BCS_India_hi_iev_rom_book/rom/15.json

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JSON

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"1": "हम में से जिन विश्वासियों को विश्वास है कि परमेश्वर हमें उन विश्वासियों की तुलना में छूट देते हैं, जिन्हें ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं है—हमें उनके साथ धीरज रखना चाहिए और उनके द्वारा उत्पन्न असुविधा को स्वीकार करना चाहिए। यह अपने आपको प्रसन्न करने से अधिक महत्वपूर्ण है। ",
"2": "हम सबको ऐसे कार्य करने चाहिए जो हमारे साथी विश्वासियों को प्रसन्न करें और उनकी सहायता करें, ऐसे कार्य जिनसे उन्हें मसीह पर विश्वास करने के लिए प्रोत्साहन मिले। ",
"3": "हमें अपने साथी विश्वासियों को प्रसन्न करना चाहिए, क्योंकि मसीह हमारे लिए उदाहरण हैं। उन्होंने स्वयं को प्रसन्न करने के लिए कार्य नहीं किया। इसके विपरीत, उन्होंने परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास किया, जबकि अन्य लोगों ने उनका अपमान किया। जैसा पवित्रशास्त्र में कहा गया है: “जब लोगों ने तेरा अपमान किया, तो ऐसा लगता था कि वे मेरा भी अपमान कर रहे थे।” ",
"4": "स्मरण रखो कि पवित्रशास्त्र में लिखी सब बातें हमें सिखाने के लिए हैं, कि हम कठिनाई में धीरजवन्त हो सकें। इस प्रकार पवित्रशास्त्र हमें यह आशा करने के लिए प्रोत्साहित करता है कि परमेश्वर हमारे लिए वह सब करेंगे जो उन्होंने प्रतिज्ञा की है।\n\\p ",
"5": "मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर तुमको सहनशीलता और प्रोत्साहन प्रदान करें कि तुम सब एक दूसरे के साथ शान्ति से जी सको, जैसे यीशु मसीह ने किया वैसे ही करो। ",
"6": "यदि तुम ऐसा करते हो, तो तुम सब एक साथ परमेश्वर की जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के पिता हैं स्तुति करोगे।\n\\p ",
"7": "इसलिए मैं रोम के सब विश्वासियों से कहता हूँ, एक-दूसरे को स्वीकार करो। यदि तुम ऐसा करते हो, तो लोग परमेश्वर की स्तुति करेंगे क्योंकि वे तुमको मसीह के समान व्यवहार करते देखेंगे। एक दूसरे को स्वीकार करो जैसे मसीह ने तुम्हें स्वीकार किया! ",
"8": "मैं चाहता हूँ कि तुम यह स्मरण रखो कि मसीह ने परमेश्वर के विषय में सच्चाई जानने के लिए हम यहूदियों की सहायता की। अर्थात्, वह उन सब बातों को सच करने के लिए आए थे जिनकी परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों से प्रतिज्ञा की थी। ",
"9": "परन्तु वह गैर-यहूदियों की सहायता करने के लिए भी आए थे, जिससे कि वे परमेश्वर की दया के लिए उनकी स्तुति करें। परमेश्वर की दया के विषय में पवित्रशास्त्र में दाऊद के वचन लिखे हुए हैं: “तो मैं गैर-यहूदियों के बीच आपकी स्तुति करूँगा, मैं भजन गा कर आपकी स्तुति करूँगा।” ",
"10": "मूसा ने भी लिखा था, “तुम जो गैर-यहूदी हो हमारे साथ जो परमेश्वर के लोग हैं आनन्द करो।” ",
