 4 intro j1hv 0 # यूहन्ना 04 सामान्य टिप्पणियाँ

## संरचना एवं स्वरूपण

यूहन्ना 4:4-38 यीशु की ""जीवन का जल"" शिक्षा पर केंद्रित एक कहानी की रचना करता है, जो उन सभी को अनंत जीवन देता है जो उस पर विश्वास करते हैं। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/believe]])

## इस अध्याय में विशेष अवधारणाएँ

### "" उसके लिए सामरिया से होकर जाना आवश्यक था""

यहूदी सामरिया के क्षेत्र से यात्रा करने से परहेज करते थे क्योंकि सामरिया धर्मभ्रष्ट लोगों के वंशज थे। इसलिए यीशु को ऐसा करना था जो अधिकांश यहूदी नहीं करना चाहते थे। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/godly]] और [[rc://hi/tw/dict/bible/names/kingdomofisrael]])

### ""वह समय आता है""

यीशु ने इन शब्दों का उपयोग उन समयों के बारे में भविष्यवाणियों को शुरू करने के लिए किया जो कि साठ मिनट से कम या अधिक हो सकते हैं। ""वह समय"" जिसमें सच्चे उपासक आत्मा और सच्चाई से आराधना करेंगे, वह साठ मिनट से अधिक लंबा है।

### आराधना का उचित स्थान

यीशु के समय से बहुत पहले, सामरी लोगों ने अपनी भूमि पर एक झूठा मंदिर बना कर मूसा की व्यवस्था को तोड़ दिया था ([यूहन्ना 4:20](../../jhn/04/20.md))। यीशु ने उस स्त्री को समझाया कि लोगों कहाँ आराधना कर रहे हैं यह अब महत्वपूर्ण नहीं था ([यूहन्ना 4:21-24](./21.md))।

### कटनी

कटनी तब होती है जब लोग उस भोजन को लेने के लिए बाहर जाते हैं जो उन्होंने उगाया होता है ताकि वे उसे काट कर अपने घरों को ला सकें और उसे खाएँ। यीशु ने अपने अनुयायियों को सिखाने के लिए एक रूपक के समान में इसका इस्तेमाल किया कि उन्हें जाकर यीशु के बारे में अन्य लोगों को बताने की आवश्यकता है ताकि वे लोग परमेश्वर के राज्य का हिस्सा बन सकें। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/faith]])

### ""सामरी स्त्री""

यूहन्ना ने शायद इस कहानी को सामरी स्त्री, जिसने विश्वास किया और यहूदी लोग, जिन्होंने विश्वास नहीं किया और बाद में यीशु को मार डाला, उनके बीच अंतर दिखाने के लिए बताया है। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/believe]])

## इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवाद की कठिनाइयाँ

### ""आत्मा और सच्चाई से""

जो लोग वास्तव में जानते हैं कि परमेश्वर कौन है और उसकी आराधना करने का आनंद लेते हैं और जो वह है उससे प्रेम करते हैं वे ही हैं जो वास्तव में उसे प्रसन्न करते हैं। वे कहाँ आराधना करते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है। JHN 4 1 jum6 writing-background 0 General Information: यूहन्ना 4:1-6 में अगली घटना की पृष्ठभूमि देता है, जिसमें एक सामरी स्त्री के साथ यीशु का वार्तालाप है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/writing-background]]) JHN 4 1 ci4n 0 Connecting Statement: यहाँ एक लम्बा वाक्य शुरू होता है। JHN 4 1 b1vc ὡς οὖν ἔγνω ὁ Ἰησοῦς ὅτι ἤκουσαν οἱ Φαρισαῖοι, ὅτι Ἰησοῦς πλείονας μαθητὰς ποιεῖ καὶ βαπτίζει ἢ Ἰωάννης 1 Now when Jesus knew that the Pharisees had heard that he was making and baptizing more disciples than John अब यीशु यूहन्ना की तुलना में अधिक चेले बना कर उनको बपतिस्मा दे रहा था। जब उसे ज्ञात हुआ कि फरीसियों ने सुना था कि वह ऐसा कर रहा था। diff --git a/hi_tn_47-1CO.tsv b/hi_tn_47-1CO.tsv index 6b4c646..5bf1679 100644 --- a/hi_tn_47-1CO.tsv +++ b/hi_tn_47-1CO.tsv @@ -19,7 +19,7 @@ Book Chapter Verse ID SupportReference OrigQuote Occurrence GLQuote OccurrenceNo 1CO 1 6 h9zk τὸ μαρτύριον τοῦ Χριστοῦ ἐβεβαιώθη ἐν ὑμῖν 1 the testimony about Christ has been confirmed as true among you संभावित अर्थ 1) ""तुमने स्वयं देखा कि मसीह के बारे में हमने जो कहा था वह सत्य था"" या 2) ""अन्य लोगों ने अब तुम्हारे जीवन जीने के तरीकें को देखकर, यह सीखा है कि जो हम और तुम मसीह के बारे में क्या कहते हैं वह सत्य हैं। 1CO 1 7 t2hd ὥστε 1 Therefore क्योंकि मैंने अभी जो कहा है वह सत्य है 1CO 1 7 p5y6 figs-litotes ὑμᾶς μὴ ὑστερεῖσθαι ἐν μηδενὶ χαρίσματι 1 you lack no spiritual gift इसे सकारात्मक रूप में कहा जा सकता है। वैकल्पिक अनुवाद: ""आपके पास हर आत्मिक वरदान है"" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-litotes]]) -1CO 1 7 fe4q τὴν ἀποκάλυψιν τοῦ Κυρίου ἡμῶν, Ἰησοῦ Χριστοῦ 1 the revelation of our Lord Jesus Christ संभावित अर्थ 1) ""वह समय जब परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह को प्रकट करेंगे"" या 2) ""वह समय जब हमारे प्रभु यीशु मसीह खुद को प्रकट करेंगे।"" +1CO 1 7 fe4q τὴν ἀποκάλυψιν τοῦ Κυρίου ἡμῶν, Ἰησοῦ Χριστοῦ 1 the revelation of our Lord Jesus Christ संभावित अर्थ 1) ""वह समय जब परमेश्वर प्रभु यीशु मसीह को प्रकट करेंगे"" या 2) ""वह समय जब हमारे प्रभु यीशु मसीह खुद को प्रकट करेंगे। 1CO 1 8 pif5 ἀνεγκλήτους 1 you will be blameless परमेश्वर का तुम्हें दोषी ठहराने का कोई कारण नहीं होगा। 1CO 1 9 u6w6 πιστὸς ὁ Θεὸς 1 God is faithful परमेश्वर वह सब कुछ करेंगे जो उसने कहा है कि वह करेगा 1CO 1 9 kx3z guidelines-sonofgodprinciples τοῦ Υἱοῦ αὐτοῦ 1 his Son परमेश्वर का पुत्र, यह यीशु के लिए एक महत्वपूर्ण उपाधि है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/guidelines-sonofgodprinciples]]) diff --git a/hi_tn_51-PHP.tsv b/hi_tn_51-PHP.tsv index 9239a02..814e86c 100644 --- a/hi_tn_51-PHP.tsv +++ b/hi_tn_51-PHP.tsv @@ -1,5 +1,5 @@ Book Chapter Verse ID SupportReference OrigQuote Occurrence GLQuote OccurrenceNote -PHP front intro pv9j 0 # फिलिप्पियों का परिचय

