diff --git a/README.md b/README.md index 3cfe137..7559848 100644 --- a/README.md +++ b/README.md @@ -9,3 +9,4 @@ STRs: * https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/520 * https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/539 * https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/634 +* https://git.door43.org/unfoldingWord/SourceTextRequestForm/issues/672 diff --git a/manifest.yaml b/manifest.yaml index 997a88b..f3279bc 100644 --- a/manifest.yaml +++ b/manifest.yaml @@ -14,18 +14,18 @@ dublin_core: description: 'A modular handbook that provides a condensed explanation of Bible translation and checking principles that the global Church has implicitly affirmed define trustworthy translations. It enables translators to learn how to create trustworthy translations of the Bible in their own language.' format: 'text/markdown' identifier: 'ta' - issued: '2021-10-15' + issued: '2021-12-02' language: identifier: hi - title: 'हिन्दी, हिंदी (Hindi)' + title: 'हिन्दी, हिंदी (Hindi)' direction: ltr - modified: '2021-10-15' + modified: '2021-12-02' publisher: 'BCS' relation: - 'hi/glt' - 'hi/irv' - - 'hi/gst' - 'hi/iev' + - 'hi/gst' - 'hi/ulb' - 'hi/udb' - 'hi/tn' @@ -38,11 +38,11 @@ dublin_core: - identifier: 'ta' language: 'en' - version: '14' + version: '22' subject: 'Translation Academy' title: 'translationAcademy' type: 'man' - version: '14.5' + version: '22.5' checking: checking_entity: diff --git a/translate/config.yaml b/translate/config.yaml index 6995254..331101f 100644 --- a/translate/config.yaml +++ b/translate/config.yaml @@ -66,7 +66,7 @@ figs-euphemism: figs-events: recommended: - writing-background - - writing-connectingwords + - grammar-connect-words-phrases - writing-newevent - translate-versebridge dependencies: @@ -338,6 +338,39 @@ first-draft: - translation-difficulty - translate-source-text - writing-decisions +grammar-connect-condition-contrary: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-condition-fact: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-condition-hypothetical: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-exceptions: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-logic-contrast: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-logic-goal: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-logic-result: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-time-background: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-time-sequential: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-time-simultaneous: + recommended: [] + dependencies: [] +grammar-connect-words-phrases: + recommended: [] + dependencies: [] guidelines-accurate: recommended: - guidelines-clear @@ -902,7 +935,7 @@ writing-apocalypticwriting: - writing-symlanguage writing-background: recommended: - - writing-connectingwords + - grammar-connect-words-phrases - writing-newevent dependencies: - figs-events @@ -927,7 +960,7 @@ writing-endofstory: writing-intro: recommended: - writing-background - - writing-connectingwords + - grammar-connect-words-phrases - writing-newevent - writing-participants - figs-events diff --git a/translate/figs-exmetaphor/01.md b/translate/figs-exmetaphor/01.md index c581e44..681b721 100644 --- a/translate/figs-exmetaphor/01.md +++ b/translate/figs-exmetaphor/01.md @@ -1,107 +1,87 @@ ### वर्णन -विस्तृत अन्योक्ति तब उत्पé होती है जब कोर्इ एक परिस्थिति के बारे में इस प्रकार बात करता है जैसे कि कुछ और परिस्थिति हैं। वह इसलिए ऐसा करता है कि दूसरी परिस्थिति में भी समान तरीके से लागु हो सकने वाली वर्तमान परिस्थिति को प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया जा सके। दूसरी परिस्थिति में, उन लोगों, वस्तुओं और कार्यों की तश्वीरें मौजूद हैं जो पहली परिस्थिति का प्रतिनिधित्व करती हैं। +**विस्तृत रूपक** एक व्यापक रूपक होता है जो एक ही बार में अनेक मानसिक चित्रण और अनेक विचारों को काम में लेता है| यह [सुबोध रूपक](../figs-simetaphor/01.md) की विषमता में होता है क्योंकि इसमें एक ही मानसिक चित्रण और एक ही विचार होता है| एक विस्तृत रूपक और [जटिल रूपक](../figs-cometaphor/01.md) में जो अंतर है वह है कि विस्तृत रूपक लेखक/वक्ता द्वारा सविस्तार वर्णन किया जाता है जबकि जटिल रूपक में ऐसा नहीं किया जाता है| -### कारण यह अनुवाद की समस्या है +### विस्तृत रूपक की व्याख्या -* लोगों को शायद यह पता ही न चले कि ये तश्वीरें किसी और की प्रतिनिधि हैं -* लोग शायद उन वस्तुओं से परिचित न हों जिनका उपयोग हो रहा है -* विस्तृत अन्योक्ति के शब्द अक्सर इतनी गहरार्इ क होते हैं कि अनुवादक के लिए उनका पूरा अर्थ निकालना मुश्किल हो जाता है +रूपक के प्रयोग में लेखक/वक्ता किसी तात्कालिक विषय के सम्बन्ध में एक अवस्तुपरक विचार को व्यक्त करने के लिए बोधगम्य मानसिक चित्रण को रचता है जिसमें विषय विशेष और मानसिक चित्रण में कम से कम एक बात की तुलना की गई हो| विस्तृत रूपक में, लेखक/वक्ता विषय विशेष का सविस्तार वर्णन करता है| तदोपरांत वह अनेक मानसिक चित्रणों का वर्णन करते हुए अनेक विचारों का संचार करता है| + +यशायाह 5:1-7 में, भविष्यद्वक्ता दाख की बारी (**मानसिक चित्रण**) का उपयोग करता है कि इस्राएल से परमेश्वर की निराशा (**विचार**) को व्यक्त करे जिसका (**विषय**) है, परमेश्वर और उनके साथ बंधी हुई परमेश्वर की वाचा के साथ विश्वासघात| किसान अपनी बारी की देख-रेख करता है और जब उसकी बारी में बुरे फल उत्पन्न हों तो वह किसान अत्यधिक निराश हो जाता है| यदि दाख की बारी लम्बे समय तक बुरे फल दे तो किसान अंततः उसको त्याग देता है| इसको हम विस्तृत रूपक कहते हैं क्योंकि भविष्यद्वक्ता दाख की बारी से सम्बंधित अनेक मानसिक चित्रणों का और साथ ही साथ परमेश्वर की निराशा के अनेक पक्षों का सविस्तार वर्णन करता है| + +1. एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी| 2. उसने उसकी मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उसमें उत्तम जाति की एक दाखलता लगाई; उसके बीच में उसने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिए एक कुंड भी खोदा, तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उसमें निकम्मी दाखें ही लगीं| 3. अब हे यरूशलेम के निवासियों और हे यहूदा के मनुष्यों, मेरे और मेरी दाख की बारी के बीच न्याय करो| 4. मेरी दाख की बारी के लिए और क्या करना रह गया जो मैं ने उसके लिए न किया हो? फिर क्या कारण है कि जब मैं ने दाख की आशा की तब उसमें निकम्मी दखें लगीं? 5. अब मैं तुमको बताता हूँ कि अपनी दाख की बारी से क्या करूंगा| मैं उसके कांटे वाले बाड़े को उखाड़ दूंगा कि वह चट की जाए और और उसकी दीवार को ढा दूंगा कि वह रौंदी जाए| 6. मैं उसे उजाड़ दूंगा; वह न तो फिर छाँटी और खोदी जाएगी और उसमें भाँति-भाँति के कंटीले पेड़ उगेंगे; मैं मेघों को भी आज्ञा दूंगा कि उस पर जल न बरसाएं| 7. क्योंकि सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी तो इस्राएल का घराना है, और उसका प्रिय पौधा यहूदा के लोग हैं; और उसने उनमें न्याय की आशा की परन्तु अन्याय दिखाई पड़ा; उसने धर्म की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुनाई पड़ी| (यशा. 5:1-7 ULT) + +### बाईबल के अन्य उदाहरण + +भजन संहिता 23 में, भजनकार एक वस्तुपरक **मानसिक चित्रण** ,चरवाहे के माध्यम से परमेश्वर के विधान (**विषय**) का वर्णन करता है कि वह अपने लोगों के लिए महान चिंता और देख-रेख (**विचार**) करता है| भजनकार भेड़ों के संरक्षण में किए गए चरवाहे के अनेक कार्यों (उनको चारागाहों में ले जाना, पानी के पास ले जाना और उनकी रक्षा करना) का वर्णन करता है| भजनकार उन अनेक कार्यों का भी वर्णन करता है जो परमेश्वर उसकी सुध रखने में करता है (उसको जीवन देता है, धार्मिकता देता है, उसे शान्ति देता है, आदि|) चरवाहे भेड़ों को उनकी आवश्यकता की वस्तुएं देते हैं, उनको सुरक्षित स्थानों में ले जाते हैं, उनको संकटों से उबार लेते हैं, उनकी अगुआई करते हैं और उनकी रक्षा करते हैं| परमेश्वर अपने लोगों के लिए जो करता है वे ऐसे ही काम हैं| + +> 1 यहोवा मेरा चरवाह है,मुझे कुछ घटि न होगी. +> 2 वह मुझे हरी-हरी चारागाहों में **बैठाता है** : +> वह मुझे सुखदाई जल के झरनों के पास **ले चलता** है| +> 3 वह मेरे **जी में जी ले आता है** ; +> धर्म के मार्गों मेंब वह अपने नाम के निमित्त **मेरी अगुआई करता है** | +> 4 चाहे मैं घोर अन्धकार से भारी हुई तराई से होकर चलूँ, +> तौभी हानि से न डरूंगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; +> तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है| + +### कारण कि यह अनुवाद की समस्या है + +* लोगों को शायद यह पता ही न चले कि ये मानसिक चित्रनान्य बातों को भी दर्शाते हैं| +* लोग शायद उन उपमाओं से परिचित न हों जिनका उपयोग हो रहा है +* विस्तृत रूपक प्रायः ऐसा गहरा अर्थ रखते हैं कि अनुवादक के लिए रूपक द्वारा व्यक्त किए गए उन सब अभिप्रायों को प्रकट करना असंभव हो सकता है| ### अनुवाद के सिद्धांत -* विस्तृत अन्योक्ति के अर्थ को लक्षित भाषा के अनुसार इतना स्पष्ट बनाएँ जितना यह मूल श्रोताओं के लिए स्पष्ट था -* विस्तृत अन्योक्ति के अर्थ को लक्षित भाषा के अनुसार उतना ही स्पष्ट बनाएँ जितना यह मूल श्रोताओं के लिए स्पष्ट था, उससे अधिक नही -* जब कोर्इ विस्तृत अन्योक्ति का उपयोग करता है, तो जो वो कहता है, उसमें तश्वीरें महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाती हैं -* यदि लक्षित श्रोता उपयोग की गर्इ तश्वीरों से परिचित नही हैं, तो उन्हे उन तश्वीरों को समझाने के लिए आपको कोर्इ तरीका अपनाना होगा जिससे कि वे विस्तृत अन्योक्ति के अर्थ अच्छी तरह से समझ सके +* विस्तृत रूपक के अर्थ को लक्षित भाषा में पाठकों के लिए उतना ही स्पष्ट करें जितना कि आरंभिक पाठकों के लिए था| +* विस्तृत रूपक के अर्थ को आरंभिक पाठकों की समझ से अधिक स्पष्ट करने का प्रयास न करें| +* जब कोई विस्तृत रूपक का उपयोग करता है, तो जो वो कहता है, उसमें मानसिक चित्रण महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाते हैं +* यदि लक्षित भाषा के पाठक उपयोग किए गए मानसिक चित्रणों में से कुछ से परिचित नही हैं, तो आपको ऎसी विधियों की खोज करना होगी जिनके द्वारा उनको इन चित्रणों को समझने में सहायता मिले जिससे कि वे सम्पूर्ण विस्तृत रूपक को समझ पाएं| -### बाइबल से उदाहरण +### अनुवाद की युक्तियाँ -भजन संहिता 23:1-4 में अपने लोगों के प्रति परमेश्वर की संभाल और चिंता के बारे में लेखक लिखता है जहाँ एक चरवाहे के द्वारा अपने भेड़ों को मिलने वाली संभाल की तश्वीर दी गर्इ है। चरवाहे अपनी भेड़ों को उनकी जरूरत की वस्तुएँ देते, उन्हे सुरक्षित स्थान पर रखते, बचाते और सुरक्षा देते हैं। +यदि आपके पाठक आरंभिक पाठकों के तुल्य समझ पाएं तो रूपकों का प्रयोग ज्यों का त्यों ही करें, यदि नहीं, तो यहाँ कुछ युक्तियाँ दी गई हैं: -परमेश्वर के द्वारा उसके लोगों की संभाल भी ऐसी ही है। +(1) यदि लक्षित भाषा के पाठक सोचते हैं कि मानसिक चिओत्रनोन को ज्यों का त्यों रखने से समझ में आ जाएंगी तो रूपकों को "जैसे कि" या "जिस प्रकार" जैसी उक्तियों के प्रयोग से उपमा रूप में व्यक्त करें| पहले और दुसरे वाक्यों में ऐसा करना पर्याप्त ही होगा| +(2) यदि लक्षित भाषा के पाठक मानसिक चित्रणों को नहीं समझ पाते हैं तो उनका अनुवाद करने की विधियों की खोज करें जिससे कि वे समझ सकें कि वह मानसिक चित्रण क्या है| +(3) यदि लक्षित भाषा के पाठक तब भी न समझ पाएं तो स्पष्ट व्यक्त करें| -[1]यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी। -[2] वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है। मुझे सुखदार्इ जल के झरने के पास ले चलता है -[3]वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त अगुवार्इ करता है। -[4]चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुर्इ तरार्इ में होकर चलूँ। >तौभी हानि से न डरूँगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है (ULB) +### अनुवाद की युक्तियों के उदाहरणों की प्रासंगिकता -यशायाह 5:1-7 में, परमेश्वर अपने लोगों से इस प्रकार निराश है जैसा एक किसान अपनी दाख की बारी से होता है जिसने निकम्मा फल दिया हो । किसान अपने खेतों की संभाल करते हैं; परंतु यदि उनमें अच्छा फल नही लगे, किसान उनकी देखभाल बंद कर देता है । +(1) यदि लक्षित भाषा के पाठक सोचते हैं कि मानसिक चिओत्रनोन को ज्यों का त्यों रखने से समझ में आ जाएंगी तो रूपकों को "जैसे कि" या "जिस प्रकार" जैसी उक्तियों के प्रयोग से उपमा रूप में व्यक्त करें| पहले और दुसरे वाक्यों में ऐसा करना पर्याप्त ही होगा| उदाहरणार्थ देखें भजन संहिंता 23:1-2. +> यहोवा **मेरा चरवाहा** है, मुझे कुछ घटि न होगी| +> वह **मुझे** हरी हरी चराइयों में बैठाता है; +> वह मुझे सुखदाई जल के झरनों के पास **ले चलता है** ; +इसका अनुवाद हो सकता है +> “यहोवा मेरे लिए एक चरवाहे के **सामान** है, इसलिए मुझे किसी प्रकार की कमी नहीं होगी| > उस चरवाहे के **सामान** जो अपनी भेड़ों को हरी हरी चारागाहों में बैठाता है, और उनको सुख देने वाले जल के झरनों के पास ले चलता है, यहोवा मेरी सहायता करता है कि मुझे शान्तिपूर्वक विश्राम मिले|" +(2) यदि लक्षित भाषा के पाठकों को यह मानसिक चित्रण समझ में नहीं आता है तो इसका अनुवाद करने की युक्ति खोजें जिससे कि उनको समझ में आ जाए कि यह चित्रण क्या है| -1 से 6 तक के आयत एक किसान और उसकी बारी के बारे में हैं परंतु 7वाँ आयत स्पष्ट करता है कि यहाँ परमेश्वर और उसके लोगों की बात हो रही है। +> एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक **दाख की बारी** थी| +> उसने उसकी मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उसमें **उत्तम जाति की एक दाखलता लगाई** +> उसके बीच में उसने एक गुम्मट बनाया और **दाखरस के लिए एक कुण्ड** भी खोदा +> तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उसमें **निकम्मी दखें** ही लगीं" (यशायाह 5:1b-2 ULT) +इसका अनुवाद हो सकता है +> मेरे अति प्रिय के पास एक अत्यधिक उपजाऊ पहाडी पर **दाख की बारी** थी| +> उसने **भूमि खादी** और पत्थरों को निकाला और वहाँ **अति उत्तम दाख लगाई** +> उसके मध्य में उसने एक चौकी बनवाई और वहाँ उसने **एक हौज़ भी बनवाया जिसमें अंगूरों का रस कुचल