सामान्य रूप से एक वक्ता स्वयं को ‘‘मैं’’ और उसे सुन रहे लोगों को ‘‘आप’’ कह कर संबोधित करता है। बाइबल में अक्सर, एक वक्ता स्वयं को एवं जिनसे बात कर रहा है, उनको ‘‘मैं’’ या ‘‘आप’’ के अतिरिक्त अन्य शब्दों से भी संबोधित करता है।
* **प्रथम पुरुष** - सामान्य रूप से वक्ता स्वयं के लिए इन्हीं शब्दों का उपयोग करता है। अंग्रेजी भाषा ‘‘मैं’’ और ‘‘हम’’ के सर्वनामों का उपयोग करती है। (साथ ही: मुझे, मेरा, मेरे, हम, हमें, हमारा)
* **द्वितीय पुरुष** - इस शब्द से वक्ता सामान्य रूप से उन्हें संबोधित करता जिनसे वह बात कर रहा है। अंग्रेजी भाषा ‘‘आप’’ के सर्वनामों का उपयोग करती है (साथ ही: आपका, आपके)
* **तृतीय पुरुष** - इसके द्वारा वक्ता और किसी को संबोधित करता है। अंग्रेजी भाषा पुल्लिंग या स्त्रीलिंग ‘‘वह’’ और "यह" ‘‘वे’’ जैसे सर्वनामों का उपयोग करती है। (साथ ही: पुल्लिंग या स्त्रीलिंग उसे, उसका, उनका) संज्ञा वाक्यांश ‘‘पुरुष’’ या ‘‘स्त्री’’ भी तृतीय पुरुष हैं।
बाइबल में कर्इ बार वक्ता स्वयं या बात करने वालों को संबोधित करने के लिए तृतीय पुरुष का उपयोग करता है। पाठक सोच सकते हैं कि वक्ता किसी और की बात कर रहा है। उनको पता नही चल पाता कि उसका अर्थ ‘‘मैं’’ या ‘‘आप’’ से था।
परमेश्वर ने ‘‘परमेश्वर के’’ और ‘‘उसके’’ जैसे शब्दों से स्वयं के लिए तृतीय पुरुष का संबोधन किया। क्योंकि वह बल देना चाहता था कि वह परमेश्वर है और सामर्थी है।
अब्रहाम परमेश्वर से बात कर रहा था और उसने उसे ‘‘आप’’ के स्थान पर ‘‘मेरे प्रभु यहोवा’’ के रूप में संबोधित किया । उसने ऐसा परमेश्वर के सामने अपनी नम्रता दिखाने के लिए किया।
यदि ‘‘मैं’’ और ‘‘आप’’ के अर्थ को बताने के लिए तृतीय पुरुष का उपयोग स्वभाविक है और आपकी भाषा में इससे सही अर्थ दिया जा सकता है तो उसका उपयोग करें। यदि नही, तो निम्नलिखित कुछ विकल्प दिए गए हैं:
> **तब यहोवा ने भयंकर तूफान में से अय्यूब को उत्तर देकर कहा, ‘‘…क्या तेरी भुजाएँ ***परमेश्वर के*** समान हैं? क्या तू ***उसकी*** आवाज की भांति गर्जन कर सकता है?** (अय्यूब 40:6,9 ULT)
>> तब यहोवा ने भयंकर तूफान में से अय्यूब को उत्तर देकर कहा, ‘‘...क्या तेरी भुजाएँ ***मेरे*** समान हैं? क्या तू ***मेरी*** आवाज की भांति गर्जन कर सकता है?’’
> **इसलिए मेरा स्वर्ग का पिता भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करेगा, यदि ***तुममें हर कोर्इ*** पूरे दिल ***अपने*** भार्इ को क्षमा न करे।** (मती 18:35 ULT)
>> इसलिए मेरा स्वर्ग का पिता भी तुम्हारे साथ ऐसा ही करेगा, यदि ***तुममें हर कोर्इ*** पूरे दिल से ***तुम्हारे*** भार्इ को क्षमा न करे।