BCS_India_hi_iev_lev_book/lev/6.json

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9.2 KiB
JSON

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"1": "यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, ",
"2": "“यदि तुम किसी को धोखा दे कर मेरे विरुद्ध पाप करो उदाहरणार्थ, किसी से उधार ली हुई वस्तु न लौटाओ या किसी की वस्तु चुरा लो, ",
"3": "या किसी की खोई हुई वस्तु तुम पाओ और शपथ खाओ कि तुम्हारे पास वह वस्तु नहीं है तो तुम दोषी ठहरो। ",
"4": "तुम्हें चुराई हुई वस्तु उसके स्वामी को लौटानी होगी या उधार ली हुई वस्तु जो तुमने रख ली उसे लौटाना होगा या किसी की खोई हुई वस्तु जो तुमने पाई है या जिसके विषय में तुमने झूठ बोला है ",
"5": "तुम्हें वह वस्तु उसके स्वामी को लौटाना मात्र ही नहीं, उसके मूल्य का पाँचवाँ भाग भी उसे अतिरिक्त देना होगा। ",
"6": "तुम्हें याजक के पास एक मेढ़ा मेरे लिए बलि करने को लाना होगा कि तुम उसके दोषी न बने रहो। वह मेढ़ा निर्दोष हो और स्वीकृत रूप से निर्धारित मूल्य का हो। ",
"7": "तब याजक उसे तुम्हारे लिए दोष-बलि करके चढ़ाएगा और मैं तुम्हारे उस कुकर्म के लिए क्षमा प्रदान करूँगा।” ",
"8": "यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, ",
"9": "“हारून और उसके पुत्रों से कह, ‘वेदी पर होम-बलि चढ़ाने की विधि यह हैः होम-बलि पूरी रात वेदी पर पड़ी रहे और वेदी की आग सदा जलती रहे। ",
"10": "अगले दिन सुबह याजक अपने सनी के भीतरी वस्त्र पहने और पोशाक धारण करे। तब आग में से बलि की राख निकाले और वेदी के एक ओर रख दे। ",
"11": "इसके बाद वह वस्त्र बदल कर उस राख को छावनी के बाहर उस स्थान में ले जाए जिसे मैंने स्वीकृति दी है। ",
"12": "वेदी की आग सदैव जलती रहे। याजक उस आग को बुझने न दे। प्रतिदिन याजक उस पर और अधिक लकड़ियाँ डाल दे। तब उस आग पर होम-बलि रखे और यहोवा के लिए मेल-बलि की चर्बी चढ़ाए। ",
"13": "वेदी की आग कभी न बुझने पाए। याजक उसे बुझने न दे। ",
"14": "अब अन्न-बलि के विषय निर्देशन ये हैं: मैदा चढ़ाने की विधि। हारून के पुत्र उसे वेदी के सामने यहोवा के लिए लाएँ। ",
"15": "याजक मुट्ठी भर कर मैदा ले जिसमें जैतून का तेल और धूप मिली हो और उसे वेदी पर जलाए। इस मुट्ठी भर मैदे का अर्थ है कि वह सम्पूर्ण अन्न-बलि मेरी ही है और उसके जलने से उत्पन्न सुगन्ध से मैं प्रसन्न हो जाऊँगा। ",
"16": "हारून और उसके पुत्र उस अन्न-बलि का शेष भाग खा सकते हैं। परन्तु वे उस स्थान में ही खाएँ जो यहोवा के लिए अलग किया गया है, अर्थात् पवित्र-तम्बू के आँगन में। ",
"17": "उसमें खमीर न हो। पाप-बलि और दोष-बलि के समान यह बलि मेरे लिए अलग से परम पवित्र ठहरे। ",
"18": "हारून के वंशजों के पुत्रों को उसे खाने की अनुमति है क्योंकि मुझे चढ़ाई गई भेंटों में जो वेदी पर जलाई जाती है वह उनका सदा का भाग है। उनका स्पर्श करने वाला परमेश्वर के सम्मान के निमित्त अलग हो जाएगा। ",
"19": "यहोवा ने मूसा से कहा, ",
"20": "“हारून और उसके पुत्रों से कह कि जिस दिन उनमें से किसी एक का अभिषेक किया जाए उस दिन वह मेरे सम्मुख यह भेंट ले आएँ: वह व्यक्ति दो किलो मैदा भेंट चढ़ाए। सुबह वह उसका आधा भाग और संध्या समय आधा भाग ले आए। ",
"21": "उसे वह जैतून के तेल में गुँध कर तवे पर पकाए और उसे वेदी पर जलाने के लिए चूर-चूर कर दे। उसके जलने की सुगन्ध से मैं प्रसन्न हो जाऊँगा। ",
"22": "यह मेरी आज्ञा है कि हारून के मरने के बाद जो प्रधान याजक बनेगा वह इसे तैयार करेगा और मुझे बलि चढ़ाने के लिए उसे वेदी पर पूर्ण रूप से जलाएगा कि मेरे लिए बलि ठहरे। ",
"23": "याजक हर एक अन्न-बलि चढ़ाए, वह पूर्ण रूप से जलाई जाए। उसे कोई नहीं खाए।” ",
"24": "यहोवा ने मूसा से यह भी कहा कि वह ",
"25": "हारून और उसके पुत्रों से कहे, “लोगों के पापों की बलि की विधि यह है, याजक बलि-पशु को उस स्थान बलि दे जहाँ बलि जलाई जाती है। वह यहोवा के सामने बलि दी जाती है और बलि यहोवा के लिए चढ़ाई जाती है। ",
"26": "जो याजक पाप-बलि चढ़ाता है वह यहोवा के लिए चढ़ाई गई बलि को खा सकता है। वह उसे आँगन में उसी स्थान में खाएगा जो बलि का माँस खाने के लिए अलग किया गया है। ",
"27": "यदि कोई अन्य व्यक्ति उस माँस का स्पर्श करे तो वह अपने वस्त्र पवित्रस्थान में धोए। ",
"28": "यदि वह माँस मिट्टी के बर्तन में पकाया जाए तो वह बर्तन बाद में तोड़ दिया जाए। यदि वह माँस पीतल के बर्तन में पकाया जाए तो उस बर्तन को बाद में माँज कर धोया जाए और फिर पानी से धोया जाए। ",
"29": "याजक के परिवार में से पुरुष उस माँस को खा सकते हैं। वह माँस पवित्र है। ",
"30": "परन्तु यदि उन बलियों का लहू उनके पापों की क्षमा के लिए पवित्र-तम्बू में लाया जाए तो उस बलि-पशु का माँस खाया न जाए। याजक उसका माँस पूर्ण रूप से भस्म कर दे।",
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