कर निकाला जाए** +> उसने प्रतीक्षा की कि उसमें अछे अंगूर उगें परन्तु उसमें उगे जंगली अंगूर जिनसे दाखरस निकालना संभव नहीं था| +(3) यदि लक्षित भाषा के पाठक अब भी न समझ पाएं तो इसको स्पष्ट व्यक्त करें| +> यहोवा **मेरा चरवाहा** है; मुझे कुछ घटि न होगी| (भजन संहिता 23:1 ULT) +> +> > “यहोवा **मेरी सुधि** लेता है जैसे कोई चरवाहा अपनी भीड़ों को संभालता है, यही कारण है कि मुझे किसी भी प्रकार की कमी नहीं होगी|" +> +> क्योंकि सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी **है** ,इस्राएल का घराना| +> और यहूदा के लोग उसकी मनभावन पौध| +> उसने प्रतीक्षा करके देखा तो वहाँ न्याय की अपेक्षा हत्याएं हो रही थीं| +> धार्मिकता खोजी तो वहाँ सहायता की पुकार हो रही थी| (यशायाह 5:7 ULT) +इसका अनुवाद इस प्रकार किया जा सकता है: +> > क्योंकि सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी इस्राएल के घराने का **प्रतिनिधित्व** करती है| +> > और यहूदा के लोग उसकी मनभावन पौध के **सदृश्य हैं** +> > उसने न्याय की प्रतीक्षा की परन्तु वहाँ हत्याएं थीं; +> > धार्मिकता की प्रतीक्षा की परन्तु वहाँ सहायता की पुकार थी| ->1.... एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी ->2उसने मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उसमें उत्तम जाति की एक दाखलता लगार्इ ->उसके बीच में उस ने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिये एक कुंड भी खोदा ->तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उस में निकम्मी दाखें ही लगीं ->3 अब हे यरूशलेम के निवासियों और हे यहूदा के मनुष्यों, ->मेरे और मेरी दाख की बारी के बीच न्याय करो ->4मेरी दाख की बारी के लिये और क्या करना रह गया जो मैं ने उसके लिये न किया हो? फिर क्या कारण है कि जब मैं ने दाख की आशा की तब उस में निकम्मी दाखें लगीं? ->5 अब मैं तुम को जताता हूं कि अपनी दाख की बारी से क्या करूंगा; मैं उसके बाड़े को उखाड़ दूंगा ->कि वह चट की जाए, और उसकी भीत को ढा दूंगा कि वह रौंदी जाए। ->6 मैं उसे उजाड़ दूंगा; वह न तो फिर छांटी और न खोदी जाएगी और उस में भांति भांति के कटीले पेड़ उगेंगे ->मैं मेघों को भी आज्ञा दूंगा कि उस पर जल न बरसाएँ ->7क्योंकि सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी इस्राएल का घराना, ->और उसका मनभाऊ पौधा यहूदा के लोग है ->और उस ने उन में न्याय की आशा की, परन्तु अन्याय देख पड़ा ->उसने धार्मिकता की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुन पड़ी (ULB) +या जिस प्रकार -### अनुवाद रणनीतियाँ - -यदि आपके पाठक उसी रूपक को समझ सकते हैं जिन्हे प्रथम श्रोता समझ सकते थे तो उन्ही का उपयोग करें। यदि नही, तो निम्न रणनीतियों को अपना सकते हैं: - -1. यदि लक्षित श्रोता सोचता है कि तश्वीरों को सीधे (आक्षरिक) तौर पर समझा जाना चाहिए, तो एक उपमा की तरह ‘‘जैसे’’, ‘‘की तरह’’ जैसे शब्दों के उपयोग से इसका अनुवाद किया जाए। इसे केवल प्रथम एक या दो वाक्यों में कहना काफी होगा -1. यदि लक्षित भाषा इन तश्वीरों को नही जानती है तो उनके अनुवाद का एक तरीका खोजें जिससे वे तश्वीर को समझ सकें। -1. यदि लक्षित श्रोता फिर भी नही समझ पा रहे तो उसे स्पष्ट तौर पर, वर्णन के साथ बताएँ। - -### अनुवाद रणनीतियों के प्रयोग के उदाहरण - -यदि लक्षित श्रोता सोचता है कि तश्वीरों को सीधे (आक्षरिक) तौर पर समझा जाना चाहिए, तो एक उपमा की तरह ‘‘जैसे’’, ‘‘की तरह’’ जैसे शब्दों के उपयोग से इसका अनुवाद किया जाए। इसे केवल प्रथम एक या दो वाक्यों में कहना काफी होगा - -उदाहरण के लिए, भजन संहिता 23:1-2 देखें: - -> **यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी** -> **वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है** -> **वह मुझे सुखदार्इ जल के झरने के पास ले चलता है** (ULB) - -इसका अनुवाद निम्न तरीके से हो सकता है: - -> यहोवा मेरे लिए चरवाहे के समान है, मुझे कुछ घटी न होगी -> एक चरवाहे की तरह जो अपनी भेड़ को हरी हरी चराइयों में बैठाता है और सुखदार्इ जल के झरने के पास ले चलता है -> यहोवा मुझे शांति से चलाता है - -1. यदि लक्षित श्रोता तश्वीरों को नही जानता है, तो उनका अनुवाद इस प्रकार किया जाए जिनसे वे उन तश्वीरों को समझ सकें - -> **एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय की एक दाख की बारी थी** -> **उसने उसकी मिट्टी खोदी और उसके पत्थर बीनकर उस में उत्तम जाति की एक दाखलता लगार्इ** -> **उसके बीच में उसने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिये एक कुंड भी खोदा** -> **तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उस में निकम्मी दाखें ही लगीं** (यशायाह 5:1-2 ULB) - -इसका अनुवाद निम्न तरीके से हो सकता है: -> ‘‘एक अति उपजाऊ टीले पर मेरे प्रिय का एक दाख का बगीचा बारी थी -> उसने उसकी जमीन खोदी और उसके पत्थर बीनकर उस में सबसे अच्छी दाखलता लगार्इ -> उसके बीच में उसने एक गुम्मट बनाया, और दाखरस के लिये एक गड्ढ़ा खेदा जहाँ दाख को पीसा जाता है -> तब उसने दाख की आशा की, परन्तु उसमें निकम्मी दाखें ही लगीं जो दाख बनाने के लिए उपयुक्त नही थीं - -1. यदि लक्षित श्रोता समझ नही पा रहा है, तो इसे सीधे तरीके से बताएँ। यहोवा मेरा चरवाहा है; मुझे कुछ घटी न होगी (भजन संहिता 23:1) - -* ‘‘जैसे एक चरवाहा अपनी भेड़ों की संभाल करता है, यहोवा मेरी परवाह करता है, इसलिए मुझे घटी नही होगी’’ - -> **सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी इस्राएल का घराना है** -> **और उसका मनभाऊ पौधा यहूदा के लोग है** -> **उसने उनमें न्याय की आशा की, परन्तु अन्याय देख पड़ा** -> **उसने धार्मिकता की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुन पड़ी** (यशायाह 5:7 ULB) - -इसका अनुवाद निम्न तरीके से हो सकता है -> सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी इस्राएल के घराने को दिखाती है -> और यहूदा के लोग उसके मनभाऊ पौधे के समान है -> उसने उनमें न्याय की आशा की, परन्तु अन्याय देख पड़ा -> उसने धार्मिकता की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुन पड़ी - -या - -* अत: जैसे किसान निक्कमी दाख देने वाली दाख की देखभाल बंद कर देता है -* यहोवा इस्राएल और यहूदा को सुरक्षा देना बंद कर देगा -* क्योंकि उन्होने उसकी दृष्टि में बुरा काम किया है -* उसने उनमें न्याय की आशा की, परन्तु अन्याय देख पड़ा -* उसने धार्मिकता की आशा की, परन्तु उसे चिल्लाहट ही सुन पड़ी +>> **अतः जिस प्रकार** **किसान** **दाख की बारी** **बुरे फल देने वाला बागान** की **देख रेख करना** **त्याग देता है** +>> इस्राएल और यहूदा की **रक्षा करना त्याग देगा** +>> **क्योंकि वे न्यायोचित कार्य नहीं करते हैं** +>> उसने न्याय की प्रतीक्षा की परन्तु वहाँ हत्याएं थीं +>> धार्मिकता की परन्तु वहाँ सहायता की पुकार थी| diff --git a/translate/figs-exmetaphor/sub-title.md b/translate/figs-exmetaphor/sub-title.md index 42987a1..9e15090 100644 --- a/translate/figs-exmetaphor/sub-title.md +++ b/translate/figs-exmetaphor/sub-title.md @@ -1 +1 @@ -विस्तृत अन्योक्ति क्या है? \ No newline at end of file +विस्तृत रूपक क्या है? \ No newline at end of file diff --git a/translate/figs-parables/01.md b/translate/figs-parables/01.md index b5a42e7..f6b524c 100644 --- a/translate/figs-parables/01.md +++ b/translate/figs-parables/01.md @@ -1,45 +1,52 @@ -दृष्टांत एक लघु कहानी है जो सच को समझने में आसान बनाती है और जिसे भूलना कठिन होता है। +दृष्टांत एक लघु कहानी है जो किसी सच को समझाती है और शिक्षा को इस प्रकार व्यक्त करती है कि उसको समझना आसान और भूल जकना कठिन हो। ### वर्णन -दृष्टांत एक सच को सिखाने के लिए बतार्इ जाने वाली छोटी कहानी है। दृष्टांत की बातें हो तो सकती हैं, परंतु हुर्इ नही होती हैं। उन्हे केवल सच को सिखाने के लिए बताया जाता है। दृष्टांतों में बहुत ही कम लोगों का नाम लिखा जाता है। (इससे आपको मदद मिल सकती है कि कौनसा दृष्टांत है और कौनसी सच्ची घटना है) दृष्टांत में उपमा एवं रूपक जैसे अलंकार के शब्द अक्सर होते हैं। +दृष्टांत किसी सच बात को सिखाने के लिए सुनाई जाने वाली छोटी कहानी है। यद्यपि, दृष्टांत की घटनाएं हो सकती हैं, परंतु वास्तव में देखा जाए तो हुई नहीं हैं| उनको सुनाने का उद्देश्य है कि श्रोता को जो शिक्षा(एं) मिलनी है उसको वह ग्रहण कर ले| यह दुर्लभ ही है कि दृष्टांत में जिन मनुष्यों के नाम हैं वे वास्तविक हों | (इससे आपको सहायता मिलेगी कि दृष्टांत क्या है और एक वास्तविक घटना का ब्योरा क्या होता है|) दृष्टान्तों में प्रायः अलंकारों का प्रयोग किया जाता है, जैसे +[उपमा](../figs-simile/01.md) and [रूपक](../figs-simile/01.md). +, -> तब उसने उन्हे एक दृष्टांत बताया। ‘‘क्या अन्धा, अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनो गड़हे में नहीं गिरेंगे?’’ (लूका 6:39 ULB) +> तब उसने उन्हे एक दृष्टांत भी सुनाया। ‘‘क्या अन्धा, अन्धे को मार्ग बता सकता है? क्या दोनो गड़हे में नहीं गिरेंगे?’’ (लूका 6:39 ULT) -यह दृष्टांत बताता है कि यदि एक मनुष्य में आत्मिक समझ नही है तो वह आत्मिक बातों के बारे में किसी और की मदद भी नही कर सकता । +इस दृष्टांत से यह शिक्षा मिलती है कि किसी मनुष्य में आत्मिक समझ न हो तो वह किसी और को आत्मिक बातें समझाने में योग्य नहीं होता है| ### बाइबल में से उदाहरण ->और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ार्इ करें। (मत्ती 5:15-16) +>और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें। (मत्ती 5:15-16) -यह दृष्टांत बताता है कि हमें परमेश्वर के लिए जिस प्रकार जीते हैं, उन्हे हमें दूसरों से नही छिपाना है। +इस दृष्टांत से शिक्षा मिलती है कि हमेंअपनी जीवन शैली को मनुष्यों से छिपा कर नहीं रखना है। -> उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया । कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया। वह सब बीजों से छोटा तो है। पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB) +> उस ने उन्हें एक और दृष्टान्त सुनाया। कि स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बो दिया। वह सब बीजों से छोटा तो है। पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB) -यह दृष्टांत बताता है कि परमेश्वर के राज्य की चीजें पहले तो छोटी लग सकती हैं, परंतु यह बढ़कर संसारभर में फैल जाएँगीं। +इस दृष्टांत से शिक्षा मिलती है कि परमेश्वर का राज्य आरम्भ में तो छोटा प्रतीत होगा परन्तु वह विकसित होकर सम्पूर्ण जगत में फैल जाएगा| -### अनुवाद की रणनीतियाँ +### अनुवाद की युक्तियाँ 1. यदि दृष्टांत इस कारण समझने में कठिन है कि इसमें अन्जान चीजें लिखी हैं, तो आप उन अंजान चीजों के स्थान पर आपकी संस्कृति में परिचित बातों को लिख सकते हैं। तौभी, शिक्षा अथवा विषय को वही बनाए रखें। (See: [Translate Unknowns](../translate-unknown/01.md)) -1. यदि दृष्टांत की बातें स्पष्ट नही हैं, तो यह बताने की कोशिश करें जो यह परिचय में बताता है, जैसे कि ‘‘यीशु ने यह कहानी उदारता के बारे में कही।’’ +2. यदि दृष्टांत की बातें स्पष्ट नही हैं, तो प्रस्तावना स्वरुप उसकी शिक्षा का संकेत दें जैसे, ‘‘यीशु ने यह कहानी उदारता के बारे में सुनाई है।’’ -### अनुवाद की रणनीतियों को लागु करने के उदाहरण +### अनुवाद की युक्तियों के उदाहरणों की प्रासंगिकता 1. यदि दृष्टांत इस कारण समझने में कठिन है कि इसमें अन्जान चीजें लिखी हैं, तो आप उन अंजान चीजों के स्थान पर आपकी संस्कृति में परिचित बातों को लिख सकते हैं। तौभी, शिक्षा अथवा विषय को वही बनाए रखें। -* **यीशु ने उनसे कहा; क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए?** (मरकुस 4:21 ULB) +> यीशु ने उनसे कहा; "क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि **दीवट** पर रखा जाए? (मरकुस 4:21 ULT) -(मरकुस 4:21 ULB) यदि लोगों को पता नही है कि दीवट क्या होता है तो आप उसकी जगह पर उस वस्तु का उपयोग कर सकते हैं जो आपके लोग दीये को रखने उपयोग करते हैं +यदि लोगों को पता नही है कि दीवट क्या होता है तो आप उसकी जगह पर उस वस्तु का उपयोग कर सकते हैं जो आपके लोग दीये को रखने के लिए उपयोग करते हैं -* **यीशु ने उनसे कहा; क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि बड़ी अलमारी पर रखा जाए?** (मरकुस 4:21 ULB) +>> यीशु ने उनसे कहा; क्या दीये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि **ऊंची ताक** में रखा जाए? (मरकुस 4:21 ULB) +> -> उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया । उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया । वह सब बीजों से छोटा तो है। पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB) - बीज बोने का अर्थ उन्हे जमीन पर फेंकना है। यदि लोग बोने से परिचित नही तो आप उसके बदले में बागवानी को लेते हैं। +> यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त सुनाया। उसने कहा, "स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में **बोया** । वह निश्चय ही सब बीजों से छोटा है। पर जब बढ़ जाता है तब बगीचे के सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर घोसले बनाते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULT) +बीज बोने का अर्थ है, उन्हे जमीन पर बिखराना। यदि लोग बोने से परिचित नही तो आप उसके बदले में उगाना शब्द काम में ले सकते हैं। - * उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया. उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं। (मत्ती 13:31-32 ULB) - बीज बोने का अर्थ उन्हे जमीन पर फेंकना है। +>> तब यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त सुनाया| उसने कहा, "स्वर्ग का राज्य राई के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में **बोया** वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब बगीचे की सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर घोसला बनाते हैं। -1. यदि दृष्टांत की बातें स्पष्ट नही हैं, तो यह बताने की कोशिश करें जो यह परिचय में बताता है, जैसे कि ‘‘यीशु ने यह कहानी उदारता के बारे में कही।’’ +2. यदि दृष्टांत की शिक्षा स्पष्ट नही हैं, तो प्रस्तावना स्वारूप उसकी शिक्षा का संकेत दें जैसे, ‘‘यीशु ने यह कहानी उदारता के बारे में कही।’’ -* **यीशु ने उनसे कहा, ‘‘क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए?’’** (मरकुस 4:21 ULB) - * यीशु उनसे खुले रूप में गवाही बताने की बात कह रहे थे, ‘‘क्या दिये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए?’’ (मरकुस 4:21 ULB) -* **उसने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया। उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया। वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं।’’