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@ -7,7 +7,6 @@
* अब्राहम और नूह परमेश्वर की दृष्टि में निर्दोष थे।
* जिस मनुष्य को "निर्दोष" माना जाता है, वह परमेश्वर को आदर देनेवाला आचरण रखता है।
* एक बाइबल पद के अनुसार निर्दोष मनुष्य “परमेश्वर का भय मानता है और बुराई से दूर रहता है”।
* अनुवाद के सुझाव:
## ??

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“लहू” शब्द का अर्थ है, मनुष्य के शरीर में जब चोट लगती है तब उसमें से निकलने वाली लाल रंग का तरल पदार्थ है। लहू मनुष्यों के शरीर में जीवनदायक पोषक तत्त्वों का प्रवाह करता है। लहू जीवन का प्रतीक है और जब वह बहाया जाता है तो इसका अर्थ है जान जाना या मृत्यु।
* जब मनुष्य परमेश्वर के लिए बलि चढ़ाते थे तब वे पशु का वध करके उसका लहू वेदी पर उण्डेलते थे। यह पशु के जीवन की बलि द्वारा मनुष्यों के पाप का मूल्य चुकाने का प्रतीक था।
* “मांस और लहू” एक अभिव्यक्ति है जो मनुष्य को संदर्भित करता है।
* “अपना लहू और मांस” मनुष्यों के लहू का संबन्ध दर्शाती है।
## अनुवाद के सुझाव:

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “बांधना” अर्थात किसी वस्तु को बांधकर रखना या सुरक्षित बन्धन में रखना। बंधी हुई या संयोजित वस्तुएं “बन्धन” में कहलाती हैं। इस शब्द की भूतकाल क्रिया “बांधा” है
* “बंधा” होने का अर्थ है किसी वस्तु से लिपटा या बंधा होना।
* प्रतीकात्मक रूप में मनुष्य किसी शपथ से “बांधा” होता है जिसका अर्थ कि उसने जो प्रण किया है उसे "पूरा करना" उसके लिए अनिवार्य है।
* “बंधन” में होना अर्थात किसी भी बांधने वाली वस्तु या सीमाओं में बंधे होना या किसी को बन्दीगृह में डालना। इसका संदर्भ प्रायः जंजीर, बेड़ियों या रस्सी से है जो मनुष्य की स्वतंत्रता को बाधित करती है।

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## अनुवाद सुझाव:
# ??
* “व्यवस्था” शब्द का अनुवाद भिन्न अर्थ में किया जाना सबसे अच्छा है। “आदेश” और “विधियों” की परिभाषा से भी इसकी तुलना करें।
* कुछ अनुवादक अपनी भाषा में एक ही शब्द द्वारा आज्ञा और ईश्वरीय आज्ञा का अनुवाद करना पसंद कर सकते हैं।
* अन्य अनुवादक ईश्वरीय आज्ञा के लिए एक विशेष शब्द का उपयोग करना पसंद कर सकते हैं, जो कि स्थायी, औपचारिक आज्ञाएँ जो परमेश्वर ने बनायीं है।

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## अनुवाद के सुझाव:
* ​“तरस” (करूणा) के अनुवाद के अन्यरूप हैं, “हृदय की गहराई से सुधि लेना” या “सहायक दया”
* “तरस खाने वाला” (दयावान) का अनुवाद “सुधि लेने वाला और सहायता करने वाला” या “गहरा प्रेम एवं दया करने वाला”
## बाइबल सन्दर्भ:

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@ -14,7 +14,6 @@
* कुछ संदर्भों में “विश्वास” का अनुवाद “आस्था-श्रद्धा” या “अधिकार” या “निश्चिय” या “भरोसा” किया जा सकता है।
* कुछ भाषाओं में इन शब्दों का अनुवाद “विश्वास करना” के क्रिया रूपों द्वारा किया जा सकता है। [भाववाचक संज्ञा](rc://*/ta/man/translate/figs-abstractnouns))
* "विश्वास रखना" का अनुवाद "यीशु पर विश्वास करना" या "यीशु पर विश्वास जारी रखें" द्वारा अनुवादित किया जा सकता है।
* ये वाक्य "विश्वास की गहरी सच्चाइयों को पकड़ना" का अनुवाद, "उन्हें यीशु के बारे में सारी सच्ची बातें मानना चाहिए जो उन्हें सिखाया गया हैके रूप में किया जा सकता है ।"
* "विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र" शब्द का अनुवाद "मेरे पुत्र के समान है क्योंकि मैंने उसे यीशु पर विश्वास करने के लिए सिखाया था" या "मेरा सच्चा आध्यात्मिक पुत्र, जो यीशु पर विश्वास करता है" का अनुवाद किया जा सकता है।

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@ -5,13 +5,9 @@
“अनुग्रह” अर्थात चुनना। जब कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का पक्ष लेता है, वह उस व्यक्ति को सकारात्मक रूप में देखता है और उस व्यक्ति को अन्यों के अपेक्षा ज्यादा लाभ देता है।
* ​यीशु परमेश्वर और मनुष्यों के “अनुग्रह में” बढ़ता गया। अर्थात उन्होंने उसके चरित्र और आचरण का अनुमोदन किया।
* किसी का “अनुग्रह पात्र होना” का अर्थ है, किसी के द्वारा किसी व्यक्ति का अनुमोदन करना।
* राजा किसी पर अनुग्रह करता है तो उसका अर्थ प्रायः यह होता है कि राजा ने उसकी विनती स्वीकार कर ली है।
* "पक्ष" संकेत या क्रिया है जो किसी अन्य व्यक्ति के लिए लाभदायक हो।
* “विशेष अनुग्रह” का अर्थ है, कुछ लोगों के साथ अन्यों की अपेक्षा पक्षपात करना। इसका अर्थ है जो प्रवृत्ति एक व्यक्ति या वस्तु पर अधिक प्राथमिकता देती है क्योंकि वह व्यक्ति या चीज़ अधिक पसंदीदा है। आम तौर पर, पक्षपात को अनुचित माना जाता है।
## अनुवाद के सुझाव:

