BCS_India_hi_iev_rom_book/rom/8.json

43 lines
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JSON

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"1": "इसलिए परमेश्वर उन्हें जो यीशु मसीह के साथ जुड़े हुए हैं दोषी न ठहराएँगे’ और उन्हें दण्ड न देंगे। ",
"2": "परमेश्वर के आत्मा हमें नई रीति से जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि हम मसीह यीशु के साथ जुड़े हुए हैं। अत: जब मेरे मन में पाप का विचार आता है, तो मैं पाप नहीं करता हूँ और मैं अब परमेश्वर से अलग नहीं रहूँगा। ",
"3": "हमने परमेश्वर के साथ रहने के लिए परमेश्वर की व्यवस्था का पालन करने का प्रयास किया परन्तु यह सोचना व्यर्थ था कि हम ऐसा कर सकते थे—हम पाप करने से नहीं रुक सकते थे। इसलिए परमेश्वर ने हमारी सहायता की: उन्होंने अपने ही पुत्र को संसार में भेजा कि उनके पुत्र हमारे पाप का प्रायश्चित करें। उनके पुत्र शरीर में होकर आए थे, ऐसा शरीर जो हम पापियों के शरीर के समान था। उनके पुत्र हमारे पापों के लिए स्वयं को बलिदान करने के लिए आए थे। जब उन्होंने ऐसा किया, तो उन्होंने यह भी दिखाया कि हमारे पाप वास्तव में दुष्ट हैं, और जो कोई भी पाप करते है वे दण्ड के योग्य हैं। ",
"4": "तो अब हम परमेश्वर की व्यवस्था की सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। हम अपने पुराने बुरे स्वभाव की इच्छाओं के अनुसार कार्य नहीं करते है, बल्कि हम परमेश्वर के आत्मा की इच्छा के अनुसार जीते हैं। ",
"5": "जो लोग बुरे स्वभाव से जीवन जीते हैं, वे उन स्वभावों पर ध्यान देते हैं। परन्तु जो लोग परमेश्वर के आत्मा की इच्छा के अनुसार जीते हैं, वे आत्मिक बातों के विषय में सोचते हैं। ",
"6": "जो लोग अपने बुरे स्वभाव की इच्छाओं के अनुसार जीवन जीते हैं, वे सदा के लिए जीवित नहीं रहेंगे। परन्तु जो परमेश्वर के आत्मा की इच्छाओं को चाहते हैं वे सदा के लिए जीवित रहेंगे और उन्हें शान्ति मिलेगी। ",
"7": "मुझे यह समझाने दो। जितना लोग अपने बुरे स्वभाव को चाहते हैं, उतना वे परमेश्वर के विपरीत कार्य करते हैं। वे उनकी व्यवस्था का पालन नहीं करते हैं। वास्तव में, वे उनकी व्यवस्था का पालन करने के योग्य नहीं हैं। ",
"8": "जो लोग अपने बुरे स्वभाव के अनुसार कार्य करते हैं वे परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकते हैं। ",
"9": "परन्तु हमें अपने पुराने बुरे स्वभाव के वश में रहने की आवश्यकता नहीं है। इसकी अपेक्षा, हमें परमेश्वर के आत्मा को हम पर नियंत्रण करने देना है, क्योंकि वह हमारे भीतर रहते हैं। यदि आत्मा जो मसीह की ओर से आते हैं, वह लोगों में नहीं रहते हैं, तो वे लोग मसीह के नहीं हैं। ",
"10": "क्योंकि मसीह अपने आत्मा के द्वारा तुम्हारे भीतर रहते हैं, तो परमेश्वर तुम्हारे शरीर को मृत मानते हैं, इसलिए तुमको अब पाप नहीं करना है। और वह तुम्हारी आत्माओं को जीवित मानते हैं, क्योंकि उन्होंने तुमको अपने साथ उचित सम्बन्ध में रखा है। ",
"11": "परमेश्वर ने यीशु को मरने के बाद फिर से जीवित किया। क्योंकि उनके आत्मा तुम्हारे भीतर रहते हैं, तो परमेश्वर तुम्हारे शरीर को भी जो अब मरने के लिए निश्चित है, फिर से जीवित करेंगे। उन्होंने मरने के बाद मसीह को फिर से जीवित किया, और वह अपनी आत्मा के द्वारा तुम्हें फिर से जीवित करेंगे।\n\\p ",
"12": "इसलिए, मेरे साथी विश्वासियों, हम आत्मा के निर्देशन के अनुसार रहने के लिए आभारी है। हम अपने पुराने बुरे स्वभाव के अनुसार रहने के लिए विवश नहीं हैं। ",
"13": "यदि तुम अपने पुराने बुरे स्वभाव के अनुसार कार्य करते हो, तो तुम निश्चय ही परमेश्वर के साथ सदा के लिए जीवित नहीं रहोगे। परन्तु यदि आत्मा तुमको उन बातों को करने से रोकते हैं, तो तुम सदा के लिए जीवित रहोगे।\n\\p ",