** (मत्ती 13:31-32 ULB) - * तब यीशु ने उन्हें एक और दृष्टान्त दिया कि परमेश्वर का राज्य कैसे बढ़ता है उसने कहा कि स्वर्ग का राज्य रार्इ के एक दाने के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने लेकर अपने खेत में बोया। वह सब बीजों से छोटा तो है. पर जब बढ़ जाता है तब सब साग पात से बड़ा होता है; और ऐसा पेड़ हो जाता है, कि आकाश के पक्षी आकर उस की डालियों पर बसेरा करते हैं।’’ +> **यीशु ने उनसे यह भी कहा**, ‘‘क्या दीये को इसलिये लाते हैं कि पैमाने या खाट के नीचे रखा जाए? क्या इसलिये नहीं, कि दीवट पर रखा जाए?’’ (मरकुस 4:21 ULT) +> +>> **यीशु ने उनको एक दृष्टांत सुनाया कि उनको सार्वजनिक गवाही क्यों देना है|** यीशु ने उनसे यह भी कहा, "दीये को इसलिए नहीं जलाते हैं कि टोकरे के नीचे या खाट के नीचे रखें, रखते हैं क्या? क्या इसलिए नहीं कि उसको दीपदान पर रखें?" (मरकुस 4:21 ULT) + +> **तब यीशु ने उनको एक और दृष्टांत सुनाया|** उसने कहा, "स्वर्ग का राज्य एक राई के दाने के सदृश्य है जिसको लेकर किसी मनुष्य ने अपने खेत में बो दिया| निश्चय ही वह सब बीजों में सबसे छोटा है| परन्तु जब वह बड़ा हो जाता है तब वह बगीचे के सब पौधों से बड़ा होता है| वह एक वृक्ष बन जाता है और आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों में घोसले बनाते हैं|" (मत्ती 13:31-32 ULT) +> +>> **तब यीशु ने उनको परमेश्वर के राज्य के विकास के सम्बन्ध में एक और दृष्टांत सुनाया** उसने कहा, "स्वर्ग का राज्य एक राई के दाने के सदृश्य है जिसको लेकर किसी मनुष्य ने अपने खेत में उगा दिया| यह बीज निश्चय ही सब बीजों से छोटा है परन्तु जब वह बढ़ गया तो वह बगीचे के सब पौधों से बड़ा हो गया| वह एक वृक्ष में परिणत हो गया और आकाश के पक्षी आकर उसकी डालियों पर घोसले बनाने लगे|" diff --git a/translate/figs-rpronouns/01.md b/translate/figs-rpronouns/01.md index 095eca1..6f3af96 100644 --- a/translate/figs-rpronouns/01.md +++ b/translate/figs-rpronouns/01.md @@ -1,79 +1,83 @@ ### विवरण -सभी भाषाओं में यह दिखाने का तरीका होता है कि एक ही व्यक्ति एक वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ को पूरा करता है। +सभी भाषाओं में यह दिखाने की विधियां हैं कि एक ही व्यक्ति किसी वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ निभाता है| अंग्रेज़ी में, यह काम निजवाचक सर्वनाम के माध्यम से किया जाता है| ये सर्वनाम उन वस्तुओं या मनुष्यों का सन्दर्भ देते हैं जिसकी चर्चा वाक्य में पहले की जा चुकी है| अंग्रेज़ी में निजवाचक सर्वनाम हैं: "मैं", "तू", "वह" (पुरुष), "वह" (स्त्री), "वह" (वस्तु), "हम", "तुम" और "वे" अन्य भाषाओं में इनके अपने ही रूप होंगे| -अंग्रेजी **कर्मकर्ता सर्वनाम** का उपयोग करके ऐसा करती है। ये सर्वनाम हैं जो किसी व्यक्ति या किसी बात को सन्दर्भित करते हैं जिसका पहले से ही वाक्य में उल्लेख किया गया है। अंग्रेजी में कर्मकर्ता सर्वनाम: मैंने, तुम, उसका, उसकी, स्वयं, हमारा, अपने आप और हमारे अपने इत्यादि हैं। अन्य भाषाओं में इसे दिखाने के अन्य तरीके हो सकते हैं। +#### यह अनुवाद की समस्या होने का कारण -### इसका कारण यह अनुवाद का एक विषय है +* भाषाओं में इसे दिखाने के विभिन्न तरीके होते हैं जिससे कि एक ही व्यक्ति एक वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ पूरी करता है। उन भाषाओं के लिए, अनुवादकों को यह जानने की आवश्यकता होगी कि अंग्रेजी भाषा के निजवाचक सर्वनामों का अनुवाद कैसे करना है। +* अंग्रेजी में इन निजवाचक सर्वनामों में अन्य कार्य भी होते हैं। -* भाषाओं में इसे दिखाने के विभिन्न तरीके होते हैं जिससे कि एक ही व्यक्ति एक वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ पूरी करता है। उन भाषाओं के लिए, अनुवादकों को यह जानने की आवश्यकता होगी कि अंग्रेजी कर्मकर्ता सर्वनाम का अनुवाद कैसे करता है। -* अंग्रेजी में कर्मकर्ता सर्वनामों में अन्य कार्य भी होते हैं। - -### कर्मकर्ता सर्वनामों का उपयोग +### निजवाचक सर्वनामों के उपयोग * यह दिखाने के लिए कि एक ही व्यक्ति या चीजें वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ पूरी करती हैं -* वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु पर जोर देना +* वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु पर बल देना * यह दिखाने के लिए कि किसी ने अकेले ही कुछ किया है -* यह दिखाने के लिए कि कोई या कुछ वस्तु अकेली था +* यह दिखाने के लिए कि कोई अकेला था या कोई वस्तु अकेली था ### बाइबल से उदाहरण -कर्मकर्ता सर्वनाम का उपयोग उसी व्यक्ति या वस्तु को दिखाने के लिए किया जाता है जो वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ पूरी करते हैं। +निजवाचक सर्वनाम का उपयोग उसी व्यक्ति या वस्तु को दिखाने के लिए किया जाता है जो वाक्य में दो भिन्न भूमिकाएँ पूरी करते हैं। -
यदि मैं ही अपने बारे में गवाही दूँ, तो मेरी गवाही सच नहीं होगी। (यूहन्ना 5:31 यूएलबी)
+> यदि **मैं** ही **अपने** बारे में गवाही दूँ, तो मेरी गवाही सच नहीं होगी। (यूहन्ना 5:31 ULT) -> अब यहूदियों का फसह निकट था, और कई लोग फसह से पहले ही देश से बाहर यरूशलेम गए थे ताकि आप स्वयं को शुद्ध कर सकें। (यूहन्ना 11:55 यूएलबी) +> अब यहूदियों का फसह निकट था, और **कई** लोग फसह से पहले ही बाहरी क्षेत्रों से यरूशलेम गए थे कि **स्वयं** को शुद्ध कर सकें। (यूहन्ना 11:55 ULT) -कर्मकर्ता सर्वनाम का उपयोग वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु पर जोर देने के लिए किया जाता है। +निजवाचक सर्वनामों का उपयोग वाक्य में किसी व्यक्ति या वस्तु पर बल देने के लिए किया जाता है। -
यीशु स्वयं बपतिस्मा नहीं दे रहा था, परन्तु उसके शिष्य दे रहे थे (यूहन्ना 4:2 यूएलबी)
+> **यीशु स्वयं** बपतिस्मा नहीं दे रहा था, परन्तु उसके शिष्य दे रहे थे (यूहन्ना 4:2 ULT) -> इसलिए वे भीड़ को छोड़कर, यीशु को अपने साथ ले गए, क्योंकि वह पहले से ही नाव में था। अन्य नाव भी उनके साथ थीं। और एक बड़ा तूफान उभर उठा और लहरें नाव को तोड़ रही थी जिससे कि नाव में पानी भरता जा रहा था। परन्तु यीशु स्वयं पिछले भाग पर एक गद्दी पर सो रहा था। (मरकुस 4:36-38 यूएलबी) +> इसलिए वे भीड़ को छोड़कर, यीशु को अपने साथ ले गए, क्योंकि वह पहले से ही नाव में था। अन्य नाव भी उनके साथ थीं। और एक बड़ा तूफान उभर उठा और लहरें नाव पर लग रही थीं जिससे कि नाव में पानी भरता जा रहा था। परन्तु **यीशु स्वयं** पिछले भाग में गद्दी पर सो रहा था। (मरकुस 4:36-38 ULT) -कर्मकर्ता सर्वनाम का उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि किसी ने अकेले ही कुछ किया है। +निजवाचक सर्वनाम का उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि किसी ने अकेले ही कुछ किया है। -> जब यीशु को एहसास हुआ कि वे उसे राजा बनाने के लिए मजबूर करने के लिए आने और उसे पकड़ने वाले हैं, तो वह पहाड़ की ओर पुन: वापस स्वयं चला गया . (यूहन्ना 6:15 यूएलबी) +> तब यीशु यह जानकार कि वे उसे राजा बनाने के लिए पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर **अकेला** चला गया| (यूहन्ना 6:15 ULT) -कर्मकर्ता सर्वनाम का उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि कोई या कुछ अकेला था। +निजवाचक सर्वनाम का उपयोग यह दिखाने के लिए किया जाता है कि कोई मनुष्य या कोई वस्तु अकेली थी। -> उसने वहाँ सन के कपड़े और उस कपड़े को पड़ा देखा जिसे उसने सिर पर लगाया हुआ था। यह सन का कपड़ा उन कपड़ों को साथ नहीं पड़ा हुआ था, परन्तु अपने स्थान पर स्वयं से ही लपेटा हुआ था। (यूहन्ना 20:6-7 यूएलबी) +> उसने वहाँ सन के कपड़े और उस कपड़े को पड़ा देखा जिसे उसने सिर पर लगाया हुआ था। **यह** सन का कपड़ा उन कपड़ों को साथ नहीं था, परन्तु अलग एक स्थान पर **स्वयं** ही लिपटा पड़ा हुआ था। (यूहन्ना 20:6-7 ULT) -### अनुवाद की रणनीतियाँ +### अनुवाद की युक्तियाँ -यदि एक कर्मकर्ता सर्वनाम आपकी भाषा में एक ही कार्य करेगा, तो इसका उपयोग करने पर विचार करें। यदि नहीं, तो यहाँ कुछ अन्य रणनीतियों को दिया गया है। +यदि आपकी भाषा में निजवाचक सर्वनामों का भी ऐसा ही काम है तो उसका उपयोग करने पर विचार करें। यदि नहीं, तो यहाँ कुछ अन्य युक्तियाँ दी जा रही हैं। -1. कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए क्रिया पर जोर डालते हैं कि क्रिया का कर्म वही जो कि कर्ता का है। -1. कुछ भाषाओं में लोग वाक्य में एक विशेष स्थान पर इसका वर्णन करते हुए एक निश्चित व्यक्ति या वस्तु पर जोर देते हैं। -1. कुछ भाषाओं में लोग उस शब्द को कुछ जोड़कर या उसके साथ एक और शब्द डालकर किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु पर जोर देते हैं। -1. कुछ भाषाओं में लोग दिखाते हैं कि किसी ने "अकेले" शब्द का उपयोग करके अकेले ही कुछ किया है। -1. कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए यह कहाँ था एक वाक्यांश का उपयोग यह दिखाने के लिए करते हैं कि कुछ अकेला था। +(1) कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए क्रिया पर जोर डालते हैं कि क्रिया का कर्म वही है जो कर्ता है। +(2) कुछ भाषाओं में लोग वाक्य में एक विशेष स्थान के सन्दर्भ द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु पर जोर देते हैं। +(3) कुछ भाषाओं में लोग उस शब्द में कुछ जोड़कर या उसके साथ एक और शब्द डालकर किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु पर बल देते हैं। +(4) कुछ भाषाओं में लोग दिखाते हैं कि किसी ने अकेले कुछ किया तो "स्वयं" शब्द का उपयोग करते हैं। +(5) कुछ भाषाओं में यह दिखाने के लिए कि कोई वस्तु अकेली थी, तो उसके लिए उस स्थान का नाम लिया जाता है जहां वह वस्तु थी। -### अनुवाद के लिए लागू की गई रणनीतियों के उदाहरण +### अनुवाद की युक्तियों के उदाहरणों की प्रासंगिकता -1. कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए क्रिया पर जोर डालते हैं कि क्रिया का कर्म वही जो कि कर्ता का है। +1. कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए क्रिया में बदलाव करते हैं कि क्रिया का कर्म कर्ता प्रकट हो। -* **यदि मैं ही अपने बारे में गवाही दूँ, तो मेरी गवाही सच नहीं होगी।** (यूहन्ना 5:31) - * " यदि मैं स्वयं-अपनीगवाही दूँ, तो मेरी गवाही सच नहीं होगी।" -* **अब यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत से लोग फसह के लिए यरूशलेम गए, ताकि स्वयं को शुद्ध कर सकें .** ( यूहन्ना 11:55) - * "अब यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत से लोग फसह के लिए यरूशलेम गए, ताकि अपने आप को-शुद्ध कर सकें ." +> यदि मुझे ही **अपने** बारे में एकमात्र गवाह होना है तो मेरी गवाही सच नहीं होगी। (यूहन्ना 5:31) -1. कुछ भाषाओं में लोग वाक्य में एक विशेष स्थान पर इसका वर्णन करते हुए एक निश्चित व्यक्ति या वस्तु पर जोर देते हैं। +>> "यदि मुझे अकेले ही **अपनी गवाही** देना हो तो मेरी गवाही सच नहीं होगी।" -* ** उसने स्वयं के ऊपर हमारी बीमारियों को ले लिया और हमारी दुर्बलताओं को उठा लिया।** (मत्ती 8:17 यूएलबी) - * " यह वही था जिसने स्वयं के ऊपर हमारी बीमारियों को ले लिया और हमारी दुर्बलताओं को उठा लिया।" -* ** यीशु स्वयं बपतिस्मा नहीं दे रहा था, परन्तु उसके शिष्य थे।** (यूहन्ना 4:2) - * " यह यीशु नहीं था जो बपतिस्मा दे रहा था, परन्तु उसके शिष्य दे रहे थे।" +> अब यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत से लोग फसह के पर्व से पहले ही बाहरी क्षेत्रों से यरूशलेम गए, कि **स्वयं को शुद्ध करें** ( यूहन्ना 11:55) -1. कुछ भाषाओं में लोग उस शब्द को कुछ जोड़कर या उसके साथ एक और शब्द डालकर किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु पर जोर देते हैं। अंग्रेजी कर्मकर्ता सर्वनाम को जोड़ता है। +>> "अब यहूदियों का फसह निकट था, और बहुत से लोग फसह के पर्व से पहले ही बाहरी क्षेत्रों से यरूशलेम गए, ताकि स्वशोधन करें" -* **अब यीशु ने फिलिप्पुस को परखने के लिए कहा था, क्योंकि वह स्वयं जानता था कि वह क्या करने वाला था।** (यूहन्ना 6:6) +(2) कुछ भाषाओं में लोग वाक्य में एक विशेष स्थान पर किसी मनुष्य या वस्तु का सन्दर्भ देकर बलाघात करते हैं। -1. कुछ भाषाओं में लोग दिखाते हैं कि किसी ने "अकेले" शब्द का उपयोग करके अकेले ही कुछ किया है। +> **उसने आप** हमारी दुर्बलताओं को ले लिया और हमारी बीमारियों को उठा लिया।" (मत्ती 8:17 ULT) -* **जब यीशु को एहसास हुआ कि वे उसे राजा बनाने के लिए मजबूर करने के लिए आने और उसे पकड़ने वाले हैं, तो वह पहाड़ की ओर पुन: वापस स्वयं चला गया.** (यूहन्ना 6:15) - * "जब यीशु को एहसास हुआ कि वे उसे राजा बनाने के लिए मजबूर करने के लिए आने और उसे पकड़ने वाले हैं, तो वह पहाड़ की ओर पुन: वापस अकेले ही चला गया।" +>> " **वही था जिसने** स्वयं के ऊपर हमारी बीमारियों को ले लिया और हमारी दुर्बलताओं को उठा लिया।" -1. कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए यह कहाँ था एक वाक्यांश का उपयोग यह दिखाने के लिए करते हैं कि कुछ अकेला था। +> **यीशु स्वयं** बपतिस्मा नहीं दे रहा था, परन्तु उसके शिष्य दे रहे थे। (यूहन्ना 4:2) -* **उसने वहाँ सन के कपड़े और उस कपड़े को पड़ा देखा जिसे उसने सिर पर लगाया हुआ था। सन का कपड़ा उन कपड़ों को साथ नहीं पड़ा हुआ था, परन्तु अपने स्थान पर स्वयं से ही लपेटा पड़ा हुआ था.