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@ -6,7 +6,6 @@
* “आकाशमण्डल” वह है जिसे हम पृथ्वी पर से देखते हैं, सूर्य, चाँद और सितारे। उसमें आकाशीय पिण्ड भी हैं जिन्हें हम देख नहीं सकते।
* “आकाश” वह स्थान है जो नीला है और उसमें श्वास लेने के लिए हवा है। सूर्य और चाँद को सामान्यतः “आकाश में स्थित” मानते हैं।
* बाइबल के कुछ संदर्भों में “स्वर्ग” का अर्थ आकाश या परमेश्वर का निवास स्थान भी होता है।
## अनुवाद के सुझाव:

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “यहूदियों का राजा” यीशु मसीह का पदनाम है।
* पहली बार बाइबल में यह पदनाम उस समय आया है जब बैतलहम आनेवाले ज्योतिषियों ने “यहूदियों के राजा” होने वाले शिशु को खोजने के लिए काम में लिया था।
* स्वर्गदूत ने मरियम से कहा था कि उसका पुत्र, दाऊद का वंशज एक राजा होगा जिसका राज्य सदाकालीन होगा।
* यीशु के क्रूसीकरण से पूर्व रोमी सैनिकों ने ठट्ठा करके यीशु को “यहूदियों का राजा” कहा था। यह पदनाम एक तख्ती पर लिखकर यीशु के क्रूस पर भी लगाया गया था।

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “प्रभु भोज” प्रेरित पौलुस इस उक्ति को फसह के भोज के लिए काम में लेता है जो यीशु ने अपने शिष्यों के साथ उस रात खाया था जब यहूदी अगुओं ने उसे बन्दी बनाया था।
* इस भोजन के समय यीशु ने फसह की रोटी को तोड़कर अपनी देह से कहा जो शीघ्र ही प्रताड़ित की जाएगी और मार डाली जायेगी।
* दाखरस के कटोरे को उसने अपना लहू कहा जो शीघ्र ही बहाया जायेगा जब वह पापबलि होकर मरेगा।
* यीशु ने आज्ञा दी थी कि उसके शिष्य जब भी इस भोज में सहभागी हों तब वे उसकी मृत्यु और पुनरूत्थान को सदैव स्मरण करें।

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@ -5,11 +5,8 @@
“प्राण” शब्द या तो आम तौर पर किसी व्यक्ति के गैर-भौतिक भाग को संदर्भित कर सकता है या विशेष रूप से दूसरों से अलग व्यक्ति के रूप में खुद के बारे में जागरूकता के लिए विशेष रूप से संदर्भित कर सकता है।
* बाइबल में, “प्राण” और “आत्मा” दो भिन्न धारणाएं हैं या वे दो भिन्न शब्द हैं जो एक ही विचार को व्यक्त करते हैं।
* मनुष्य जब मरता है तब उसकी आत्मा देह का त्याग कर देती है।
* शरीर के विपरीत, "प्राण" को उस व्यक्ति के भाग के रूप में बोला जा सकता है जो "परमेश्वर से संबंधित है।"
* “प्राण” शब्द का उपयोग कभी-कभी प्रतीकात्मक रूप में संपूर्ण व्यक्तित्व के लिए किया गया है। उदाहरणार्थ “आत्मा पाप करती है” अर्थात “मनुष्य पाप करता है”, या “मेरी आत्मा थकित है” अर्थात “मैं थका हुआ हूं।”
## अनुवाद के सुझाव:

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “अधर्मी” और “अन्याय से” मनुष्यों के साथ पक्षपात करना, प्रायः हानि के व्यवहार के साथ।
* “अन्याय” किसी मनुष्य के साथ बुरा करना, जबकि वह इस योग्य नहीं। इसका संदर्भ पक्षपाती व्यवहार से है।
* कुटिलता का अर्थ यह भी है कि कुछ के साथ बुरा कुछ के साथ अच्छा व्यवहार करना।
* जो मनुष्य पक्षपात करता है वह मनुष्यों के साथ समता का व्यवहार नहीं करता है।

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “व्यवस्था विरोधी” नियमों का उल्लंघन करनेवाले कामों का वर्णन करता है।
* नये नियम में “व्यवस्था विरोधी” उक्ति का उपयोग परमेश्वर के नियमों के उल्लंघन ही के लिए नहीं मानव निर्मित यहूदी परम्पराओं के उल्लंघन के लिए भी काम में ली जाती है।
* वर्षों के अन्तराल में यहूदियों ने परमेश्वर प्रदत्त व्यवस्था में अपनी परम्पराओं को जोड़ दिया था। यहूदी अगुवे मानव निर्मित परम्पराओं के उल्लंघन को “व्यवस्था विरोधी” कहते थे।
* यीशु के शिष्य सब्त के दिन गेहूँ की बालें तोड़ रहे थे तो फरीसियों ने उन्हें व्यवस्था विरोधी काम करने का दोषी ठहराया था क्योंकि वह सब्त के दिन विश्राम करने का यहूदी व्यवस्था का उल्लंघन कर रहा था।

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@ -5,9 +5,7 @@
मन्नत एक शपथ है जो मनुष्य परमेश्वर के सम्मुख करता है।
* यदि प्राचीन इस्राएल में एक व्यक्ति ने परमेश्वर के लिए मन्नत मानी, तो वह व्यक्ति मन्नत पूरी करने के लिए बाध्य था। प्राचीन इस्राएलियों का मानना था कि परमेश्वर उस व्यक्ति को दंडित कर सकता है जिसने उसके द्वारा मानी गयी मन्नत को पूरा नहीं किया।
* प्राचीन इस्राएल में, कभी-कभी एक व्यक्ति परमेश्वर से उसकी रक्षा करने या मन्नत मांगने के बदले में अपने आप को प्रदान करने के लिए कहता था। हालाँकि, प्राचीन इस्राएलियों को विश्वास नहीं था कि परमेश्वर इन अनुरोधों को पूरा करने के लिए बाध्य है।
* प्रकरण के अनुसार, “मन्नत” का अनुवाद हो सकता है, “पावन प्रतिज्ञा” या “परमेश्वर से की गई प्रतिज्ञा”।
(यह भी देखें: [प्रतिज्ञा](../kt/promise.md), [शपथ](../other/oath.md))