## भाग 1: सामान्य परिचय

### फिलिप्पियों की पुस्तक की रूपरेखा

1 अभिवादन, धन्यवाद और प्रार्थना (1:1-11)
1। पौलुस का अपनी सेवा का विवरण (1:12-26)
1। निर्देश-
दृढ़ रहना(1:27-30)
- एकजुट होना (2:1-2)
- दीन बनना (2:3-11)
- परमेश्वर के तुममें कार्य करने के साथ ही अपने उद्धार का कार्य पूरा करो (2:12-13)
- ज्योति और निर्दोष होना (2:14-18)
1। तीमुथियुस और इपफ्रुदीतुस (2:19-30)
1। झूठे शिक्षकों के विषय में चेतावनी (3:1-4:1)
1। व्यक्तिगत निर्देश (4:2-5)
1। आनन्दित रहें और चिंतित न हों (4:4-6)
1। अंतिम टिप्पणियाँ
- मान्यताएं (4:8-9)
- संतुष्टि (4:10-20)
- अन्तिम अभिवादन (4:21-23)

### फिलिप्पियों की पुस्तक को किसने लिखा?

पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखा। पौलुस तरसुस नगर से था। वह अपने प्रारंभिक जीवन में शाऊल के नाम से जाना जाता था। एक मसीही बनने से पहले, पौलुस एक फरीसी था। उसने मसीहियों को सताया था। मसीही बनने के बाद, उसने सम्पूर्ण रोम साम्राज्य में यीशु के विषय में लोगों को बताते हुए कई बार यात्रा की।

रोम के बन्दीगृह में पौलुस ने यह पत्र लिखा।

### फिलिप्पियों की पुस्तक किसके विषय में है?

पौलुस ने मकिदुनिया के एक नगर फिलिप्पी के विश्वासियों को यह पत्र लिखा। उसने इसे फिलिप्पियों को, उनके द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद देने के लिए, लिखा। वह उन्हें बताना चाहता था कि वह बन्दीगृह मैं कैसा था और वह उन्हें प्रोत्साहित करना चाहता था कि यदि वे दुःख सह रहे हों तो भी आनन्दित रहें। उसने इपफ्रुदितुस नाम के एक व्यक्ति के विषय में भी उन्हें लिखा। यह वह व्यक्ति था जो पौलुस के लिए भेंट लेकर आया था। पौलुस से भेंट के दौरान, इपफ्रुदीतुस बीमार पड़ गया। तो, पौलुस ने उसे वापस फिलिप्पी भेजने का निर्णय किया। पौलुस ने फिलिप्पी में विश्वासियों को, प्रोत्साहित किया कि जब इपफ्रुदीतुस वापस जाए तो वे उसका स्वागत करें और उसके प्रति दयावान रहें

### इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद किस प्रकार होना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके पारम्परिक शीर्षक, ""फिलिप्पियों"" के नाम से बुलाने का चुनाव करेंगे। अथवा वे एक स्पष्ट शीर्षक चुन सकते हैं, जैसे ""फिलिप्पी की कलीसिया के लिए पौलुस का पत्र,"" या ""फिलिप्पी में मसीहियों के लिए एक पत्र।"" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/translate-names]] )

## भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवधारणाएं

### फिलिप्पी नगर कैसा था?

सिकन्दर महान के पिता फिलिप्पुस ने मकिदुनिया के क्षेत्र में फिलिप्पी नगर की स्थापना की थी। इसका अर्थ था कि फिलिप्पी के नागरिकों को रोम के नागरिक भी माना जाता था। फिलिप्पी के लोगों को, रोम के नागरिक होने पर गर्व था। पर पौलुस ने विश्वासियों से कहा कि वे स्वर्ग के नागरिक हैं (3:20)।

## भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे

### एकवचन और बहुवचन ""तुम""

इस पुस्तक में, ""मैं"" शब्द पौलुस का सन्दर्भ देता है। शब्द ""तुम"" अधिकांश समय पर बहुवचन है और फिलिप्पी के विश्वासियों का सन्दर्भ देता है। 4:3 इसमें एक अपवाद (या छूट) है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-exclusive]] और [[rc://hi/ta/man/translate/figs-you]])

