BCS_India_hi_iev_rom_book/rom/2.json

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14 KiB
JSON

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"1": "जब तुम दूसरों पर दोष लगते हो, तो तुम वास्तव में यह कह रहे हो कि परमेश्वर तुम्हें दण्ड दें क्योंकि तुमने भी वैसा ही जीवन व्यतीत किया है। तुमने भी तो ऐसे ही कार्य किए जैसे उन्होंने किए हैं। ",
"2": "हम जानते हैं कि परमेश्वर ऐसे बुरे कार्य करने वालों का न्याय करेंगे और उन्हें उचित दण्ड देंगे। ",
"3": "अत: तुम कहते हो कि परमेश्वर बुरे कार्य करने वाले लोगों को दण्ड दें तो तुम स्वयं ही बुरे कार्य करते हो तो तुम कैसे सोच सकते हो कि जब वह दण्ड देंगे तो तुम बच जाओगे। ",
"4": "या “परमेश्वर मेरे लिए तो दयालु, सहनशील एवं धीरजवन्त हैं इसलिए मुझे पापों से मन फिराने की आवश्यकता नहीं है।” तुम्हारे लिए आवश्यक है कि तुम समझो कि परमेश्वर धीरज रख कर प्रतीक्षा कर रहे हैं कि तुम अपने पापों से मन फिराओ। ",
"5": "पर तुम हठ करके पाप करना नहीं छोड़ते इसलिए परमेश्वर तुमको और भी अधिक कठोर दण्ड देंगे। वह ऐसा तब करेंगे जब वह अपना क्रोध प्रकट करेंगे और सबका निष्पक्ष न्याय करेंगे।\n\\p ",
"6": "परमेश्वर हर एक को उनके कार्यों के अनुसार उचित बदला देंगे। ",
"7": "जो लोग अच्छे कार्य करने में स्थिर रह कर महिमा, आदर, और अमरता की खोज में हैं, उन्हें वह अनन्त जीवन देंगे। ",
"8": "परन्तु कुछ लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के ही कार्य करते हैं और विश्वास करना नहीं चाहते कि परमेश्वर जो कहते हैं वह सच है वरन् ऐसे कार्य करते हैं जिन्हें परमेश्वर कहते हैं कि वे अनुचित हैं। इस कारण परमेश्वर बहुत क्रोधित हो जाएँगे और उन्हें कठोर दण्ड देंगे। ",
"9": "जिन्हें बुरे कार्य करने का अभ्यास हो चूका है उन्हें परमेश्वर बहुत कष्ट देंगे और उनके क्लेश भी बहुत होंगे। परमेश्वर के सन्देश को स्वीकार नहीं करने वाले पहले यहूदी पर फिर गैर-यहूदियों के साथ भी ऐसा ही होगा। ",
"10": "परन्तु महिमा और आदर और कल्याण हर एक को मिलेगा, जो भला करता है, पहले यहूदी को फिर यूनानी को। ",
"11": "क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं लेते।\n\\p ",
"12": "यद्यपि गैर-यहूदियों के पास मूसा द्वारा दी गई परमेश्वर की व्यवस्था नहीं है फिर भी वे व्यवस्था के बिना पाप करते हैं, परमेश्वर उन्हें सदा के लिए नाश कर देंगे। वह उन सब यहूदियों को भी दण्ड देंगे जो उनकी व्यवस्था का उल्लंघन करते हैं, क्योंकि उनका न्याय व्यवस्था के आधार पर ही किया जाएगा। ",
"13": "परमेश्वर का उन्हें दण्ड देना उचित ही है क्योंकि परमेश्वर व्यवस्था के जानने वालों ही को धर्मी नहीं ठहराते। वरन् उन्हें जो परमेश्वर की व्यवस्था का पूरा पालन करते हैं, केवल उन्हें ही परमेश्वर धर्मी ठहराते हैं। ",
"14": "जबकि गैर-यहूदी, जिनके पास परमेश्वर की व्यवस्था नहीं है, वे स्वभाव से व्यवस्था की सी बातों का पालन करते हैं क्योंकि उनके लिए वह प्राकृतिक प्रकाश है तो वे सिद्ध करते हैं कि उनके मन में व्यवस्था है भले ही उनके पास मूसा द्वारा दी गई परमेश्वर कि व्यवस्था कभी नहीं थी। ",
"15": "वे दिखाते हैं कि वे अपने मन में जानते हैं कि परमेश्वर अपनी व्यवस्था में क्या आज्ञा देते हैं, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का विवेक उसके बुरे व्यवहार पर दोषी ठहराता है या उसका बचाव करता है। ",