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@ -38,8 +38,6 @@
## बाइबल कहानियों के उदाहरण:
# ??
* __[25:07](rc://*/tn/help/obs/25/07)__ परमेश्वर के वचन में वह अपने लोगों को आज्ञा देता है कि 'तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’”
* __[33:06](rc://*/tn/help/obs/33/06)__ तब यीशु ने उन्हें समझाया कि, “बीज __परमेश्वर का वचन__ है ।
* __[42:03](rc://*/tn/help/obs/42/03)__ फिर यीशु ने उन्हें समझाया कि __परमेश्वर का वचन__ मसीहा के बारे में क्या कहता है

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “सेनाओं का यहोवा” और “सेनाओं का परमेश्वर” ये पदनाम हजारों स्वर्गदूतों पर परमेश्वर के अधिकार को दर्शाते हैं जो उसकी आज्ञा का पालन करते हैं।
* “सेना” या “सेनाओं” ये शब्द किसी भी बात की बड़ी संख्या को व्यक्त करते हैं जैसे सेना या सितारों की विशाल संख्या। यह बुरी आत्माओं सहित सभी कई आत्माओं के संदर्भ में भी है। संदर्भ यह स्पष्ट करता है कि क्या संदर्भित किया जा रहा है। “स्वर्ग की सेना” सितारों, ग्रहों और अन्य आकाशीय पिण्डों के लिए काम में लिए जाते हैं।
* नए नियम में, वाक्यांश, "सेनाओं का प्रभु" का अर्थ "सेनाओं का यहोवा" के समान है, लेकिन इसका इस तरह से अनुवाद नहीं किया जा सकता है क्योंकि "यहोवा" इब्रानी शब्द है नए नियम में प्रयोग नहीं किया गया है।

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@ -5,9 +5,7 @@
"एप्रात" और "एप्राती" शब्द शायद "एप्रैम" नाम से प्राप्त हुए हैं, जो यूसुफ के पुत्रों में से एक थे और इस्राएल की 12 जनजातियों में से एक के कुलपति बन गए। विभिन्न
* "एप्रात" उस क्षेत्र का नाम है जहां बेथेल शहर के पास, राहेल की मृत्यु हो गई।
* पुराने नियम में "एप्रात" नाम की एक स्त्री है, जो कालेब की पत्नी थी।
* बेथलहम और किरजथ-जियरिम दोनों शहरों को "एप्राती" भी कहा जाता है, भले ही दोनों शहर ऊपर (बेथेल के पास) की तुलना में एक अलग क्षेत्र में हैं।
(अनुवाद के सुझाव: [नामों का अनुवाद कैसे करें](rc://*/ta/man/translate/translate-names))

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* गिलाद यरदन नदी के पूर्व में एक पर्वतीय प्रदेश है जहां इस्राएली गोत्र गाद, रूबेन, मनश्शे वास करने लगे थे।
* इस क्षेत्र को “गिलाद का पहाड़ी प्रदेश” या “गिलाद पर्वत” भी कहा गया है।
* “गिलाद” पुराने नियम में अनेक पुरुषों का नाम भी था। उनमें से एक मनश्शे का पोता भी था। एक और पुरुष जिसका नाम गिलाद था, वह यिप्तह का पिता था।

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@ -3,7 +3,6 @@
## तथ्य:
* नबात का पुत्र यारोबाम उत्तरी राज्य इस्राएल का प्रथम राजा हुआ था, लगभग 900-910 ई.पू. * यारोबाम नामक इस्राएल का एक और राजा हुआ था, वह राजा यहोआश का पुत्र था जिसने 120 वर्ष बाद इस्राएल पर राज्य किया था।
* यहोवा ने नबात के पुत्र यारोबाम को भविष्यद्वाणी में कहा था कि वह सुलैमान के बाद राजा होगा और उसका राज्य दस गोत्रों पर होगा।
* सुलैमान के मरणोपरान्त इस्राएल के दस गोत्रों ने सुलैमान के पुत्र रहबाम से विद्रोह करके यारोबाम को अपना राजा घोषित कर दिया। अब रहबाम केवल दक्षिण के दो गोत्रों, यहूदा और बिन्यामीन क्षेत्रों का ही राजा रह गया था।
* यारोबाम एक दुष्ट राजा हुआ जिसने प्रजा को यहोवा से विमुख करके उनकी पूजा करने के लिए मूर्तियों को स्थापित किया। इस्राएल के उत्तरकालीन सब राजाओं ने यारोबाम का अनुकरण किया और उसी के तुल्य दुष्ट हुए।

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@ -3,7 +3,6 @@
## तथ्य:
* “इस्राएल के राज्य” जो इस्राएल का उत्तरी भाग था, सुलैमान के मरणोपरान्त इस्राएल के बारह गोत्र दो राज्यों में विभाजित हो गए थे।
* इस्राएल का राज्य उत्तरी राज्य हो गया जिसमें दस गोत्र और दक्षिण में यहूदा राज्य जिसमें दो गोत्र थे।
* इस्राएल राज्य की राजधानी सामरिया थी। यहूदा राज्य की राजधानी यरूशलेम से वह नगर 50 कि.मी. दूर था।
* इस्राएल राज्य के सभी राजा दुष्ट थे। उन्होंने प्रजा को झूठे देवता की मूर्तिपूजा के लिए प्रभावित किया था।

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@ -8,7 +8,6 @@
* मनश्शे और एप्रैम दोनों को यूसुफ के पिता याकूब ने गोद लिया था। जिसके कारण उनके वंशजों को इस्राएल के बारह गोत्रों में गिने जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
* मनश्शे के वंशज इस्राएल का एक गोत्र हुए।
* मनश्शे का गोत्र “मनश्शे का आधा गोत्र” कहलाता था क्योंकि कनान देश में इस गोत्र के एक भाग ने ही निवास किया था, यरदन नदी के पश्चिम में। इस गोत्र का शेष भाग यरदन नदी के पूर्व में बस गया।
* यहूदा के एक राजा का नाम भी मनश्शे था।
* मनश्शे एक दुष्ट राजा था जिसने अपने बच्चों को झूठे देवताओं के समक्ष होम बलि चढ़ाया था।
* परमेश्वर ने राजा मनश्शे को शत्रु की सेना द्वारा बन्दी बनाये जाने का दण्ड दिया। मनश्शे मन फिराकर परमेश्वर के निकट आया और सब मूर्ति-पूजा की सब वेदियों को नष्ट कर दिया।

