BCS_India_hi_iev_lev_book/lev/10.json

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"1": "हारून के पुत्र, नादाब और अबीहू ने धूप जलाने के लिए अपना-अपना धूपदान ले कर उसमें कोयले भरे और उस पर धूप डाली परन्तु कोयले उस आग के थे जो यहोवा को ग्रहणयोग्य नहीं थी। ",
"2": "तब अचानक यहोवा की उपस्थिति से आग निकली और उन दोनों को जला दिया, दोनों वहीं के वहीं यहोवा के सामने मर गए। ",
"3": "तब मूसा ने हारून से कहा, “यहोवा के कहने का अर्थ यही था जब उसने कहा, ‘जो याजक मेरे निकट आएँ उन पर मैं प्रकट कर दूँगा कि वे मुझे निश्चय ही पवित्र समझें; सम्पूर्ण प्रजा की दृष्टि में वे मेरी महिमा प्रकट करें।” यह सुन कर हारून के पास शब्द नहीं थे कि कुछ कह पाए। ",
"4": "तब मूसा ने हारून के चाचा उज्जीएल के पुत्रों मीशाएल और एलसाफान को बुलवाकर कहा, “अपने भतीजों के शवों को पवित्र-तम्बू के सामने से उठा कर छावनी के बाहर कर दो।” ",
"5": "इसलिए उन्होंने उनके शवों को जो याजकीय वस्त्रों में ही थे, छावनी के बाहर ले जा कर जला दिया। ",
"6": "इस घटना के बाद मूसा ने हारून और उसके अन्य दो पुत्रों एलीआजर और ईतामार से कहा, “तुम्हें नादाब और अबीहू की मृत्यु का दुख है परन्तु तुम्हारा व्यवहार सामान्य ही रहे। अपने सिरों के बालों को मत बिखराओ और न ही अपने वस्त्र फाड़ो। यदि तुम ऐसा करोगे तो यहोवा का क्रोध तुम पर और सम्पूर्ण प्रजा पर भड़क उठेगा। यहोवा की आग से नष्ट होने वालों के लिए तुम्हारे सम्बन्धी और इस्राएली विलाप करें। ",
"7": "तुम पवित्र-तम्बू के द्वार से निकल कर विलाप करने वालों में सहभागी मत होना अन्यथा तुम भी मर जाओगे। मत भूलो कि यहोवा ने तुम्हें यहाँ सेवा करने के लिए अलग कर लिया है इसलिए वह कदापि नहीं चाहता कि तुम शव के स्पर्श से अशुद्ध हो जाओ।” इसलिए उन्होंने मूसा की आज्ञा का पालन किया। उन्होंने अपने भाइयों की मृत्यु पर समाज के साथ विलाप नहीं किया। ",
"8": "तब यहोवा ने हारून से कहा, ",
"9": "“तू और तेरे ये दोनों पुत्र जो जीवित हैं पवित्र-तम्बू में प्रवेश करें तो न तो दाखमधु पीना और न ही किसी भी प्रकार का मद्य सेवन करना, कहीं ऐसा न हो कि तुम भी मर जाओ। इस आज्ञा का तुम और तुम्हारे वंशज सदैव पालन करें। ",
"10": "यह तुम्हें इसलिए करना है कि पवित्र और अपवित्र में अन्तर समझ पाओ और यह भी जान लो कि मुझे क्या ग्रहणयोग्य है और क्या ग्रहणयोग्य नहीं है। ",
"11": "तुम्हें इस्राएलियों को उन सब नियमों की शिक्षा भी देनी है जिन्हें मैंने मूसा के माध्यम से तुम तक पहुँचाए हैं।” ",
"12": "तब यहोवा ने हारून और उसके जीवित दोनों पुत्रों, एलीआजर और ईतामार से कहा, “मैदे की जो अन्न-बलि, एक अंश यहोवा के लिए होम करने के बाद शेष रहती है, उसे वेदी के निकट ही खाना। उसे कहीं और ले जा कर नहीं खाना क्योंकि वह अति पवित्र होती है। ",
"13": "उसे पवित्रस्थान में ही खाना। तेरे लिए और तेरे पुत्रों के लिए यह यहोवा को चढ़ाई गई होम-बलियों का भाग है। यहोवा ने मुझे आज्ञा दी है कि तुझे समझा दूँ। ",
"14": "परन्तु तू और तेरे पुत्र-पुत्रियाँ यहोवा के सामने उठाई हुई छाती और पुट्ठे का माँस खा सकते हो। उसे तुम किसी पवित्र में खाना। यह भाग तुम्हें और तुम्हारे वंशजों को इस्राएलियों की मेल-बलियों से अधिकार के साथ प्राप्त है। ",
"15": "यहोवा के सामने उठाया जाने वाला पुट्ठा और छाती का माँस उस चर्बी के साथ ही लाया जाए जिसे जलाया जाना है कि यहोवा की उपस्थिति में उठाया जा कर भेंट किया जाए। यह तुम्हारे और तुम्हारे वंशजों के लिए सदा का भाग हो।” ",
"16": "जब मूसा ने इस्राएलियों के पाप-बलि के बकरे की जाँच पड़ताल की तो उसे ज्ञात हुआ कि याजकों ने उसे पूरा जला दिया था। इसलिए उसने एलीआजर और ईतामार से क्रोधित होकर कहा, ",
"17": "“तुमने पाप-बलि का माँस पवित्र-तम्बू के निकट क्यों नहीं खाया? वह यहोवा के निमित्त अति पवित्र था। उसने वह तुम्हें दिया था कि इस्राएलियों के पापों को वह क्षमा करे। ",
"18": "क्योंकि उसका लहू पवित्र-तम्बू में पवित्रस्थान में नहीं ले जाया गया था, तुम्हें मेरी आज्ञा के अनुसार उस बकरे का माँस पवित्र-तम्बू के बाहर खाना आवश्यक था।” ",
"19": "हारून ने मूसा से कहा, “आज इस्राएली अपने पापों की क्षमा के लिए बलि और यहोवा के लिए जलाने के लिए होम-बलि लाए थे कि वह प्रसन्न हो। अब मेरे स्वर्गीय पुत्रों के साथ जो भयानक घटना घटी, उस पर तो ध्यान दे! यदि मैं इनकी पाप-बलि से कुछ खा लेता तो क्या यहोवा प्रसन्न होता?” ",
"20": "यह सुन कर मूसा को संतोष हुआ और फिर उसने कुछ नहीं कहा।",
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