** (यूहन्ना 20:6-7 यूएलबी) - * "उसने वहाँ सन के कपड़े और उस कपड़े को पड़ा देखा जिसे उसने सिर पर लगाया हुआ था। सन का कपड़ा उन कपड़ों को साथ नहीं पड़ा हुआ था, परन्तु अपने स्थान पर स्वयं से ही लपेटा पड़ा हुआ था।” +>> वह यीशु +नहीं था जो बपतिस्मा दे रहा था, परन्तु उसके शिष्य दे रहे थे।" + +(3) कुछ भाषाओं में लोग किसी मनुष्य या वस्तु पर बलाघात हेतु उस शब्द में कुछ जोड़ देते हैं या उसके साथ एक और शब्द जोड़ देते हैं| अंग्रेज़ी में निजवाचक सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है| +> उसने यह बात फिलिप्पुस को परखने के लिए कही क्योंकि वह **आप** जानता था कि वह क्या करेगा| (यूहन्ना 6:6) + +(4) कुछ भाषाओं में लोग "स्वयं" शब्द के उपयोग द्वारा प्रकट करते हैं कि किसी ने अपने आप कुछ किया है| +> यीशु यह जानकार कि वे मुझे राजा बनाने के लिए पकड़ना चाहते हैं, फिर पहाड़ पर अकेला चला गया| +>> "जब यीशु यह जान गया कि वे आकर उसको पकड़ने वाले हैं की उसको बलपूर्वक राजा बना दें, वह **स्वयं** ही पुनः पहाड़ पर चला गया|" + +(5) कुछ भाषाओं में लोग यह दिखाने के लिए कि कोई वास्तु अकेली पड़ी थी तो वे एक वाक्यांश के द्वारा उसका यथास्थान व्यक्त करते हैं| + +> उसने वहाँ सन के कपड़े और उस कपड़े को पड़ा देखा जिसे उसने सिर पर लगाया हुआ था। सन का कपड़ा उन कपड़ों को साथ नहीं पड़ा हुआ था, परन्तु अपने स्थान पर **स्वयं ही** लिपटा पड़ा हुआ था. (यूहन्ना 20:6-7 ULT) + +>> "उसने वहाँ सन के कपड़े और उस कपड़े को पड़ा देखा जिसे उसने सिर पर लगाया हुआ था। सन का कपड़ा उन कपड़ों को साथ नहीं पड़ा हुआ था, परन्तु **अपने स्थान पर** लिपटा पड़ा हुआ था।” diff --git a/translate/figs-rpronouns/sub-title.md b/translate/figs-rpronouns/sub-title.md index 24ec309..0749801 100644 --- a/translate/figs-rpronouns/sub-title.md +++ b/translate/figs-rpronouns/sub-title.md @@ -1 +1 @@ -कर्मकर्ता सर्वनाम क्या होते हैं? \ No newline at end of file +निजवाचक सर्वनाम क्या होते हैं? \ No newline at end of file diff --git a/translate/figs-rquestion/title.md b/translate/figs-rquestion/title.md index 84b9e98..f63289f 100644 --- a/translate/figs-rquestion/title.md +++ b/translate/figs-rquestion/title.md @@ -1 +1 @@ -भाषणगत प्रश्न \ No newline at end of file +उत्तर की अपेक्ष किए बिना प्रभावोत्पादक प्रश्न \ No newline at end of file diff --git a/translate/figs-verbs/01.md b/translate/figs-verbs/01.md index 4f9e372..9507a37 100644 --- a/translate/figs-verbs/01.md +++ b/translate/figs-verbs/01.md @@ -1,81 +1,78 @@ ### विवरण -क्रियाएँ वे शब्द होते हैं जो किसी क्रिया या घटना का सन्दर्भ देते हैं या जिसका उपयोग वस्तुओं का वर्णन करने या पहचानने में किया जाता है। +क्रियाएँ वे शब्द होते हैं जो किसी कार्य या घटना का सन्दर्भ देते हैं या जिसका उपयोग वस्तुओं का वर्णन करने या पहचानने में किया जाता है। "कार्य" वह है जो किया जाता है| "घटना" "कार्य" से अधिक सामान्य होती है| घटना वह है जो होती है जैसे, मृत्यु| सहायक क्रिया ("is") होने की अवस्था का वर्णन करती है| -**उदाहरण** नीचे दिए गए उदाहरणों में क्रियाएँ रेखांकित की गई हैं। +**उदाहरण** नीचे दिए गए उदाहरणों में क्रियाएँ गहरी की गई हैं। -* यूहन्ना दौड़ा . ("दौड़ना" एक गतिविधि है।) -* यूहन्ना एक केला खाया। ("खाना" एक गतिविधि है।) -* यूहन्ना ने मरकुस को देखा। ("देखना" एक घटना है।) -* यूहन्ना की मृत्यु हो गई। ("मृत्यु" एक घटना है।) -* यूहन्ना लम्बा है। (वाक्यांश "लम्बा है" यूहन्ना का वर्णन करता है। +* यूहन्ना **दौड़ा** . ("दौड़ना" एक कार्य है।) +* यूहन्ना ने एक केला **खाया** । ("खाना" एक कार्य है।) +* यूहन्ना ने मरकुस को **देखा** । ("देखना" एक घटना है।) +* यूहन्ना की **मृत्यु हो गई** ("मृत्यु" एक घटना है।) +* यूहन्ना लम्बा **है**। (वाक्यांश "लम्बा है" यूहन्ना का वर्णन करता है और "है" शब्द यूहन्ना का सम्बन्ध "लंबा" से प्रकट करता है|) +* यूहन्ना रूपवान **दिखता** है| ("रूपवान" शब्द यूहन्ना का वर्णन करता है| यहाँ "दिखता"'शब्द एक क्रिया है जो "यूहन्ना" को "रूपवान" शब्द से जोड़ता है|) +* यूहन्ना मेरा भाई **है**| (यह वाक्यांश, "मेरा भाई है" यूहन्ना की पहचान कराता है|) -"है" शब्द एक क्रिया है जो "यूहन्ना" को "लम्बा" होने से जोड़ती है।) +* -* यूहन्ना सुन्दर दिखता है। (वाक्यांश "सुन्दर है" यूहन्ना का वर्णन करता है। +### क्रिया के साथ संबद्ध लोग या वस्तुएं -शब्द "दिखता" यहाँ एक क्रिया है जो "यूहन्ना" को "सुन्दर" होने से जोड़ती है।) +क्रिया सामान्य रूप से किसी मनुष्य या किसी वस्तु के बारे में कुछ कहती है। ऊपर दिए गए सभी उदाहरण वाक्य यूहन्ना के बारे में कुछ कहते हैं। "यूहन्ना" उन वाक्यों का **कर्ता** है। अंग्रेजी में कर्ता सामान्य रूप से क्रिया से पहले आता है। कभी-कभी क्रिया के साथ कोई अन्य व्यक्ति या वस्तु जुड़ी होती है। नीचे दिए गए उदाहरणों में, रेखांकित शब्द क्रिया है, और बड़े अझरों में छपे वाक्यांश **कर्म** है। अंग्रेजी में कर्म सामान्य रूप से क्रिया के बाद में आता है। -* यूहन्ना मेरा भाई है। (वाक्यांश "मेरा भाई" यूहन्ना की पहचान करता है।) - -### एक क्रिया के साथ संबद्ध लोग या चीजें - -एक क्रिया सामान्य रूप से किसी या किसी वस्तु के बारे में कुछ कहती है। ऊपर दिए गए सभी उदाहरण वाक्य यूहन्ना के बारे में कुछ कहते हैं। "यूहन्ना" उन वाक्यों का **कर्ता** है। अंग्रेजी में कर्ता सामान्य रूप से क्रिया से पहले आता है। कभी-कभी क्रिया के साथ कोई अन्य व्यक्ति या वस्तु जुड़ी होती है। नीचे दिए गए उदाहरणों में, रेखांकित शब्द क्रिया है, और बड़े अझरों छपे वाक्यांश **कर्म** है। अंग्रेजी में कर्म सामान्य रूप से क्रिया के बाद में आता है। - -* उसने खाया **भोजन**. -* उसने गाया **एक गीत**. -* उसने पढ़ी **एक पुस्तक**. -* उसने देखी **पुस्तक**. +* उसने **खाया** "भोजन". +* उसने **गाया** "एक गीत". +* उसने **पढ़ी** "एक पुस्तक". +* उसने **देखी** "वह पुस्तक". कुछ क्रियाओं में कभी कर्म नहीं होता है। -* सूर्य उगता है छः बजे। -* यूहन्ना सोया अच्छी तरह से। -* यूहन्ना गिर गया था कल। +* सूर्य छः बजे **उगा** था। +* यूहन्ना अच्छी तरह से **सोया** था। +* यूहन्ना **गिर गया** था। अंग्रेजी में कई क्रियाओं में, कर्म को छोड़ना तब ठीक होता है, जब कर्म वाक्य में महत्वपूर्ण नहीं है। -* वह रात में खाता है कभी नहीं। -* वह हर समय गाता है। -* वह पढ़ता है अच्छी तरह से। -* वह देख नहीं सकता है। +* वह रात में कभी नहीं **खाता है** +* वह हर समय हर समय **गाता** रहता है। +* वह स्पष्ट **पढ़ता** है। +* वह **देख** नहीं सकता है। -कुछ भाषाओं में, एक क्रिया जिसे कर्म की आवश्यकता होती है, वह सदैव एक कर्म को लेना चाहिए, चाहे कर्म बहुत महत्वपूर्ण न हो। जो लोग उन भाषाओं को बोलते हैं वे इस तरह के वाक्य कह सकते हैं। +कुछ भाषाओं में, क्रिया को कर्म की आवश्यकता हो तो उसमें कर्म होना आवश्यक है, चाहे कर्म बहुत महत्वपूर्ण न हो। जो लोग उन भाषाओं को बोलते हैं वे उपरोक्त वाक्यों को इस प्रकार कहेंगे। -* वह कभी रात में **भोजन** नहीं खाता है। -* वह हर समय **गाने** गाता है । -* वह **शब्दों** को अच्छी तरह से पढ़ता है . -* वह कुछ भी **नहीं देखें** है। +* वह रात में **भोजन** कभी नहीं **खाता** है। +* वह हर समय **गाने** **गाता** है । +* वह **शब्दों** को अच्छी तरह से **पढ़ता** है. +* वह **कुछ भी** नहीं **देख** सकता है। -### क्रियाओं के ऊपर कर्ता और कर्म को चिन्हित करना +### क्रियाओं पर कर्ता और कर्म को चिन्हित करना -कुछ भाषाओं में, क्रियाएँ व्यक्तियों या उससे जुड़े वस्तुओं के आधार पर थोड़ी अलग हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, जब कभी-कभी कर्ता केवल एक व्यक्ति होता है तो अंग्रेजी बोलने वाले क्रिया के अन्त में "बहुवचक शब्द" को लगा देते हैं। क्रिया को चिन्हित करने वाली अन्य भाषाओं में यह दिखाया जा सकता है कि कर्ता "मैं," "आप," या "वह" है; एकवचन, द्विवाचक, या बहुवचन; पुरूष या स्त्री, या मानव या गैर-मानवीय है। +कुछ भाषाओं में, क्रियाएँ व्यक्तियों या उससे जुड़े वस्तुओं के आधार पर थोड़ी अलग हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, जब कर्ता केवल एक व्यक्ति होता है तब अंग्रेजी बोलने वाले क्रिया के अन्त में "s" अक्षर जोड़ते है। क्रिया को चिन्हित करने वाली अन्य भाषाओं में क्रिया के अन्तः चिन्ह प्रकट करते है कि कर्ता "मैं", "तू/आप", या "वह" है या वह एकवचन, द्विववचन या बहुवचन में है या स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग है या मनुष्य है या वस्तु/पशु है| यह दिखाया जा सकता है कि कर्ता "मैं," "आप," या "वह" है; एकवचन, द्विवाचक, या बहुवचन; पुरूष या स्त्री, या मानव या गैर-मानवीय है। -* वे हर दिन __केले__ खाते हैं। (कर्ता "वे" एक से अधिक व्यक्ति हैं।) -* यूहन्ना __हर दिन__ केला खाता है। (कर्ता "यूहन्ना" एक व्यक्ति है।) +* वे प्रतिदिन केले **खाते** हैं। (कर्ता "वे" एक से अधिक व्यक्ति हैं।) +* यूहन्ना प्रतिदिन केले **खाता** है। (कर्ता "यूहन्ना" एक व्यक्ति है।) ### समय और काल -जब हम किसी घटना के बारे में बताते हैं, तो हम सामान्य रूप से बताते हैं कि यह अतीत, वर्तमान या भविष्य में घटित हुई है या नहीं। कभी-कभी हम इसे "कल," "अब," या "कल" जैसे शब्दों के साथ करते हैं। कुछ भाषाओं में क्रिया इसके साथ जुड़े समय के आधार पर थोड़ी अलग हो सकती है। +जब हम किसी घटना के बारे में बताते हैं, तो हम सामान्य रूप से बताते हैं कि यह अतीत, वर्तमान या भविष्य में घटित हुई है या नहीं। कभी-कभी हम "कल," "अब," या "कल" जैसे शब्दों के साथ उपयोग करते हैं। +कुछ भाषाओं में क्रिया साथ जुड़े समय के आधार पर थोड़ी अलग हो सकती है। -क्रिया पर इस तरह के चिन्ह को **काल** कहा जाता है। जब घटनाएँ अतीत में घटित हुईं हैं तो अंग्रेजी बोलने वाले कभी-कभी क्रिया के अन्त में अतीतकालीन "चिन्ह" डालते हैं। +क्रिया पर इस तरह के चिन्ह को "काल" कहा जाता है। जब घटनाएँ अतीत में घटित हुईं हैं तो अंग्रेजी बोलने वाले कभी-कभी क्रिया के अन्त में अतीतकालीन "चिन्ह" डालते हैं, जैसे "ed" जोड़ना। -* कभी-कभी मरियम मीट बनाती है। -* कल मरियम ने मीट पकाया था। (उसने अतीत में ऐसा किया था।) +* मरियम कभी-कभी मांस **पकाती है** । +* मरियम ने कल मांस **पकाया था** । (उसने बीते समय में ऐसा किया था।) -कुछ भाषाओं में वक्ता समय के बारे में कुछ बताने के लिए एक शब्द को जोड़ सकते हैं। अंग्रेजी बोलने वाले शब्द "इच्छा" का उपयोग करते हैं जब क्रिया भविष्य में किसी बात को सन्दर्भित करती है। +कुछ भाषाओं में वक्ता समय के बारे में कुछ बताने के लिए एक शब्द को जोड़ देते हैं। अंग्रेजी बोलने वाले भावी घटनाओं के सन्दर्भ में क्रिया के साथ सहायक क्रिया, "will" का उपयोग करते हैं जब क्रिया भविष्य में किसी बात को सन्दर्भित करती है। -* कल मरियम मीट पकाएंगी। +* कल मरियम मांस **पकाएंगी** । ### भाव -जब हम किसी घटना के बारे में बताते हैं, तो कभी-कभी हम यह दिखाना चाहते हैं कि घटना की समय की अवधि में कैसे प्रगति हुई, या घटना किसी अन्य घटना से कैसे सम्बन्धित है। +जब हम किसी घटना के बारे में बताते हैं, तो कभी-कभी हम यह दिखाना चाहते हैं कि समय के साथ-साथ घटना की प्रगति कैसे हुई, या घटना किसी अन्य घटना से कैसे सम्बन्धित है। -यह **भाव** है। कभी-कभी एक घटना किसी अन्य घटना से या वर्तमान समय से कैसे सम्बन्धित होता है, इसे दिखाने के लिए अंग्रेजी बोलने वाले शब्द "है" या "पास है" क्रिया का उपयोग करते हैं और क्रिया के अन्त में वर्तमान सूचक "है," "रहा" या "चुका" को जोड़ते हैं। +यह **भाव** है। कभी-कभी एक घटना किसी अन्य घटना से या वर्तमान समय से कैसे सम्बन्धित होता है, इसे दिखाने के लिए अंग्रेजी बोलने वाले, "is" या "has" जैसी सहायक क्रियाओं का उपयोग करते हैं और क्रिया के अन्त में "s" (ता/ती) या "ing" (रहा है/रहा था) या "ed" (किया) लगाकर प्रकट करते हैं कि एक घटना दूसरी घटना से या पर्त्मान समय से कैसे जुड़ी है । -* मरियम बनाती है मीट हर दिन। (यह बातती है कि मरियम अक्सर कुछ करती है।) -* मरियम खाना पकाना मांस है। (यह कुछ करने के बारे में बताता है जिसे मरियम अभी करने की प्रक्रिया में है।) -* मरियम ने मीट बनाया, और यूहन्ना घर आया। (यह को केवल उन बातों वस्तुओं के बारे में बताता है, जिसे मरियम और यूहन्ना ने किया था।) -* जब मरियम मीट बना रही थी, यूहन्ना घर आया। (यह बताता है कि मरियम घर आने पर प्रक्रिया करने की प्रक्रिया में था) -* मरियम ने मीट बनाया था, और वह चाहता है कि हम इसे खाएँ। (यह बताता है कि मरियम ने ऐसा कुछ किया जो अब भी प्रासंगिक है।) -* मरियम खाना पका चुकी थी उस समय तक मरकुस घर आ गया था। (यह किसी वस्तु के बारे में बताता है कि इससे पहले कुछ और घटित होता मरियम ने अतीत में अपने कार्य को पूरा कर लिया था।) +* मरियम प्रतिदिन मांस **पकाती है**। (यह दर्शाता है कि मरियम इस काम कोअक्सर करती है।) +* मरियम मांस **पका रही है**। (यह दर्शाता है कि मरियम अभी कुछ करने की प्रक्रिया में है।) +* मरियम ने मांस **पकाया** , और यूहन्ना घर **आया** । (यह मात्र इतना ही बताता है कि मरियम और यूहन्ना ने कोई काम किया था।) +* जब मरियम मांस **पका रही थी** तब रही थी, यूहन्ना घर आया। (यह दर्शाता है कि जब यूहन्ना घर आया तब मरियम कुछ करने की प्रक्रिया में थी) +* मरियम ने मांस **पकाया है** और वह चाहती है कि हम आकर उसको खाएं। (यह दर्शाता है कि मरियम ने ऐसा कुछ किया जो अब भी प्रासंगिक है।) +* मरियम मांस पका चुकी थी जब यूहन्ना घर आया। (यह दर्शाता है कि किसी घटना के होने पूर्व ही मरियम ने एक काम कर लिया था) diff --git a/translate/figs-verbs/sub-title.md b/translate/figs-verbs/sub-title.md index c9eaf02..fde2cbe 100644 --- a/translate/figs-verbs/sub-title.md +++ b/translate/figs-verbs/sub-title.md @@ -1 +1 @@ -क्रियाएँ क्या होती हैं और उनके साथ कौन कौनसी वस्तुएँ जुड़ी हैं? \ No newline at end of file +क्रियाएँ क्या हैं और उनके साथ कौन कौनसी वस्तुएँ जुड़ी होती हैं? \ No newline at end of file diff --git a/translate/figs-youformal/01.md b/translate/figs-youformal/01.md index 17d2de2..6eddb20 100644 --- a/translate/figs-youformal/01.md +++ b/translate/figs-youformal/01.md @@ -2,51 +2,52 @@ ### विवरण -कुछ भाषाएँ "आप" के औपचारिक रूप और "आप" के अनौपचारिक रूप के बीच अन्तर बनाती हैं। यह पृष्ठ मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है जिनकी भाषा इस अन्तर को बनाती है। +कुछ भाषाएँ "आप" के औपचारिक रूप और "आप" के अनौपचारिक रूप के बीच अन्तर बनाती हैं। यह पृष्ठ मुख्य रूप से उन लोगों के लिए है जिनकी भाषाओं यह अन्तर है। -कुछ संस्कृतियों में लोग बुर्जगों या अधिकार प्राप्त व्यक्ति से बात करते समय औपचारिक "आप" का उपयोग करते हैं, और वे अनौपचारिक "आप" का उपयोग तब करते हैं, जब वे किसी ऐसे बात करते हैं जो उनकी आयु से या उनसे छोटा होता है या जिसके पास कम अधिकार होते हैं। अन्य संस्कृतियों में, लोग अनजानों से या लोगों से बात करते समय औपचारिक "आप" का, जिन्हें वे अच्छी तरह से नहीं जानते हैं, और परिवार के सदस्यों और घनिष्ठ मित्रों के साथ बात करते समय अनौपचारिक "आप" उपयोग करते हैं। +कुछ संस्कृतियों में लोग बुर्जगों या अधिकार प्राप्त व्यक्ति से बात करते समय औपचारिक "आप" का उपयोग करते हैं, और वे अनौपचारिक "तू/तुम" का उपयोग तब करते हैं, जब वे किसी ऐसे बात करते हैं जो उनकी आयु का हो या उनसे छोटा हो या जिसके पास कम अधिकार हों। अन्य संस्कृतियों में, लोग अनजानों से या कम परिचित लोगों से बात करते समय औपचारिक "आप" का प्रयोग करते हैं और परिवार के सदस्यों तथा घनिष्ठ मित्रों के साथ बात करते समय अनौपचारिक "तू/तुम" का उपयोग करते हैं। -#### इसका कारण यह अनुवाद का एक विषय है +#### इसका अनुवाद की समस्या होने का कारण -* बाइबल इब्रानी, अरामी और यूनानी में लिखी गई थी। इन भाषाओं में "आप" औपचारिक और अनौपचारिक रूप नहीं पाए जाते हैं। +* बाइबल इब्रानी, अरामी और यूनानी में लिखी गई थी। इन भाषाओं में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप नहीं पाए जाते हैं। * अंग्रेजी और कई अन्य