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@ -5,7 +5,6 @@
मिद्यान अब्राहम और उसकी पत्नी कतूरा का पुत्र था। यह एक जाति और स्थान का भी नाम पड़ गया जो कनान के दक्षिण में अरब के रेगिस्तान के उत्तर में था। इस जाति के लोग मिद्यानी थे।
* जब मूसा मिस्र से भागा था तब वह मिद्यान देश में ही गया था जहाँ उसकी भेंट यित्रों की पुत्री से हुई थी जिसकी भेड़ों को पानी पिलाने में उसने सहायता की थी। बाद में मूसा ने यित्रों की पुत्रियों में से एक से विवाह कर लिया था।
* यूसुफ को मिद्यानी व्यापारी ही खरीदकर मिस्र ले गए थे।
वर्षों बाद मिद्यानियों ने कनान देश में इस्राएलियों पर आक्रमण करके उन्हें लूटा था। गिदोन ने इस्राएलियों को लेकर उन्हें हराया था।

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@ -5,7 +5,6 @@
"मोआब" शब्द एक ऐसे समूह को संदर्भित करता है जो खारे सागर के पूर्व में रहता था। उत्पत्ति की पुस्तक इस व्यक्ति समूह को "मोआब" नामक एक व्यक्ति के वंशज के रूप में वर्णित करती है, जो लूत की बड़ी पुत्री का पुत्र था।
* रूथ की पुस्तक में, एलीमेलेक और उसका परिवार बेतलेहेम के आसपास के अकाल के कारण मोआब में रहने के लिए गया।
* बैतलहमवासी रूत को मोआबिन कहते थे क्योंकि वह मोआब देश की थी। इस शब्द का अनुवाद हो सकता है, “मोआबी स्त्री” या “मोआब देश की स्त्री”
(अनुवाद के सुझाव [नामों का अनुवाद कैसे करें](rc://*/ta/man/translate/translate-names))

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@ -5,9 +5,7 @@
रूत एक मोआबी स्त्री थी, जो इस्राएल में न्यायियों के युग में थी। उसने एक इस्राएली से विवाह मोआब में किया था, जब वह अकाल के कारण अपने परिवार के साथ वहां चले गए थे जब न्यायधीश इस्राएल में थे। रूत के पति की मृत्यु हो गई, कुछ समय पश्चात उसकी सास, नाओमी अपने अधिवास बैतलहम लौट रही थी तो उसने भी अपनी सास के साथ जाने का निर्णय लिया।
* रूत नाओमी की निष्ठावान रही और उसके लिए भोजन व्यवस्था करती रही।
* वह इस्राएल के एकमात्र सच्चे परमेश्वर की सेवा में समर्पित हो गई थी।
* रूत का विवाह एक इस्राएली पुरुष बोआज़ के साथ हो गया था, उसका पुत्र यीशु के पूर्वज राजा दाऊद का दादा था। क्योंकि राजा दाऊद यीशु मसीह का पूर्वज था इसलिए रूत भी थी।
(अनुवाद के सुझाव [नामों का अनुवाद कैसे करें](rc://*/ta/man/translate/translate-names))

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@ -5,11 +5,8 @@
बाइबिल के समय में, तर्शीश भूमध्य सागर पर स्थित एक बंदरगाह शहर था। शहर का विशिष्ट स्थान अज्ञात है। साथ ही, पुराने नियम में तर्शीश नाम के दो अलग-अलग पुरुषों का उल्लेख है।
* तर्शीश शहर एक बहुत समृद्ध बंदरगाह शहर था, जिनके जहाजों ने बहुमूल्य उत्पादों को खरीदने, बेचने या व्यापार करने के लिए किया था। बाइबल बताती है कि राजा सुलेमान ने तर्शीश में तैनात जहाजों का एक बेड़ा रखा था।
* पुराने नियम योना भविष्यद्वक्ता निनवे में प्रचार करने के लिए परमेश्वर के आदेश का पालन करने के बजाय एक जहाज पर तर्शीश के शहर के लिए निकला।
* येपेत के पौत्रों में से एक का नाम तर्शीश था।
* राजा क्षयर्ष के बुद्धिमान लोगों में से एक का नाम तार्शिश था।
(अनुवाद के सुझाव: [नामों का अनुवाद कैसे करें](rc://*/ta/man/translate/translate-names))

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@ -14,10 +14,7 @@
## बाइबल सन्दर्भ:
* [1 तीमुथियुस 05:14](rc://*/tn/help/1ti/05/14)
* [यशायाह 09:11
](rc://*/tn/help/isa/09/11)
* [यशायाह 09:11](rc://*/tn/help/isa/09/11)
* [अय्यूब 06:23](rc://*/tn/help/job/06/23)
* [विलाप. 04:12](rc://*/tn/help/lam/04/12)
* [लूका 12:59](rc://*/tn/help/luk/12/59)

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@ -5,13 +5,9 @@
“राख” शब्द उस काले पावडर के संबन्ध में काम में लिया जाता है जो लकड़ी के जलने के बाद रह जाता है।
* प्राचीन युग में राख में बैठना दुःख और विलाप का संकेत देता था। विलाप के समय टाट का बना कड़ा चुभनेवाला वस्त्र पहन कर राख में बैठना या सिर में राख डालना होता था।
* सिर में राख डालना अपमान और लज्जा का भी प्रतीक था।
* “राख का ढेर” अर्थात बहुत राख का ढेर पड़ा है।
* बाइबल में कभी-कभी राख के लिए "धूल" शब्द का उपयोग भी किया गया है। इसका संदर्भ सूखी भूमि की मिट्टी से भी है।
* “राख” शब्द का अनुवाद करते समय लक्षित भाषा में ऐसा शब्द काम में लें जो जली लकड़ी के जल जाने के बाद काले चूर्ण को व्यक्त करता है।
(यह भी देखें: [आग](../other/fire.md), [टाट](../other/sackcloth.md))