"16": "परमेश्वर उस समय उनको दण्ड देंगे, जब वह लोगों को उनके गुप्त विचारों और कार्यों के अनुसार उनका न्याय करेंगे। वह मनुष्यों का न्याय करने के लिए मसीह यीशु को अधिकार दे कर न्याय करेंगे। मैं मनुष्यों को सुसमाचार सुनाता हूँ, तो मैं लोगों को यही बताता हूँ।\n\\p ",
"17": "अब मैं तुम यहूदियों में से हर एक को जिन्हें यह पत्र लिख रहा हूँ कुछ कहना चाहता हूँ: तुम्हें भरोसा है कि परमेश्वर तुम्हें बचाएँगे क्योंकि तुम मूसा द्वारा दी गई व्यवस्था को जानते हो। तुम घमण्ड करते हो कि तुम परमेश्वर के हो। ",
"18": "तुम जानते हो कि परमेश्वर क्या चाहते हैं। क्योंकि तुम्हें परमेश्वर की व्यवस्था की शिक्षा दी गई है इसलिए तुम जान सकते हो कि उचित क्या है और उनको करने का चुनाव कर सकते हो। ",
"19": "तुम्हें निश्चय है कि तुम गैर-यहूदियों को परमेश्वर की सच्चाई दिखाने में सक्षम हो, और तुम उन लोगों को शिक्षा दे सकते हो जो परमेश्वर के विषय में कुछ नहीं जानते हैं। ",
"20": "तुम्हें निश्चय है कि तुम उन लोगों का मार्गदर्शन कर सकते हो जो मूर्खता की बातों को सच मानते हैं और जो बच्चों के समान हैं, क्योंकि वे उनके विषय में कुछ भी नहीं जानते हैं। तुम इन सबके विषय में निश्चित हो क्योंकि तुम्हारे पास व्यवस्था है जो तुम्हें सच्ची शिक्षा देती है। ",
"21": "क्योंकि तुम यह दावा करते हो कि तुम्हारे पास यह सब लाभ हैं, यह घृणित है कि तुम दूसरों को सिखाते हो परन्तु स्वयं व्यवस्था का पालन नहीं करते हो! तुम जो उपदेश देते हो कि लोगों को चोरी नहीं करनी चाहिए, यह घृणित है कि तुम स्वयं चोरी करते हो! ",
"22": "तुम जो मनुष्यों से कहते हो कि उसके साथ नहीं सोना चाहिए जिसके साथ तुम्हारा विवाह नहीं हुआ हैं, यह घृणित है कि तुम स्वयं व्यभिचार करते हो! तुम जो लोगों को मूर्तियों की पूजा के विरुद्ध आदेश देते हो, यह घृणित है कि तुम अन्य जातियों के मन्दिरों से वस्तुएँ चुराते हो। ",
"23": "तुम जो घमण्ड से कहते हो, “मेरे पास परमेश्वर की व्यवस्था है,” यह घृणित है कि तुम उसी व्यवस्था का पालन नहीं करते हो! इसका परिणाम यह होता है कि तुम परमेश्वर का अपमान कर रहे हो! ",
"24": "यह वैसा ही है जैसा पवित्रशास्त्र कहता है, “तुम यहूदियों के बुरे कार्यों के कारण, गैर-यहूदी परमेश्वर के विषय में अपमान की बातें बोलते हैं।”\n\\p ",
"25": "तुम में से जो कोई भी यह दिखाने के लिए खतना करता है कि वह परमेश्वर का हैं तो वह तब ही उसका लाभ उठा सकता है जब वह परमेश्वर द्वारा मूसा की व्यवस्था का पालन करे। परन्तु यदि तू व्यवस्था का पालन नहीं करता है तो परमेश्वर तुझे एक खतनारहित से अधिक नहीं मानते हैं। ",
"26": "यदि परमेश्वर गैर-यहूदियों को, जिन्होंने खतना नहीं किया है, अपनी प्रजा मानेंगे, यदि वे व्यवस्था का पालन करते हैं। ",
"27": "जो लोग, जिन्होंने खतना नहीं किया है, परन्तु परमेश्वर के नियमों का पालन करते हैं, वे कहेंगे कि जब परमेश्वर तुम्हें दण्ड देते हैं, तो वह सही हैं, क्योंकि तुम खतना वाले हो, परन्तु फिर भी व्यवस्था को तोड़ते हो। ",
"28": "जो लोग परमेश्वर के लिए संस्कार पूर्ति करते हैं, वे सच्चे यहूदी नहीं हैं, और न ही देह में खतना करवाने से, परमेश्वर उन्हें स्वीकार करेंगे। ",
"29": "इसके विपरीत, हम जिन्हें परमेश्वर ने भीतर से बदल दिया हैं, वे ही सच्चे यहूदी हैं। परमेश्वर ने हमें स्वीकार कर लिया है और परमेश्वर के आत्मा ने हमारे स्वभाव को बदल दिया है, इसलिए नहीं कि हम व्यवस्था कि आज्ञा के अनुसार संस्कार पूर्ति करते हैं। चाहे अन्य लोग हमारी प्रशंसा नहीं करें, परमेश्वर हमारी प्रशंसा करेंगे।",
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