"11": "और दाऊद ने पवित्रशास्त्र में यह भी लिखा है, “सभी गैर-यहूदी प्रभु की स्तुति करो, हर कोई उनकी स्तुति करें।” ",
"12": "और यशायाह ने पवित्रशास्त्र में लिखा है, “राजा दाऊद के वंशजों में से एक गैर-यहूदियों पर शासन करेंगे। वे विश्वास करेंगे कि उन्होंने जो प्रतिज्ञा की है उसे वह पूरा करेंगे।”\n\\p ",
"13": "मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर ऐसा करें की तुम उनकी प्रतिज्ञा के पूरा होने की दृढ़ता से आशा रखो। मैं प्रार्थना करता हूँ कि जब तुम उन पर भरोसा करते हो, तो वह तुम्हें आनन्द और शान्ति से परिपूर्ण करें। पवित्र-आत्मा तुम्हें परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं को प्राप्त करने में अधिक से अधिक आत्मविश्वास का सामर्थ्य प्रदान करें।\n\\p ",
"14": "मेरे साथी विश्वासियों, मुझे पूरा विश्वास है कि तुमने दूसरों के साथ पूर्ण रूप से अच्छे कार्य किए। तुमने यह इसलिए किया है क्योंकि तुम पूर्ण रूप से वह सब जानते हो, जो परमेश्वर तुम्हें बताना चाहते हैं और तुम एक-दूसरे को सिखाने में सक्षम भी हो। ",
"15": "फिर भी, मैंने तुमको इस पत्र में कुछ बातों के विषय में खुल कर लिखा है जिससे कि तुम्हें उनके विषय में स्मरण दिलाऊँ। मैंने यह इसलिए लिखा है क्योंकि परमेश्वर ने मुझे एक प्रेरित बनाया है, जबकि मैं इसके योग्य नहीं हूँ। ",
"16": "उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि मैं गैर-यहूदियों के बीच यीशु मसीह के लिए कार्य कर सकूँ। परमेश्वर ने मुझे एक याजक के समान कार्य करने के लिए नियुक्त किया है, कि मैं उनके सुसमाचार का प्रचार करूँ और परमेश्वर उन गैर-यहूदियों को स्वीकार करें जो मसीह में विश्वास करते हैं। वे एक ऐसी भेंट के समान होंगे, जिनको पवित्र-आत्मा ने पूर्ण रूप से परमेश्वर के लिए अलग किया है।\n\\p ",
"17": "परिणामस्वरूप, मसीह यीशु के साथ मेरे सम्बन्ध के कारण, मैं परमेश्वर के लिए अपने कार्य से प्रसन्न हूँ। ",
"18": "मैं केवल उस कार्य के विषय में साहस से कहूँगा, जो मसीह ने मेरे द्वारा पूरे किए हैं, कि गैर-यहूदियों ने मसीह के विषय में सन्देश पर मन लगाया है। ये उपलब्धियाँ शब्दों और कर्मों से प्राप्त हुई है",
"19": "लोगों को सहमत करने के लिए चिन्हों और अन्य अद्भुत कार्यों द्वारा मैंने उन कामों को किया है जिनके लिए परमेश्वर के आत्मा ने मुझे सक्षम किया है। इस प्रकार मैं यरूशलेम से ले कर इल्लुरिकुम के प्रान्त तक हर स्थान पर यात्रा कर चुका हूँ, और मैंने उन सब स्थानों में मसीह के विषय में सन्देश सुनाने का कार्य पूरा कर लिया है। ",
"20": "जब मैंने उस सन्देश का प्रचार किया, तो मैं सदा उस स्थान में प्रचार करने का प्रयास करता हूँ जहाँ लोगों ने पहले मसीह के विषय में नहीं सुना है। मैं ऐसा इसलिए करता हूँ कि मैं उस कार्य को करता न रहूँ जिसे किसी और ने पहले ही आरम्भ कर दिया है। मैं किसी ऐसे व्यक्ति के समान नहीं बनना चाहता हूँ जो किसी और की नींव पर एक घर बनाता है। ",