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@ -5,15 +5,12 @@
“दिन” वास्तव में 24 घन्टे का समय होता है जिसका आरंभ सूर्यास्त से होता था। इसका उपयोग प्रतीकात्मक रूप में भी किया जाता था। जो आकाश में प्रकाश और अंधेरे की बारीक अवधि के लिए लगने वाले समय को संदर्भित करता है। हालाँकि, बाइबल में एक ही शब्द का उपयोग अक्सर छोटी अवधि (जैसे सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच का समय) या एक लंबी अवधि के लिए किया जाता है, जो अक्सर निर्दिष्ट नहीं होती है।
* "दिन" का उपयोग कभी-कभी "रात" के विपरीत किया जाता है। इन मामलों में, शब्द उस समय की अवधि को संदर्भित करता है जब आकाश प्रकाशित होता है।
* यह शब्द किसी विशिष्ट बिंदु को भी संदर्भित कर सकता है, जैसे कि "आज।"
* कभी-कभी “दिन” शब्द का उपयोग रूपक-स्वरूप एक लम्बे समय के लिए भी किया जाता था जैसे “यहोवा का दिन” या “अन्तिम दिनों” कुछ भाषाओं में इन रूपकों के अनुवादों में भिन्न-भिन्न शब्दों का उपयोग करती हैं या “दिन” का अनुवाद रूपक स्वरूप नहीं करती हैं।
## अनुवाद के सुझाव:
* इस शब्द का "दिन" या "दिन के समय" के रूप में अनुवाद करना सबसे अच्छा है, अपनी भाषा में उस शब्द का उपयोग करना जो प्रकाश होने पर दिन के हिस्से को संदर्भित करता है।
* “दिन” के अन्य अनुवाद रूप हो सकते हैं, “समय”, “ऋतु” या “अवसर” का “घटना” प्रकरण के अनुसार।
(यह भी देखें: [दण्ड के दिन](../kt/judgmentday.md), [अन्तिम दिन](../kt/lastday.md))

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@ -6,15 +6,10 @@
* अक्सर लोग शव को जमीन में एक गहरे गड्ढ़े में डालकर दफनाते हैं और फिर उसे मिट्टी से ढक देते हैं।
* कभी-कभी शव को एक सन्दूक में रखा जाता है जैसे शव-पेटी, फिर गाड़ा जाता है।
* बाइबल के युग में मृतक प्रायः गुफा या गुफा जैसे स्थान में रखे जाते थे। मृत्यु के बाद यीशु का शव कपड़ों में लपेटकर एक गुफा रूपी कब्र में रखा गया था जिसके मुंह पर बड़ा पत्थर लुढ़का दिया गया था।
* “कब्रिस्तान”, “कब्र” या “दफन कक्ष” या “दफन की गुफा” आदि सब शब्द शव को दफनाने के स्थान के संदर्भ में हैं।
* अन्य वस्तुओं को भी गाड़ा जाता था जैसे अकान ने यरीहो से चुराया हुआ सोना एवं अन्य वस्तुओं का गाड़ा था।
* “मुंह ढांपना”“ अर्थात “हाथों से मुंह को छिपाना”
* कभी-कभी “छिपाना” शब्द का अर्थ “गाड़ना” भी होता है जैसे अकान ने यरीहो से चुराई हुई वस्तुओं को भूमि में गाड़ दिया था। अर्थात उसने उन्हें भूमिगत कर दिया था।
(यह भी देखें:[यरीहो](../names/jericho.md), [कब्र](../other/tomb.md))

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@ -13,7 +13,6 @@
## अनुवाद के सुझाव:
* प्रकरण के अनुसार “शान्ति देना” का अनुवाद हो सकता है, “कष्टमोचन” या “या "(किसी को) दु:ख से उबरने में सहायता" या "प्रोत्साहित करते हैं" या "सांत्वना।"
* “हमारी शान्ति ” इस वाक्यांश का अनुवाद हो सकता है, “हमारी प्रोत्साहन” या "हमारी (किसी के) सांत्वना" या "दुःखी होने के समय हमारी सहायता"।
* शब्द "शान्ति देनेवाला" का अनुवाद "कोई व्यक्ति शान्ति देता है" या "कोई व्यक्ति जो दर्द को कम करने में सहायता करता है" या "कोई व्यक्ति जो प्रोत्साहित करता है"।
* जब पवित्र आत्मा को "शान्ति देनेवाला" कहा गया तो इसका अनुवाद "प्रोत्साहनकर्ता" या "सहायक" या "जो सहायता और मार्गदर्शन करता है।"

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@ -18,17 +18,11 @@
## अनुवाद के सुझाव:
* इस शब्द का अनुवाद लक्षित भाषा में मृत्यु के लिए प्रचलित शब्द या अभिव्यक्ति द्वारा ही किया जाए।
* कुछ भाषाओं में “मरने” को “जीवित नहीं रहना” व्यक्त किया जाता है। “मृतक” शब्द का अनुवाद “निर्जीव” या “जीवनरहित” या “जीवत न रहना” किया जा सकता है।
* अनेक भाषाओं में मृत्यु को प्रतीकात्मक शब्दों द्वारा व्यक्त किया जाता है जैसे “गुजर गया”। तथापि बाइबल में मृत्यु के लिए प्रचलित शब्द का सीधा उपयोग ही उचित है।
* बाइबल में दैहिक मृत्यु एवं जीवन की तुलना प्रायः आत्मिक जीवन एवं मृत्यु से की गई है। अनुवाद में दैहिक मृत्यु एवं आत्मिक मृत्यु दोनों के लिए एक ही शब्द काम में लेना महत्वपूर्ण है।
* कुछ भाषाओं में “आत्मिक मृत्यु” कहना अधिक स्पष्ट होता है जब प्रकरण में उस अर्थ की आवश्यकता हो। कुछ अनुवादकों के लिए “दैहिक मृत्यु” शब्द का उपयोग सर्वोचित होता है जब इसकी तुलना आत्मिक मृत्यु से होती है।
* “मृतक” शब्द एक विशेषता है जो मृतकों के संदर्भ में काम में लिया जाता है। कुछ भाषाओं में इसका अनुवाद “मृतक मनुष्यों” या “जो मनुष्य मर गए हैं” किया गया है। (देखें: [नाममात्र विशेषण](rc://*/ta/man/translate/figs-nominaladj)
* “मार डाला जाए” का अनुवाद "मरने" या "हत्या" या "प्राण दण्ड देना" के रूप में भी किया जा सकता है।
(यह भी देखें: [विश्वास](../kt/believe.md), [विश्वास](../kt/faith.md), [जीवन](../kt/life.md), [आत्मा](../kt/spirit.md))

