BCS_India_hi_iev_rom_book/rom/3.json

35 lines
15 KiB
JSON

{
"1": "“यदि यह सच है, तो ऐसा प्रतीत होता है कि गैर-यहूदियों कि तुलना में यहूदी होने का कोई लाभ नहीं है, और खतना करने से हम यहूदियों को कोई लाभ नहीं है।” ",
"2": "परन्तु मैं तुमसे कहता हूँ कि यहूदी होने के कई लाभ हैं। सबसे पहले यह कि उनके पूर्वजों को परमेश्वर ने अपने वचनों को दिया था। ",
"3": "क्या यहूदियों का विश्वास ना करने का अर्थ यह है कि परमेश्वर उन्हें अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार आशीष नहीं देंगे। ",
"4": "कदापि नहीं, इसका अर्थ यह नहीं है! परमेश्वर सदा अपनी प्रतिज्ञा पूरी करते हैं, चाहे मनुष्य न करें। जो लोग परमेश्वर पर आरोप लगाते हैं कि वह हम यहूदियों के लिए अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं करते हैं, यह बहुत गलत है। राजा दाऊद ने इस विषय में लिखा: “इसलिए सबको यह स्वीकार करना चाहिए कि आपने उनके विषय में जो कहा है वह सच है, और जब कोई आप पर गलत कार्य करने का आरोप लगाते हैं तो आप सदैव उस मामले को जीत जाएँगे।”\n\\p ",
"5": "इसलिए यदि परमेश्वर हमारी दुष्टता के कारण हमें आशीष नहीं देते, तो क्या हम कह सकते हैं कि उन्होंने अन्याय किया है? क्या वह अपने क्रोध में हमें दण्ड देने के लिए अनुचित थे? (मैं ऐसी बातें कर रहा हूँ जैसे सामान्य मनुष्य करते हैं।) ",
"6": "हमें ऐसा निष्कर्ष कभी नहीं निकालना चाहिए, क्योंकि यदि परमेश्वर न्याय नहीं करेंगे, तो संसार का न्याय करना सम्भवत: उनके लिए उचित नहीं होगा! ",
"7": "परन्तु कोई तर्क करता है, “परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरा करते हैं यह तथ्य स्पष्ट होता है क्योंकि उदाहरण के लिए, मैंने एक झूठ कहा और इसका परिणाम यह है कि लोग परमेश्वर की दया के कारण उनकी स्तुति करते हैं! तो परमेश्वर को अब यह कहना नहीं चाहिए कि मुझे मेरे इस पाप करने के कारण दण्ड दिया जाना चाहिए, क्योंकि लोग इसके कारण परमेश्वर की स्तुति कर रहे हैं! ",
"8": "यदि तू, पौलुस, जो कह रहा है, वह सच है, तो हम बुरे कार्य करें जिससे कि उनके द्वारा अच्छे-अच्छे परिणाम मिल जाए।” कुछ लोग मेरे विषय में बुरा कहते हैं क्योंकि वे मुझ पर इस प्रकार से बोलने का आरोप लगाते हैं। जो लोग मेरे विषय में ऐसी बातें कहते हैं उन्हें परमेश्वर दण्ड देंगे क्योंकि वे इस योग्य हैं कि परमेश्वर उन्हें दण्ड दें!\n\\p ",
"9": "क्या हम यह निष्कर्ष निकालें कि परमेश्वर हमारे साथ अधिक कृपापूर्वक व्यवहार करेंगे और गैर-यहूदियों से कम कृपापूर्वक व्यवहार करेंगे? हम निश्चय ही ऐसा निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं! यहूदी और गैर यहूदी दोनों ने पाप किया है। ",
"10": "पवित्रशास्त्र में लिखे गए निम्नलिखित शब्द इसका समर्थन करते हैं,\n\\p कोई धर्मी नहीं है एक भी धर्मी जन नहीं है! ",
"11": "कोई नहीं है जो समझाता है कि उचित जीवन कैसे जीना है। कोई भी नहीं है जो परमेश्वर को जानने कि खोज करता है!\n\\p ",
"12": "सच में हर एक जन परमेश्वर से दूर हो गया है, परमेश्वर उन्हें भ्रष्ट समझते हैं। कोई भी नहीं जो उचित कार्य करता है; नहीं, एक भी नहीं है! ",
"13": "मनुष्य जो कहता है वह गन्दा है जैसे खुली कब्र की दुर्गन्ध, मनुष्यों की बातें लोगों को धोखा देती हैं।\n\\q वे अपनी बातों से मनुष्यों को चोट पहुँचाते हैं जैसे साँपों का विष लोगों को चोट पहुँचाता है।\n\\q ",
"14": "और उनका मुँह श्राप और कड़वाहट से भरा है।\n\\q ",
"15": "वे लोगों की हत्या करने के लिए शीघ्र जाते हैं।\n\\q ",
"16": "जहाँ भी वे जाते हैं, सब कुछ नष्ट कर देते हैं और लोगों को दुखी करते हैं।\n\\q ",
