BCS_India_hi_iev_heb_book/heb/13.json

29 lines
11 KiB
JSON

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"1": "अपने साथी विश्वासियों से प्रेम करना न त्यागो। ",
"2": "आवश्यकता में पड़े यात्रियों का अतिथि-सत्कार करना न भूलो! बिना यह जाने अजनबियों की देखभाल करके, कुछ लोगों ने अपने घरों में स्वर्गदूतों का स्वागत किया है। ",
"3": "बन्दीगृह में रहने वाले लोगों की सहायता करना स्मरण रखो क्योंकि वे विश्वासी हैं, ऐसी सहायता करो कि जैसे तुम उनके साथ बन्दीगृह में थे और शारीरिक रूप से पीड़ित थे जैसे वे हैं। ",
"4": "विवाहित स्त्री-पुरुष एक दूसरे का सम्मान करें, और वे एक दूसरे के प्रति विश्वासयोग्य ठहरें। परमेश्वर निश्चय ही उन लोगों को दण्ड देंगे जो अनैतिक व्यवहार करते हैं या व्यभिचार करते हैं। ",
"5": "निरन्तर पैसे की लालसा के बिना जीते रहो, और आनन्द करते रहो, चाहे तुम्हारे पास अधिक हो या कम हो। स्मरण रखो जो परमेश्वर ने कहा: “मैं तुमको कभी नहीं छोड़ूँगा; मैं कभी भी तुमको देना बन्द नहीं करूँगा।” ",
"6": "इसलिए हम आत्मविश्वास से कह सकते हैं जैसा कि भजनकार ने कहा था, “क्योंकि यह परमेश्वर ही है जो मेरी सहायता करते हैं, इसलिए मैं नहीं घबराऊँगा! लोग मेरा कुछ नहीं कर सकते, जिससे कि वे परमेश्वर को मेरी सहायता करने से रोक सकें।”\n\\p ",
"7": "तुम्हारे आध्यात्मिक अगुओं ने तुमको मसीह के विषय में सन्देश बताया है। स्मरण रखो कि उन्होंने अपना जीवन कैसे जिया है और कैसे उन्होंने मसीह पर भरोसा रखा हुआ है, इसकी नकल करो। ",
"8": "यीशु मसीह वैसे ही हैं जैसे कि वह सदा रहे हैं, और वह सदा के लिए वैसे ही रहेंगे। ",
"9": "इसलिए लोग तुम्हें परमेश्वर के विषय में अन्य बातों पर विश्वास करने के लिए प्रेरित न कर पाएँ, अर्थात् उन विचित्र बातों को जिन्हें तुमने हमसे नहीं सीखी हैं! उदाहरण के लिए, वे बातें जो तुमको भोजन के लिए नियमों का पालन करने न दें कि क्या खाना है और क्या नहीं। ये नियम हमारी सहायता नहीं कर सकते। ",
"10": "जो लोग पवित्र-तम्बू में सेवा करते हैं, उन्हें पवित्र वेदी पर खाने का कोई अधिकार नहीं है जहाँ हम मसीह की आराधना करते हैं। ",
"11": "जब महायाजक पाप-बलि के पशु के लहू को परम पवित्रस्थान में ले आए, तो दूसरे लोग उन पशुओं के शरीरों को छावनी के बाहर जला दें। ",
"12": "इसी प्रकार, यरूशलेम के फाटकों के बाहर यीशु ने कष्ट सहे और मर गए कि वह हमें, अपने लोगों को, परमेश्वर के लिए विशेष बना सकें। उन्होंने यह हमारे पापों के लिए अपना लहू दान दे कर किया। ",
"13": "इसलिए हमें बचने के लिए यीशु के पास जाना चाहिए; हमें दूसरों से हमारा अपमान सहन कर लेना चाहिए जैसे लोगों ने प्रभु का अपमान किया। ",
"14": "यहाँ पृथ्‍वी पर, हम विश्वासियों के पास स्थिर रहने वाला नगर नहीं हैं। हम स्वर्गीय शहर की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो सदा के लिए रहेगा।\n\\p ",
