* पौलुस और सीलास को फिलिप्पी नगर के बन्दीगृह में डाल दिया गया था। वहां वे परमेश्वर की स्तुति कर रहे थे और परमेश्वर ने उन्हें बंदीगृह से मुक्ति दिलाई। उनकी गवाही के परिणाम स्वरूप उस बन्दीगृह का अधीक्षक मसीही विश्वासी हो गया।
* __[47: 1](rc://*/tn/help/obs/47/01)__ एक दिन, पौलुस और उसका मित्र __ सिलास__ फिलिप्पी के शहर में यीशु के बारे में शुभ सन्देश सुनाने के लिए गए।
* __[47:2](rc://*/tn/help/obs/47/02)__ वह (लुदिया ) ने पौलुस और __ सिलास__ को अपने घर में रहने के लिए आमंत्रित किया, इसलिए वे उसके और उसके साथ उसके परिवार में रहे।
* __[47:3](rc://*/tn/help/obs/47/03)__ पौलुस और __ सिलास__ प्रार्थना के स्थान पर प्रायः लोगों से भेंट करते रहते थे।
* __[47:7](rc://*/tn/help/obs/47/07)__ इसलिए उस दासी के स्वामियों पौलुस और __ सिलास__ को रोमी अधिकारियों के पास ले गए, जिन्होंने उन्हें मारा और उन्हें बंदीगृह में डाल दिया।
* __[47:8](rc://*/tn/help/obs/47/08)__ उन्होंने पौलुस और __ सिलास__ को जेल के सबसे सुरक्षित भाग में रखा और यहां तक कि उनके पैरों को भी बाँध दिया।
* __[47:11](rc://*/tn/help/obs/47/11)__ बंदीगृह का प्रभारी कांपते हुए' पौलुस और __ सिलास__ के पास आया और पूछा, "मोक्ष पाने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?"
* __[47:13](rc://*/tn/help/obs/47/13)__ अगले दिन शहर के नेताओं ने पौलुस और __ सिलास__ को बंदीगृह से रिहा कर दिया और उन्हें फिलिप्पी नगर छोड़ने के लिए कहा। पौलुस और __ सिलास__लुदिया और कुछ अन्य मित्रों सें मिले और फिर शहर छोड़ दिया।