BCS_India_hi_iev_lev_book/lev/7.json

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JSON

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"1": "यहोवा को जो देना है उससे चूक जाने पर दोष-बलि चढ़ाने की विधि यह है। वे परम पवित्र वस्तुएँ हैं। ",
"2": "दोष-बलि के लिए जो पशु लाया जाए उसे याजक उस स्थान पर बलि दे जहाँ होम-बलि के पशु-बलि किए जाते हैं। याजक उस बलि-पशु का लहू वेदी के चारों ओर छिड़के। ",
"3": "उस बलि-पशु की सारी चर्बी, उसकी चर्बी वाली पूँछ रीढ़ की हड्डी के निकट से काट कर, भीतरी अंगों की सब चर्बी जो उन पर चढ़ी रहती है, वेदी पर जलाई जाए। ",
"4": "गुर्दे और उन पर की चर्बी, कलेजे की चर्बी, याजक इन चर्बी वाले अंगों को अलग करे। ",
"5": "याजक इन सबको मुझ यहोवा के निमित्त जलाए कि वह इस्राएलियों के अनिवार्य अनुष्ठानों की चूक के लिए मुझसे क्षमा प्राप्त के लिए हो। ",
"6": "याजक के परिवार के सब पुरुषों को इस पशु-बलि के माँस को खाने की अनुमति है परन्तु वह मेरे निमित्त अलग किए गए स्थान में ही खाया जाए। वह मेरे लिए अति पवित्र है। ",
"7": "मेरे सम्मुख दोबारा ग्रहणयोग्य होने के लिए जो बलि (पाप-बलि) चढ़ाई जाए उसकी और मुझे अनिवार्य भेंट चढ़ाने में चूकने पर जो बलि चढ़ाई जाए (दोष-बलि) की विधि, दोनों एक ही हैं और जो याजक इन बलियों को चढ़ाए वही उनका माँस ले ले। ",
"8": "जो याजक होम-बलि के पशु की बलि दे तो होम-बलि के पशु की खाल उसी याजक की होगी। ",
"9": "अन्न-बलि चाहे तन्दूर में पकाई गई हो या तवे पर या कढ़ाई में, वह बलि चढ़ाने वाले याजक की होगी। ",
"10": "मैदे की अन्न-बलि चाहे जैतून के तेल में हो या तेल रहित, हारून के वंशजों की ही होगी। ",
"11": "यहोवा के साथ मेल की बलि की विधि यही है। ",
"12": "यदि कोई यहोवा के लिए धन्यवाद की बलि चढ़ाने के लिए जो पशु की बलि दी जाए उसके साथ मैदे को जैतून के तेल में गूँध कर रोटी पकाई जाए और मैदे के पापड़ तेल से सने हों परन्तु वे भी खमीर रहित हों। ",
"13": "यहोवा के लिए धन्यवाद की बलि के साथ खमीरी रोटियाँ भी लाई जाएँ। ",
"14": "यहोवा के लिए इस प्रकार की एक-एक रोटी चढ़ाई जाए और ये रोटियाँ उसी याजक की हों जो यहोवा के साथ मेल की बलि के पशु का लहू वेदी पर छिड़कता है। ",
"15": "मेल-बलि का माँस उसी दिन खाया जाए जिस दिन वह पशु-बलि किया जाता है। उसका थोड़ा सा अंश भी अगले दिन तक के लिए न छोड़ा जाए। ",
"16": "तथापि, यदि बलि यहोवा के लिए मानी गई मन्नत की हो जो स्वेच्छा वाली है तो उसका माँस उसी दिन खाया जाए और शेष माँस अगले दिन खाया जा सकता है। ",
"17": "परन्तु यदि दूसरे दिन भी माँस बचता है तो उसे पूर्ण रूप से जला दिया जाए। वह तीसरे दिन के लिए नहीं रखा जाए। ",
"18": "यदि मेल-बलि का माँस बचा कर तीसरे दिन खाया गया तो वह बलि निरर्थक ठहरेगी क्योंकि यहोवा उसे ग्रहण नहीं करेंगे। और जो उसे तीसरे दिन खाएगा उसे यहोवा के लिए दण्ड भरना होगा। ",