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@ -5,7 +5,6 @@
“वर्णन” और “वाणी” अर्थात “औपचारिक या सार्वजनिक कथन”, प्रायः किसी बात पर बल देने के लिए। “वाणी” में कही जाने वाली बात के महत्व पर ही बल नहीं दिया जाता है परन्तु इसमें घोषणा करने वाले की ओर भी ध्यान आकर्षित किया जाता है।
* एक "घोषणा" न केवल घोषित की जा रही के महत्व पर जोर देती है, बल्कि यह घोषणा करने वाले पर भी ध्यान देती है।
* उदाहरणार्थ, पुराने नियम में परमेश्वर के सन्देश से पूर्व, “यहोवा यों कहता है” या “यहोवा का यह वचन” उक्ति आती है। इस उक्ति से इस बात पर बल दिया जाता है कि इस सन्देश को पहुंचाने वाला यहोवा ही है। यह तथ्य कि सन्देश यहोवा का है दर्शाता है कि सन्देश अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
## अनुवाद के सुझाव:

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@ -5,9 +5,7 @@
“परिवार” शब्द रक्त संबन्धियों के समूह का संदर्भ देता है, प्रायः माता-पिता और सन्तान। बाइबल में, इस शब्द में अन्य सदस्य भी होते हैं जैसे दादा-दादी, पोता-पोती, चाचा-चाची आदि।
* बाइबिल के समय में, आमतौर पर, सबसे बुजुर्ग व्यक्ति एक परिवार का प्रमुख अधिकार होता था।
* परिवार में सेवक, रखेलियाँ और परदेशी भी होते थे।
* कुछ भाषाओं में एक व्यापक शब्द होता है जैसे “कुल” या “कुटुम्ब” जो उन परिप्रेक्षों में अधिक उचित होंगे जहाँ अभिप्राय मात्र माता-पिता और सन्तान से अधिक सदस्यों का हो।
* आत्मिकता में संघटित जन जैसे यीशु के विश्वासियों पर परमेश्वर का परिवार ही “घराना” कहलाता था।

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@ -8,7 +8,6 @@
* परमेश्वर ने यहूदियों को जिन धार्मिक पर्वों को मनाने की आज्ञा दी थी उनमें अधिकतर सहभागिता भोज होते थे। यही कारण है कि उत्सवों को पर्व कहा गया था।
* बाइबल के युग में राजा और अन्य धनवान, प्रतिष्ठित जन अपने परिवार या मित्रों का अतिथि सत्कार करने के लिए अधिकतर भोज का आयोजन करते रहते थे।
* ऊडा़ऊ पुत्र की कहानी में पिता ने पुत्र के लौट आने के उपलक्ष में विशेष भोज का आयोजन किया था।
* “पर्व मनाना” का अनुवाद हो सकता है, “बहुत अधिक खाना” या “बहुत खाकर उत्सव मनाना” या “विशेष व्यापक भोजन करना।"”
* प्रकरण के अनुसार “पर्व” का अनुवाद हो सकता है, “विशाल भोज के साथ उत्सव मनाना” या “नाना विविध व्यंजनों का भोजन करना” या “उत्सव का भोज।”

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “सनौबर” एक सदाबहार वृक्ष है जिसमें शंकुओं के अन्दर बीज होते है।
* इन वृक्षों की सदाबहार वृक्ष भी कहते हैं।
* प्राचीन युग में सनोवर की लकड़ी संगीतवाद्यों को बनाने में तथा नाव, घर एवं मन्दिर बनाने के लिए प्रयोग किया जाता था।
* बाइबल में इस प्रजाति के वृक्षों के नाम है, चीड़, देवदारू, सनौबर, और सदाबहार वृक्ष।

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@ -5,11 +5,8 @@
“फाटक” किसी बाढ़े में या दीवार में जो नगर या घर के चारों ओर से उसमें चूल पर लगी एक बाधा होती है। “बेड़ों” फाटक को बन्द करने के लिए लकड़ी या धातु की सांकल।
* नगर के फाटकों को खोला जाता था कि मनुष्य, पशु और सामानवाहक नगर में आ सकें और नगर से जा सकें।
* नगर को सुरक्षित रखने के लिए शहरपनाह और फाटक बहुत मोटे होते थे। फाटकों को सांकलों से बन्द किया जाता था कि शत्रु की सेना का नगर प्रवेश रोका जाए।
* फाटकों के लिए "बेड़ों" एक लकड़ी या धातु की पट्टी को संदर्भित करता है जिसे जगह में ले जाया जा सकता है ताकि फाटक बाहर से नहीं खुल सकें।
* बाइबल के समय में, नगर का फाटक नगर का समाचार एवं सामाजिक केन्द्र होता था। वहां व्यापारिक विनिमय एवं न्याय भी किया जाता था क्योंकि शहरपनाह के मोटे होने के कारण वहां धूप से बचने के लिए पर्याप्त ठंडी छांव होती थी। नागरिकों को उसकी छांव में बैठना मनभावन लगता था कि वहां बैठकर न्याय करें या व्यापार करें।
## अनुवाद के सुझाव:

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@ -6,22 +6,13 @@
"हाथ" शब्द के विभिन्न उपयोगों में निम्नलिखित शामिल हैं:
* “हाथ” को बाइबल में विभिन्न प्रतीकात्मक रूपों में काम में लिया गया है जैसे परमेश्वर कहता है, “क्या मैंने अपने हाथों से यह सब नहीं बनाया?” ( देखें: [लक्षणालंकार](rc://*/ta/man/translate/figs-metonymy))
* “पकड़वाया जाएगा” या “हाथों में कर दिया जाएगा” का अर्थ है किसी के नियंत्रण या अधिकार में किसी को देना।
* “दाहिने हाथ” अर्थात “पाश्र्व में दाहिनी ओर” या “सीधे हाथ की ओर”
* “हाथ डालना” का अर्थ है "हानि करना"। "किसी के हाथ से बचाने" का अर्थ है किसी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नुकसान पहुंचाने से रोकना।
* किसी के “हाथों से” अर्थात उस व्यक्ति “द्वारा” या “माध्यम” से किया गया। उदाहरणार्थ, “परमेश्वर के हाथों की” अर्थात परमेश्वर ने किया कि हो जाए।
* "हाथ में" या "हाथ में देने" जैसी अभिव्यक्तियाँ किसी को किसी अन्य के नियंत्रण या शक्ति के अधीन होने के लिए संदर्भित करती हैं।
* “हाथों के रखने” अर्थात किसी को परमेश्वर की सेवा में समर्पित करने के लिए या चंगाई की प्रार्थना करने के लिए।
* पौलुस कहता है, “पौलुस का अपने हाथ से लिखा हुआ” अर्थात पत्र का वह अंश उसके द्वारा लिखा गया है न कि बोलकर किसी से लिखाया गया।
## अनुवाद के सुझाव