स्रोत भाषाओं में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप नहीं पाए जाते हैं। -* अनुवादक जो किसी भाषा में स्रोत मूलपाठ का उपयोग करते हैं, जिसमें "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप होते हैं, उन्हें यह समझने की आवश्यकता होगी कि उस भाषा में उन रूपों का उपयोग कैसे किया जाता है। उस भाषा में पाए जाने वाले नियम अनुवादक की भाषा में पाए जाने वाले नियमों के जैसे नहीं हो सकते हैं। +* अनुवादक जो किसी भाषा में स्रोत मूलपाठ का उपयोग करते हैं, जिसमें "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप नहीं होते हैं, उन्हें यह समझने की आवश्यकता होगी कि उस भाषा में उन रूपों का उपयोग कैसे किया जाता है। उस भाषा में पाए जाने वाले नियम अनुवादक की भाषा में पाए जाने वाले नियमों के जैसे नहीं हो सकते हैं। * अनुवादकों को अपनी भाषा में उपयुक्त रूप चुनने के लिए दो वक्ताओं के बीच सम्बन्धों को समझने की आवश्यकता होगी। +* यीशु से बात करते समय मनुष्यों द्वारा "आप/तू" का उपयोग अनुवादकों के लिए विशेष कठिनाई उत्पान करता है| क्योंकि यीशु परमेश्वर है इसलिए कुछ अनुवादक सदैव ही औपचारिक रूप काम में लेना चाहेंगे जब मनुष्य उससे बात करते हैं| परन्तु यीशु के साथ उनके संबंधों को और उनकी भावनाओं को यथार्थ में पहचानना महत्वपूर्ण है| फरीसी और सदूकी तो पहले से ही यीशु के बैरी हो गए थे और उन्सेम्तो आशा ही नहीं कि वे उससे सम्मानपूर्वक बातें करते| पिलातुस के साथ भी ऐसा ही था क्योंकि यीशु उसके समक्ष एक अपराधी स्वरूप खडा था तो वह उससे क्यों सम्मान का व्यवहार करता| #### अनुवाद के सिद्धान्त -* एक वक्ता और उस व्यक्ति या लोगों के बीच सम्बन्धों को समझें जिनसे वह बोल रहे हैं। -* उस व्यक्ति के प्रति वक्ता के दृष्टिकोण को समझें जिस से वह बोल रहा है। -* उस भाषा का चयन करें जो उस सम्बन्ध और व्यवहार के लिए उपयुक्त है। +* वक्ता और उसकी बात सुनने वाले व्यक्ति या लोगों के बीच सम्बन्धों को समझें। +* जिस व्यक्ति से वक्ता बातें करता है उसके प्रति उसके दृष्टिकोण को समझें। +* उस संबंध दृष्टिकोण के परिप्रेक्ष्य में अपनी भाषा का सुचारू रूप चुनें है। ### बाइबल से उदाहरण -> यहोवा परमेश्वर ने उस व्यक्ति को बुलाया और उससे कहा, " तूकहाँ हैं?" (उत्पत्ति 3:9 यूएलबी) +> तब यहोवा परमेश्वर ने पुकार कर आदम से पूछा, " **तू** कहाँ है?" (उत्पत्ति 3:9 ULT) -परमेश्वर उस व्यक्ति के ऊपर अधिकार में है, इसलिए जिन भाषाओं में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप हैं, वे यहाँ अनौपचारिक रूप का उपयोग करेंगे। +परमेश्वर आदम पर अधिकार रखता है, इसलिए जिन भाषाओं में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप हैं, वे यहाँ अनौपचारिक रूप का उपयोग करेंगे। -> इसलिए, मुझे यह भी अच्छा लगा कि, आरम्भ से सटीक रूप से सब कुछ जाँच कर, इसे तुझे क्रमबद्ध तरीके से लिखूँ, हे श्री मान् थियुफिलुस। मैं चाहता हूँ कि तूझे उन बातों की निश्चिता को जाने जिनकी तूने शिक्षा पाई थी। (लूका 1:3-4 यूएलबी) +> इसलिए, मुझे भी यह उचित मालूम हुआ कि उन सब बातों का सम्पूर्ण हाल आरम्भ से ठीक ठीक जाँच करके, उन्हें **तेरे** लिए क्रमानुसार लिखूं ताकि **तू** यह जान ले कि वे बातें जिनकी **तू** ने शिक्षा पाई है, कैसी अटल हैं । (लूका 1:3-4 ULT) -लूका ने थियुफिलुस को "श्री मान्" कहा है। यह हमें दिखाता है कि थियुफिलुस कदाचित् एक उच्च अधिकारी था. जिसके लिए लूका बहुत अधिक सम्मान दिखा रहा था। "आप" का औपचारिक रूप रखने वाली भाषाओं के वक्ताओं के लिए कदाचित् इसी रूप का उपयोग करें। +लूका ने थियुफिलुस को "श्री मान्" कहा है। यह हमें समझ में आता है कि है कि थियुफिलुस एक उच्च अधिकारी था. जिसके लिए लूका बहुत अधिक सम्मान दिखा रहा था। "आप" का औपचारिक रूप रखने वाली भाषाओं के वक्ताओं के लिए कदाचित् इसी रूप का उपयोग करना उचित होगा। -> स्वर्गीय पिता, अपने नाम को पवित्र कर। (मत्ती 6:9 यूएलबी) +> 'हे हमारे स्वर्गीय पिता, **तेरा** नाम को पवित्र माना जाए'। (मत्ती 6:9 ULT) -यह एक प्रार्थना का भाग है, जिसे यीशु ने अपने शिष्यों को सिखाया था। कुछ संस्कृतियाँ औपचारिक "आप" का उपयोग करती हैं, क्योंकि परमेश्वर अधिकारी है। अन्य संस्कृतियाँ अनौपचारिक "आप" का उपयोग करेंगी क्योंकि परमेश्वर हमारा पिता है। +यह उस प्रार्थना का एक अंश है, जो यीशु ने अपने शिष्यों को सिखाई थी। कुछ संस्कृतियों में औपचारिक "आप" का उपयोग किया गया हैं, क्योंकि परमेश्वर के हाथ में सम्पूर्ण अधिकार है। अन्य संस्कृतियों में अनौपचारिक "तेरा" शब्द का उपयोग किया जाता है क्योंकि परमेश्वर हमारा पिता है। -### अनुवाद की रणनीतियाँ +### अनुवाद की उक्तियाँ -अनुवादक जिनकी भाषा में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप पाए जाते हैं, उन्हें अपनी भाषा में "आप" के उचित रूप का चयन करने के लिए दो वक्ताओं के बीच सम्बन्धों को समझने की आवश्यकता होगी। +जिन अनुवादक की भाषा में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप पाए जाते हैं, उन्हें अपनी भाषा में "आप" के उचित रूप का चयन करने के लिए वार्तालाप के दोनों पक्षों के बीच सम्बन्धों को समझने की आवश्यकता होगी। -#### औपचारिक या अनौपचारिक "आप" का उपयोग करना है या नहीं +#### औपचारिक या अनौपचारिक "आप" का उपयोग करने का निर्णय लेना 1. वक्ताओं के बीच सम्बन्धों पर ध्यान दें। * क्या एक वक्ता दूसरे के ऊपर अधिकारी है? * क्या एक वक्ता दूसरे से बड़ा है? -* क्या वक्तागण परिवार का सदस्य, सम्बन्धी, मित्र, अनजान, या शत्रु हैं? +* क्या वक्तागण परिवार के सदस्य, सम्बन्धी, मित्र हैं या अनजान हैं या शत्रु हैं? -1. यदि आपके पास ऐसी भाषा में बाइबल है, जिसमें "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप हैं, तो देखें कि यह किस रूप में उपयोग करती है। स्मरण रखें, यद्यपि, उस भाषा में नियम आपकी भाषा के नियमों से अलग हो सकते हैं। +1. यदि आपके पास ऐसी भाषा में बाइबल है, जिसमें "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप दोनों हैं, तो देखें कि वह किस रूप का उपयोग करती है। परन्तु स्मरण रखें कि उस भाषा में नियम आपकी भाषा के नियमों से अलग हो सकते हैं। -### अनुवाद की लागू की गईं रणनीतियाँ +### अनुवाद की उक्तियों की प्रासंगिकता -अंग्रेजी में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप नहीं हैं, इसलिए हम अंग्रेजी में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूपों का उपयोग अनुवाद करने के लिए नहीं दिखा सकते हैं। कृपया उपरोक्त उदाहरण और चर्चा देखें। +अंग्रेजी में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूप नहीं हैं, इसलिए हम अंग्रेजी में "आप" के औपचारिक और अनौपचारिक रूपों का उपयोग अनुवाद करने के लिए नहीं दिखा सकते हैं। कृपया उपरोक्त उदाहरण और पारिचर्चा देखें। diff --git a/translate/figs-youformal/title.md b/translate/figs-youformal/title.md index 2257fe2..de07c94 100644 --- a/translate/figs-youformal/title.md +++ b/translate/figs-youformal/title.md @@ -1 +1 @@ -‘तुम’ के प्रारूप - औपचारिक या अनौपचारिक \ No newline at end of file +‘तू /तुम’ के रूप - औपचारिक या अनौपचारिक \ No newline at end of file diff --git a/translate/grammar-connect-condition-contrary/01.md b/translate/grammar-connect-condition-contrary/01.md new file mode 100644 index 0000000..be416d0 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-contrary/01.md @@ -0,0 +1,85 @@ +## Conditional Relationships + +Conditiशर्त आधारित संयोजक शब्द दो उपवाक्यों को जोड़तें है कि संकेत प्रकट हो कि एक उपवाक्य की बात तब ही पूरी होगा जब दूसरे की बात पूरी होगी| अंग्रेज़ी भाषा में शर्त आधारित उपवाक्यों को जोड़ने की सबसे सामान्य विधि है, "यदि...तो" परन्तु "तो/तब" अधिकतर व्यक्त नहीं किए जाते हैं| + +### तथ्य विरोधी स्थितियां + +#### वर्णन + +तथ्य विरोधी स्थिति एक ऎसी अवस्था है जो काल्पनिक प्रतीत होती है परन्तु वक्ता को पहले से ही निश्चय होता है कि यह सत्य नहीं है| + +#### इसका अनुवाद समस्या होने का कारण + +सामान्यतः तथ्य विरोधी स्थितियों का संकेत देने वाले शब्द नहीं होते हैं| लेखक मान कर चलता है कि पाठक को बोध है कि यह वास्तविक स्थिति नहीं है| यही कारण है कि इसमें अभिप्रेत जानकारी के पूर्वज्ञान की आवश्यकता होती है कि यदि इसके असत्य होने का बोध हो जाए| यदि अनुवादक के लिए इस प्रकार की स्थिति के अनुवाद में कठिनाई उत्पन्न हो तो वे उस युक्ति को काम में लेना चाहेंगे जिसको उन्होंने [प्रभावोत्पादक प्रश्नों](../figs-rquestion/01.md) or [Implied Information](../figs-explicit/01.md) में काम में लिया है| + +#### अन्य बाईबल कहानियाँ और बाईबल के उदाहरण + +> परन्तु **बाल परमेश्वर है** , तो उसी की पूजा करो! (कहानी 19 खंड 6 OBS) + +> और एलिय्याह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, "तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लो; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लो|" लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही| (1 राजाओं 18:21 ULT) + +बाल परमेश्वर नहीं है| एलिय्याह के कहने का अर्थ यह नहीं है कि बाल परमेश्वर हो सकता है| वह नहीं चाहता है कि लोग बाल का अनुसरण करें| एलिय्याह ने एक शर्त आधारित कथन का उपयोग करते हुए उन पर प्रकट किया कि वे जो कर रहे हैं वह अनुचित है| इस उपरोक्त उदाहरण में हम दो स्थितियों को देखते है जिनकी रचनाए एक सी हैं| पहली है, "यदि यहोवा परमेश्वर हो", यह एक वास्तविक स्थिति है क्योंकि एलिय्याह को निश्चय है कि यह एक तथ्य है| दूसरी है, "यदि बाल हो", यह तथ्य विरोधी स्थिति है क्योन्किएलिय्यह को निश्चय है कि यह सत्य नहीं है| अब आपको ध्यान देना होगा कि आपकी भाषा में इन दोनों को एक ही प्रकार से कहा जाता है या भिन्न रूपों में कहा जाता है| + +> उसकी पत्नी ने उससे कहा, "यदि यहोवा हमें मार डालना चाहता, तो हमारे हाथ से होमबलि और अन्नबलि ग्रहण न करता, और न वह ऎसी सब बातें हमको दिखाता, और न वह इस समय हमें ऎसी बातें सुनाता|" (न्यायियों 13:23 ULT) + +मानोह की पत्नी के विचार में उसके शर्त गर्भित कथन का दूसरा भाग यथातथ्य नहीं है, इस कारण पहला भाग भी सच नहीं है| परमेश्वर ने उनकी होमबलि ग्रहण की थी इसलिए वह उनको मार डालना नहीं चाहता पोगऑॉ +> + +> “जब हम मिस्र देश में मांस की हांडियों के पास बैठकर मनमाना भोजन करते थे, तब यदि हम यहोवा के हाथ से **मार डाले भी जाते** तो उत्तम वही था|" (निर्गमन 16:3 ULT) + +नि:संदेह, जो लोग यहाँ इस प्रकार की बातें कर रहे हैं वे मिस्र में मरे नहीं थे, अतः यह तथ्य विरोधी स्थिति हैजिसका उपयोग इच्छा व्यक्त करने के लिए किया गया है| + +> "हाय खुराजीं! हाय बैत सैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर वे कब के मन फिरा लेते|" (मत्ती 11:21 ULT) + +अंग्रेज़ी का पाठक जानता है कि अंतिम दो उदाहरण तथ्य विरोधी स्थितियाँ हैं क्योंकि प्रथम भाग में क्रिया भूतकाल में काम में ली गई है, (वे अवश्यम्भावी घटनाएं नहीं हैं).अंतिम उदाहरण में "लेते" शब्द काम में लिया गया है, जिससे प्रकट होता है कि ऐसा नहीं हुआ है| + +#### अनुवाद की युक्तियाँ + +यदि आपकी भाषा में तथ्य विरोधी स्थितियां स्पष्ट हों तो उनको ज्यों का त्यों काम में लें| + +(1) यदि स्थिति पाठक के मन में यह विचार उत्पन्न करे कि वक्ता किसी अनुचित बात को सच मानता है तो स्थिति को इस प्रकार पुनः व्यक्त करें जैसे कि वह सब का विश्वास है| + +(2) यदि स्थिति पाठक के मन में ऐसा विचार उत्पन्न करे कि वक्ता के सुझाव में पहला भाग सच है तो उसको कथन रूप में पुनः व्यक्त करें कि वह सच नहीं है| + +(3) यदि स्थिति कुछ ऐसा व्यक्त कर रही है जो हुआ तो नहीं है परन्तु वक्ता चाहता था कि वैसा हो तो उसको मनोकामना के रूप में व्यक्त करें| + +(4) यदि स्थिति किसी ऎसी बात को प्रकट कर रही है जो हुई नहीं है तो उसको + +(5) तथ्य और तथ्य विरोधी स्थितियों का प्रयोग व्यवहार में परिवर्तन के लिए तर्कसम्मत विवाद हेतु काम में लिया जाता है| यदि अनुवादक इनके अनुवाद हेतु सर्वोत्तम विधि के लिए संघर्षरत हों तो उनके भाषा समुदाय में परिचर्चा की जाए कि यह कैसे किया जाता है| यदि कोई लोगों को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहा है कि वे अपने स्वभाव को बदलें तो वे इसको कैसे करते हैं?इन स्थितियों का अनुवाद करते समय एक सी युक्तियों को अपनाना संभव हो सकता है| + +#### अनुवाद की युक्तियों की प्रासंगिकता + +(1) यदि स्थिति पाठक में मन में विचार उत्पन्न करे कि वक्ता जिस बात पर विश्वास करता है, वह अनुचित है तो स्थिति का अनुवाद इस प्रकार करें कि उसमें सब का विश्वास प्रकट हो| + +> परन्तु **बाल परमेश्वर हो**, तो उसकी पूजा करो! (कहानी 19 खंड 6 OBS) + +> > यदि तुम विश्वास करते हो कि बाल परमेश्वर है, तो उसकी ही पूजा करो! + +(2) यदि स्थिति पाठक को सोचने पर विवश करती है कि वक्ता के सुझाव में प्रथम भाग सत्य है, तो उसका अनुवाद ऐसे करें कि कथन उसकू असत्य प्रकट करे| + +> > यदि बाल परमेश्वर नहीं है तो तुमको उसकी पूजा नहीं करनी है! + +> उसकी पत्नी ने उससे कहा, "यदि यहोवा हमें मार डालना चाहता, तो हमारे हाथ से होमबलि और अन्नबलि ग्रहण न करता, और न वह ऎसी सब बातें हमको दिखाता, और न वह इस समय हमें ऎसी बातें सुनाता|" (न्यायियों 13:23 ULT) + +> > “**यहोवा हमको मार डालना नहीं चाहता है**, या हमारे द्वारा अर्पित होमबलि और अन्नबलि को वह स्वीकार नहीं करता|" + +(3) यदि स्थिति में किसी ऎसी बात को प्रकट किया जा रहा है जो यथार्थ में नहीं हुई है परन्तु वक्ता चाहता था कि ऐसा हो, तो उसको मनोवांछित वाक्य में व्यक्त करें| + +> “जब हम मिस्र देश में मांस की हांडियों के पास बैठकर मनमाना भोजन करते थे, तब यदि हम यहोवा के हाथ से **मार डाले भी जाते** तो उत्तम वही था|" (निर्गमन 16:3 ULT) +> > “**मेरी तो मनोकामना यही है कि हम मर जाते** मिस्र में यहोवा के हाथ से|" + +(4) यदि स्थिति में व्यक्त किया गया है कि कोई ऎसी बात है जो हुई नहीं है तो उसको नकारात्मक कथन में व्यक्त करें| + +> “Woe to you, Chorazin! Woe to you, Bethsaida! **If the mighty deeds had been done** in Tyre and Sidon which were done in you, **they would have repented** long ago in sackcloth and ashes.” (Matthew 11:21 ULT) + +>> "हाय खुराजीन! हाय बैतसैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर वे कब के मन फिरा लेते|" (मत्ती 11:21 ULT) + +(5) तथ्य और तथ्य विरोधी स्थितियों का उपयोग प्रायः व्यवहार में परिवर्तन हेतु तर्कसम्मत विवाद के लिए किया जाता है| यदि अनुवादक इनके अनुवाद के लिए सर्वोत्तम विधि की खोज में यत्नशील हैं तो उनके समुदाय में परिचर्चा करना कि ऐसा कैसे किया जाए,एक उत्तम विचार होगा| यदि कोई मनुष्यों को व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहा है तो वे इसका अनुवाद कैसे करेंगे? इन स्थितियों के अनुवाद में एक सी ही युक्तियों को काम में लेना संभव हो सकता है| + +> परन्तु **यदि बाल परमेश्वर हो**, उसकी पूजा करो! (कहानी 19 खंड 6 OBS) + +> > क्या बाल ही वह है जो सच्चा परमेश्वर है? क्या तुम्हें उसकी उपासना करनी है? + +> "हाय खुराजीन! हाय बैतसैदा! जो सामर्थ्य के काम तुम में किए गए, यदि वे सूर और सैदा में किए जाते, तो टाट ओढ़कर, और राख में बैठकर वे कब के मन फिरा लेते|" (मत्ती 11:21 ULT) + +> > “हाय, खुराजीन! हाय, बीतसैदा! तुम सोचते हो कि तुम सूर और सैदा से अधिक अच्छे हो, परन्तु नहीं! तुम नहीं हो! वे तो बहुत पहले ही टाट पहन कर और राख में बैठ कर **पश्चाताप कर चुके होते** यदि वे इन सामर्थी कार्यों को देखते जो तुमने देखे हैं! **आवश्यक है कि तुम उनके जैसी बनो** !" diff --git a/translate/grammar-connect-condition-contrary/sub-title.md b/translate/grammar-connect-condition-contrary/sub-title.md new file mode 100644 index 0000000..a6dc7c8 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-contrary/sub-title.md @@ -0,0 +1 @@ +तथ्य विरोधी स्थितियों का अनुवाद मैं कैसे करूँ? \ No newline at end of file diff --git a/translate/grammar-connect-condition-contrary/title.md b/translate/grammar-connect-condition-contrary/title.md new file mode 100644 index 0000000..bc0d560 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-contrary/title.md @@ -0,0 +1 @@ +संयोजन  – तथ्य विरोधी स्थितियां \ No newline at end of file diff --git a/translate/grammar-connect-condition-fact/01.md b/translate/grammar-connect-condition-fact/01.md new file mode 100644 index 0000000..b49bd00 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-fact/01.md @@ -0,0 +1,39 @@ +## शर्त आधारित सम्बन्ध + +शर्त आधारित संयोजक शब्द दो उपवाक्यों का संयोजन करते हुए संकेत देते हैं कि एक तब ही पूर्ण होगा जब दूसरा पूर्ण होगा| अंग्रेज़ी में, शर्त आधारित उपवाक्यों के संयोजन की सर्वाधिक सामान्य विधि है, "यदि...