BCS_India_hi_iev_rom_book/rom/5.json

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11 KiB
JSON

{
"1": "परमेश्वर ने हमें अपने साथ उचित सम्बन्ध में किया क्योंकि हम अपने प्रभु यीशु मसीह में विश्वास करते हैं। तो हम अब परमेश्वर के साथ शान्ति में हैं। ",
"2": "क्योंकि मसीह ने हमारे लिए जो किया है, वह ऐसा है जैसे कि परमेश्वर ने हमें वहाँ जाने के लिए एक द्वार खोल दिया है जहाँ वह हमारे प्रति दयालु होंगे। इसलिए हम आनन्दित होते हैं क्योंकि हमें पूरा विश्वास है कि परमेश्वर अपनी महिमा हमारे साथ साझा करेंगे। ",
"3": "जब हम पीड़ित होते हैं क्योंकि हम मसीह के साथ जुड़े हुए हैं, तो हम आनन्दित भी होते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि जब हम पीड़ित होते हैं, तब हम धीरज से कष्टों को सहना सीख रहे हैं। ",
"4": "और हम जानते हैं कि जब हम दु:ख सहने में धीरज धरते हैं, तो परमेश्वर हमें स्वीकार करते हैं। और जब हम जानते हैं कि परमेश्वर ने हमें स्वीकार किया है, तो हम पूरी तरह से आशा कर सकते हैं कि वह हमारे लिए महान कार्य करेंगे। ",
"5": "और हम बहुत आश्वस्त हैं कि हम उन वस्तुओं को प्राप्त करेंगे जिनके लिए हम प्रतीक्षा करते हैं, क्योंकि परमेश्वर हमसे बहुत प्रेम करते हैं। पवित्र-आत्मा, जिन्हें उन्होंने हमें दिया था, हमें यह समझने योग्य बनाते हैं कि परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करते हैं।\n\\p ",
"6": "जब हम स्वयं को बचाने में असमर्थ थे, तो वह मसीह थे, जो परमेश्वर के निर्धारित समय में, हमारे लिए मर गए। ",
"7": "कोई किसी के लिए मरे ऐसा दुर्लभ ही है, भले ही वह व्यक्ति धर्मी हो, संभव है कि एक अच्छे व्यक्ति के लिए कोई मरने का साहस करे। ",
"8": "फिर भी, परमेश्वर ने अपना प्रेम इस रीति से प्रकट किया कि मसीह हमारे लिए मर गए जबकि हम उस समय पापी ही थे। ",
"9": "तो यह और भी निश्चित है कि मसीह हमें पाप के प्रति, परमेश्वर के क्रोध से बचाएँगे, क्योंकि हम परमेश्वर के साथ उचित सम्बन्ध में हैं क्योंकि मसीह हमारे लिए मर गए और हमारे पापों के लिए अपना लहू बहा दिया। ",
"10": "उस समय जब हम उनके शत्रु थे, तब भी परमेश्वर ने हमें अपना मित्र बनाया क्योंकि उनके पुत्र हमारे लिए मर गए। इसलिए कि मसीह फिर जीवित हैं, यह और भी निश्चित है कि मसीह हमें बचाएँगे। ",
"11": "और यही नहीं! अब हम और भी आनन्दित हैं क्योंकि हमारे प्रभु यीशु मसीह ने हमारे लिए जो किया हैं, उसके कारण हम परमेश्वर के मित्र बन गए हैं।\n\\p ",
"12": "सब लोग पापी हैं क्योंकि आदम; जिसे परमेश्वर ने सबसे पहले बनाया था, उसने बहुत पहले पाप किया था। क्योंकि उसने पाप किया, इस कारण उसकी मृत्यु हो गई। इसलिए जितने लोग तब से जीवित है, सब पापी हो गए, और वे सब मर गए। ",
"13": "पृथ्‍वी के लोगों ने, परमेश्वर द्वारा मूसा को दी गई व्यवस्था से पहले पाप किया, परन्तु व्यवस्था के बिना पाप को पहचानने की कोई विधि नहीं थी। ",
"14": "परन्तु हम जानते हैं कि आदम के समय से मूसा के समय तक सब लोग पाप करते थे, और इस कारण वे सब मर गए। सब लोग मर गए, वे लोग भी जिन्होंने परमेश्वर की आज्ञा नहीं तोड़ी थी, जैसा आदम ने किया था। वह आदम, जो उस आनेवाले का चिह्न है। ",
"15": "परन्तु परमेश्वर का वरदान आदम के पाप के समान नहीं है। क्योंकि आदम ने पाप किया, इसलिए सब लोग मर जाते हैं। क्योंकि एक मनुष्य, यीशु मसीह, हम सबके लिए मर गए, परमेश्वर ने हमें अनन्त जीवन का यह वरदान दिया है, जबकि हम उसके योग्य नहीं हैं। ",
"16": "एक और मार्ग है जिसमें परमेश्वर का वरदान आदम के पाप से अलग है। क्योंकि आदम ने पाप किया, और उसके बाद सब लोग पापी हो गए, इसलिए परमेश्वर ने घोषणा की कि सब लोग दण्ड के योग्य है। परन्तु दया के वरदान के रूप में, परमेश्वर हमें अपने साथ उचित सम्बन्ध में लाते हैं। ",
"17": "एक पुरुष, आदम के पाप के कारण सब लोग मरते हैं। परन्तु अब हम में से बहुत से लोग अनुभव करते हैं कि परमेश्वर ने हमें बहुत ही महान वरदान दिए हैं, और उन्होंने हमें अपने साथ उचित सम्बन्ध में कर दिया है। यह भी निश्चित है कि हम स्वर्ग में मसीह के साथ शासन करेंगे। यह सब एक मनुष्य, यीशु मसीह के द्वारा हमारे लिए किए हुए कार्य के कारण होगा।\n\\p ",
"18": "क्योंकि एक पुरुष, आदम ने, परमेश्वर की व्यवस्था का पालन नहीं किया, इसलिए सब लोग दण्ड पाने के योग्य हैं। उसी प्रकार, क्योंकि एक पुरुष, यीशु ने अपने जीवन और मृत्यु में परमेश्वर की आज्ञा का पालन करके धर्म का कार्य किया, इसलिए परमेश्वर सबको अपने उचित सम्बन्ध में साथ करते हैं, जिससे वे सदा के लिए जीवित रहें। ",
"19": "एक व्यक्ति, आदम ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी इस कारण बहुत से लोग पापी हो गए। उसी प्रकार, एक व्यक्ति यीशु ने, अपनी मृत्यु के द्वारा परमेश्वर की आज्ञा मानी जिससे कि वह अनेक लोगों को अपने साथ उचित सम्बन्ध में करें। ",
"20": "परमेश्वर ने मूसा को अपनी व्यवस्था दी थी कि लोगों को पता चले कि उन्होंने कितने अधिक पाप किए थे। परन्तु जैसे-जैसे लोगों के पाप बढ़ते गए, वैसे-वैसे परमेश्वर उनके साथ और भी अधिक दया के कार्य करते गए। ",
"21": "उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि, लोग पाप के कारण मर जाते हैं, परन्तु उनकी दया का वरदान उन्हें परमेश्वर के साथ उचित सम्बन्ध में कर सकता है। हमारे प्रभु यीशु ने उनके लिए जो किया है उसके कारण लोग सदा के लिए जीवित रह सकते हैं।",
"front": "\\p "
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