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@ -7,13 +7,9 @@
बाइबल में “सिर” शब्द को विभिन्न प्रतीकात्मक रूपों में काम में लिया गया है।
* “उसके सिर पर उस्तरा न चलाया जाए” अर्थात “वह न तो कभी अपने बाल कटवाए और न ही कभी दाढ़ी बनवाए।”
* “इसका खून उसके सिर पर हो” अर्थात उसकी हत्या का उत्तरदायी यही मनुष्य हो और दण्ड पाए।
* अभिव्यक्ति “गेहूं का सिर” अर्थात गेहूं या जौ के पौधे का वह ऊपरी भाग को संदर्भित करता है जिसमें बीज होते हैं। इसी तरह, अभिव्यक्ति "एक पर्वत का सिर" पर्वत के शीर्ष भाग को संदर्भित करता है।
* “सिर” का अर्थ कभी-कभी किसी बात के आरंभिक चरण या स्रोत से होता है जैसे, “मार्ग का सिर (आरंभ)”
* इस शब्द का उपयोग मनुष्यों पर अधिकार रखने वाले के लिए किया गया है। “तूने मुझे जाति-जाति का सिर बनाया है।” इसका अनुवाद हो सकता हैः "तू ने मुझे राजा बनाया है" या “तूने मुझे…. पर अधिकार दिया है।"
## अनुवाद के सुझाव

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@ -5,13 +5,9 @@
बाइबल में, "राजा" शब्द से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो लोगों के किसी विशेष समूह अर्थात नगर, राज्य या देश (या दोनों) का सर्वोच्च शासक है।
* बाइबिल के समय में, आमतौर पर एक राजा को पिछले राजा (ओं) के पारिवारिक संबंध के आधार पर शासन करने के लिए चुना जाता था। राजा के मरणोपरांत उसका जेठा पुत्र ही राजा बनता था।
* बाइबल में परमेश्वर को राजा कहा गया है क्योंकि वह अपने लोगों पर राज करता है।“परमेश्वर का राज्य” अर्थात अपने लोगों पर परमेश्वर का राज।
* नये नियम में यीशु को “यहूदियों का राजा”, “इस्राएल का राजा” और “राजाओं का राजा” कहा गया है।
* इस शब्द का अनुवाद हो सकता है, “सर्वोच्च प्रधान” या “परम अगुआ” या “सत्ताधारी शासक”
* “राजाओं का राजा” इस उक्ति का अनुवाद हो सकता है, “सब राजाओं पर राज करने वाला राजा” या “सर्वोच्च शासक जिसे सब शासकों पर अधिकार है”।
(यह भी देखें: [अधिकार](../kt/authority.md), [हेरोदेस अन्तिपास](../names/herodantipas.md), [राज्य](../other/kingdom.md), [परमेश्वर का राज्य](../kt/kingdomofgod.md))

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@ -27,7 +27,6 @@
* इस शब्द को "व्यवस्था के विरुद्ध" एक शब्द या अभिव्यक्ति का उपयोग करके अनुवादित किया जाना चाहिए, जिसका अर्थ है "व्यवस्था की रूप से नहीं" या "व्यवस्था तोडना"।
* "व्यवस्था के विरुद्ध" का अनुवाद करने के अन्य तरीके "अनुमति नहीं" या "परमेश्वर के नियमों के अनुसार नहीं" या "हमारे व्यवस्था के अनुरूप नहीं हो सकते हैं।"
* अभिव्यक्ति "व्यवस्था के खिलाफ" का समान अर्थ "व्यवस्था के विरुद्ध" है।
* "अधर्म" शब्द का अनुवाद "विद्रोही" या "अवज्ञाकारी" या "नियमों की अवहेलना" के रूप में भी किया जा सकता है।
* शब्द "अधर्म" का अनुवाद "किसी भी नियमों का पालन नहीं करना" या "विद्रोह (परमेश्वर के नियमों के खिलाफ)" के रूप में किया जा सकता है।
* वाक्यांश "अधर्मी पुरुष" का अनुवाद "उस व्यक्ति के रूप में किया जा सकता है जो किसी भी नियमों का पालन नहीं करता है" या "परमेश्वर के नियमों के खिलाफ विद्रोह करने वाले व्यक्ति "।

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@ -4,14 +4,9 @@
“चिट्ठियाँ” पर्चियों पर नाम लिखे जाते हैं और निर्णय लेने के लिए उनमें से एक उठाई जाती है। “चिट्ठियां डालना” अर्थात चिन्ह डालकर पर्चियों को भूमि पर या अन्य स्थान में डालकर एक उठाना।
* कुछ संस्कृतियों में चिट्ठियां डालने में तिनकों का गट्ठा काम में लिया जाता था। एक मनुष्य उन तिनकों को पकड़ कर रखता था कि कोई देख न पाए कि वे कितने लम्बे हैं। प्रत्येक मनुष्य एक तिनका खींचता था और जिसके पास सबसे लम्बा तिनका आता था (या सबसे छोटा) वही चुना हुआ माना जाता था।
* बाइबिल के समय में, प्रकरण के अनुसार “चिट्ठी” का अनुवाद “अंकित पत्थर” या “मिट्टी के पात्रों के टुकड़ों” या “लकड़ियां” या “तिनके” भी किए जा सकते हैं।
* “चिट्ठियां डालना” का अनुवाद, “पर्चियां डालना” या “पर्ची खींचना” या पर्ची गिराना” भी हो सकता है। “डालना” का अनुवाद ऐसा प्रकट न करे कि चिट्ठियां बहुत दूर तक फेंकी जाती थी।
* यदि “चिट्ठियों” द्वारा निर्णय लिया गया तो उसका अनुवाद “चिट्ठियां डालकर” किया जा सकता है।
(यह भी देखें: [इलीशिबा](../names/elizabeth.md), [याजक](../kt/priest.md), [जकर्याह (पुराना नियम)](../names/zechariahot.md), [जकर्याह (नया नियम)](../names/zechariahnt.md))