तब|" तथापि, "तब" शब्द अधिकतर व्यक्त नहीं किया जाता है| + +### तथ्य गर्भित स्थितियां + +#### वर्णन + +तथ्य गर्भित स्थिति वह अवस्था है हो काल्पनिक प्रतीत होती है परन्तु वक्ता के मन में पहले से ही निश्चित है या सत्य है| अंग्रेज़ी में तथ्य गर्भित स्थिति के वाक्य में, "यद्यपि", "क्योंकि", "वस्तुस्थिति यह है" आदि का उपयोग किया जाता है कि प्रकट हो कि वाक्य का तथ्य गर्भित है न कि काल्पनिक स्थिति में है| + +#### Reason इसका अनुवाद समस्या होने का कारण + +कुछ भाषाओं में यदि बात निश्चित या सत्य है तो उसको शर्त रूप में नहीं दर्शाया जाता है| अतः संभव है कि ऎसी भाषाओं के अनुवादक मूल भाषाओं का अर्थ गलत निकाल लें और सोचें कि शर्त अनिश्चित है| इस प्रकार उनके अनुवाद में त्रुटियाँ आ जाएंगी अब अनुवादक यदि समझ भी लें कि शर्त निश्चित या सत्य है, तो पाठक उसका अर्थ गलत समझ लेंगे| ऎसी अवस्था में अनुवाद शर्त आधारित रखने की अपेक्षा तथ्य गर्भित कथन हो| + +#### बाईबल कहानियाँ और बाईबल के उदाहरण + +> “**यदि** यहोवा परमेश्वर है, तो उसकी उपासना करो!” (कहानी 19 खंड 6 OBS) + +> और एलिय्याह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, "तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लो; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लो| (1 राजाओं 18:21 ULT) + +इस वाक्य की रचना वैसी ही है जैसी काल्पनिक स्थिति की है| यहाँ शर्त यह है, "यदि यहोवा परमेश्वर है" यदि यह सच है तो इस्राएलियों के लिए अनिवार्य है कि वे यहोवा की आराधना करें| परन्तु भविष्यद्वक्ता एलिय्याह प्रश्न नहीं पूछता है कि यहोवा परमेश्वर है या नहीं है| सच तो यह है कि उसको ऐसा निश्चय है कि यहोवा परमेश्वर है कि इस गद्यांश के उत्तरार्ध में वह अपनी सम्पूर्ण बलि वस्तुओं पर पानी दाल देता है| उसको पूर्ण विश्वास है कि परमेश्वर सच्चा है और वह गीली बलि वस्तुओं को भी जला देगा| भविष्द्वक्ताओं ने बार-बार यही सिखाया था कि यहोवा ही परमेश्वर है इसलिए लोगों को उसकी ही उपासना करना है| परन्तु लोगों ने परमेश्वर होते हुए भी यहोवा की उपासना नहीं की इस कथन या निर्देश को तथ्य गर्भित स्थिति में रखने के द्वारा एलिय्याह इस्राएलियों को अधिक स्पष्ट रूप में समझने पर विवश करता है कि उनको क्या करना आवश्यक है| + +> “पुत्र पिता का, और दास स्वामी का आदर करता है|यदि मैं पिता हूँ, तो मेरा आदर कहाँ है? और यदि मैं स्वामी हूँ, तो मेरा भय मानना कहाँ? सेनाओं का यहोवा, तुम याजकों से भी जो मेरे नाम का अपमान करते हो यही बात पूछता है|" (मलाकी 1:6 ULT) + +यहोवा ने कहा कि वह इस्राएल का पिता और स्वामी है| अतः यदि यह काल्पनिक स्थिति प्रतीत होती है क्योंकि इसका आरम्भ "यदि" से होता है, यह काल्पनिक स्थिति नहीं है| इस पद का आरम्भ एक लोकोक्ति से होता है, पुत्र पिता का सम्मान करता है| यह सर्वत्र विदित है कि यह सच है| परन्तु इस्राएली यहोवा का सम्मान नहीं कर रहे थे| इस पद में दूसरी लोकोक्ति है, दास अपने स्वामी का भय मानता है| सर्वत्र विदित है कि यह सच है| परन्तु इस्राएली यहोवा का भय नहीं मानते थे, अतः प्रकट होता है कि वह उनका स्वामी नहीं है| परन्तु सच तो यह है कि यहोवा ही स्वामी है| यहोवा काल्पनिक स्थिति के प्रयोग द्वारा दिखाना चाहता है कि इस्राएली गलत हैं| शर्त का दूसरा भाग जिसको स्वाभाविक रूप से प्रकट होना है, वह नहीं हो रहा है जबकि शर्त आधारित कथन सच है| + +#### अनुवाद की युक्तियाँ + +यदि काल्पनिक स्थिति का रूप काम में लेना उल्झ्नाकारी हो या पाठक को सोचने पर विवश करे कि वक्ता वाक्य के प्रथम भाग में जो कह रहा उस पर उसे संदेह है, तो इसकी अपेक्षा कथन रूप का प्रयोग करें| "क्योंकि" या "तुम जानते हो की...." या "यह सच है कि ...." आदि उक्तियाँ अर्थ को स्पष्ट करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं| + +#### अनुवाद की युक्तियों के उदाहरणों की प्रासंगिकता + +> “**यदि** यहोवा परमेश्वर है, उसकी आराधना करो!” (कहानी19 खंड 6 OBS) + +> > “ **यह सच है कि** यहोवा परमेश्वर है, अतः उसकी आराधना करो!” + +> “पुत्र पिता का, और दास स्वामी का आदर करता है|यदि मैं पिता हूँ, तो मेरा आदर कहाँ है? और यदि मैं स्वामी हूँ, तो मेरा भय मानना कहाँ? सेनाओं का यहोवा, तुम याजकों से भी जो मेरे नाम का अपमान करते हो यही बात पूछता है|" (मलाकी 1:6 ULT) + +> > “पुत्र पिता का आदर करता है और दास अपने स्वामी का सम्मान करता है| **क्योंकि** मैं पिता हूँ, मेरा सम्मान कहाँ है? **क्योंकि** मैं स्वामी हूँ, मेरा भय कहाँ है?" diff --git a/translate/grammar-connect-condition-fact/sub-title.md b/translate/grammar-connect-condition-fact/sub-title.md new file mode 100644 index 0000000..ea59157 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-fact/sub-title.md @@ -0,0 +1 @@ +मैं तथ्य गर्भित स्थितियों का अनुवाद कैसे करूं? \ No newline at end of file diff --git a/translate/grammar-connect-condition-fact/title.md b/translate/grammar-connect-condition-fact/title.md new file mode 100644 index 0000000..26e793a --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-fact/title.md @@ -0,0 +1 @@ +संयोजन – तथ्य गर्भित स्थितियां \ No newline at end of file diff --git a/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/01.md b/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/01.md new file mode 100644 index 0000000..2cebb84 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/01.md @@ -0,0 +1,51 @@ +## शर्त आधारित सम्बन्ध + +शर्त आधारित संयोजक शब्द दो उपवाक्यों को जोड़ते हैं और संकेत देते है कि एक तब ही पूर्ण होगा जब दूसरा पूर्ण हो जाएगा| अंग्रेज़ी भाषा में शर्त आधारित उपवाक्यों को जोड़ने की सर्वाधिक सामान्य विधि है कि "यदि...तो" को काम में लें| तथापि, "तो" शब्द प्रायः काम में नहीं लिया जाता है| + +### काल्पनिक स्थिति + +#### वर्णन + +काल्पनिक स्थिति वह अवस्था है जिसमें दूसरी घटना ("तो" से आरम्भ उपवाक्य ) तब ही होगा जब पहली घटना ("यदि" उपवाक्य से आरम्भ) हो जाएगी या किसी न किसी प्रकार पूर्ण होगी| कभी-कभी जो होता है वह लोगों के कार्यों पर निर्भर करता है| + +#### इसका अनुवाद की समस्या होने का कारण + +अनुवादकों द्वारा यह अंतर्ग्रहण कर लेना महत्वपूर्ण है कि कोई बात काल्पनिक स्थिति में है या नहीं जिससे कि वे उसका अनुवाद उचित रूप में कर पाएं| उदाहरणार्थ, इस्राएल क्व लिए की गईं परमेश्वर की कुछ प्रतिज्ञाएं शर्त आधारित थीं जो इस बात पर आधारित थीं कि इस्राएल परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करता है या नहीं| तथापि, इस्रैल के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं में से अनेक ऎसी भी थीं जो शर्तों पर आधारित नहीं थीं| ऎसी प्रतिज्ञाओं को परमेश्वर निश्चय ही पूरा करेगा चाहे इस्राएल उनको मने या न माने| अतः, यह महत्वपूर्ण है कि आप (अनुवादक) इन दो प्रकार की प्रतिज्ञाओं में अंतर से भली भाँती अभिज्ञ हों और अपनी भाषा में उनका अचूक अनुवाद करें| यह भी है कि कभी-कभी शर्तों को जिस क्रम में रखा गया हैवह उनके घटने के क्रम से भिन्न हो| यदि लक्षित भाषा में उपवाक्यों को भिन्न क्रम में रखा जाता है तो आवश्यक है कि आप उसका अनुरूपण करें| + +#### बाईबल की कहानियों और बाईबल के उदाहरण + +> यदि वे व्यवस्था का पालन करें तो परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की है कि वह उन लोगों को आशीष देगा औए उनकी रक्षा करेगा| परन्तु उसने यह भी कहा है कि यदि वे उनका पालन नहीं करते है तो वह उनको दंड देगा| (कहानी 13 खंड 7 OBS) + +इस खंड में दो काल्पनिक स्थितियां हैं| इन दोनों स्थितियों में, पहली घटना ("यदि" उपवाक्य) "तो" के उपवाक्य के बाद अता है| यदि यह अव्यवहारिक या उल्झंकारी हो तो इन उपवाक्यों को अधिक व्यवहारिक क्रम में रखा जा सकता है| पहली काल्पनिक स्थिति है: यदि इस्राएली परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन करते हैं तो परमेश्वर उनको आशीष देगा और उनकी रक्षा करेगा| दूसरी काल्पनिक स्थिति है: यदि इस्राएलियों ने परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन नहीं किया तो परमेश्वर उनको दंड देगा| + +> यदि तू भला करे, तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जाएगी? (उत्पत्ति 4:7 ULT) + +यदि कैन उचित कान करे तो वह ग्राहन्योग्य ठहरेगा| कैन के लिए एकमात्र मार्ग है कि वह ग्राहन्योग्य ठहरने के लिए उचित काम करे| + +> … **क्योंकि** यदि यह धर्म या काम मनुष्यों की और से हो तब तो मिट जाएगा;परन्तु **यदि** परमेश्वर की और से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न पाओगे| (प्रे.का. 5:38b-39aULT) + +यहाँ दो काल्पनिक स्थितियां हैं: (1) यदि यह सच हो कि यह मनुष्यों की योजना है तो यह नष्ट हो जाएगी; (2) यदि यह सच हो की यह परमेश्वर की योजना है तो यह नष्ट नहीं की जा सकती है| + +#### अनुवाद की युक्तियाँ + +(1) यदि उपवाक्यों का क्रम काल्पनिक स्थितियों को उल्झंकारी बनाता है तो उपवाक्यों का क्रम बदल दें| + +(2) यदि स्पष्ट न हो कि दूसरी घटना कहाँ है तो उस अंश को "तो" जैसे शब्द से अंकित कर देंI + +#### अनुवाद की युक्तियों के उदाहरणों की प्रासंगिकता + +(1) यदि उपवाक्यों का क्रम काल्पनिक स्थिति को उलझनकारी बनाता हो तो उपवाक्यों के क्रम को बदल दें| + +> परमेश्वर ने प्रतिज्ञा की कि वह उन लोगों को आशीष देगा और उनकी रक्षा करेगा **यदि** वे उन नियमों का पालन करेंगे| परन्तु उसने कहा कि वह उनको दंड देगा **यदि** उन्होंने उनका पालन नहीं किया| (कहानी 13 खंड 7 OBS) + +> > यदि उन लोगों ने इन नियमों का पालन किया तो परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि वह उनको आशीष देगा और उनकी रक्षा करेगा| परन्तु **यदि** उन्होंने इन नियमों का पालन नहीं किया तो परमेश्वर कहता है कि वह उनको दंड देगा| + +(2) यदि स्पष्ट न हो कि दूसरी घटना कहाँ है तो उस अंश को "तो" जैसे शब्द से अंकित कर दें| + +> परमेश्वर ने उन लोगों को आशीष देने और उनकी रक्षा करने की प्रतिज्ञा की, **यदि** वे इन नियमों को मानेंगे| परन्तु उसने कहा कि वह उनको दंड देगा **यदि** उन्होंने उनका पालन नहीं किया| (कहानी 13 खंड 7 OBS) + +> > यदि उन लोगों ने इन नियमों का पालन किया तो परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि वह उनको आशीष देगा और उनकी रक्षा करेगा| परन्तु **यदि** उन्होंने इन नियमों का पालन नहीं किया **तो** परमेश्वर कहता है कि वह उनको दंड देगा| + +> … **यदि** यह धर्म या काम मनुष्यों की और से हो तब तो मिट जाएगा, परन्तु **यदि** परमेश्वर की और से है, तो तुम उन्हें कदापि मिटा न सकोगे| (प्रे.