BCS_India_hi_iev_mic_book/mic/4.json

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JSON

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"1": "यहोवा कहते हैं कि किसी दिन उनका भवन पर्वत के शीर्ष पर होगा,\n\\q1 और वह पर्वत पृथ्‍वी पर सबसे महत्वपूर्ण होगा;\n\\q2 यह ऐसा होगा जैसे यह सभी पहाड़ियों से अधिक ऊँचा था,\n\\q1 और संसार भर के लोगों का विशाल समूह आराधना करने के लिए वहाँ आएगा।\n\\p ",
"2": "कई राष्ट्रों के लोग एक-दूसरे से कहेंगे,\n\\q1 “चलो हम पर्वत पर जाएँ जहाँ यहोवा हैं,\n\\q2 उस भवन में जहाँ हम उन परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं जिनकी आराधना याकूब किया करता था।\n\\q1 वहाँ वह हमें सिखाएँगे कि वह कैसे चाहते हैं कि हम अपने जीवन का संचालन करें,\n\\q2 और हम वही करेंगे जो वे चाहते हैं।”\n\\q1 सिय्योन पर्वत वह स्थान है जहाँ वह लोगों को सिखाएँगे;\n\\q2 और लोग दूसरों को उनका सन्देश बताने के लिए यरूशलेम से बाहर जाएँगे।\n\\q1 ",
"3": "यहोवा कई अलग-अलग लोगों और समूहों के बीच जो एक दूसरे के विरुद्ध लड़ रहे हैं, विवाद सुलझाएँगे;\n\\q2 और वह दूर स्थित शक्तिशाली राष्ट्रों के विवाद भी सुलझाएँगे।\n\\q1 तब लोग अपनी तलवारों को पीट कर उनको खेत जोतने का फाल बना लेंगे,\n\\q2 और अपने भालों को पीट कर उनको खेत की कटाई करने वाला हँसिया बना लेंगे।\n\\q1 राष्ट्रों की सेना अब अन्य देशों की सेनाओं के विरुद्ध लड़ाई नहीं करेगी,\n\\q2 और वे युद्ध में लड़ने के लिए पुरुषों को प्रशिक्षित नहीं करेंगे।\n\\q1 ",
"4": "हर कोई अपने ही अँगूर की बेलों के नीचे,\n\\q2 और अपने अंजीर के पेड़ों के नीचे शान्तिपूर्वक बैठेगा;\n\\q1 कोई भी उन्हें नहीं डराएगा।\n\\q2 यही निश्चय ही होगा क्योंकि स्वर्गदूतों की सेना के प्रधान, यहोवा ने यह कहा है।\n\\q1 ",
"5": "अन्य राष्ट्रों के कई लोग अपने देवताओं की पूजा करेंगे,\n\\q2 परन्तु हम हमारे परमेश्वर यहोवा की आराधना, सदा के लिए करेंगे।\n\\p ",
"6": "यहोवा कहते हैं, “शीघ्र ही ऐसा समय होगा जब मैं उन लोगों को एकत्र करूँगा जिन्हें मैंने दण्डित किया है,\n\\q1 जिन्हें बन्धुआई में पहुँचाया गया है,\n\\q2 उन सबको जिन्हें मैंने बहुत पीड़ा दी है।\n\\q1 ",
"7": "मेरे लोग जो बन्धुआई के समय मरे नहीं, वे फिर से एक दृढ़ राष्ट्र बन जाएँगे।\n\\q1 तब मैं, यहोवा, उनका राजा होऊँगा,\n\\q2 और मैं सदा के लिए यरूशलेम से शासन करूँगा।\n\\q1 ",
"8": "तुम्हारे लिए यरूशलेम के लोगों,\n\\q2 तुम जो मेरे सभी लोगों की देखरेख करते हो, वैसे ही जैसे एक चरवाहा मीनार से अपनी भेड़ों की देखरेख करता है,\n\\q1 तुम जो सिय्योन पर्वत पर रहते हो, फिर से बड़ी शक्ति प्राप्त करोगे।\n\\q2 तुम लोग जो यरूशलेम में रहते हो फिर से शासन करोगे जैसा तुमने पहले किया था।\n\\q1 ",
"9": "तो अब तुम क्यों चिल्ला रहे हो?\n\\q2 ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम्हारे पास कोई राजा नहीं है?\n\\q1 क्या तुम्हारे सभी बुद्धिमान लोग मर गए हैं?\n\\q2 तुम ऐसी स्त्री के समान जोर से रो रहे हो जो बच्चे को जन्म दे रही है।\n\\q1 ",
"10": "ठीक है, यरूशलेम के लोगों को उस स्त्री के समान छटपटाना और चिल्लाना चाहिए जो बच्चे को जन्म देने की पीड़ा झेल रही है,\n\\q2 क्योंकि अब तुम्हें इस शहर को छोड़ना होगा।\n\\q1 जब तुम यात्रा कर रहे हो, तो तुम रात में खुले मैदानों में तम्बू स्थापित करोगे;\n\\q2 तुम बाबेल में रहने के लिए जाओगे।\n\\q1 परन्तु जब तुम वहाँ होगे,\n\\q2 मैं, यहोवा, तुम्हें बचाऊँगा;\n\\q1 मैं तुमको तुम्हारे शत्रुओं की शक्ति से मुक्त कर दूँगा।\n\\q1 ",
"11": "अब कई राष्ट्रों की सेनाएँ तुम पर आक्रमण करने के लिए इकट्ठी हुई हैं।\n\\q2 वे कह रहे हैं, ‘यरूशलेम को नष्ट किया जाना चाहिए!\n\\q2 हम इस शहर को खण्डहर बनते देखना चाहते हैं।’”\n\\q1 ",
"12": "भविष्यद्वक्ता कहता है, वे नहीं जानते कि यहोवा क्या सोचते हैं;\n\\q2 और वे नहीं समझते कि वह क्या योजना बना रहे हैं।\n\\q1 वे उन्हें एकत्र करेंगे और उन्हें दण्डित करेंगे\n\\q2 जैसे किसान भूमि पर अनाज बटोरते हैं।\n\\q1 ",
"13": "यहोवा कहते हैं, “इसलिए, यरूशलेम के लोगों, उठ कर उन राष्ट्रों को दण्डित करो जो तुम्हारा विरोध करते हैं।\n\\q2 मैं तुमको बहुत दृढ़ बना दूँगा,\n\\q1 जैसे तुम्हारे लोहे से बने सींग थे,\n\\q2 जैसे तुम्हारे पीतल से बने खुर थे;\n\\q2 और तुम कई राष्ट्रों को कुचल दोगे।\n\\q1 तब तुम अपने शत्रुओं से उन मूल्यवान वस्तुओं को लूट लोगे जिन्हें उन्होंने अन्य देशों से लूटा था,\n\\q2 और मैं तुमसे उन वस्तुओं को अपने लिए समर्पित करवाऊँगा, जो पृथ्‍वी पर सब लोगों का स्वामी है।”",
"front": "\\p "
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