### इस पत्र में ""मसीह के क्रूस के बैरी"" (3:18) कौन थे?

""मसीह के क्रूस के बैरी"" सम्भवतः ये वे लोग थे जिन्होंने स्वयं को विश्वासी कहा, पर वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे। उन्होंने सोचा कि मसीह में स्वतंत्रता का अर्थ है कि विश्वासी जो कुछ भी वे चाहते हैं वो कर सकते थे और परमेश्वर उन्हें दण्ड नहीं देगा (3:19)।

### इस पत्र में बार-बार ""आनन्द"" और ""आनन्दित रहो"" शब्द का उपयोग क्यों किया गया था?

जब उसने यह पत्र लिखा तब पौलुस बन्दीगृह में था (1:7)। यद्यपि उसने दुःख सहा, तब भी पौलुस ने कई बार कहा कि वह आनन्दित है क्योंकि परमेश्वर यीशु मसीह के माध्यम से उसके प्रति दयालु रहा था। वह अपने पाठकों को यीशु मसीह में वैसा ही विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता था। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-irony]])

### ""मसीह में"", ""प्रभु में"" भाव से पौलुस का क्या अभिप्राय है?

इस प्रकार का भाव 1:1, 8, 13, 14, 26, 27; 2:1, 5, 19, 24, 29; 3:1, 3, 9, 14; 4:1, 2, 4, 7, 10, 13, 19, 21में प्रकट होता है। पौलुस का तात्पर्य मसीह और विश्वासियों के साथ एक निकट संगति के विचार को व्यक्त करना था। इस तरह के भाव के विषय में अधिक जानकारी के लिए रोमियों की पुस्तक के परिचय को देखें।

### फिलिप्पियों की पुस्तक के मूलशब्द में प्रमुख मामले कौन से हैं?

* कुछ संस्करणों में, पत्र (4:23) की अन्तिम आयत के अन्त में ""आमीन"" है। यूएलटी, यूएसटी, और कई अन्य आधुनिक संस्करणों में नहीं है। यदि ""आमीन"" सम्मिलित है, तो इसे चौकोर कोष्ठक ([]) के अंदर रखा जाना चाहिए ताकि यह इंगित किया जा सके कि यह सम्भवतः फिलिप्पियों की पुस्तक में मूलरूप से नहीं है।

(देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/translate-textvariants]]) +PHP front intro pv9j 0 # फिलिप्पियों का परिचय

## भाग 1: सामान्य परिचय

### फिलिप्पियों की पुस्तक की रूपरेखा

1 अभिवादन, धन्यवाद और प्रार्थना (1:1-11)
1। पौलुस का अपनी सेवा का विवरण (1:12-26)
1। निर्देश-
दृढ़ रहना(1:27-30)
- एकजुट होना (2:1-2)
- दीन बनना (2:3-11)
- परमेश्वर के तुममें कार्य करने के साथ ही अपने उद्धार का कार्य पूरा करो (2:12-13)
- ज्योति और निर्दोष होना (2:14-18)
1। तीमुथियुस और इपफ्रुदीतुस (2:19-30)
1। झूठे शिक्षकों के विषय में चेतावनी (3:1-4:1)
1। व्यक्तिगत निर्देश (4:2-5)
1। आनन्दित रहें और चिंतित न हों (4:4-6)
1। अंतिम टिप्पणियाँ
- मान्यताएं (4:8-9)
- संतुष्टि (4:10-20)
- अन्तिम अभिवादन (4:21-23)

### फिलिप्पियों की पुस्तक को किसने लिखा?

पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखा। पौलुस तरसुस नगर से था। वह अपने प्रारंभिक जीवन में शाऊल के नाम से जाना जाता था। एक मसीही बनने से पहले, पौलुस एक फरीसी था। उसने मसीहियों को सताया था। मसीही बनने के बाद, उसने सम्पूर्ण रोम साम्राज्य में यीशु के विषय में लोगों को बताते हुए कई बार यात्रा की।