का.5:38b-39a ULT) + +> > … **यदि** यह धर्म या का मानुषों की और से हो **तो** नष्ट हो जाएगा, परन्तु **यदि** परमेश्वर की और से है **तो** तुम उनको कदापि नष्ट न कर पाओगे; diff --git a/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/sub-title.md b/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/sub-title.md new file mode 100644 index 0000000..a130773 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/sub-title.md @@ -0,0 +1 @@ +मैं काल्पनिक स्थितियों का अनुवाद कैसे कर सकता हूँ? \ No newline at end of file diff --git a/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/title.md b/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/title.md new file mode 100644 index 0000000..2b7d1b6 --- /dev/null +++ b/translate/grammar-connect-condition-hypothetical/title.md @@ -0,0 +1 @@ +संयोजन - काल्पनिक स्थितियां \ No newline at end of file diff --git a/translate/toc.yaml b/translate/toc.yaml index 272b7a1..23d64ba 100644 --- a/translate/toc.yaml +++ b/translate/toc.yaml @@ -176,7 +176,7 @@ sections: link: figs-parables - title: "काव्य" link: writing-poetry - - title: "लोकोक्तियाँ" + - title: "नीतिवचन" link: writing-proverbs - title: "प्रतीकात्मक भाषा" link: writing-symlanguage @@ -212,11 +212,11 @@ sections: link: grammar-connect-logic-result - title: "संयोजक - तुलनात्मक संबंध" link: grammar-connect-logic-contrast - - title: "Factual Conditions" + - title: "संयोजन – तथ्य गर्भित स्थितियां" link: grammar-connect-condition-fact - - title: "Contrary-to-Fact Conditions" + - title: "संयोजन  – तथ्य विरोधी स्थितियां" link: grammar-connect-condition-contrary - - title: "Hypothetical Conditions" + - title: "संयोजन - काल्पनिक स्थितियां" link: grammar-connect-condition-hypothetical - title: "संयोजक - अपवाद खण्ड" link: grammar-connect-exceptions @@ -282,7 +282,7 @@ sections: link: figs-123person - title: "विशिष्ट एवं संयुक्त ‘‘हम’’" link: figs-exclusive - - title: "‘तुम’ के प्रारूप - औपचारिक या अनौपचारिक" + - title: "‘तू /तुम’ के रूप - औपचारिक या अनौपचारिक" link: figs-youformal - title: "समूह को दिखाने वाले एकवचन सर्वनाम" link: figs-youcrowd @@ -308,7 +308,7 @@ sections: link: translate-bdistance - title: "बाइबलीय मात्रा" link: translate-bvolume - - title: "बाइबलीय वजन" + - title: "बाइबल में भार के माप" link: translate-bweight - title: "बाइबल में धन" link: translate-bmoney @@ -360,7 +360,7 @@ sections: link: figs-personification - title: "भविष्यसूचक अतीत" link: figs-pastforfuture - - title: "भाषणगत प्रश्न" + - title: "उत्तर की अपेक्ष किए बिना प्रभावोत्पादक प्रश्न" link: figs-rquestion - title: "उपमा" link: figs-simile diff --git a/translate/translate-bweight/01.md b/translate/translate-bweight/01.md index ec3b797..827f275 100644 --- a/translate/translate-bweight/01.md +++ b/translate/translate-bweight/01.md @@ -1,58 +1,59 @@ ### विवरण -निम्नलिखित शब्द बाइबल में वजन की सबसे सामान्य इकाइयाँ हैं। शब्द शेकेल का अर्थ अर्थ "वजन" और कई अन्य वजनों से हैं जो शेकेल के शब्द में वर्णित किए गए हैं। इनमें से कुछ वजनों को पैसे के लिए उपयोग किया गया था। नीचे दी गई तालिका में मीट्रिक अर्थात् दशमलव मान बाइबल के मापों के समतुल्य नहीं हैं। बाइबल के माप विभिन्न समयों और स्थानों में सटीक मूल्य में भिन्न थे। नीचे दिए गए समकक्ष माप औसत माप को देने एक प्रयास मात्र है। +निम्नलिखित शब्द बाइबल में भार नापने की सबसे सामान्य इकाइयाँ हैं। शब्द शेकेल का अर्थ है, "वज़न," शेकेल शब्द अनेक अन्य भार मापकों का अर्णन करता है। इनमें से कुछ वजनों को पैसे के लिए उपयोग किया गया था। नीचे दी गई तालिका में मीट्रिक सिस्टम (दाशमिक प्रणाली) मान बाइबल के मापों के समतुल्य नहीं हैं। बाइबल के माप विभिन्न समयों और स्थानों में सटीक मूल्य में भिन्न हो जाते थे। नीचे दिए गए समकक्ष माप औसत माप दर्शाने के प्रयास मात्र हैं। -| मूल माप | शेकेल | ग्राम | किलोग्राम | -| -------------------- | ---------- | --------- | ------- ----- | -| शेकेल | 1 शेकेल | 11 ग्राम | - | -| बेका | 1/2 शेकेल | 5.7 ग्राम | - | -| पिम | 2/3 शेकेल | 7.6 ग्राम | - | -| गेरा | 1/20 शेकेल | 0.57 ग्राम | - | -| मीना | 50 शेकेल | 550 ग्राम | 1/2 किलोग्राम | -| तोड़ा | 3,000 शेकेल | - | 34 किलोग्राम | +| मूल माप | शेकेल | ग्राम | किलोग्राम | +| -------- |----------- | ---------| --------- | +| शेकेल | 1 शेकेल | 11 ग्राम | - | +| बेका | 1/2 शेकेल | 5.7 ग्राम | - | +| पिम | 2/3 शेकेल | 7.6 ग्राम | - | +| गेरा | 1/20 शेकेल | 0.57 ग्राम| - | +| मीना | 50 शेकेल | 550 ग्राम | 1/2 किलोग्राम | +| तोड़ा | 3,000 शेकेल | - | 34 किलोग्राम | #### अनुवाद के सिद्धान्त 1. बाइबल के लोगों ने मीटर, लीटर और किलोग्राम जैसे आधुनिक मापों का उपयोग नहीं किया। मूल मापों का उपयोग करने से पाठकों को यह जानने में सहायता मिल सकती है कि बाइबल वास्तव में बहुत समय पहले लिखी गई थी जब लोग उन मापों का उपयोग करते थे। -1. आधुनिक मापों का उपयोग करने से पाठकों को मूलपाठ को आसानी से समझने में सहायता मिल सकती है। -1. जो भी माप आप उपयोग करते हैं, पाठ, या फुटनोट में अन्य प्रकार के माप के बारे में बताना, यदि सम्भव हो तो यह अच्छा रहेगा। -1. यदि आप बाइबल के मापों का उपयोग नहीं करते हैं, तो पाठकों को यह विचार न देने का प्रयास करें कि माप सटीक हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप एक गेरा को ".57 ग्राम" के रूप में अनुवाद करते हैं, तो पाठकों को लगता है कि माप सटीक है। "आधा ग्राम" कहना सर्वोत्तम रीति से अच्छा होगा। -1. कभी-कभी यह दिखाने के लिए शब्द "लगभग" का उपयोग करने में सहायता मिल सकती है कि माप सटीक नहीं है। उदाहरण के लिए, 2 शमूएल 21:16 कहता है कि गोलीयत का भाला 300 शेकेल वजन जितना था। इसे "3300 ग्राम" या "3.3 किलोग्राम" के रूप में अनुवाद करने की अपेक्षा, इसका अनुवाद "लगभग साडे तीन किलोग्राम" के रूप में किया जा सकता है। -1. जब परमेश्वर लोगों को बताता है कि कोई वजन कितना वजन होना चाहिए, और जब लोग उन वजनों का उपयोग करते हैं, तो अनुवाद में "लगभग" न कहें। अन्यथा यह प्रभाव देगा कि परमेश्वर का सटीकता से इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि वस्तु को कितना वजन होना चाहिए। +2. आधुनिक मापों का उपयोग करने से पाठकों को मूलपाठ को आसानी से समझने में सहायता मिल सकती है। +3. जो भी माप आप उपयोग करते हैं, पाठ, या फुटनोट में अन्य प्रकार के माप के बारे में बताना, यदि सम्भव हो तो अच्छा होगा। +4. यदि आप बाइबल के मापों का उपयोग नहीं करते हैं, तो प्रयास करके पाठकों के मन में यह विचार न आने दें कि माप सटीक हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप एक गेरा को ".57 ग्राम" के रूप में अनुवाद करते हैं, तो पाठकों को लगता है कि माप सटीक है। "आधा ग्राम" कहना सर्वोत्तम होगा। +5. यह दिखाने के लिए कि माप यथातथ्य सही नहीं है, "लगभग" शब्द का उपयोग करना सहायक सिद्ध होगा। उदाहरण के लिए, 2 शमूएल 21:16 कहता है कि गोलीयत का भाला 300 शेकेल वजन जितना था। इसे "3300 ग्राम" या "3.3 किलोग्राम" के रूप में अनुवाद करने की अपेक्षा, इसका अनुवाद "लगभग साडे तीन किलोग्राम" के रूप में किया जा सकता है। +6. जब परमेश्वर लोगों को बताता है कि किसी वस्तु का भार कितना होना चाहिए, और जब लोग उन वजनों का उपयोग करते हैं, तो अनुवाद में "लगभग" शब्द का उपयोग न करें अन्यथा भ्रम उत्पन्न होगा कि परमेश्वर को भ्चिंता नहीं थी कि वस्तुओं का भार यथातथ्य कितना होना है| -### अनुवाद की रणनीतियाँ +### अनुवाद की युक्तियाँ -1. यूएलबी अनुवाद से मापों का प्रयोग करें। ये वही माप हैं, जिन्हें मूल लेखक उपयोग करते थे। उन्हें ऐसे तरीके से वर्तनी करें जो यूएलबी अनुवाद में ध्वनि देते या वर्तनी के तरीके के समतुल्य है। (देखें [प्रतिलिपी या उधार शब्दों को लें](../translate-transliterate/01.md)) -1. यूडीबी अनुवाद में दिए गए मीट्रिक अर्थात् दशमलव माप का प्रयोग करें। यूडीबी अनुवाद के अनुवादकों ने पहले से ही मीट्रिक पद्धति में मूल्य का प्रतिनिधित्व करने के बारे में सोचा है। -1. उन मापों का प्रयोग करें जिन्हें पहले से ही आपकी भाषा में उपयोग किया जा रहा है। ऐसा करने के लिए आपको यह जानना होगा कि आपके माप मीट्रिक पद्धति से कैसे सम्बन्धित हैं और आप प्रत्येक माप को समझते हैं। -1. यूएलबी से माप का उपयोग करें और उन मापों को सम्मिलित करें जिन्हें आपके लोग मूलपाठ या नोट में जानते हैं। -1. आपके लोगों के द्वारा जानने वाले मापों का उपयोग करें, और मूलपाठ में या नोट में यूएलबी अनुवाद से माप सम्मिलित करें। +1. मापों को दर्शाने के लिए ULT के अनुवाद का उपयोग करें। ये वही माप हैं, जिन्हें मूल लेखक उपयोग करते थे। उनकी वर्तनी उनके उच्चारण के सामान ही रखें या ULT के सदृश्य रखें। (देखें [प्रतिलिपि बनाना या शब्द उधार लेना](../translate-transliterate/01.md)) +2. UST अनुवाद में दी गई मेट्रिक प्रणाली का प्रयोग करें। UST के अनुवादकों ने पहले ही मेंट्रिक प्रणाली के तुल्य मापों को दर्शाने की खोज कर ली है। +3. उन मापों का प्रयोग करें जिन्हें पहले से ही आपकी भाषा में उपयोग किया जा रहा है। ऐसा करने के लिए आपको यह जानना होगा कि आपके माप मेंट्रिक प्रणाली से कैसे सम्बन्धित हैं और आप प्रत्येक माप को समझते हैं। +4. ULT में दर्शाए गए मापों का उपयोग करें और उन मापों को, जिनसे आपके पाठक परिचित हैं, उनको मूलपाठ में या टिप्पणी में दर्शाएं। +5. आपके लोगों जिन मापों से परिचित हैं, उनका उल्लेख करें और ULT में दी गए मापों को मूल पाठ में या टिप्पणी में रखें। -### अनुवाद की लागू की गईं रणनीतियाँ +### अनुवाद की युक्तियों की प्रासंगिकता -लागू की गई सभी रणनीतियाँ नीचे निर्गमन 38:29 पर लागू होती हैं। +सब युक्तियाँ अधोलिखित निर्गमन 38:29 से प्रासंगिक हैं। -* **भेंट का कांस्य सत्तर किक्कार और 2,400 शेकेल वजनी था।** (निर्गमन 38:29 यूएलबी) +> और भेंट का पीतल **सत्तर किक्कार और 2,400 शेकेल** था। (निर्गमन 38:29 ULT) -1. यूएलबी अनुवाद से मापों का प्रयोग करें। ये वही माप हैं, जिन्हें मूल लेखक उपयोग करते थे। उन्हें ऐसे तरीके से वर्तनी करें जो यूएलबी अनुवाद में ध्वनि देते या वर्तनी के तरीके के समतुल्य है। (देखें [प्रतिलिपी या उधार शब्दों को लें](../translate-transliterate/01.md)) +1. ULT अनुवाद से मापों का प्रयोग करें। ये वही माप हैं, जिन्हें मूल लेखक उपयोग करते थे। उनकी वर्तनी ऎसी हो जो उच्चारण के सदृश्य हो या ULT के सदृश्य हो। (देखें [प्रतिलिपि बनाना या शब्द उधार लेना](../translate-transliterate/01.md)) - * "भेंट का कांस्य सत्तर किक्कार और 2,400 शेकेल वजनी था।" +>> " और भेंट का पीतल **सत्तर किक्कार और 2,400 शेकेल** था।" -1. यूडीबी अनुवाद में दिए गए मीट्रिक अर्थात् दशमलव मापों का प्रयोग करें। यूडीबी अनुवाद के अनुवादकों ने पहले से ही मीट्रिक पद्धति में मूल्य का प्रतिनिधित्व करने के बारे में सोचा है। +(2) UST अनुवाद में दी गई मेंट्रिक प्रणाली का प्रयोग करें। UST के अनुवादकों ने पहले ही मेंट्रिक प्रणाली प्रणाली के मापों को दर्शाने की खोज कर ली है। - * "भेंट का कांस्य 2,400 किलोग्राम वजनी था।" +>> "और भेंट का पीतल **2,400 किलोग्राम** था।" -1. उन मापों का प्रयोग करें जिन्हें पहले से ही आपकी भाषा में उपयोग किया जा रहा है। ऐसा करने के लिए आपको यह जानना होगा कि आपके माप मीट्रिक पद्धति से कैसे सम्बन्धित हैं और आप प्रत्येक माप को समझते हैं। +(3) उन मापों का प्रयोग करें जिन्हें पहले से ही आपकी भाषा में उपयोग किया जा रहा है। ऐसा करने के लिए आपको यह जानना होगा कि आपके माप मेट्रिक प्रणाली से कैसे सम्बन्धित हैं और आप प्रत्येक माप को सोच विचार कर समझना होगा। - * "भेंट का कांस्य 5,300 पाउंड वजनी था।" +>> "और भेंट का पीतल **5,300 पाउंड** था।" -1. यूएलबी से मापों का उपयोग करें और उन मापों को सम्मिलित करें जो आपके लोगों को मूलपपाठ या फुटनोट में पता है। निम्नलिखित मूलपाठ में दोनों माप दिखाए गए हैं। +(4) ULT से मापों का उपयोग करें और उन मापों को, जिनसे आपके पाठक परिचित हैं, मूल पाठ में या पादटिप्पणी में रखें। निम्नलिखित मूलपाठ में दोनों माप दिखाए गए हैं। - * "भेंट का कांस्य सत्तर किक्कार (2,380 किलोग्राम) और 2,400 शेकेल (26.4 किलोग्राम) वजनी था. +>> "और भेंट का पीतल **सत्तर किक्कार (2,380 किलोग्राम)** और **2,400 शेकेल (26.4 किलोग्राम)** था" -1. उन मापों का प्रयोग करें जिन्हें आपके लोग पहले से जानते हैं, और मूलपाठ में या फुटनोट में यूएलबी अनुवाद से मापों को सम्मिलित करें। निम्नलिखित नोट्स में यूएलबी माप दिखाए गए हैं। +(5) उन मापों का प्रयोग करें जिन्हें आपके लोग पहले से जानते हैं, और मूलपाठ में या फुटनोट में ULT के अनुवाद से मापों को सम्मिलित करें। निम्नलिखित ULT माप टिप्पणी में दिखाए गए हैं। - * "भेंट से कांस्य सत्तर किक्कार और 2,400 शेकेल . 1 वजनी था" - * फुटनोट इस तरह दिखेगा: +>> "और भेंट का पीतल **सत्तर किक्कार और 2,400 शेकेल** था," 1" - [1] यह लगभग 2,400 किलोग्राम का था। +फुटनोट इस तरह दिखेगा: + + [1] इसका कुल भार लगभग 2,400 किलोग्राम था। diff --git a/translate/translate-bweight/title.md b/translate/translate-bweight/title.md index f1e7fb7..88d1841 100644 --- a/translate/translate-bweight/title.md +++ b/translate/translate-bweight/title.md @@ -1 +1 @@ -बाइबलीय वजन \ No newline at end of file +बाइबल में भार के माप \ No newline at end of file diff --git a/translate/translate-kinship/01.md b/translate/translate-kinship/01.md new file mode 100644 index 0000000..017a6e3 --- /dev/null +++ b/translate/translate-kinship/01.md @@ -0,0 +1,70 @@ +### Description + +संबंधी शब्दों का सन्दर्भ उन शब्दों से है जो पारिवारिक संबंधों में मनुष्यों के परस्पर संबंधों का वर्णन करते हैं| ये शब्द अपनी विशिष्टता में भाषा-भाषा के अनुसार व्यापक भिन्नता रखते हैं| इनका विस्तार (पाश्चात्य) एकांकी परिवार या निकटतम परिवार (पिता-पुत्र.पति-पत्नी) से लेकर एनी संस्कृतियों के वृहत सगोत्र सम्बन्धियों तक| + +#### इसका अनुवाद समस्या होने का कारण + +भाषा के अनुसार अनुवादकों को निश्चित शब्दों का उपयोग करने की आवश्यकता होगी कि उचित सम्बन्ध द्योतक शब्द का उपयोग करें कुछ भाषाओं में लानम के क्रम के अनुसार भाई-बहनों के लिए विभिन्न शब्दों का प्रयोग किया जाता होगा| अन्य भाषाओं में, परिवार का पक्ष (पिता का या माता का), आयु,वैवाहिक स्टार,आदि के अनुसार शब्दों का प्रयोग किया जाता होगा| वक्ता/या श्रोता के लिए लिंग आधारित विभिन्न शब्दों का प्रयोग भी किया जाता है| अनुवादकों के लिए सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वे बाईबल में दो सम्बंधित मनुष्यों के मध्य यथातथ्य सम्बन्ध को समझें कि उचित शब्द काम में लें| कभी-कभी इन शब्दों को स्मरण रखना स्वदेशी वक्ता के लिए भी कठिन हो जाता है| अतः अनुवादकों के लिए उचित शब्द की खोज में समुदाय की सहायता अति आवश्यक हो जाती है| एक और जटिल विषय है कि बाईबल संबंधों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं देती है कि अनुवादक अनुवाद की भाषा में यथोचित शब्द काम में ले पाएं| ऎसी स्थिति में, अनुवादकों को अधिक सामान्य शब्द काम में लेना होगा या प्राप्त सीमित जानकारी के आधार पर, विश्वास दिलाने वाला शब्द काम में लेना होगा| + +कभी-कभी परिजनों के लिए प्रयुक्त शब्दों के सदृश्य प्रतीत होने वाले शब्द्काम में लिए जाते हैं जो आवश्यक नहीं कि वास्तव में मनुष्यों के संबंद हों| उदाहरणार्थ, कोई वृद्ध जन किसी युवा पुरुष या स्त्री को कहे,"मेरा पुत्र" या "मेरी पुत्री" + +### बैबल के उदाहरण + +> तब यहोवा ने कैन से पूषा, "तेरा भाई हाबिल कहाँ है?" उसने कहा, "मालूम नहीं; क्या मैं अपने भाई का रखवाला हूँ?" (उत्पत्ति 4:9 ULT) + +हाबिल कैन का छोटा भाई था| + +> तब याकूब ने राहेल और लिआ: को मैदान में अपनी भेड़-बकरियों के पास बुलवाकर कहा, **"तुम्हारे पिता के मुख से** मुझे जान पड़ता है कि वह मुझे पहले के सामान अब नहीं देखता; पर मेरे पिटा का परमेश्वर मेरे संग है| (उत्पत्ति 31:4-5 ULT) + +यहाँ याकूब अपने ससुर का सन्दर्भ दे रहा है| कुछ भाषाओं में पुरुष के ससुर के लिए कोई विशिष्ट शब्द होगा| तथापि, इस परिदृश्य में **तुम्हारा पिता** रखना ही उत्तम होगा क्योंकि याकूब इस उक्ति के द्वारा स्वयं को लाबान से पृथक दर्शाना चाहता है| + +> मूसा अपने **ससुर** यित्रो नामक मिद्यान के याजक की भेड़-बकरियों को चराता था| (निर्गमन 3:1a ULT) + +पिछले उदाहरण से भिन्न, यदि आपकी भाषा में पुरुष के ससुर के लिए कोई शब्द है तो उसका यहाँ उपयोग करने के लिए यहएक उत्तम स्थान है| + +> **उस बालक की बहिन** दूर खड़ी रही कि देखे उसका क्या हाल होगा| (निर्गमन 2:4 ULT) + +प्रकरण से हम जान सकते हैं कि यह मूसा की बड़ी बहन, मिरियम थी| कुछ भाषाओं में इसके लिए कोई विशेष शब्द होगा| अन्य कुछ भाषाओं में, बड़ी बहन के लिए जो शब्द है उसका प्रयोग तब ही किया जाता होगा जब छोटा भाई/बहन अपनी बड़ी बहन को पुकारता या उसका संदर्भ देता होगा| + +> तब वह...