"19": "यदि माँस यहोवा की दृष्टि में अशुद्ध वस्तु के स्पर्श में आ जाए तो वह कदापि खाया न जाए। उसे पूर्ण रूप से भस्म कर दिया जाए। जहाँ तक परमेश्वर की दृष्टि में ग्रहण करने योग्य बलि का माँस है, वह अनुष्ठान के करने वाले के द्वारा खाया जा सकता है। ",
"20": "परन्तु मेल-बलि का माँस अन्य कोई, जिसने वह अनुष्ठान नहीं किया, खाए वह परमेश्वर की प्रजा का सदस्य न रहने दिया जाए क्योंकि वह माँस यहोवा के लिए था। ",
"21": "यदि कोई परमेश्वर की दृष्टि में अशुद्ध एवं घृणित वस्तु का स्पर्श करे चाहे वह मनुष्य हो या पशु, और यहोवा के साथ मेल की बलि का माँस खा ले तो उसे परमेश्वर की प्रजा की सहभागिता से अलग कर दिया जाए। ",
"22": "यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, ",
"23": "“इस्राएलियों से कह, ‘गाय-बैल, भेड़-बकरी की चर्बी कभी नहीं खाना। ",
"24": "यदि कोई पशु मर जाए या वन पशु द्वारा मार डाला जाए तो उसकी चर्बी अन्य किसी भी कार्य में ली जा सकती है परन्तु खाने के लिए नहीं। ",
"25": "यदि कोई यहोवा के लिए चढ़ाई गई बलि की चर्बी खाए तो वह यहोवा की प्रजा से अलग कर दिया जाए। ",
"26": "वे जहाँ भी रहें, न तो किसी पशु का और न ही किसी पक्षी का लहू खाने के माँस में न रहने दें। ",
"27": "यदि कोई लहू खाए तो वह समाज से निकाल दिया जाए।’” ",
"28": "यहोवा ने मूसा से यह भी कहा, ",
"29": "“इस्राएलियों से कह, ‘यहोवा के साथ मेल करने के लिए जब मेल-बलि चढ़ाई जाए तब उसका एक अंश यहोवा के लिए होम-बलि किया जाए। ",
"30": "वह स्वयं उसे ले आए कि वह आग में भस्म किया जाए। पशु के सीने के साथ चर्बी यहोवा के सामने उठाई जाए कि वह यहोवा के लिए भेंट हो। ",
"31": "याजक चर्बी को तो आग में जला दे परन्तु सीने का माँस हारून और उसके वंशजों का हो। ",
"32": "यहोवा के लिए मेल-बलि में से बलिपशु का दाहिना पुट्ठा याजक का हो। ",
"33": "हारून का पुत्र जो बलि का लहू और चर्बी चढ़ाए उसी के लिए बलि-पशु का दाहिना पुट्ठा हो। ",
"34": "इस्राएली यहोवा के लिए जो मेल-बलि चढ़ाते हैं उसके लिए यहोवा ने कह दिया है कि वह हारून और उसके वंशजों को दी जाए, सीना जिसे हिलाया जाए और दाहिना पुट्ठा जिसे उठाने की भेंट की जाए। ",
"35": "जिस दिन मूसा तू हारून और उसके पुत्रों को यहोवा के निमित्त याजकीय सेवा के लिए अभिषेक करके अलग कर देगा उस दिन से यहोवा के सामने लाई गई होम-बलियों का यह अंश उनके लिए सदाकालिन होगा। ",
"36": "यहोवा की आज्ञा है कि उनका अभिषेक होते ही इस्राएली यह भाग उन्हें सदैव दिया करें वरन् उनके वंशजों को भी दिया जाए।’” ",
"37": "इस प्रकार होम-बलियों के लिए ये निर्देश हैं; होम-बलि, अन्न-बलि, पाप-बलि, दोष-बलि, मेल-बलि और याजकों के अभिषेक की बलि आदि सब के। ",
"38": "यहोवा ने मूसा को ये सब निर्देश सीनै पर्वत पर दिए थे कि जंगल में रहते समय वे यहोवा के लिए क्या-क्या चढ़ाएँ और कैसे-कैसे चढ़ाएँ।",
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