BCS_India_hi_iev_rom_book/rom/10.json

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12 KiB
JSON

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"1": "मेरे साथी विश्वासियों, मैं जो चाहता हूँ और जो मैं परमेश्वर से सच्ची प्रार्थना करता हूँ वह यह है कि वह मेरे लोगों को अर्थात् यहूदियों को बचाए। ",
"2": "मैं सच्चाई से उनके विषय में घोषणा करता हूँ कि यद्यपि वे सच्चे मन से परमेश्वर के पीछे जाते हैं, तो भी नहीं समझते है कि उन्हें उनके पीछे सही रीति से कैसे जाना है। ",
"3": "वे नहीं जानते कि परमेश्वर कैसे लोगों को अपने साथ उचित सम्बन्ध में लाते हैं। वे स्वयं को परमेश्वर के साथ उचित सम्बन्ध में लाना चाहते हैं, इसलिए वे उन कामों को स्वीकार नहीं करते जो परमेश्वर उनके लिए करना चाहते हैं। ",
"4": "मसीह ने व्यवस्था का पूरा पालन किया जिससे कि हर किसी को जो उनमें विश्वास करते हैं, उन्हें परमेश्वर के साथ उचित सम्बन्ध में ले आएँ। इसलिए व्यवस्था अब आवश्यक नहीं है।\n\\p ",
"5": "मूसा ने उन लोगों के विषय में लिखा था जिन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था का पूर्ण पालन करने का प्रयास किया था: “जो लोग पूरी तरह से व्यवस्था की सब आज्ञाओं के अनुसार कार्य करते हैं वे ही सदा के लिए जीवित रहेंगे।” ",
"6": "परन्तु जिन लोगों को परमेश्वर ने मसीह में विश्वास के कारण अपने साथ उचित सम्बन्ध में लिया है उनसे मूसा कहता है, “किसी को भी स्वर्ग जाने का प्रयास नहीं करना चाहिए,” अर्थात् मसीह को हमारे पास लाने के लिए। ",
"7": "मूसा उनसे यह भी कहता है: “किसी को भी मरे हुओं के पास नीचे जाने का प्रयास नहीं करना चाहिए,” अर्थात् मसीह को हमारे लिए मरे हुओं में से वापस लाने के लिए। ",
"8": "परन्तु इसकी अपेक्षा, जो मसीह में विश्वास करते हैं, वे मूसा द्वारा लिखे गए वचनों को दोहरा सकते हैं: “तुम परमेश्वर के सन्देश के विषय में बहुत सरलता से खोज सकते हो। तुम इसके विषय में बात कर सकते हो और इसके विषय में सोच सकते हो।” इसी सन्देश की हम घोषणा करते हैं: लोगों को मसीह में विश्वास करना चाहिए। ",
"9": "यह वह सन्देश है कि यदि तुम में से कोई यह पुष्टि करे कि यीशु ही प्रभु हैं, और यदि तुम वास्तव में विश्वास करते हो कि परमेश्वर ने उन्हें मरे हुओं में से जीवित किया है, तो वह तुमको बचाएँगे। ",
"10": "यदि लोग इन बातों पर विश्वास करते हैं, तो परमेश्वर उन्हें अपने साथ उचित सम्बन्ध में ले आएँगे और जो लोग सार्वजनिक तौर पर अंगीकार करते हैं कि यीशु ही प्रभु हैं—परमेश्वर उन्हें बचाएँगे। ",
"11": "मसीह के विषय में पवित्रशास्त्र में यह लिखा है, “जो उन पर विश्वास करते हैं, वह निराश या लज्जित नहीं होंगे।” ",
"12": "इस प्रकार, परमेश्वर यहूदियों और गैर-यहूदियों के साथ एक सा व्यवहार करते हैं। क्योंकि वह उन पर विश्वास करने वाले सब लोगों के प्रभु हैं, और वह उन सबकी सहायता करते हैं जो उनसे सहायता माँगते हैं। ",
"13": "यह वैसा ही है, जैसा पवित्रशास्त्र में कहा गया है: “प्रभु परमेश्वर उन सबको बचाएँगे जो उनसे माँगते हैं।”\n\\p ",