"21": "इसके विपरीत, मैं गैर-यहूदियों को सिखाता हूँ, कि जो कुछ हो वह इस लिखे गए वचन के अनुसार हो: “जिन लोगों ने मसीह के विषय में समाचार नहीं सुना हैं, वे उन्हें देखेंगे। और जिन्होंने कभी उनके विषय में नहीं सुना हैं वे समझेंगे।”\n\\p ",
"22": "क्योंकि मैंने उन स्थानों में मसीह के विषय में सन्देश सुनाने का प्रयास किया है, जहाँ मनुष्यों ने मसीह के विषय में नहीं सुना हैं, इस कारण मैं तुम्हारे पास आने से कई बार रोका गया। ",
"23": "परन्तु अब इन क्षेत्रों में कोई और स्थान नहीं है जहाँ लोगों ने मसीह के विषय में नहीं सुना है। इसके अतिरिक्त मैं कई वर्षों से तुमसे मिलना चाहता था। ",
"24": "अतः मुझे इसपानिया जाने की आशा है, और मुझे आशा है कि तुम इस यात्रा में मेरी सहायता करोगे। और मैं तुम्हारे साथ रहने का आनन्द लेने के लिए कुछ समय तुम्हारे पास रुकना चाहता हूँ। ",
"25": "पर अभी मैं तुम्हारे पास नहीं आ सकता क्योंकि परमेश्वर के लोगों के लिए पैसे ले कर मैं यरूशलेम जा रहा हूँ। ",
"26": "मकिदुनिया और अखाया के प्रान्तों में विश्वास करने वालों ने यरूशलेम में परमेश्वर के लोग, जो गरीब हैं, उन विश्वासियों की सहायता करने के लिए पैसा दान करने का निर्णय लिया। ",
"27": "यह उनका अपना निर्णय है, परन्तु वास्तव में वे यरूशलेम के परमेश्वर के लोगों के ऋणी हैं। गैर-यहूदी विश्वासियों ने यहूदी विश्वासियों से आत्मिक रूप से लाभ उठाया क्योंकि उन्होंने उनसे मसीह के विषय में सन्देश सुना था, अतः गैर-यहूदियों को भी भौतिक वस्तुओं के द्वारा यरूशलेम में यहूदी विश्वासियों की सहायता करनी चाहिए। ",
"28": "जब मैं मकिदुनिया और अखाया के विश्वासियों द्वारा दिए गए इस दान को, देने का कार्य पूरा कर देता हूँ, तो मैं यरूशलेम छोड़ कर इसपानिया की ओर यात्रा करूँगा और रोम में तुम्हारे पास आऊँगा। ",
"29": "और मैं जानता हूँ कि जब मैं तुमसे मिलूँगा, तो मसीह हमें बहुत अधिक आशीष देंगे।\n\\p ",
"30": "क्योंकि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के हैं और क्योंकि परमेश्वर के आत्मा हमें एक-दूसरे से प्रेम करने की प्रेरणा देते हैं, इसलिए मैं तुम सबसे आग्रह करता हूँ कि तुम मेरे लिए परमेश्वर से प्रार्थना करके मेरी सहायता करो। ",
"31": "प्रार्थना करो कि जब मैं यहूदिया में रहूँ, तो परमेश्वर मुझे अविश्वासी यहूदियों से बचाएँ। और प्रार्थना करो कि यरूशलेम के विश्वासी इस दान को ग्रहण करके जो मैं उनके लिए ला रहा हूँ आनन्दित हो। ",
"32": "इन बातों के लिए प्रार्थना करो जिससे कि परमेश्वर मुझे तुम्हारे पास आने में प्रसन्न हो, और मैं तुम्हारे बीच और तुम्हारे साथ कुछ समय के लिए विश्राम कर सकूँ और तुम मेरे साथ विश्राम पाओ। ",
"33": "मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर, हमें शान्ति दें, और वह तुम सबके साथ रहें और तुम्हारी सहायता करें। ऐसा ही हो!",
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