"17": "वे कभी नहीं जान पाए कि लोगों के साथ शान्ति से कैसे जीना चाहिए।\n\\q ",
"18": "उनकी आँखों के सामने परमेश्वर का भय नहीं।\n\\p ",
"19": "हम जानते हैं कि जो भी व्यवस्था में आज्ञा दी गई है, वह उनके लिए है जिनसे उसके पालन कि अपेक्षा की गई है। इसका अर्थ यह है कि यहूदी हो या गैर-यहूदी, जब परमेश्वर उनसे पाप करने का कारण पूछेंगे, तब वे इसके विपरीत कुछ भी कहने योग्य नहीं होंगे। ",
"20": "परमेश्वर मनुष्यों के पापों का लेखा मिटा देंगे, वो इसलिए नहीं कि उन्होंने परमेश्वर की आवश्यकताओं को पूरा किया है, क्योंकि किसी ने भी उन आवश्यकताओं को पूरा नहीं किया है। सच तो यह है परमेश्वर की व्यवस्था को जानने का परिणाम यह है कि हम स्पष्ट जानते हैं कि हमने पाप किया है।\n\\p ",
"21": "पर अब बिना व्यवस्था परमेश्वर की धार्मिकता प्रकट हुई है, जिसकी गवाही व्यवस्था और भविष्यद्वक्ता देते हैं। ",
"22": "परमेश्वर हमारे पापों का लेखा मिटाते हैं क्योंकि हम यीशु मसीह द्वारा हमारे लिए किए गए कार्य पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर हर व्यक्ति के लिए ऐसा करते हैं जो मसीह में विश्वास करता है, क्योंकि वह यहूदियों और गैर-यहूदियों के बीच कोई अंतर नहीं मानते हैं। ",
"23": "सब लोगों ने पाप किया है, और हर एक जन परमेश्वर द्वारा स्थापित उन महिमामय लक्ष्यों को प्राप्त करने में असफल रहा है। ",
"24": "हमारे पापों का लेखा उनकी दया से हमारे पापों को क्षमा करने के कारण मिटाया गया है, हमने उसे प्राप्त करने के लिए कुछ नहीं किया है। मसीह यीशु ने हमें मुक्ति दिला कर इसे उपलब्ध करवाया है। ",
"25": "परमेश्वर ने दिखाया कि मसीह ने अपनी मृत्यु द्वारा लहू बहा कर उनका क्रोध दूर कर दिया है, और हमें उनके द्वारा हमारे लिए किए गए कार्य में विश्वास करना चाहिए। मसीह का बलिदान दर्शाता है कि परमेश्वर ने न्यायोचित कार्य किया है। अन्यथा, कोई यह नहीं सोचता कि वह न्याय में उचित है, क्योंकि उन्होंने अपने सहनशीलता के कारण उन पापों को अनदेखा किया है, जो पहले लोगों ने किए थे। ",
"26": "परमेश्वर ने मसीह को हमारे लिए मरने के लिए नियुक्त किया। और वह दिखाते हैं कि वह यीशु में विश्वास करने वाले सब लोगों के पापों का लेखा पूरी तरह से न्यायपूर्वक मिटा सकते हैं।\n\\p ",
"27": "परमेश्वर हमारे पापों का लेखा मिटाते हैं तो वह इसलिए नहीं कि हम मूसा के व्यवस्था का पालन करते हैं। इसलिए हमें घमण्ड करने का कोई कारण नहीं है कि परमेश्वर हमारे पक्ष में हैं, क्योंकि हमने उन नियमों का पालन किया है। इसकी अपेक्षा, परमेश्वर हमारे पापों का लेखा इसलिए मिटाते हैं कि हम मसीह में विश्वास करते हैं। ",
"28": "तो यह स्पष्ट है कि परमेश्वर अपने साथ किसी को उचित सम्बन्ध में लाते हैं जब वह व्यक्ति मसीह में विश्वास करता है—न कि जब वह व्यक्ति व्यवस्था का पालन करता है। ",
"29": "क्या यहूदी ही है जिन्हें परमेश्वर स्वीकार करेंगे! तुमको यह समझ लेना चाहिए कि वह गैर-यहूदियों को भी स्वीकार करेंगे। नि:सन्देह, वह गैर यहूदियों को स्वीकार करेंगे, ",
"30": "क्योंकि, तुम दृढ़ विश्वास करते हो कि एक ही परमेश्वर हैं। यही परमेश्वर को—जो खतना किए हुए हैं—अपने साथ उचित सम्बन्ध में लेंगे क्योंकि वे मसीह में विश्वास करते हैं, और यही परमेश्वर को—जो खतनारहित हैं—अपने साथ उचित सम्बन्ध में लेंगे, क्योंकि वे भी मसीह में विश्वास करते हैं। ",
"31": "यदि तुम कहते हो कि परमेश्वर हमें अपने साथ उचित सम्बन्ध में इसलिए लेते हैं कि हम मसीह में विश्वास रखते हैं तो क्या इसका अर्थ यह है कि व्यवस्था अब व्यर्थ है? कदापि नहीं, वरन् व्यवस्था को स्थिर करते हैं।",
"front": "\\p "
}