"14": "अधिकांश लोग मसीह में विश्वास नहीं करते हैं, और कुछ लोग यह समझाने का प्रयास भी करते हैं कि उन्होंने विश्वास क्यों नहीं किया है। वे कह सकते हैं, “लोग निश्चय ही मसीह से सहायता नहीं माँग सकते हैं यदि उन्होंने पहले उन पर विश्वास नहीं किया है! और वे निश्चय ही उन पर विश्वास नहीं कर सकते हैं यदि उन्होंने उनके विषय में नहीं सुना है! और यदि कोई उनके लिए प्रचार नहीं करता हो तो वे निश्चय ही उनके विषय में नहीं सुन सकते! ",
"15": "और जो लोग मसीह के विषय में उनके लिए प्रचार कर सकते थे, निश्चय ही ऐसा नहीं कर सकते यदि परमेश्वर उन्हें न भेजे। परन्तु यदि कुछ विश्वासी उनमें प्रचार करें, तो वह पवित्रशास्त्र के कहने के अनुसार होगा: ‘जब लोग आकर सुसमाचार सुनाते हैं तो यह कितना अद्भुत होता है!’” ",
"16": "मैं उन लोगों को जो ऐसी बातें कहते हैं, इस प्रकार उत्तर दूँगा: परमेश्वर ने निश्चय ही मसीह के विषय में सन्देश का प्रचार करने के लिए लोगों को भेजा है। परन्तु इस्राएल के सब लोगों ने सुसमाचार पर ध्यान नहीं दिया! यह उसके जैसा है, जब यशायाह बहुत निराश था, “हे परमेश्वर, ऐसा लगता है कि किसी ने भी हमारे प्रचार को सुन कर विश्वास नहीं किया है!” ",
"17": "तो अब, मैं तुमको बताता हूँ कि लोग मसीह पर विश्वास कर रहे हैं क्योंकि वे उनके विषय में सुनते हैं, और लोग सन्देश को सुन रहे हैं क्योंकि दूसरे लोग मसीह के विषय में प्रचार कर रहे हैं!\n\\p ",
"18": "परन्तु यदि किसी ने उन लोगों से कहा, “नि:सन्देह इस्राएलियों ने यह सन्देश सुना है,” मैं कहूँगा, “हाँ, निश्चय ही यह पवित्रशास्त्र के कहने जैसा है: “पूरे विश्व में रहने वाले लोगों ने सृष्टि को देखा है और जो वह परमेश्वर के विषय में सिद्ध करती है उसे देखा है—-यहाँ तक कि पृथ्‍वी की छोर के रहने वाले लोगों ने भी इसे समझ लिया है!”\n\\p ",
"19": "इसके अतिरिक्त, यह सच है कि इस्राएलियों ने वास्तव में यह सन्देश सुना था। उन्होंने इसे समझा भी था, परन्तु उन्होंने इस पर विश्वास करने से मना कर दिया। स्मरण रखें कि मूसा इस प्रकार के लोगों को चेतावनी देने वाला पहला व्यक्ति था। उसने उनसे कहा कि परमेश्वर ने कहा, “तुम सोचते हो कि गैर-यहूदी जातियाँ वास्तविक जातियाँ नहीं हैं, परन्तु उनमें से कुछ मुझ पर विश्वास करेंगे, और मैं उन्हें आशीष दूँगा। फिर तुम उनसे ईर्ष्या करोगे और उन पर क्रोधित होंगे, जिनके विषय में तुम सोचते हो कि वे मुझे नहीं समझते हैं।” ",
"20": "यह भी स्मरण रखें कि परमेश्वर ने यशायाह के माध्यम से बहुत साहसपूर्वक कहा था, “गैर-यहूदियों ने मुझे जानने का प्रयास नहीं किया, परन्तु वे निश्चय ही मुझे ढूँढ़ लेंगे! और जिन्होंने मुझसे नहीं माँगा था, मैं निश्चय ही से उन पर अपने आपको प्रकट करूँगा!”\n\\p ",
"21": "परन्तु परमेश्वर इस्राएलियों के विषय में भी कहते हैं, “लम्बे समय तक मैंने उन लोगों के लिए जिन्होंने मेरी आज्ञा को नहीं माना और मुझसे विद्रोह किया, अपनी बाहों को पसारे रखा, कि उन्हें मेरे पास वापस आने के लिए आमन्त्रित करूँ।”",
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