"15": "क्योंकि यीशु हमारे लिए मरे, हमें निरन्तर परमेश्वर की स्तुति करनी चाहिए, यह हमारा बलिदान हैं। हमें संकोच के बिना कहने के लिए तैयार रहना चाहिए कि हम मसीह पर भरोसा करते हैं। ",
"16": "लोगों के लिए सदा भले कार्य करो और जो तुम्हारे पास हैं उसे बाँटों, क्योंकि ऐसा करने से तुम ऐसा बलिदान चढ़ा रहे हो जो परमेश्वर को प्रसन्न करेगा!\n\\p ",
"17": "अपने अगुओं का आज्ञापालन करो और, जो वे तुमको बताते हैं उसे मानों, क्योंकि वे ही हैं जो तुम्हारे कल्याण की रक्षा कर रहे हैं। एक दिन उन्हें परमेश्वर के सामने खड़ा होना होगा कि वह यह कह सकें कि क्या उन्होंने उनके कार्यों को स्वीकार किया है। उनका आज्ञापालन करो जिससे कि वे आनन्द के साथ तुम्हारी रक्षा करने का कार्य कर सकें, न कि दुखी होकर क्योंकि यदि तुम उन्हें दुख दे कर ऐसा करवा रहे हो, तो निश्चय ही वह तुम्हारी सहायता नहीं करेंगे।\n\\p ",
"18": "मेरे लिए और उन लोगों के लिए प्रार्थना करो जो मेरे साथ हैं! मुझे विश्वास है कि मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे परमेश्वर अप्रसन्न हों। मैंने हर प्रकार से तुम्हारे प्रति अच्छा कार्य करने का प्रयास किया है। ",
"19": "मैं सच्चे मन से तुमसे प्रार्थना करने का आग्रह करता हूँ कि परमेश्वर उन बाधाओं की अति शीघ्र दूर करे जो मुझे तुम्हारे पास आने से रोकती हैं!\n\\p ",
"20": "परमेश्वर, हमें शान्ति देने वाले हैं, जिन्होंने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जीवित किया है। ऐसा करते हुए परमेश्वर ने हमारे साथ अपनी अनन्त वाचा को उनके क्रूस पर बहाए हुए लहू से दृढ़ किया है, उसकी पुष्टि की है। ",
"21": "इसलिए मैं प्रार्थना करता हूँ कि परमेश्वर तुमको उनकी इच्छा पूरी करने के लिए हर अच्छी बात से सुसज्जित करें। वह हम में उस कार्य को पूरा करें जो उन्हें प्रसन्न करता है, जैसे कि वह हमें यीशु के पीछे चलते हुए देखें जिन्होंने हमारे लिए अपनी जान दे दी हैं! सभी लोग यीशु मसीह की सदा, स्तुति करें। आमीन।\n\\p ",
"22": "हे मेरे साथी विश्वासियों, क्योंकि यह एक संक्षिप्त पत्र है जो मैंने तुमको लिखा है, मैं चाहता हूँ कि तुम धीरज धर कर इस पर विचार करो जो मैंने तुमको प्रोत्साहित करने के लिए लिखा है।\n\\p ",
"23": "मैं चाहता हूँ कि तुम जानो कि हमारा साथी विश्वासी तीमुथियुस बन्दीगृह से मुक्त हो गया है। यदि वह शीघ्र यहाँ आए, तो मैं उसके साथ तुमको देखने के लिए आऊँगा!\n\\p ",
"24": "अपने सब आध्यात्मिक अगुओं और अपने सब विश्वासी भाई-बहनों को जो तुम्हारे शहर में परमेश्वर के हैं, कहना कि मैं उन्हें प्रणाम करता हूँ। इतालिया से आने वाले इस क्षेत्र के विश्वासियों ने भी तुमको शुभकामनाएँ दी हैं।\n\\p ",
"25": "परमेश्वर तुमसे सदा प्रेम करते रहें और तुम्हें अपनी दया से सुरक्षित रखें।",
"front": "\\p "
}