उस देश से अपनी दोनों **बहुओं** समेत लौट जाने को चली| (रूत 1:6a ULT) + +रूत और ओर्पा नाओमी की बहुएँ थीं| + +> तब उसने कहा, "देख, तेरी जिठानी तो अपने लोगों और अपने देवता के पास लौट गई है;" (रूत 1:15 ULT) + +ओर्पा रूत के पति के भाई की पत्नी थी| आपकी भाषा में इसके लिए रूत के पति की बहन के लिए जो शब्द है उसकी अपेक्षा कोई और शब्द होगा| + +> तब बोअज़ ने रूत से कहा,हे **मेरी बेटी** , क्या तू सुनती है? (रूत 2:8a ULT) + +बोअज़ रूत का पिता नहीं है| वह केवल एक युवा स्त्री को संबोधित करने के लिए इस शब्द का उपयोग करता है| + +> और देख, **"तेरी कुटूम्बिनी**इलीशिबा के भी बुढ़ापे में पुत्र होने वाला है, यह उसका, जो बाँझ कहलाती थी छठवां महीना है| (लूका 1:36 ULT) + +जब KJV अनुवादकों ने इसका अनुवाद, कुतुम्बिनी किया था तब इसका अर्थ मात्र था, परिजन स्त्री| + +### अनुवाद की युक्तियाँ + +(1) व्यक्त किए गए यथार्थ सम्बन्ध की खोज करें तदोपरांत अपनी भाषा के शब्द का प्रयोग करे| + +(2) यदि मूल लेख में आपकी भाषा के अनुसार संबंद को स्पष्ट व्यक्तनहीं किया गया है तो: + +(a) अधिक सामान्य शब्द को काम में लें| + +(b) यदि आपकी भाषा में अनिवार्य हो तो विशेष शब्द का प्रयोग करें, ऐसे शब्द का जो सर्वाधिक संभावना में यथोचित हो| + +### अनुवाद की युक्तियों की प्रासंगिकता + +अंग्रेज़ी भाषा में यह समस्या नहीं है इसलिए निम्नलिखित उदाहरण अन्य भाषाओं से हैं| + +कोरिया की भाषा में भाई और बहन के लिए अनेक शब्द हैं जिनका उपयोग वक्ता (या संदर्भित जन) के लिंगभेद और जन्म क्रम पर निर्भर करता है| ये उदाहरण कोरियन लिविंग बाईबल से है जो biblegateway.com पर पाई जाती है| + +> उत्पत्ति 30:1 में राहेल अपनी "एओंनी" से ईर्ष्यालु है| यह शब्द स्त्री द्वारा अपने बड़ी बहन के लिए काम में लिया जाता है|> +> उत्पत्ति 34:31 शिमोन और लेवी दीना को "नुई" कहते हैं जो बहन के लिए एक सर्वनिष्ठ शब्द है|> +> उत्पत्ति 37:16 में यूसुफ़ अपने भाइयों को "ह्येओंग" कहकर पुकारता है जो पुरुष द्वारा उसके बड़े भाइ(यों) के लिए प्रयुक्त शब्द है|> +> उत्पत्ति 45:12 में यूसुफ़ बिन्यामीन के लिए "दोंग्सेंग" काम में लेता है जो सामान्यतः कम आयु के भाई के लिए है| + +रूस की भाषा में पति या पत्नी के परिजनों के लिए प्रयुक्त शब्द जटिल हैं| उदाहरणार्थ, "नेवस्त्का" शब्द भाई की (या साले की) पत्नी के लिए काम में लिया जाता है| स्त्री इसी शब्द को अपनी बहु के लिए काम में लेती है परन्तु उसका पति उसी बहु को "स्नोक्सा" कहता है| ये उदाहरण Russian Synodal Version से लिए गए हैं| + +> उत्पत्ति 38:25 में तामार अपने ससुर, यहूदा को सन्देश भेजती है| यहाँ जो शब्द काम में लिया गया है वह है, "स्वेकोर" जो स्त्री के पति के पिता के लिए काम में लिया जाता है| +> +> निर्गमन 3:1 में मूसा अपने ससुर की भेड़-बकरियों को चरा रहा है| वहाँ जो शब्द काम में लिया गया है वह है, "टेस्ट" जो पुरुष की पत्नी के पिता के लिए काम मन लिया जाता है| diff --git a/translate/translate-kinship/sub-title.md b/translate/translate-kinship/sub-title.md new file mode 100644 index 0000000..aa72b2b --- /dev/null +++ b/translate/translate-kinship/sub-title.md @@ -0,0 +1 @@ +परिजनों के लिए प्रयुक्त शब्द कौन कौन से हैं, मैं उनका अनुवाद कैसे करूं \ No newline at end of file diff --git a/translate/translate-kinship/title.md b/translate/translate-kinship/title.md new file mode 100644 index 0000000..c963244 --- /dev/null +++ b/translate/translate-kinship/title.md @@ -0,0 +1 @@ +परिजन \ No newline at end of file diff --git a/translate/writing-proverbs/01.md b/translate/writing-proverbs/01.md index 290ae60..5891c5c 100644 --- a/translate/writing-proverbs/01.md +++ b/translate/writing-proverbs/01.md @@ -1,83 +1,84 @@ ### विवरण -नीतिवचन छोटी कहावतें होती हैं, जो ज्ञान देती या सत्य को सिखाती हैं। लोग नीतिवचनों का आनन्द लेते हैं, क्योंकि वे कुछ शब्दों में बहुत अधिक ज्ञान देते हैं। बाइबल में नीतिवचन अक्सर रूपक और समान्तरतावाद का उपयोग करते हैं। +नीतिवचन छोटी कहावतें हैं, जो बुद्धिमानी का परामर्श देती हैं या जीवन के सामान्य सत्यों का ज्ञान प्रदान करती हैं। लोग नीतिवचनों का आनन्द लेते हैं, क्योंकि वे कुछ शब्दों में बहुत अधिक ज्ञान देते हैं। बाइबल में नीतिवचन प्रायः रूपक और सादृश्यता का उपयोग करते हैं। नीतिवचानों को निरुपाधिक सत या अपरिवर्तनीय नियम नहीं समझना चाहिए, इसकी अपेक्षा नीतिवचन मनुष्य को सामान्य परामर्श देते हैं कि वह अपना जीवन कैसे जिए| -> घृणा संघर्ष को प्रेरित करता है, -> परन्तु प्रेम सभी अपराधों को ढक लेता है। (नीतिवचन 10:12 यूएलबी) +> बैर से तो झगडे उत्पन्न होते हैं, परन्तु प्रेम से सब अपराध ढांप जाते हैं| (नीतिवचन 10:12 ULT) नीतिवचन से एक और उदाहरण। -> चींटी को देख, हे आलसी व्यक्ति, उसके तरीके पर विचार करें, और बुद्धिमान बन। -> इसमें कोई सेनापति, अधिकारी या शासक नहीं होता है, -> फिर भी यह गर्मियों में अपना भोजन तैयार करती है, -> और कटनी के समय यह क्या खाएगी को भण्डार कर लेती है। (नीतिवचन 6:6-8 यूएलबी) +> हे आलसी, चींटियों के पास जा; उनके काम पर ध्यान दे, और बुद्धिमान हो| उनके न तो कोई न्यायी होता है, न प्रधान, न प्रभुता करने वाला, तौभी वे अपना आहार ढूप्काल में संचय करती हैं, औ कटनी के समय अपनी भोजन वस्तु बटोरती हैं। (नीतिवचन 6:6-8 ULT) -#### इसका कारण यह अनुवाद का एक विषय है +#### इसका अनुवाद की समस्या होने का कारण -प्रत्येक भाषा में नीतिवचनों को कहने का अपना ही तरीका होता है। बाइबल में कई नीतिवचन पाए जाते हैं। उन्हें इस तरीके से अनुवाद करने की आवश्यकता होती है, जैसे लोग आपकी भाषा में नीतिवचन कहते हैं, ताकि लोग उन्हें नीतिवचनों के रूप में पहचान सकें और समझ सकें कि वे क्या सिखाते हैं। +प्रत्येक भाषा में नीतिवचनों को कहने की अपनी ही रीति है। बाइबल में कई नीतिवचन पाए जाते हैं। उन्हें इस तरीके से अनुवाद करने की आवश्यकता होती है, जैसे लोग आपकी भाषा में नीतिवचन कहते हैं, जिससे कि लोग उन्हें नीतिवचनों के रूप में पहचान सकें और उनकी शिक्षाओं को समझ सकें। ### बाइबल से उदाहरण -> बड़े धन की तुलना में अच्छे नाम का चुनाव करना भला है, -> और चाँदी और सोने की तुलना में कृपा सर्वोत्तम है। (नीतिवचन 22:1 यूएलबी) +> बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, +> और सोने चांदी से दूसरों की प्रसन्नता उत्तम है| (नीतिवचन 22:1 ULT) -इसका अर्थ यह है कि एक अच्छा व्यक्ति होना और अच्छी प्रतिष्ठा सर्वोत्तम बात है इसकी तुलना में कि बहुत अधिक पैसा हो। +इसका अर्थ यह है कि एक अच्छा व्यक्ति होना और अच्छी प्रतिष्ठा धन की बहुतायत से अधिक उत्तम है। -> जैसे आंखों में धुँए और दांतों में सिरका होता है, -> वैसे आलसी उनके लिए होता जो उसे भेजते हैं। (नीतिवचन 10:26 यूएलबी) +> जैसे दांत को सिरका, और आँख को धूआं, +> वैसे आलसी उनको लगता है जो उसको कहीं भेजते हैं। (नीतिवचन 10:26 ULT) -इसका अर्थ है कि आलसी व्यक्ति उन लोगों को बहुत अधिक परेशान करता है, जो उसे कुछ करने के लिए भेजते हैं। +इसका अर्थ है कि आलसी मनुष्य उन लोगों के लिए अत्यधिक अप्रसन्नता का कारण होता है जो उसको किसी काम में लगाते हैं। -> यहोवा का मार्ग उन लोगों की रक्षा करता है, जिनके पास ईमानदारी होती है, -> परन्तु यह दुष्टों के लिए विनाश होता है। (नीतिवचन 10:29 यूएलबी) +> यहोवा खरे मनुष्यों का गढ़ ठहरता है, +> परन्तु अनर्थकारियों का विनाश होता है। (नीतिवचन 10:29 ULT) इसका अर्थ है कि यहोवा उन लोगों की रक्षा करता है, जो सही काम करते हैं, परन्तु वह दुष्टों को नष्ट कर देता है। -### अनुवाद की रणनीतियाँ +### अनुवाद की युक्तियाँ -यदि एक नीतिवचन का अनुवाद शाब्दिक रूप से स्वभाविक होगा और आपकी भाषा में सही अर्थ देगा, तो ऐसा करने पर विचार करें। यदि नहीं, तो यहाँ कुछ विकल्प दिए गए हैं: +यदि आपकी भाषा में नीतिवचन का शाब्दिक अनुवाद स्वभाविक हो और सही अर्थ दे, तो ऐसा करने पर विचार करें। यदि नहीं, तो यहाँ कुछ विकल्प दिए गए हैं: -1. जानें कि लोग आपकी भाषा में नीतिवचन कैसे कहते हैं, और उन तरीकों में से एक का उपयोग करें। -1. यदि आपकी भाषा समूह के कई लोगों को नीतिवचनों की कुछ बातें ज्ञात नहीं हैं, तो उन्हें उन बातों के साथ परिवर्तित करने पर विचार करें जिन्हें लोग जानते हैं और उसमें जिसमें यह आपकी भाषा में कार्य करती हैं। -1. अपनी भाषा से एक नीतिवचन को चुनें जिसमें बाइबल में दिए हुए नीतिवचन के जैसे शिक्षा पाई जाती। -1. वही शिक्षा दें परन्तु एक नीतिवचन के रूप में नहीं। +(1) ज्ञात करें कि लोग आपकी भाषा में नीतिवचन कैसे कहते हैं, और उन विधियों में से एक का उपयोग करें। +(2) यदि आपके भाषा समूह के कई लोगों के लिए नीतिवचनों की कुछ वस्तुएं अज्ञात हैं, तो उनके स्थानों में उन वस्तुओं को रखने का विचार करें जिन्हें लोग जानते हैं और वह आपकी भाषा में भी वैसा ही काम करती हैं। +(3) आपकी भाषा के किसी नीतिवचन की शिक्षा ठीक वैसी ही हो जैसी बाइबल में दिए हुए नीतिवचन की है तो उसका प्रतिस्थापन करें। +(4) वही शिक्षा दें परन्तु एक नीतिवचन के रूप में नहीं। -### अनुवाद के लिए लागू की गई रणनीतियों के उदाहरण +### अनुवाद की युक्तियों के उदाहरणों की प्रासंगिकता -1. जानें कि लोग आपकी भाषा में नीतिवचनों कैसे कहते हैं, और उन तरीकों में से एक का उपयोग करें। +(1) ज्ञात करें कि लोग आपकी भाषा में नीतिवचनों कैसे कहते हैं, उन विधियों में से एक का उपयोग करें। -* **बड़े धन की तुलना में अच्छे नाम का चुनाव करना भला है,,** - -**और चाँदी और सोने की तुलना में कृपा सर्वोत्तम है।** (नीतिवचन 22:1 यूएलबी) +> बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, +> और सोने चांदी से दूसरों की प्रसन्नता उत्तम है| (नीतिवचन 22:1 ULT) यहाँ पर कुछ विचार दिए गए हैं, जिनके उपयोग से लोग अपनी भाषा में एक नीतिवचन कह सकते हैं। -* बड़े धन को पाने की तुलना में अच्छा नाम पाना सर्वोत्तम है, और चाँदी और सोने की तुलना लोगों के द्वारा की कृपा पाना सर्वोत्तम है। -* बुद्धिमान लोग बड़े धन के स्थान पर अच्छा नाम चुनते हैं, और चाँदी और सोने के स्थान पर कृपा को चुनते हैं। -* बड़े धन की अपेक्षा अच्छी प्रतिष्ठा पाने का प्रयास करें। -* क्या धन वास्तव में आपकी सहायता करेगा? +>> बड़े धन को पाने की तुलना में अच्छा नाम पाना अधिक उत्तम है, और चाँदी और सोने से अधिक लोगों का कृपापात्र बनना सर्वोत्तम है। +> +>> बुद्धिमान लोग बड़े धन के स्थान पर अच्छा नाम चुनते हैं, और चाँदी और सोने के स्थान पर कृपा को चुनते हैं। +> +> बड़े धन की अपेक्षा अच्छी प्रतिष्ठा पाने का प्रयास करें। +>> क्या धन वास्तव में आपकी सहायता करेगा? मुझे तो अपेक्षाकृत अच्छी प्रतिष्ठा चाहिए| -इसकी अपेक्षा मैं अच्छी प्रतिष्ठा की चाह करूँगा। +(2) यदि आपके भाषा समूह के अनेक लोग नीतिवचनों की कुछ वस्तुओं से अज्ञात हैं, तो उनका प्रतिष्टापन उन वस्तुओं से कर दें जिन्हें लोग जानते हैं और जो आपकी भाषा में वैसा ही कार्य करती हैं। -1. यदि आपकी भाषा समूह के कई लोगों को नीतिवचनों की कुछ बातें ज्ञात नहीं हैं, तो उन्हें उन बातों के साथ परिवर्तित करने पर विचार करें जिन्हें लोग जानते हैं और उसमें जिसमें यह आपकी भाषा में कार्य करती हैं। +> **जैसा धुपकाल में हिम का** और कटनी के समय जल का पड़ना, +> +> वैसा ही मूर्ख की महिमा भी ठीक नहीं होती (नीतिवचन 26:1 ULT) -* **जैसे गर्मियों में बर्फ या फसल में वर्षा,** +>> **ठण्डी हवा के लिए ग्रीष्म ऋतु में बहना** स्वभाविक नहीं या कटनी के समय वर्षा: वैसे ही मूर्ख की महिमा ठीक नहीं होती। -**वैसे ही मूर्ख सम्मान के योग्य नहीं है।** (नीतिवचन 26:1 यूएलबी) +(3) आपकी भाषा में किसी नीतिवचन की शिक्षा बाईबल की शिक्षा के साथ यथोचित हो तो उसकी प्रतिस्थापन का चुनाव करें। -* ठण्डी हवा के लिए गर्मी की ऋतु में बहना स्वभाविक नहीं है या फसल की ऋतु में वर्षा का होना स्वभाविक नहीं है; और वैसे ही मूर्ख व्यक्ति का सम्मान करना स्वाभाविक नहीं होता है। +* कल के दिन के विषय में डींग मत मार, -1. अपनी भाषा से एक नीतिवचन को चुनें जिसमें बाइबल में दिए हुए नीतिवचन के जैसे शिक्षा पाई जाती। +> +> क्बायोंकि तू नहीं जानता कि दिन भर में क्या होगा| (नीतिवचन 27:1 ULT) +> +>> मुर्गी के बच्चे लिकालने से पहले गिनना आरम्भ न करें -* **कल के बारे में घमण्ड न करो** (नीतिवचन 27:1 यूएलबी) - * अनिश्चित वस्तुओं के आधार पर कोई योजना न बनाएँ। +(4) शिक्षा तो वही दें परन्तु नीतिवचन के रूप में नहीं| -1. उसी शिक्षा को दें परन्तु एक नीतिवचन के रूप में नहीं। +> ऐसे लोग हैं, जो अपने पिता को शाप देते +> +> और अपनी माता को धन्य नहीं कहते| +> +> ऐसे लोग हैं जो अपनी दृष्टि में शुद्ध हैं, +> +> तौभी उनका मेल धोया नहीं गया| (नीतिवचन 30:11-12 ULT) -* **एक पीढ़ी जो अपने पिता को श्राप देती है और अपनी माता को आशीष नहीं देती है,** - -**यह एक ऐसी पीढ़ी है जो अपनी आंखों में शुद्ध है,** - -**परन्तु वे अपनी गन्दगी से नहीं धोए गई है।** (नीतिवचन 30:11-12 यूएलबी) - -* जो लोग अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते वे सोचते हैं कि वे धर्मी हैं, और वे अपने पाप से मुड़ने नहीं हैं। +>> जो लोग अपने माता-पिता का सम्मान नहीं करते वे सोचते हैं कि वे धर्मी हैं, और वे अपने पाप से विमुख नहीं होते हैं। diff --git a/translate/writing-proverbs/sub-title.md b/translate/writing-proverbs/sub-title.md index 0531093..bf6b787 100644 --- a/translate/writing-proverbs/sub-title.md +++ b/translate/writing-proverbs/sub-title.md @@ -1 +1 @@ -लोकोक्ति क्या होती हैं और मैं उनका अनुवाद कैसे करूँ? \ No newline at end of file +नीतिवचन क्या हैं, मैं उनका अनुवाद कैसे करूँ? \ No newline at end of file diff --git a/translate/writing-proverbs/title.md b/translate/writing-proverbs/title.md index 4cf980a..ecf1110 100644 --- a/translate/writing-proverbs/title.md +++ b/translate/writing-proverbs/title.md @@ -1 +1 @@ -लोकोक्तियाँ \ No newline at end of file +नीतिवचन \ No newline at end of file