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@ -13,7 +13,6 @@
* कई अनुवादों को "बांज वृक्ष" शब्द का उपयोग करने के बजाय केवल "बांज" शब्द का उपयोग करना महत्वपूर्ण होगा।
* यदि लक्षित भाषा के स्थान में बांज वृक्ष नहीं है तो इसका अनुवाद किया जा सकता है, “एक बड़ा बांज का छायादार वृक्ष” और इसके गुणों वाले किसी स्थानीय वृक्ष का नाम दें।
* देखें: [अपरिचित शब्दों का अनुवाद कैसे करें](rc://*/ta/man/translate/translate-unknown))
(यह भी देखें: [पवित्र](../kt/holy.md))

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@ -13,7 +13,6 @@
* “शरण स्थान” का अनुवाद “सुरक्षित स्थान” या “सुरक्षा का स्थान” हो सकता है।
* "शरणार्थी" एक खतरनाक स्थिति से बचने के लिए लोग अपने घरों को छोड़ रहे हैं, और उन्हें "विदेशी", "बेघर लोग" या "निर्वासित" के रूप में अनुवादित किया जा सकता है।
* प्रकरण के अनुसार “शरण” का अनुवाद “सुरक्षा देने वाला” या “सुरक्षा” या “सुरक्षित स्थान”।
* यदि उसका संदर्भित भौतिक संरचना है तो “शरण” का अनुवाद “सुरक्षित ईमारत” हो सकता है या
* “सुरक्षित स्थान में” का अनुवाद “सुरक्षित स्थान में” या “इस स्थान में जहां सुरक्षा प्राप्त होगी” के रूप में हो सकता है।

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@ -8,7 +8,7 @@
* "पवित्र भजन" या "पवित्र संगति" उक्तियां परमेश्वर की महिमा के लिए गाया या बजाने हुआ गाना को सूचित करता है। इसका अनुवाद "यहोवा की आराधना में बजाया गया संगीत" या "परमेश्वर की स्तुति के गीत" जैसे हो सकता है।
* "पवित्र कर्तव्य" का संदर्भ "धार्मिक कार्यों" या "अनुष्ठान" को सूचित करता जो परमेश्वर की आराधना में मनुष्यों की अगुआई हेतु याजकों द्वारा किए गाया था। इसका संदर्भ मूर्तिपूजा में अन्यजाति पुजारियों द्वारा पूजन कृत्यों से भी होता है।
(यह भी देखें: [पवित्र](../kt/holy.md), [अभिषेक करना](../kt/consecrate.md), [याजक](../kt/priest.md)))
(यह भी देखें: [पवित्र](../kt/holy.md), [अभिषेक करना](../kt/consecrate.md), [याजक](../kt/priest.md))
## बाइबल सन्दर्भ:

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@ -37,7 +37,7 @@
## बाइबल के कहानियों से उदाहरण:
* __[09:11](rc://*/tn/help/obs/09/11)___ मूसा मिस्र से बहुत दूर जंगल में एक __चरवाहा__ बन गया.के प्रति
* __[09:11](rc://*/tn/help/obs/09/11)__ मूसा मिस्र से बहुत दूर जंगल में एक __चरवाहा__ बन गया.के प्रति
* __[17:02](rc://*/tn/help/obs/17/02)__ दाऊद बेथलेहेम के शहर से एक चरवाहा था। अलग-अलग समय में जब वह अपने पिता के __भेड़__ देख रहा था, तब दाऊद ने शेर और एक भालू दोनों को मार दिया था जिसने __भेड़__ पर हमला किया था।
* __[23:06](rc://*/tn/help/obs/23/06)__ उस रात, वहाँ कुछ __ चरवाहों __ पास के एक क्षेत्र में उनके झुंड की रक्षा करते थे।
* __[23:08](rc://*/tn/help/obs/23/08)__ चरवाहों जल्द ही उस स्थान पर पहुंचे जहां यीशु था और उन्होंने उसे दूध पिलाने लेटा हुआ पाया, जैसे स्वर्गदूत ने उन्हें बताया था।

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@ -3,7 +3,6 @@
## परिभाषा:
* “डर” शब्द अत्यंत भय को व्यक्त करता है। किसी को “डराना” अर्थात उसे भयभीत करना।
* “डर” किसी वस्तु या मनुष्य द्वारा उत्पन्न भय भी होता है। डर का एक उदाहरण हमलावर दुश्मन सेना या महामारी या बीमारी है जो व्यापक है, कई लोगों की हत्या कर सकता है।
* इन भयावहों को "भयानक" के रूप में वर्णित किया जा सकता है। इस शब्द का अनुवाद हो सकता है, “भय-कारण” या “आतंक-उत्पादक।”
* परमेश्वर का न्याय एक दिन मन न फिराने वाले मनुष्यों में जो उसके अनुग्रह को अस्वीकार करते हैं, भय उत्पन्न करेगा।

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@ -6,7 +6,6 @@
* परमेश्वर अपने शब्द को कहता है यद्यपि उसका शब्द मनुष्य जैसी नहीं है।
* शब्द संपूर्ण मनुष्य का संदर्भ देती है जैसे “जंगल में एक पुकारने वाले का शब्द सुनाई देता है, प्रभु का मार्ग तैयार करो।” इसका अनुवाद हो सकता है, “जंगल में एक मनुष्य की पुकार सुनी जाती है”। (देखें: [उपलक्षण](rc://*/ta/man/translate/figs-synecdoche))
* “किसी की वाणी सुनना” अर्थात “किसी को बोलते सुनना”।
कभी कभी "शब्द" का प्रयोग ऐसी वस्तुओं के लिए भी किया गया है जो बोल नहीं सकती, जैसे दाऊद लिखता है कि परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि उसके कामों का वर्णन करती है, अर्थात् उनके शब्द उनकी महानता की घोषणा करती है। इसका अनुवाद हो सकता हैः "उनकी गरिमा परमेश्वर की महिमा का वर्णन कर रही है।"