रोम के बन्दीगृह में पौलुस ने यह पत्र लिखा।

### फिलिप्पियों की पुस्तक किसके विषय में है?

पौलुस ने मकिदुनिया के एक नगर फिलिप्पी के विश्वासियों को यह पत्र लिखा। उसने इसे फिलिप्पियों को, उनके द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद देने के लिए, लिखा। वह उन्हें बताना चाहता था कि वह बन्दीगृह मैं कैसा था और वह उन्हें प्रोत्साहित करना चाहता था कि यदि वे दुःख सह रहे हों तो भी आनन्दित रहें। उसने इपफ्रुदितुस नाम के एक व्यक्ति के विषय में भी उन्हें लिखा। यह वह व्यक्ति था जो पौलुस के लिए भेंट लेकर आया था। पौलुस से भेंट के दौरान, इपफ्रुदीतुस बीमार पड़ गया। तो, पौलुस ने उसे वापस फिलिप्पी भेजने का निर्णय किया। पौलुस ने फिलिप्पी में विश्वासियों को, प्रोत्साहित किया कि जब इपफ्रुदीतुस वापस जाए तो वे उसका स्वागत करें और उसके प्रति दयावान रहें

### इस पुस्तक के शीर्षक का अनुवाद किस प्रकार होना चाहिए?

अनुवादक इस पुस्तक को इसके पारम्परिक शीर्षक, ""फिलिप्पियों"" के नाम से बुलाने का चुनाव करेंगे। अथवा वे एक स्पष्ट शीर्षक चुन सकते हैं, जैसे ""फिलिप्पी की कलीसिया के लिए पौलुस का पत्र,"" या ""फिलिप्पी में मसीहियों के लिए एक पत्र।"" (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/translate-names]] )

## भाग 2: महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवधारणाएं

### फिलिप्पी नगर कैसा था?

सिकन्दर महान के पिता फिलिप्पुस ने मकिदुनिया के क्षेत्र में फिलिप्पी नगर की स्थापना की थी। इसका अर्थ था कि फिलिप्पी के नागरिकों को रोम के नागरिक भी माना जाता था। फिलिप्पी के लोगों को, रोम के नागरिक होने पर गर्व था। पर पौलुस ने विश्वासियों से कहा कि वे स्वर्ग के नागरिक हैं (3:20)।

## भाग 3: महत्वपूर्ण अनुवाद के मुद्दे

### एकवचन और बहुवचन ""तुम""

इस पुस्तक में, ""मैं"" शब्द पौलुस का सन्दर्भ देता है। शब्द ""तुम"" अधिकांश समय पर बहुवचन है और फिलिप्पी के विश्वासियों का सन्दर्भ देता है। 4:3 इसमें एक अपवाद (या छूट) है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-exclusive]] और [[rc://hi/ta/man/translate/figs-you]])

### इस पत्र में ""मसीह के क्रूस के बैरी"" (3:18) कौन थे?

""मसीह के क्रूस के बैरी"" सम्भवतः ये वे लोग थे जिन्होंने स्वयं को विश्वासी कहा, पर वे परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं करते थे। उन्होंने सोचा कि मसीह में स्वतंत्रता का अर्थ है कि विश्वासी जो कुछ भी वे चाहते हैं वो कर सकते थे और परमेश्वर उन्हें दण्ड नहीं देगा (3:19)।

### इस पत्र में बार-बार ""आनन्द"" और ""आनन्दित रहो"" शब्द का उपयोग क्यों किया गया था?

जब उसने यह पत्र लिखा तब पौलुस बन्दीगृह में था (1:7)। यद्यपि उसने दुःख सहा, तब भी पौलुस ने कई बार कहा कि वह आनन्दित है क्योंकि परमेश्वर यीशु मसीह के माध्यम से उसके प्रति दयालु रहा था। वह अपने पाठकों को यीशु मसीह में वैसा ही विश्वास रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहता था। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-irony]])