"14": "हम जो परमेश्वर के आत्मा की आज्ञा का पालन करते हैं, वे परमेश्वर की सन्तान हैं। ",
"15": "ऐसा इसलिए है कि तुम्हें ऐसी आत्मा नहीं मिली है जो तुमको डराती हैं। तुम दासों के समान नहीं हो जो अपने स्वामी से डरते हैं। इसके विपरीत, परमेश्वर ने तुम्हें अपना आत्मा दिया है, और उनके आत्मा ने हमें परमेश्वर की सन्तान बना दिया है। आत्मा अब हमें इस योग्य बनाते हैं कि हम पुकारें “आप मेरे पिता हो!” ",
"16": "जो हमारी आत्माएँ कहती हैं, उसे पवित्र-आत्मा स्वयं प्रमाणित करते हैं कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं। ",
"17": "क्योंकि हम परमेश्वर की सन्तान हैं, हम एक दिन परमेश्वर की प्रतिज्ञा के वारिस होंगे, और हम उसे मसीह के साथ मिलकर पाएँगे। परन्तु हमें मसीह के समान भलाई करने के लिए दुख उठाने होंगे, कि परमेश्वर हमें सम्मानित कर सकें।\n\\p ",
"18": "मेरे विचारों में, वर्तमान समय में हम जो भी कष्ट उठाते हैं, वह ध्यान देने के योग्य नहीं है, क्योंकि भविष्य की महिमा जो परमेश्वर हम पर प्रकट करेंगे वह इतनी महान होगी। ",
"19": "परमेश्वर ने जो सृष्टि की है, वह उस समय की प्रतीक्षा कर रही है जब वह प्रकट करेंगे कि उनकी सच्ची सन्तान कौन हैं। ",
"20": "परमेश्वर ने अपनी सृष्टि को ऐसा किया, कि वह उनकी इच्छा को पूरा करने में असमर्थ हो। ऐसा इसलिए नहीं था कि वे असफल होना चाहते थे। इसके विपरीत, परमेश्वर ने उन्हें ऐसा बनाया क्योंकि वह निश्चित थे, ",
"21": "कि उनकी सृष्टि, एक दिन न तो मरेगी, न क्षय होगी और न ही नष्ट होगी। वह इन बातों को उससे मुक्त कर देंगे, जिससे कि वह इन बातों के लिए भी वही अद्भुत कार्य कर सकें जो वह अपनी सन्तान के लिए करेंगे। ",
"22": "हम जानते हैं कि अब तक ऐसा प्रतीत होता है कि परमेश्वर ने जो वस्तुएँ बनाई वे सब एक साथ कराहती हैं, और वे चाहती हैं कि परमेश्वर उनके लिए अद्भुत कार्य करें। परन्तु इस समय यह एक ऐसी स्त्री के समान है, जिसे बच्चे को जन्म देने से पहले आने वाली प्रसव पीड़ा हो रही है। ",
"23": "न केवल ये वस्तुएँ कराहती हैं, हम भी अपने भीतर कराहते हैं। हमारे पास परमेश्वर के आत्मा हैं, जो हमें दिए गए वरदान का एक अंश हैं हम उन सब वस्तुओं कि प्रतीक्षा करते हैं, जो परमेश्वर हमें देंगे, हम भीतर से कराहते हैं। हम तब तक कराहते रहते हैं जब तक हम परमेश्वर की लेपालक सन्तान होने के हमारे पूर्ण अधिकार प्राप्त न कर लें, हम उस समय की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं। इसमें हमारे शरीर को उन बातों से मुक्त करना भी है जो हमें धरती पर बाँधती हैं। वह हमें नया शरीर दे कर ऐसा करेंगे। ",
"24": "परमेश्वर ने हमें बचा लिया क्योंकि हमें विश्वास था। यदि हमारे पास अब वे वस्तुएँ होती, जिनकी हम प्रतीक्षा करते हैं, तो हमें उनके लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होती। यदि तुम्हें वे वस्तुएँ मिल जाएँ जिनकी तुम आशा कर रहे हो, तो निश्चय ही तुम्हें उनकी प्रतीक्षा करने की आश्यकता नहीं है। ",
"25": "क्योंकि हम उन वस्तुओं को पाने की आशा करते हैं जो हमारे पास नहीं हैं, तो हम उत्सुकता और धीरज के साथ इसके लिए प्रतीक्षा करते हैं।\n\\p ",
"26": "इसी प्रकार, जब हम निर्बल होते हैं, तब परमेश्वर के आत्मा हमारी सहायता करते हैं। हम नहीं जानते कि हमारे लिए क्या प्रार्थना करना उचित है। परन्तु परमेश्वर के आत्मा जानते हैं; जब वह हमारे लिए प्रार्थना करते हैं, वह इस रीति से कराहते हैं जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। ",
"27": "परमेश्वर, जो हमारे भीतरी स्वभाव और मन की जाँच करते हैं, समझते हैं कि उनके आत्मा क्या चाहते हैं। उनके आत्मा हमारे लिए प्रार्थना करते हैं, अर्थात् उनके लिए जो परमेश्वर से जुड़े हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे परमेश्वर चाहते हैं कि वह प्रार्थना करें।\n\\p ",
"28": "और हम जानते हैं कि जो परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए परमेश्वर इस प्रकार से कार्य करते हैं कि उनकी भलाई उत्पन्न होती है। वह अपने चुने हुए लोगों के लिए ऐसा करते हैं, क्योंकि उन्होंने ऐसा करने की योजना बनाई है। ",
"29": "परमेश्वर पहले से जानते थे कि हम उनमें विश्वास करेंगे। हम उन लोगों में से हैं जिन्हें परमेश्वर ने ठहराया कि उनके पुत्र के चरित्र के समान हमारा भी चरित्र हो। परिणाम यह है कि मसीह परमेश्वर के पहलौठे हैं, और जो लोग परमेश्वर की सन्तान हैं, वे यीशु के भाई हैं। ",
"30": "और जिन्हें परमेश्वर ने पहले से ठहराया था कि उनके पुत्र के समान हों, उन्होंने उन्हें अपने साथ रहने के लिए बुलाया भी और जिन लोगों को उन्होंने साथ रहने के लिए बुलाया, उन्हें उन्होंने अपने साथ उचित सम्बन्ध में भी कर दिया। और जिनको उन्होंने अपने साथ उचित सम्बन्धों में किया है, उन्हें वे सम्मान भी देंगे।\n\\p ",
"31": "अत: मैं तुमको बताता हूँ कि परमेश्वर हमारे लिए जो करते हैं उन सबसे क्या सीखना चाहिए। क्योंकि परमेश्वर हमारी ओर से कार्य कर रहे हैं, इसलिए कोई भी हम पर विजयी नहीं हो सकता है! ",
"32": "परमेश्वर ने अपने पुत्र को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने उन्हें दूसरों के हाथों में दे दिया कि बड़ी निर्दयता से मार डाले जाएँ जिससे कि हम लोग जो उन पर विश्वास करते हैं, हमें उनकी मृत्यु से लाभ हो सके। क्योंकि परमेश्वर ने ऐसा किया, इसलिए वह निश्चय ही हमें वह सब कुछ भी देंगे जो हमें उनके लिए जीवित रहने हेतु आवश्यक है। ",
"33": "कोई भी परमेश्वर के सामने हम पर अनुचित कार्य करने का दोष नहीं लगा सकता है, क्योंकि उन्होंने हमें चुना है कि हम उनके हो। उन ही ने हमें उनके साथ उचित सम्बन्ध में कर दिया है। ",
"34": "कोई भी अब हमें दोषी नहीं ठहरा सकता। मसीह हमारे लिए मर गए—और मरे हुओं में से जीवित भी किए गए—और वह सम्मान के स्थान में बैठ कर परमेश्वर के साथ शासन कर रहे हैं, और वही हमारे लिए विनती कर रहे हैं। ",
"35": "सचमुच, कोई भी मसीह को हमसे प्रेम करने से रोक नहीं सकता है! चाहे कोई हमें कष्ट दे, या कोई हमें हानि पहुँचाए, या हमारे पास खाने के लिए कुछ भी न हो या यदि हमारे पास पर्याप्त कपड़े न हो, या यदि हम एक भयानक स्थिति में रहते हैं, या कोई हमें मार भी डाले। ",
"36": "ऐसी ही बातें हमारे साथ हो सकती हैं, जैसे लिखा गया है जो दाऊद ने परमेश्वर से कहा, “क्योंकि हम परमेश्वर के लोग हैं, दूसरे लोग बार-बार हमें मारने का प्रयास करते हैं। वे हमें केवल मारे जाने के योग्य मानते हैं, जैसे कसाई भेड़ को मार डालने का पशु ही समझता है।” ",
"37": "भले ही हमारे साथ ऐसी सब बुराई होती है, हम विजयी ही होते हैं क्योंकि मसीह जो हमसे प्रेम करते हैं, हमारी सहायता करते हैं। ",
"38": "मुझे पूरा विश्वास है कि न ही मरे हुओं के संसार से न ही इन जीवन की घटनाओं से जो कुछ हमारे साथ होता है, जब हम जीते हैं, न ही स्वर्गदूत, न ही दुष्ट-आत्मा, न ही वर्तमान की घटनाएँ, न ही भविष्य की घटनाएँ, न ही कोई शक्तिशाली प्राणी, ",
"39": "न ही आकाश के शक्तिशाली प्राणी या न ही नीचे के शक्तिशाली प्राणी, और न ही परमेश्वर द्वारा बनाई गई वस्तुएँ परमेश्वर को हमसे प्रेम करने से रोक सकती हैं। परमेश्वर ने प्रभु यीशु मसीह को हमारे निमित्त मरने के लिए भेज कर यह दिखाया कि वह हमसे प्रेम करते हैं।",
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