### ""मसीह में"", ""प्रभु में"" भाव से पौलुस का क्या अभिप्राय है?

इस प्रकार का भाव 1:1, 8, 13, 14, 26, 27; 2:1, 5, 19, 24, 29; 3:1, 3, 9, 14; 4:1, 2, 4, 7, 10, 13, 19, 21में प्रकट होता है। पौलुस का तात्पर्य मसीह और विश्वासियों के साथ एक निकट संगति के विचार को व्यक्त करना था। इस तरह के भाव के विषय में अधिक जानकारी के लिए रोमियों की पुस्तक के परिचय को देखें।

### फिलिप्पियों की पुस्तक के मूलशब्द में प्रमुख मामले कौन से हैं?

* कुछ संस्करणों में, पत्र (4:23) की अन्तिम आयत के अन्त में ""आमीन"" है। यूएलटी, यूएसटी, और कई अन्य आधुनिक संस्करणों में नहीं है। यदि ""आमीन"" सम्मिलित है, तो इसे चौकोर कोष्ठक ([]) के अंदर रखा जाना चाहिए ताकि यह इंगित किया जा सके कि यह सम्भवतः फिलिप्पियों की पुस्तक में मूलरूप से नहीं है।

(देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/translate-textvariants]]) PHP 1 intro kd3g 0 # फिलिप्पियों 01 सामान्य टिप्पणियाँ

## संरचना एवं स्वरूपण

पौलुस ने इस पत्र के आरम्भ में एक प्रार्थना को सम्मिलित किया है। उस समय, धार्मिक अगुवों ने अनौपचारिक पत्र कई बार प्रार्थना के साथ आरम्भ किए।

### इस अध्याय में विशेष अवधारणाएं हैं

### मसीह का दिन
यह सम्भवतः उस दिन को संदर्भित करता है जब मसीह का पुनरागमन होगा। पौलुस ने कई बार प्रेरक पवित्र जीवन को मसीह के पुनरागमन से जोड़ा। (देखें: [[rc://hi/tw/dict/bible/kt/godly]])

## इस अध्याय में अन्य संभावित अनुवाद की कठिनाइयाँ

### विरोधाभास

विरोधाभास एक सत्य कथन है जो किसी असम्भव बात का वर्णन करते हुए प्रतीत होता है। 21 आयत में यह कथन एक विरोधाभास है: ""मरना लाभ है।"" 23 आयत में पौलुस बताता है कि यह सच क्यों है। ([फिलिप्पियों 1:21](../../php/01/21.md)) PHP 1 1 c255 figs-you 0 General Information: पौलुस और तीमुथियुस ने फिलिप्पी में कलीसिया को यह पत्र लिखा। क्योंकि पौलुस बाद में पत्र में यह कहते हुए लिखता है ""मैं,"" आमतौर पर यह माना जाता है कि वह लेखक है और तीमुथियुस, जो उसके साथ है, पौलुस के बोलने पर उसे लिखता है। पत्र में ""तुम"" और ""तुम्हारा"" के सभी उदाहरण फिलिप्पियों की कलीसिया में विश्वासियों का सन्दर्भ देते हैं और बहुवचन हैं। शब्द ""हमारा"" सम्भवतः पौलुस, तीमुथियुस और फिलिप्पियों के विश्वासियों सहित मसीह के सभी विश्वासियों का सन्दर्भ है। (देखें: [[rc://hi/ta/man/translate/figs-you]] और [[rc://hi/ta/man/translate/figs-inclusive]]) PHP 1 1 kze2 Παῦλος καὶ Τιμόθεος…καὶ διακόνοις 1 Paul and Timothy ... and deacons यदि आपकी भाषा में किसी पत्र के लेखकों का परिचय देने का कोई विशेष तरीका है, तो इसे यहाँ उपयोग करें।